पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 7
(Lund Chusne Ka Maja)
लंड चूसने का मजा मैंने लिया डॉक्टर के फ्लैट में जाकर जब वे सो रहे थे और उनका लंड निक्कर से बाहर लटक रहा था. मैं खुद को रोक नहीं पाई और उनका लंड मुख में ले लिया.
कहानी का पिछला भाग: डॉक्टर से आँख लड़ाई अब क्या होगा भाई
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एक तो डॉक्टर अतुल मुझे पूरे जूनून से चूम रहे थे और दूसरी तरफ उनका सख्त लोहे की छड़ जैसा बड़ा लम्बा घंटा मेरी चूत, जो पैंटी, घाघरा और साड़ी के पीछे ढकी हुई थी, उसमें घुसने की कोशिश में लगा हुआ था।
जो डॉक्टर अस्पताल में मुझे संयम रखने का पाठ पढ़ा रहे थे, उसी डॉक्टर अतुल के दिमाग में उस समय ऐसा फितूर चढ़ा हुआ लग रहा था कि उस वक्त उनको मुझे चोदने से ना तो वह खुद और ना तो मैं रोक सकती थी।
मेरा हाल यह था कि मैं खुद चाहती थी कि डॉक्टर अतुल मुझे छोड़े नहीं और वहीं के वहीं नंगी कर के मुझे खूब चोदें।
फिर भी मुझे कुछ तो नानुकुर करना ही चाहिए था।
यह सोच कर डॉक्टर अतुल के काफी देर मुझे किस करने देने के बाद मैंने अपना मुंह हटा कर कहा- डॉक्टर साहब, यह क्या हो रहा है?
तब तक डॉक्टर अतुल यह ही सोच रहे थे किउ यह सब कुछ उनकी नींद में ही हो रहा था और यह एक बड़ा ही मनोहर सपना था।
जब मैंने उन्हें झकझोर कर पूछा- यह क्या हो रहा है?
तब अचानक उनकी आँखें ज्यादा खुलीं।
वे अचरज से कभी मुझे तो कभी अपने कमरे को इधर-उधर देखने लगे।
खुद जाग रहे थे या नहीं यह देखने के लिए अपने बाजू को डॉक्टर अतुल ने चूंटी भरी।
जब तीखी, सख्त चूंटी भरने से टीस सा दर्द उठा तो वे हल्की सी कराह मारते हुए बोले- यार यह सपना तो नहीं है।
मैंने अतुल की ठुड्डी को अपने हाथ में पकड़ा और मेरी तरफ घुमाते हुए उनकी आँखों में आँखें डालकर शरारत भरे लहजे में पूछा- क्या हुआ डॉक्टर साहब? जागते हुए मेरी डांट से आपका पेट नहीं भरा कि आप सपने में भी मुझे देखने लगे हो? सच सच बताना सपने में मेरे साथ क्या क्या कर रहे थे जनाब?
डॉक्टर धीरे धीरे गहरी नींद में से बाहर आ रहे थे।
उन्हें समझ आया कि वे मुझे सपने में नहीं हकीकत में देख रहे थे और मुझे अपनी बांहों में कस कर जकड़ कर वह मुझे देर तक जोरदार किस करते रहे थे।
अपने को सम्भालते हुए अतुल बोले- मुझे माफ़ करना नीना, पता नहीं यह मुझे क्या हो गया था? मैं नींद में आपे से बाहर हो गया था।
मैंने फिर अतुल की ठुड्डी पकड़ कर हिलाते हुए उनकी आँखों में आँखें डालते हुए कटाक्ष भरी शरारती मुस्कान देते हुए कहा- डॉक्टर साहब, आपके अलावा आपका कुछ और भी आपे से बाहर हो गया है।
यह कह कर मैं डॉक्टर अतुल के ऊपर से खिसक गयी और उन के बाजू में बैठ कर मैंने अपनी आँखों से उनके नंगे लण्ड की और इशारा किया।
अतुल कुछ देर मेरी ओर एकटक देख रहे थे।
उनकी समझ में नहीं आया कि मैं क्या कह रही थी।
फिर उन्होंने मेरे इशारे पर ध्यान दिया और डॉक्टर अतुल की नजर अपने खुले नंगे लण्ड पर पड़ी।
जैसे ही उन्होंने अपने खड़े लण्ड को उस तरह मस्त बिंदास फैला हुआ अपनी जाँघों के बीच इधर उधर डोलता हुआ देखा तो उनकी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी।
एकदम फुर्ती से अपनी दोनों टांगों को कस कर भींचते हुए अतुल अपनी निक्कर में अपने लण्ड को घुसेड़ने की कोशिश करने लगे।
मैंने उनकी तरफ देखा और शरारत भरी मुस्कान से उनका हाथ थाम कर उन्हें अपना लण्ड अपनी निक्कर में वापस डालने से रोकती हुई बोली- डियर डॉक्टर साहब, जो मुझे देखना नहीं चाहिए था, वह तो मैंने देख लिया। अब उसे छिपाने की कोशिश करने का क्या फायदा? और फिर ना तो यह अस्पताल है और ना यह मेरा वार्ड वाला कमरा है। यह आपका घर है। तो फिर इतना झिझकते क्यों हो यार?
