कानपुर की आंटी ने चूत चुदाई के लिए बुलाया
(Kanpur Ki Aunty Ne Chut Chudai Ke Liye Bulaya)
हैलो मेरी प्यारी भाभी, आंटी… आपको राज़ा का प्यार भरा नमस्कार… कैसे हैं आप सब कुछ काम की वजह से मैं अपनी अगली कहानी लाने में लेट हो गया, जिसके लिये माफ़ी चाहता हूं.
मेरी पिछली कहानी
आपा यानि बहन के साथ सुहागरात
के लिए मुझे बहुत सारे मेल आए, आप सबने इतना प्यार दिया, जिसका मैं बहुत शुक्रगुजार हूं.
ख़ैर मैं अब देर ना करते हुए अपनी एक बिल्कुल रियल कहानी पर आता हूँ.
मेरी पिछली कहानी पर आए एक मेल ने मेरी होली को सच में रंगीन और लाजवाब बना दिया. मेरी तो एक तरह से लॉटरी ही लग गई. मैं उन मेल करने वाले का कर्ज़ कभी नहीं अदा कर सकता हूं.
हुआ यूँ कि एक मेल मेरे पास आया कि आपकी दूसरी स्टोरी ‘आपा के साथ सुहागरात..’ मुझे बहुत पसंद आई.
मैंने जबाव दिया- शुक्रिया… वैसे आपका नाम क्या है?
उनका जवाब आया- मेरा नाम वर्षा है. मैं आपसे मिलना चाहती हूं.
मैंने कहा- आपको मुझसे क्या काम है.. मैं लखनऊ के करीब रहता हूँ.. आप कहाँ से हो?
उन्होंने बोला- मैं कानपुर से हूँ.
मैंने कहा- आप काम बताइए अगर मिलने वाला काम होगा तो मिल भी लेंगे.
वो बोली- एक ऑफर है तुम्हारे लिए.. लेकिन बात प्राइवेट रहनी चाहिए.
मैंने कहा- मैं कुछ समझा नहीं?
वो बोली- तुमको मुझे यानि मेरी कामवासना को संतुष्ट करना है, मेरे साथ सेक्स करना है.
पहले तो मैं बहुत खुश हुआ. फिर सोचने लगा कि कहीं मैं किसी के चक्कर में फँस ना जाऊँ.
मैंने बोला- आपकी उम्र कितनी है और आप ऐसा क्यों करना चाहती हैं?
वो बोली- मेरी उम्र 38 साल है.
मैंने कहा- फिर तो आप एक हॉउसवाइफ होंगी.. आपके पति भी होंगे, तो आप उनके साथ सेक्स नहीं करती हैं क्या?
वो बोली- हाँ हैं मेरे पति लेकिन वो बाहर ही रहते हैं और उनकी उम्र भी काफी हो गई है. एक औरत बिना सेक्स के कैसे रहती है, मैं ही जान सकती हूँ.
तो मैंने कहा- आपने मुझे ही इस काम के लिए क्यों चुना?
वो बोली- तुम्हारी बातों से विश्वास झलकता है तभी चुना.
मैं बोला- मैं कोई कॉलब्वॉय नहीं हूँ जी.
उसने कहा- पता है, तभी तुम्हें इस काम के लिए बोला है.
‘ओके…’
उसने कहा कि तुम होली के तीसरे दिन का आने का तय कर लो, मेरे पति छुट्टी पर आएंगे और होली के दूसरे दिन वापस चले जाएंगे. अगले दिन तुम आ जाना.
मैंने कहा- ठीक है, आप अपना एड्रेस तो बता दीजिए.
उसने मोबाइल नंबर दिया और कहा- जब कानपुर पहुँच जाना तो कॉल करना, उससे पहले मत करना.. ओके!
मैंने होली के तीसरे दिन यानि कि सन्डे का तय कर लिया और बेसब्री से उस दिन का इंतज़ार करने लगा. ख़ैर वह दिन आ ही गया मैंने घर में बोल दिया कि मैं घूमने के लिए कानपुर जा रहा हूँ.. शाम तक लौटूंगा. अगर देर हो गई तो मेरा एक मित्र है, उसके रूम पर रुक जाऊंगा.
मैं अच्छी तरह से नहाया धोया.. नीचे के बाल साफ करके अच्छा सा परफ्यूम लगा कर रेडी होकर स्टेशन की ओर निकल पड़ा. ट्रेन सुबह, 10 बजे की थी तो मैं आराम से स्टेशन पहुंच कर वेट करने लगा.
