बिना सिंदूर का सुहाग-1

दोस्तो, मैं आपकी अर्चना लेकर आई हूँ अपनी कहानी !

मैं २३ साल की युवती हूँ, कॉलेज में बी ए फ़ाइनल इयर की छात्रा हूँ।

एक बार की बात है मैं गौरव टावर पर शौपिंग करने गई थी, वहाँ मुझे एक लड़का बार बार घूर रहा था। जब मैं वहाँ से निकली तो वो लड़का भी मेरा पीछा करने लगा।

मैं कॉलेज जा रही थी, वो भी मेरे पीछे पीछे आने लगा। मुझे डर लगने लगा। जैसे ही मैं बस से उतरी तो वो एक दम मेरे पीछे आकर बोला- हेल्लो, मैं तरुण …

लेकिन मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और चलती रही। मेरी सांसें और धड़कन बढ़ रही थी…

एक दम से मेरे सामने आकर बोला- मैं तरुण हूँ और आप से दोस्ती करना चाहता हूँ…

मैं बोली- अभी मैं कॉलेज के लिए लेट हो रही हूँ … बाद में बताऊंगी…

फिर मैं क्लास में पूरा समय उसी लड़के के बारे में सोचती रही कि लड़का तो स्मार्ट है.. पर अगर किसी को पता चल गया तो…

फिर में दो पीरियड के बाद ही कॉलेज से आ गई…

अब वो कॉलेज के बाहर मोटर साइकिल पर बैठा था, मुझे ना जाने क्या हुआ… मैं सीधे उसके पास गई और उसकी बाइक पर बैठ गई और बोली- जहाँ चलना हो चलो…

वो मुझे गार्डन में ले गया और बोला- जान, आज तो कमरे का इंतजाम नहीं हो पाया है लेकिन कल कर लूंगा !

फिर वो मुझे मेरे घर तक छोड़ कर आया …

अगले दिन मैं कॉलेज नहीं जा कर तरुण के साथ चली गई। वैसे मुझे बहुत डर लग रहा था क्योंकि मेरी सहेलियाँ कहती थी कि पहली बार चूत में लंड जाने पर बहुत दर्द होता है, मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।

वो मुझे अपने दोस्त के घर ले गया …जहाँ पर उसका दोस्त नहीं था …

फिर उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया …. जब वो किस कर रहा था तो मुझे काफी डर लग रहा था, मेरी सांसें फ़ूल रही थी… वो मेरे स्तन दबाते हुए बिस्तर पर ले गया ….

मैंने कहा- तरुण आज नहीं ! मुझे बहुत डर लग रहा है…

तरुण- यार तुम डरो मत ! मैं तुम्हारे साथ हूँ तो डरने वाली कोई बात नहीं है…

फिर वो मुझे किस करने लगा …और चूचियां भी दबाने लगा …

उसने कहा- अब मैं तुम्हारा टॉप उतारूंगा तो…

मैं बोली- आज इतना ही काफी है …अब बाद में करेंगे …

उसने मेरी बात नहीं सुनी और मेरे टॉप को उतार दिया …. ब्रा में से ही स्तनों को चूमते हुए बोला- बहुत मस्त हैं तेरे बूब्स तो …

ऐसा बोलते ही उसने अब मेरी ब्रा को भी उतार फेका … अब तो मुझे बहुत डर लगने लगा … वो मेरे बूब्स चूस रहा था और मेरी धड़कनें बढ़ रही थी …वो जैसे ही मेरी जींस खोलने लगा, मैं पीछे हट गई और बोली- नहीं जान, आज केवल इतना ही काफी है…

फिर वो बोला- ठीक है, हम कल वापिस यहीं पर आयेंगे ….

मैं बोली- ठीक है…

अब मेरी जान में जान आई … फिर हम थोड़ी देर बाद उसके दोस्त के घर से निकल गए और वो मुझे घर छोड़ चला गया …

अगले दिन फिर वो मुझे लेने आ गया …

आज मैं सोच कर आई थी कि आज तो चूत में लंड डलवा ही लूंगी …दर्द एक बार तो होना ही है जो आज हो जाएगा ! फिर तो मजे करेंगे…

फिर वो मुझे बेड रूम में ले गया और मुझे किस करने लगा … आज मैं भी उसका साथ दे रही थी… अब किस करने में मुझे भी मजा आ रहा था ..

फिर वो मेरे स्तन दबाने लगा, अब मुझ में भी कामदेव आये थे इसलिए मुझे बहुत मजा आने लगा….और मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगी- अरे तरुण ! तूने तो मार डाला ..अह्ह्ह ओह्ह ….अह्ह्ह ओह्ह….

फिर उसने मेरा टॉप उतारा और स्तन पकड़ने के लिए ब्रा के अन्दर हाथ डाल दिया और दबाने लगा ….फिर उसने एक झटके में ब्रा उतार फेंकी जिससे उसका हुक टूट गया ….

अब वो मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे स्तनों से खेलने लगा ….

फिर उसने मेरी जींस उतारी और मेरे पैरों को चाटने लगा …मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी … मैंने कहा- अब तुम अपने कपड़े खोलो तो …

तरुण बोला- जान तुम ही खोल दो ना …

फिर मैंने उसकी जींस खोलनी चाही तो बोला- जान पहले टी-शर्ट खोलो ..

मैं बोली- ठीक है !

और मैंने उसका टी-शर्ट उतार फेंका … उसने बनियान नहीं पहना था ..मैं उसके बदन को चूमने लगी। वो आंखें बंद करके मजा लेने लगा…

फिर मैंने उसकी जींस उतार फेंकी …

वो बोला- लंड मुँह में लोगी?

मैं बोली- मुझे पसंद नहीं है…

फिर उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी पैंटी उतार कर चूत पर किस करने लगा … मुझे बहुत अच्छा लग रहा था …

फिर उसने कहा- जान अब क्या मैं अपना लंड तुम्हारी चूत में डालूँ … ?

मैं बोली- डाल दो ! लेकिन दर्द हुआ तो मैं करने नहीं दूंगी..

फिर उसने अपना थोड़ा सा लंड डाला, मुझे दर्द होने लगा, मैंने कहा- मुझे दर्द हो रहा है ! रहने दो !

लेकिन वो नहीं माना और थोड़ा और डाल दिया …

मुझे दर्द तेज़ होने लगा तो मैं उठ कर दूर चली गई …मैं बोली- जानू, आज नहीं, फिर कभी करेंगे … अबकी बार तुम कंडोम भी लेकर आना ! मुझे बहुत डर लगता है बिना कंडोम के….

वो बोला- ठीक है …

मैं बोली- ठीक है लेकिन अब 3-4 दिन बाद मिलेंगे ..

और हम दोनों अपने अपने घर चले गए !

आगे क्या हुआ, कहानी के दूसरे भाग में !

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