अतुल मेरी बात बड़े अचम्भे से सुन कर मेरी ओर अजीब नजरों से मुझे देखने लगे।
कुछ थम कर मैंने कहा- एक बात कहूं, डॉक्टर साहब?
अतुल ने अपना सर हिला कर ‘हाँ’ कहा।
मैंने कहा- दिखने में तो यह इतना बड़ा और लंबा चौड़ा है पर है बड़ा ही क्यूट!
मेरी बिंदास बात सुनकर डॉक्टर अतुल की आँखें चौड़ी हो गयीं।
उनकी समझ में नहीं आया कि मैं यह क्या बोल गयी।
अपने को सम्भालते हुए कुछ झिझकते हुए थोड़ी हिम्मत जुटाकर अतुल ने पूछा- क्या सच में तुम्हें यह क्यूट लगता है?
मैंने उनसे नजरें चुराते हुए झुकी नज़रों से अपना सर हिलाते हुए हामी भरी।
अतुल ने मेरी और देखा और अपनी और खींच कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
फिर मेरे मुंह को अपने मुंह से सटा कर बोले- नीना, यार वैसे तो तुम बड़ी बिंदास हो। अगर तुम्हें यह अच्छा लगता है तो इतनी दूर से क्यों देख रही हो? माना कि लज्जा नारी का आभूषण है। पर अब तो हम उससे कहीं आगे बढ़ चुके हैं यार! अब शर्माना क्यों? उसे हाथ लगा कर अपने हाथ में फील नहीं करोगी?
यह कह कर डॉक्टर अतुल बिना मेरे जवाब का इंतजार किये, मेरा एक हाथ पकड़ कर निक्कर में से अपने लण्ड को बाहर निकाल कर उसके ऊपर रखने वाले ही थे कि अचानक कुछ सोच कर रुक गए और मेरी ओर सीधा देखते हुए बोले- इसको छूने से पहले यह देख लो कि कहीं तुम तुम्हारे पति को तो धोखा नहीं दे रही? अगर ऐसा है तो इसी वक्त रुक जाओ। मैं तुम्हारी विवाहित जिंदगी में सेंध नहीं मारना चाहता।
अतुल की बात सुन कर मैं खिलखिलाकर हंस पड़ी।
वे मुझे देखते ही रहे।
मैंने उनका लण्ड हाथ में पकड़सहलाते हुए उनकी ओर देख कर मुस्कुराते हुए कहा- अरे मेरे बुद्धू डॉक्टर साहब, आप क्या समझते हो? मैं मेरे पति की परछाईं की तरह हूँ। मेरे पति एकदम खुले दिमाग के हैं। वे मुझसे और मैं उनसे कुछ भी नहीं छिपाते। वे तो चाहते हैं कि मैं किसी अच्छे तगड़े मर्द के साथ एन्जॉय करूँ। उनकी ही बदौलत मैं आज आपके यहां हूँ।
अतुल का लण्ड छूते ही मेरे पूरे बदन में जैसे बिजली का करंट मार गया हो ऐसा जबरदस्त झटका लगा।
जिसको देखने, महसूस करने और उससे चुदवाने के सपने मैं दिन रात देख रही थी, वह अब नंगा, चिकना, लंबा और मोटा लण्ड मेरे हाथ में था।
डॉक्टर का लण्ड शायद उत्तेजना के मारे और मेरी नटखट बातें सुन कर सख्त और लंबा होने के बावजूद एकदम गर्म भी हो चुका था।
वह मेरे हिसाब से कम से कम सात इंच तक सीधा लंबा होगा और मोटाई में मैं यही कहूँगी की वह मेरी मुट्ठी में नहीं समा पा रहा था।
मेरी दोनों उंगलियां उस लण्ड को पकड़ने के बाद भी लण्ड की आधी मोटाई तो मेरे हाथ के बाहर ही थी।
करीब दो इंच व्यास की मोटाई तो होगी ही।