ट्रेन आई और मैं उसमें बैठ गया. लखनऊ से कानपुर की दूरी ज्यादा नहीं है इस वजह से मैं जल्द ही कानपुर पहुंच गया.
मैंने फिर उसी नंबर पर कॉल किया तो वो नंबर स्विच ऑफ बता रहा था. मुझे बहुत गुस्सा आया कि मुझे उस आंटी ने बेवकूफ बना दिया है. मुझे इतनी जल्दी किसी पर यक़ीन नहीं करना चाहिए था.
फिर 2-3 बार फोन ट्राइ करने के बाद मैंने सोचा अब वापस घर ही जाते हैं. यहाँ अकेले क्या करेंगे.
मैं जैसे ही स्टेशन की तरफ घूमा, एक मैसेज आया- कॉल मत करना, मैसेज से बात करो मेरे पति घर में ही हैं. इसलिए मैंने तुम्हारा नम्बर ब्लैक लिस्ट में पहले से ही डाल दिया था कि तुम कॉल जरूर करोगे.
मैंने कहा- आंटी जी, आपने तो कहा था कि आपके पति वापस चले जाएंगे, फिर क्यों नहीं गए?
वो वर्षा आंटी बोली- हाँ जाने वाले थे लेकिन सन्डे की वजह से एक दिन और रुक गए हैं.
मैंने बोला कि मैं अब क्या करूँ.. आप ही बताओ?
वो बोली- करना क्या है मेरे घर आओ.
मैंने कहा- आपके पति तो मेरी जान ले लेंगे.
उसने कहा- डोंट वरी… मैं हूँ ना, बस तुम उनके सामने चुप रहना.
मैं बोला- जैसी आपकी मर्जी.
आंटी ने अपने घर का एड्रेस दिया और मैं ऑटो पकड़ कर उसके दरवाजे पर पहुंच गया.
मैंने बेल बजाई अन्दर से एक लगभग 50 साल का बुड्ढा सा आदमी दरवाजा खोलने आया.
मैंने कहा- नमस्ते अंकल, आंटी नहीं है घर पर?
वो कड़क आवाज में बोला- हाँ हैं.. क्या काम है तुम्हें?
मैं मन ही मन सोचने लगा कि अब तो फंस गया.. क्या काम बताऊं.
अभी मैं इतना सोच ही रहा था कि तब तक अन्दर से आवाज आई- आ गए राजा.. बड़ी देर कर दी?
और अपने पति से बोली- मेरी सहेली का लड़का है, कल इसका एक्जाम है कानपुर में.. कोई रिलेशन नहीं है, तो अपने यहाँ ही रुकेगा.
मैं जब घर के अन्दर दाखिल हुआ और मेरी नज़र आंटी पर पड़ी तो क्या बताऊँ यारों हुस्न की मल्लिका पिंक कलर की साड़ी पहने हुए पूरी कयामत लग रही थीं. उनके चुचे 36 के और गांड 40 की लग रही थी. दिल कर रहा था यहीं पकड़ लूँ लेकिन उसके हज्बेंड की वजह से फट भी बहुत रही थी.
आंटी भी मुझे घूर कर देख रही थीं. शायद क्योंकि मैं भी काफी स्मार्ट हूँ और आंटी तो पहले से ही सेक्स की बहुत प्यासी थीं.
फिर आंटी बोलीं- मैं खाना लगा देती हूँ तुम भूखे होगे.. खाना खा लो.
मैं हाथ मुँह धोकर खाने की टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगा और उनके पति रूम में जाकर टीवी देखने लगे.
अब आंटी बिल्कुल मेरी वाइफ की तरह मेरी खातिरदारी कर रही थीं. अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई है फिर भी वाइफ की फीलिंग आ रही थी.
वो जब झुक कर मेरे पास आकर पूछतीं कि ‘और कुछ लोगे बेटा…’ तो उनके मम्मे जो ब्लाउज से आधे से ज्यादा बाहर निकले थे, मुझे उनके दीदार हो जाते और मेरा लंड खड़ा होने लगता था. लेकिन अंकल के डर से कुछ ना बोल पा रहा था, ना कुछ कर सकता था.
खाना खाने के बाद आंटी बोलीं- मैंने तुम्हारे रुकने का इन्तजाम ऊपर के रूम में कर दिया है, तुम थक गए होगे, जाकर आराम कर लो.
