डॉक्टर संग सेक्स भरी मस्ती
कैसे हो दोस्तो…मैं शालिनी जयपुर वाली…याद तो हूँ ना मैं…
मेरी सेक्सी कहानियाँ
तो लगी शर्त
जीजा मेरे पीछे पड़ा
गर्मी का इलाज
पढ़ी हैं आपने…
अब आगे की बात..
आदमी की नीयत औरत के प्रति हमेशा खराब रहती है… आपने सुना ही होगा कि एक औरत आदमी से बहुत कुछ चाहती है पर आदमी हर औरत से सिर्फ एक ही चीज चाहता है और वो है चुदाई। पर अगर औरत को एक से ज्यादा लण्ड का मज़ा मिल जाए तो फिर औरत का मन भी हमेशा नए नए लण्ड को देखने को करने लगता है। जैसे लड़के आती लड़की की चूचियाँ और जाती लड़की की गांड पर नजर गड़ाए रहते हैं वैसे ही औरत भी आदमी की पैंट में छुपे लण्ड को मापने की कोशिश में रहती है।
तीन लण्ड अब तक मेरी चूत और गांड का भेदन कर चुके थे। इन तीन लन्डों से चुद चुद कर मैं अब पूरी चुदक्कड़ बन चुकी थी। मेरी नजर भी अब पैंट में छुपे लन्डों का जायजा लेने लगी थी। लगभग हर समय मैं चुदास से भरी रहती थी।
इसी दौरान मैं गर्भवती हो गई। मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा। पहली बार माँ बनने का एहसास क्या होता है यह लिख कर बताना बहुत मुश्किल है। अभी गर्भ तीन महीने का ही था कि मुझे कुछ तकलीफ हुई तो मैं एक डॉक्टर के पास अपना चेक-अप करवाने के लिए गई। पति देव भी साथ में ही थे।
डॉक्टर ने चेक-अप करने के बाद कहा कि अब मुझे सेक्स नहीं करना चाहिए नहीं तो होने वाले बच्चे के लिए ठीक नहीं होगा।
और फिर उसी दिन से मेरी चुदाई बंद हो गई। कोई भी माँ अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती है।
चुदाई बंद हो गई पर चुदवाने की तमन्ना तो कम नहीं हुई थी। मैं अक्सर चुदाई के लिए बेचैन हो उठती थी पर कुछ कर नहीं सकती थी। पति देव भी अब मुझ से दूर दूर ही रहते क्यूंकि पास आने पर चुदाई से अपने आप को रोक पाना शायद दोनों के लिए मुश्किल होता। पति देव मेरा पूरा ख्याल रखते थे। महीने में दो बार डॉक्टर ने चेक-अप के लिए कहा था तो वो मुझे याद से डॉक्टर के पास ले जाते थे। लगभग तीन महीने और बीत गए। मेरा पेट दिखने लगा था अब।
एक दिन की बात है…
पति देव किसी काम से शहर से बाहर थे और मुझे डॉक्टर के पास चेक-अप के लिए जाना था। पति देव नहीं थे तो मैं पड़ोस की एक लड़की को साथ लेकर डॉक्टर के पास चली गई। डॉक्टर ने करीब आधे घंटे बाद मुझे केबिन में बुलाया। मैं अकेली ही अंदर चली गई। हर बार डॉक्टर मेरा बी.पी. वगैरा ही चेक करता था पर आज उसने मुझे स्ट्रेचर पर लेटने के लिए बोला और फिर पर्दा लगा कर मेरा पेट जांचने लगा।
“शालिनी जी… अगर आपको ऐतराज ना हो तो मुझे आपके कपड़ो के अंदर के हिस्से को चेक करना पड़ेगा। मेरा मतलब समझ रही हैं ना आप?”