मैंने वही हंसी मजाक के लहजे में कहा- डॉक्टर साहब, लगता है इसने कई सालों से किसी स्त्री को नहीं देखा। इसकी घिसाई तो हुई ही नहीं है अब तक … बिल्कुल फ्रेश माल लगता है।
डॉक्टर साहब भी मजाकिया मूड में लग रहे थे।
उन्होंने कहा- दो साल से तो इस्तेमाल नहीं हुआ बेचारा … शायद आज तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था।
मैंने कहा- अच्छा? क्या इसको पता था कि इससे मिलने कोई आने वाला है?
मिलने की बात से अचानक मुझे उस पडोसन की याद आयी और मैंने अतुल से उस पड़ोसन के बारे में पूछा।
अतुल ने अपने सर को दोनों हाथों के बीच रखते हुए कहा- अरे बाप रे! उसने अगर तुम्हें यहां आते हुए देखा तो समझो मेरी शामत आ गयी। मेरी पत्नी को फ़ौरन उसका फ़ोन चला जाएगा। वह पूरी रिपोर्ट दे देगी। पता नहीं अब आगे क्या क्या होगा।
अतुल की बात सुन कर मैं कुछ सोच में पड़ गयी।
अचानक मेरे चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान दिखी।
डॉक्टर ने मुझे मुस्कुराते हुए देख कर पूछा- क्या बात हैं नीना? तुम अचानक क्यों मुस्कुराने लग गयी?
मैंने कहा- लोहा ही लोहे को काटता है।
फिर और कुछ बोले बिना झुक कर मैंने अतुल के लण्ड को चूमा।
अतुल मेरी बात समझ नहीं पाए और मुझे द्देखते ही रहे।
डॉक्टर मेरी जीभ का उनके लण्ड से स्पर्श होते ही चौंक कर सिहर उठे।
उनके लण्ड के छिद्र में से रस की एक बूँद बाहर निकल पड़ी।
मैंने उस बूँद को देखते ही फौरन उस बूँद को दुबारा झुक कर चाट लिया।
पर इस बार मैं वापस सीधी नहीं हुई।
झुके रहते हुए मैंने डॉक्टर के लण्ड के सिरे को मुंह में ले कर उसके टोपे के इर्दगिर्द अपनी जीभ घुमा फिरा कर उसको चाटना शुरू किया।
मेरे ऐसा करने से उत्तेजना के मारे अतुल पलंग पर ही मचलने लगे और उनके मुंह से आहें निकलने लगीं।
मेरा मुंह ऊपर नीचे कर मैंने डॉक्टर के लण्ड की चमड़ी को मेरे होंठों के बीच दबाते हुए मुंह से मेरी चिकनी लार को लण्ड के ऊपर अच्छे से लपेटा।
मेरी लार के रेसे के तारों को मेरे मुंह में से निकलते हुए देख डॉक्टर ने मेरे सर पर प्यार से हाथ फेरा और ‘आह, ओह, गुड …’ कह कर अपनी संतुष्टि जता रहे थे।
मैंने कहा- डॉक्टर साहब, आप तो बस मेरे बारे में सोचते सोचते सो गए, पर यह तो सख्ती से खड़ा हुआ मेरा इंतजार कर रहा था। मेरे इंतजार में बेचैन होकर यह बेचारा अपने बिल से, मतलब अपनी निक्कर से भी बाहर निकल कर आ गया था।
अतुल ने मेरी और हैरानी से देखते हुए कहा- लगता है तुम्हें इससे प्यार हो गया है।
मैंने कहा- इससे मुझे बहुत ही ज्यादा प्यार हो गया है। इतना प्यारा प्यारा सा जो है तो क्या इस पर प्यार नहीं आएगा मुझे?