मैं आंटी को एक प्यारी सी स्माइल देकर ऊपर रूम में चला गया और रात का इन्तजार करने लगा.
शाम हो चुकी थी मैंने रूम की लाइट ऑन कर ली और चुपचाप रूम में लेट कर आंटी का इन्तजार करने लगा. कुछ देर बाद आंटी रूम में आईं और बोलीं- तुम कुछ देर वेट करो, मैं अपने हज्बेंड को चाय मैं नींद की गोली मिला कर दे दूँ फिर तुम्हारे पास आऊंगी.
इतना कह कर वो नीचे चली गईं. ये सुनकर तो मेरे मुँह में पानी आ गया. वक़्त जैसे थम सा गया था. मेरी नज़र अब सिर्फ दरवाजे पर ही थी कि कब आंटी आएं और मैं उनकी जम कर चुदाई करूँ.
कुछ देर बाद दरवाजे पर आहट हुई तो क्या देखा आंटी सेक्सी सी नाइटी जो पूरे शरीर को पूरी तरह से जकड़े हुए थी, जिस कारण उनका हर उभरा हुआ अंग साफ झलक रहा था. उनकी नाइटी इतनी चुस्त थी मानो जैसे सिर्फ ब्रा और पेंटी पहन कर आई हों. उन्होंने पूरी तरह से मेकअप भी किया लग रहा था डार्क रेड कलर की लिपस्टिक लगाई हुई थी. वैसे भी आंटी दूध सी गोरी थीं लेकिन मेकअप की वजह से तो पूरी ऐश्वर्या लग रही थीं.
कमरे में आते ही उन्होंने अन्दर से दरवाजे को लॉक कर दिया और मुझसे बोलीं- टेंशन मत लेना, मेरा हज्बेंड सो गया है.. अब वो सुबह ही उठेगा. उनकी टेंशन की वजह से तुम मुझे पूरा मज़ा नहीं दे पाते तभी मैंने ऐसा किया है. तुम डरना नहीं.. समझ लो आज मैं ही तुम्हारी पत्नी हूं वैसे भी तुम्हारी शादी नहीं हुई है तो मुझे अपनी वाइफ समझ के प्यार करना.
मैं बोला- हाँ मेरी पत्नी जी, आपको निराश नहीं करूंगा. आपने मेरे लिए कितने जतन किए हैं. अब अपने राजा को और ना तड़पाओ.. जल्दी से उसकी रानी बन जाओ ना.
वो आहिस्ता आहिस्ता मेरे करीब आईं और मेरे बेड पर बैठ गईं.
मैंने इतनी करीब से जब उन्हें देखा तो देखता ही रह गया. उस फूल सी रस भरी जवानी में उसका हज्बेंड पानी नहीं लगा पा रहा था, जिस वजह से फूल फूलने की बजाए मुरझाने की कगार पर था. लेकिन आज मुझे उस फूल में पानी लगाने का मौका मिला था तो मैं आज ही उस फूल को रस से तर बतर करने वाला था.
वो पतले पतले गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ, वो उठे हुए गोल गोल मम्मे, चिकनी सी कमर.. एकदम गोल काफी उठे हुए नितम्ब.. आह.. क्या बताऊँ यारों वो यूं लग रही थीं जैसे जन्नत की हूर हों.
जैसे ही मैंने उनका हाथ अपने हाथ में लेकर किस किया तो वो सिहर सी गईं. मैं समझ गया कि आंटी बहुत प्यासी हैं.
मैं बोला- आंटी जी आप तो इतने में ही.. फिर कैसे काम चलेगा?
वो बोलीं- अरे कुछ नहीं.. तुम बस आज मुझे इतना प्यार दो कि मैं तुम्हारी गुलाम हो जाऊं.
इतना सुन कर मैंने आंटी को बांहों में भर लिया और बेड पर लिटा कर उनके बालों में हाथ फेरने लगा. मुझे पता था कि मेरे पास पूरी रात है और आंटी को सिर्फ सेक्स नहीं.. बहुत सा प्यार भी चाहिए इसलिए मैं उन्हें पूरा खुश करने की कोशिश कर रहा था.
बालों में हाथ से सहलाने के बाद मैंने आंटी के माथे पर एक विश्वास वाला किस किया, जिससे उनका मुझ पर विश्वास और ज्यादा बढ़ गया था. अब मैं अपना फेस आंटी के फेस के बिल्कुल सामने ला चुका था और उनकी सांसें महसूस कर रहा था, जो अब थोड़ी गर्म हो चुकी थीं.