मैं थोड़ा घबराई पर फिर सोचा कि यह कौन सा मुझे चोद देगा इस हालत में और मैंने हाँ कर दी।
मेरी हाँ मिलते ही डॉक्टर ने मेरी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठा कर मेरे पेट पर कर दिया। मैंने पैंटी नहीं पहनी हुई थी तो मेरी नंगी चूत अब डॉक्टर के सामने थी। डॉक्टर मेरी टांगों के बीच आ गया और अपने औजारों से मेरी चूत को फैला कर अन्दर से चेक करने लगा।
डॉक्टर के बारे में थोड़ा बता दूँ। वो करीब चालीस-पैंतालीस साल का तंदरुस्त शरीर वाला इंसान था। यह सोच कर ही मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी कि मैं बहुत दिनों के आज फिर से एक पराये मर्द के सामने अपनी चूत नंगी किये पड़ी थी। पर आज कुछ हो नहीं सकता था। डॉक्टर पहले तो अपने औजारों से चेक-अप करता रहा और फिर उसने पहली बार अपनी उंगली से मेरी चूत को छुआ तो मेरी आह निकल गई। डॉक्टर ने भी मेरी आह सुन ली थी तभी तो वो अब थोड़ा दबाव के साथ उंगली से मेरी चूत को सहला रहा था।
कुछ देर ऐसे ही सहलाने के बाद उसने अपनी पहले एक और फिर दो उँगलियाँ मेरी चूत की गहराई में उतार दी। मैं तो मस्ती के मारे तड़प उठी थी। मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। करीब दस मिनट तक डॉक्टर मेरी चूत को अपनी उँगलियों से सहलाता रहा और फिर अपने औजार उठा कर अपनी मेरी तरफ आया और मुझ से बात करने लगा।
“शालिनी जी… मैंने आपका चेक-अप कर लिया है, सब कुछ ठीक है और आगे भी अगर सब ठीक रहा तो आप निश्चित रूप से एक स्वस्थ और सुन्दर बच्चे को जन्म देंगी।”
मेरी साड़ी अभी भी वैसे ही मेरे पेट पर पड़ी थी तो डॉक्टर ने मेरी साड़ी को पकड़ कर नीचे कर दिया और मेरे पेट को सहलाने लगा। मैंने स्ट्रेचर को दोनों हाथ से पकड़ा हुआ था और जब डॉक्टर मेरे पेट का निरीक्षण करने लगा तो डॉक्टर का लण्ड मेरे हाथ से टकराया। तभी मेरी नजर डॉक्टर की पैंट पर गई तो मेरे दिल में गुदगुदी सी होने लगी। पैंट का अगला भाग बिल्कुल कसा हुआ था, उसमें से मोटे से लण्ड का स्पष्ट अहसास हो रहा था। मेरे दिल की धड़कन राजधानी एक्सप्रेस हो गई थी।
मुझे लगा कि शायद डॉक्टर जानबूझ कर अपना लण्ड मेरे हाथ से रगड़ रहा है। चूत में उंगली से मैं तो पहले ही बेचैन थी और अब लण्ड के स्पर्श से मेरी हालत खराब होने लगी थी। डॉक्टर करीब दो तीन मिनट तक लण्ड को मेरे हाथ पर रगड़ता रहा। अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा था। दिल कर रहा था कि लण्ड को अपने हाथ में पकड़ कर मसल डालूँ, उसको पकड़ कर अपने मुँह में लेकर चूस डालूँ।
डॉक्टर का लण्ड भी अब पूरा तन चुका था।
तभी डॉक्टर ने मेरे पेट को एक जगह से दबाया तो मुझे दर्द हुआ। मैंने दर्द भरी आह भरते हुए स्ट्रेचर को छोड़ कर डॉक्टर का लण्ड अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया और फिर डॉक्टर की भी आह निकल गई।
डॉक्टर ने अब मेरी चूचियों को दबा कर देखा। मेरी चूचियाँ तन चुकी थी और डॉक्टर का हाथ अब मेरे अंदर मस्ती भर रहा था। अब मैंने शर्म छोड़ कर डॉक्टर का लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया था और उसको मसलने लगी। डॉक्टर मेरी चूचियाँ दबा रहा था और मैं डॉक्टर का लण्ड। दोनों मस्ती के आगोश में खो से गए थे।