यह कह कर मैं अतुल के महाकाय लण्ड को बार बार अपना मुंह ऊपर नीचे करके जितना हो सके उतना चूसने और चाटने लगी।
मेरा उद्देश्य मेरे प्रियतम अतुल को वह सुख देना था जिससे वह सालों तक वंचित रहे।
उनका लण्ड चूसते और चाटते हुए बार बार मैं कभी लण्ड बाहर निकालती तो कभी उनके अंडकोष को भी मुंह में डालकर चूसने लगती।
मुझे उनका अंडकोष भी बहुत ही प्यारा लग रहा था।
वह अंडकोष इतना बड़ा था कि मुझे लगा कि जो वीर्य उनके अंडकोष में भरा है, अगर डॉक्टर अतुल ने मुझे चोदते हुए वह वीर्य मेरी चूत में उंडेला तो यह पक्का था कि मैं पहली बार की चुदाई में ही गर्भवती बन सकती थी।
इसमें कोई शक नहीं था कि मुझे डॉक्टर अतुल के लण्ड को पहली नजर में देखते ही बेतहाशा प्यार हो गया था।
यह अलग बात है कि उस लण्ड से चुदने के बारे में सोच कर मेरी जान हथेली में आ गयी थी।
वैसे भी मेरी चूत छोटी, बहुत ज्यादा टाइट और नाजुक है।
जब मेरे पति राज भी मुझे चोदते हैं तो मुझे धीरे धीरे सम्भाल कर चोदते हैं ताकि मुझे दर्द ना हो।
अतुल जब यह महाकाय लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ेंगे तब मेरा क्या हाल होगा … यह सोच कर मेरा गला सूख रहा था।
पर मुझे फिर भी डॉक्टर साहब का यह लण्ड बहुत ही प्यारा लग रहा था।
दिखने में वह गोरा-चिट्टा और बड़ा ही मासूम सा लग रहा था।
इतना लम्बा होने के बावजूद सख्ती से खड़ा हुआ, ऊपर की और कर्व लेता हुआ दिखता था।
उस लण्ड का टोपा मोटा, तगड़ा, फूला हुआ, गोरा चिट्टा, साफ़ सुथरा और बड़ा ही चिकना था।
लण्ड के ऊपर कई उभरी हुई गोरी और श्यामल नसों का जाल बिछा हुआ था।
मेरी पैंटी से रगड़ खाकर और इस उम्मीद में कि जल्दी ही उस पैंटी को हटा कर उसे उस चूत में घुस कर उसे चोदने का मौक़ा मिलेगा शायद!
अतुल का लण्ड उत्तेजना के मारे, जैसे हमारा दिल धड़कता है, लगभग वैसे ही बार बार नसों की धमनियों के फूलने और सकुचाने से ऊपर नीचे हिलता डुलता रहता था।
जिससे उनके लण्ड की खूबसूरती और बढ़ जाती थी।
मेरे हाथ में लेने और मुंह में चूसने के कारण लण्ड के छिद्र में से बार बार उनका पूर्व रस रिसता रहता था।
मैंने उसी वक्त तय कर लिया कि मैं उनसे उसी दोपहर को जरूर चुदवाऊंगी।
अतुल को पिछले दो सालों से किसी भी स्त्री का सहवास नहीं मिला था।
कोई भी शादीशुदा मर्द इतनी भरी जवानी में यह कैसे बर्दाश्त कर सकता है?
मैं डॉक्टर अतुल से तहे दिल से प्यार करने लगी थी।
बस डर था मुझे तो उनके महाकाय लण्ड का … उसको मैं कैसे झेल पाऊंगी … यह एक परेशानी जरूर मुझे बेचैन कर रही थी।
मेरी कहानी आपको कैसी लग रही है?
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