कुछ देर ऐसे ही मज़े लेने के बाद मैं अपने आप को नहीं रोक पाई और मैंने पैंट की ज़िप खोल कर डॉक्टर का लण्ड बाहर निकाल लिया।डॉक्टर का लण्ड फटने को हो रहा था। मोटे मूसल जैसा लण्ड देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया था। मैं चुदवा तो नहीं सकती थी पर चूत में आग लग चुकी थी। डॉक्टर ने लण्ड मुँह की तरफ किया तो मैंने ना चाहते हुए भी लण्ड को मुँह में ले लिया। पांच मिनट ही चूस पाई थी कि डॉक्टर के लण्ड से गर्म गर्म मलाई निकल कर मेरे मुँह में भर गई। बहुत दिनों के बाद वीर्य का स्वादिष्ट स्वाद मेरी जीभ को मिला था तो मैं सारा चाट गई।
वीर्य निकलने के बाद डॉक्टर ठंडा हो गया और जाकर अपनी सीट पर बैठ गया। मैं कुछ देर तो लेटी रही पर फिर उठ कर डॉक्टर के पास आई और अपने होंठ डॉक्टर के होंठों पर रख दिए। मेरे रसीले होंठों का स्वाद और डॉक्टर के लण्ड से निकले वीर्य का मिलाजुला स्वाद डॉक्टर के मुँह में भी घुल गया।
ऐसा मजेदार चेक-अप करवाने के बाद मैं घर आई तो सारा दिन डॉक्टर का लण्ड ही आँखों के सामने घूमता रहा। रात को पतिदेव ने आकर चेक-अप का पूछा तो मैंने झूठ बोल दिया कि डॉक्टर ने हर हफ्ते चेक-अप करवाने के लिए कहा है। पतिदेव भला कैसे मना कर सकते थे।
और फिर उसके बाद तो मैं हर हफ्ते डॉक्टर के पास जाने लगी। पतिदेव साथ चलने को कहते तो किसी ना किसी बहाने टाल देती और अकेली ही जाकर डॉक्टर के लण्ड को चूस आती। इसमें अब मुझे बहुत मज़ा आने लगा था।
और फिर ठीक समय पर मैंने अपनी गुड़िया यानि पिया को जन्म दिया। अगले चालीस दिन मुझे सम्पूर्ण आराम करने की हिदायत दी गई थी। किसी तरह मैंने ये दिन काटे।
अब मैं डॉक्टर से मिल कर उसके मोटे लण्ड को अपनी चूत में महसूस करने को बेताब थी। पर पतिदेव ने अपनी एक रिश्तेदार को मेरी देखभाल के लिए बुला रखा था तो मैं कुछ नहीं कर पा रही थी। और ऐसे ही दो महीने निकल गए।
फिर मैंने एक दिन पति को बोल दिया कि रिश्तेदार को वापिस भेज दो अब सब ठीक है और मैं सब संभाल सकती हूँ।
पति ने भी मेरी बात मान ली और फिर आया मेरी आज़ादी का दिन।
मेरी चुदाई की पूरी कहानी मेरी सेक्सी आवाज में सुन कर मजा लें!
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पतिदेव उस रिश्तेदार को छोड़ने उसके साथ चले गए। पति के जाते ही मैं भी पिया को लेकर सीधा डॉक्टर के पास पहुँच गई। डॉक्टर मुझे देखते ही मुस्कुरा दिया। क्लिनिक में दो तीन ही मरीज थे तो डॉक्टर ने जल्दी से सब को निपटाया और फिर सबसे अंत में मुझे बुलाया। केबिन में घुसते ही डॉक्टर ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरी गर्दन पर चुम्बन करने लगे।
मैंने पिया को वही एक चेक-अप बेड पर लेटाया और डॉक्टर से लिपट गई।
डॉक्टर मेरे होंठ चूसने लगा और मेरी चूचियाँ जो दूध भर जाने से और भी बड़ी बड़ी हो गई थी को सहलाने लगा। बहुत दिन तड़पने के बाद आज डॉक्टर के हाथ का एहसास अपनी चूचियों पर हुआ था। मैं तो हाथ लगते ही चुदास से भर उठी और मैंने बिना देर किये डॉक्टर का मोटा लण्ड अपने हाथ में लेकर मसल दिया। डॉक्टर और मैं दोनों ही मस्ती में भर कर वासना के सागर में गोते लगाने लगे।
पांच मिनट होंठ चूसने के बाद मैंने पहल करते हुए डॉक्टर का लण्ड बाहर निकाला और मसलने लगी। डॉक्टर की आँखें मस्ती के मारे बंद हो गई थी।
तभी डॉक्टर का इंटरकॉम फोन बजा और बाहर से कंपाउंडर ने बताया कि कोई मरीज आया है। कोई एमरजेंसी थी तो डॉक्टर ने मुझे बाहर इंतज़ार करने को कहा पर मैंने इंतज़ार करने से मना कर दिया और डॉक्टर को कहा कि वो फ्री होने के बाद मेरे घर आ जाए। डॉक्टर राजी हो गया और मैं पिया को लेकर घर आ गई।
करीब एक बजे डॉक्टर का फोन आया और मुझ से पूछा की क्या वो आ जाए तो मैंने झट से हाँ कर दी क्यूंकि मेरी चूत भी अब लण्ड लेने को मचल रही थी। डॉक्टर पन्द्रह मिनट तक आने वाला था तो मैं तैयार होने के लिए बाथरूम में घुस गई। मैं नहाई और अपनी चूत रगड़ रगड़ कर साफ़ की।
अभी मैं बाथरूम से निकली ही थी कि दरवाजे पर घंटी बज उठी। कहीं कोई और ही तो नहीं आ गया। इसी डर में मैंने दरवाजा खोला पर यह तो वही था जिसका मैं और मेरी चूत दोनों ही इंतज़ार कर रहे थे।
डॉक्टर को अन्दर बिठा कर मैंने उसको चाय कोल्डड्रिंक के लिए पूछा पर डॉक्टर ने मुझे अपनी बांहों में खींच लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। अब मैं अपनी चूत को और नहीं तड़पाना चाहती थी। मैंने बिना देर किये डॉक्टर के कपड़े खोलने शुरू कर दिए। डॉक्टर ने भी मेरे कपड़े खोलने शुरू कर दिए।
मैंने, सही कहूँ तो कुछ पहना ही नहीं था, ब्लाउज और पेटीकोट ही था। पैंटी और ब्रा मैंने पहनी ही नहीं थी और साड़ी पहनने का समय ही नहीं मिला था कि डॉक्टर आ गया था।
अगले एक मिनट के बाद ही डॉक्टर और मैं दोनों नंगे थे और दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से लिपटे हुए थे। डॉक्टर मेरे दूध से भरे चूचों को मुँह में लेकर चूस रहा था और उसकी एक उंगली मेरी चूत में उछल-कूद मचा रही थी। मैं मस्ती के मारे सिसकारियाँ भर रही थी और मेरी आहें… शायद चीखें कहूँ तो ज्यादा ठीक होगा… कमरे में गूंज रही थी।
कुछ देर ऐसे ही मज़ा देने के बाद डॉक्टर ने मुझे सोफे पर लेटा दिया और खुद मेरी टांगों के बीच में बैठ कर मेरी चूत को सहलाने लगा और फिर अचानक ही अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया। मैं अपने आपको रोक नहीं पाई और मेरी चूत ने गर्म गर्म पानी डॉक्टर की जीभ पर फेंक दिया।
डॉक्टर पूरी मस्ती के साथ मेरी चूत चाट रहा था। मैं अपने पाँव के अंगूठे के साथ डॉक्टर का लण्ड सहला रही थी। डॉक्टर का लण्ड पूरी तरह से तन कर अकड़ गया था। मैंने डॉक्टर को पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया। डॉक्टर ने मेरा सर सोफे की बाजू पर सेट किया और खड़े होकर अपना लण्ड मेरे मुँह में ठूंस दिया। मैं भी मस्ती में लण्ड को चूसने लगी पर अब चूत में ज्वालामुखी फटने को था तो मैंने डॉक्टर को चुदाई करने को कहा।
डॉक्टर ने भी मेरी बेचैनी को समझा और मेरे कूल्हों को सोफे की बाजू पर सेट करके लण्ड मेरी चूत के मुहाने पर टिका दिया। बहुत दिन बाद चूत को लण्ड की गर्मी मिली थी। मैं अब और इंतज़ार नहीं कर सकती थी। डॉक्टर ने मेरी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखी और एक लण्ड को मेरी चूत पर दबा दिया।
चूत पानी पानी होकर चिकनी हो चुकी थी। डॉक्टर ने एक जोरदार धक्का लगाया तो आधा लण्ड चूत में समा गया और फिर डॉक्टर ने बिना इंतज़ार किये एक और जोरदार धक्का लगा कर पूरा लण्ड चूत में घुसा दिया।
मैं बहुत दिन बाद चुद रही थी तो जल बिन मछली की तरह तडपते हुए मेरे मुँह से चीख निकल गई।
क्या लण्ड था डॉक्टर का… बिल्कुल लोहे की रोड की तरह कठोर।
फिर तो डॉक्टर ने ताबड़तोड़ धक्के लगाकर मेरी चूत का भुरता बनाना शुरू कर दिया। कुछ देर तो मुझे दर्द महसूस हुआ पर फिर तो मेरे बदन में भी मस्ती की लहरें दौड़ने लगी। डॉक्टर सच में बहुत मस्त चुदाई कर रहा था। वो चुदाई में पूरी तरह से निपुण था। बहुत ही सटीक धक्के लगा लगा कर चुदाई कर रहा था। हर धक्के में मेरी आह निकल रही थी।
“आह्ह्ह… चोद डॉक्टर… चोद… आह्हह्ह… बहुत तड़पी हूँ तेरे लण्ड से चुदने के लिए… उम्म्म्म… फाड़ डाल आज…मार जोर से जोर से धक्के लगा…”
मैं बड़बड़ाये जा रही थी और डॉक्टर भी मस्ती में मेरी चूत का भुरता बना रहा था।
कुछ देर बाद डॉक्टर ने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से लण्ड चूत में उतार दिया। डॉक्टर जरूर कोई दवाई खा कर आया था तभी तो वो इस उम्र में भी किसी जवान पठ्ठे की तरह हुमच हुमच कर मेरी चूत का बाजा बजा रहा था।
करीब दस मिनट के बाद डॉक्टर ने मुझे अपनी गोदी में उठाया और लण्ड पर बैठा कर मेरी चुदाई करने लगा। कुछ देर चोदने के बाद डॉक्टर ने मुझे डाइनिंग टेबल पर लेटाया और फिर से लण्ड चूत में डाल दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
यहाँ मैं आपको बता दूँ कि मैं अब तक दो-तीन बार झड़ चुकी थी। चूत भी फच्च फच्च करने लगी थी।
डॉक्टर अभी भी मस्त धक्के लगा रहा था। डॉक्टर करीब चालीस मिनट तक मुझे चोदता रहा। डॉक्टर का लण्ड था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मैं अब चुदवाते चुदवाते थक गई थी। जब डॉक्टर नहीं झड़ा तो मैंने हाथ नीचे ले जाकर डॉक्टर की गोटियाँ दबा दी और फिर डॉक्टर अपने ऊपर कण्ट्रोल नहीं कर पाया और जबरदस्त ढंग से मेरी चूत के अन्दर ही झड़ने लगा।
गर्म गर्म वीर्य से मेरी चूत भरने लगी थी। डॉक्टर बहुत देर तक झड़ता रहा और मेरी चूत अपने वीर्य से लबालब भर दी। झड़ने के बाद डॉक्टर बुरी तरह से थक गया था और वो मेरे बदन पर ही लेट गया। मैंने भी टाँगें उसकी कमर पर लपेट ली और उससे चिपक गई।
इतनी जबरदस्त और लंबी चुदाई किसी ने भी नहीं की थी मेरी चूत की। मैं पूर्ण रूप से संतुष्ट महसूस कर रही थी।
दस मिनट के बाद डॉक्टर उठा और सोफे पर लेट गया। मैं रसोई में जाकर दूध गर्म करके लाई। दूध पीते ही डॉक्टर ने फिर से मुझे अपने साथ चिपका लिया। मैं भी डॉक्टर का लण्ड सहलाने लगी। कुछ तो गर्म दूध का असर और कुछ मेरे हाथों की करामात थी कि लण्ड फिर से अपने शवाब पर आ गया।
डॉक्टर ने इस बार मुझे कमरे में बिछे कालीन पर नीचे ही लेटाया और अपना मोटा मूसल एक बार फिर से मेरी चूत की गहराई में उतार दिया। इस बार डॉक्टर ने करीब पच्चीस मिनट तक मुझे चोदा और मेरी चूत की सारी गर्मी ठंडी कर दी।
जब डॉक्टर मेरे घर से गया तो मैं अधनंगी बेड पर बेसुध सी पड़ी थी। मेरी आँख तब खुली जब पिया के रोने की आवाज मेरे कानों में पड़ी।
उसके बाद भी डॉक्टर बहुत बार मेरे घर पर मेरी चुदाई करने आया और मेरी चूत की गर्मी को ठंडा करता रहा।
आपको मेरी चूत की यह चुदाई कैसी लगी मुझे कमेंट्स में जरूर बताना..
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