मैंने हल्का सा किस करते हुए उनके होंठों को स्पर्श किया, मैं उनके सब्र का इम्तहान ले रहा था. अपने होंठ उनके होंठों में बस स्पर्श करके दूर कर लेता था. इस बार जब मैंने अपने होंठ करीब किए तो आंटी ने मेरा सर पकड़ कर मेरे होंठों पे अपने होंठ ज़ोर से रख कर चूसने लगीं, मैं यही तो चाहता था.
फिर मैंने उनके होंठों के अमृत को ऐसे पिया कि मेरी प्यास हमेशा के लिए बुझ जाए और आंटी की कामवासना को बुझाने के साथ और भी बढ़ा दिया.
अब आंटी थोड़ा मचलने लगी थीं, उनकी आग भड़क चुकी थीं.. जिसका जिम्मेदार वो और मैं थे. लेकिन ये आग बुझानी भी मुझे ही थी. मेरे हाथ उनके मम्मे के पास पहुंच चुके थे, नाइटी और उसके अन्दर ब्रा इतने अधिक मुलायम कि जैसे उनके मम्मे बिना कपड़ों के मेरे हाथ में हों. मैं कस कर मम्मों को रगड़ रहा था आंटी की आवाज़ अब ‘आह ऊह्हऊईई राजा.. मेरे राजा…’ में तब्दील हो चुकी थी.
मैं भी उनको रानी कह कर बुला रहा था. मैंने देर ना करते हुए उनकी नाइटी जो काफी शॉर्ट थी, घुटनों तक ही थी, उसे उतारने को बोला तो आंटी बैठ गईं और मैंने पीछे जो चैन लगी थी.. खोल कर नाइटी उतार दी. जैसे ही नाइटी उतरी, मेरी तो फट गई यार.. ये तो नाइटी के अन्दर माल छुपा हुआ था.. रेड कलर की ब्रा और पेंटी उनकी लिपस्टिक में पूरी तरह से मैच कर रही थी.
मैं समझ गया कि आंटी आज सच में मेरी वाइफ ही बनकर चुदाने आई हैं. वो मखमल सी ब्रा के अन्दर मखमल से दूध.. आह.. मैंने ब्रा के ऊपर से ही एक आम चूसना शुरू कर दिया.
आंटी सिसक कर बोलीं- राजा अब और ना तड़पाओ.
वे मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर अपनी फुद्दी पर दबाने लगीं.
मैंने पेंटी के ऊपर हाथ से दबाया तो पूरी अमृत की धारा बह रही थी. मैंने झट से खींच कर पेंटी उतार दी और अपनी जीभ आंटी की बुर पे रख कर चाटने लगा. आंटी तो जैसे तड़प उठीं और बिना पानी की मछली की तरह मचलने लगीं. इधर मैं एक शिकारी की तरह उनका शिकार करने लगा.
आंटी पूरी तरह से मेरी संगिनी बनकर चुदाने को रेडी थी लेकिन मैं उन्हें और तड़पाना चाहता था.
उनकी चीख़ से पूरा रूम ‘राजा रर्राज़ा चोदो म्मुझे आह.. ओह..’ जैसी आवाजों से भरा हुआ था. उनका हज्बेंड तो सुबह उठने वाला था, क्योंकि आंटी ने पूरी 3 गोलियां खिलाई हुई थीं.
बिना देर करते हुए मैंने अपनी शर्ट और पेंट निकाल दी और अब मैं अंडरवियर और बनियान में था. आंटी उठ कर बैठ गईं और मेरी अंडरवियर खींच कर निकाल दी. मेरा तना हुआ लंड उनके फेस के सामने आ गया.
मैं लंड लहराता हुआ बोला- मुँह में लोगी इसे?
उन्होंने मना कर दिया, मैंने भी जबर्दस्ती नहीं की और वो मेरे सामने टाँग फैलाकर लेट गईं. मैंने अपनी पेंट से कंडोम का पैकेट निकाला और चढ़ाने लगा तो आंटी बोलीं- ये किसलिए?
मैंने कहा कि कहीं आप प्रेग्नेंट हो गई तो?
वो बोलीं- तब तो और अच्छा है वैसे भी मेरे हज्बेंड में इतनी दम नहीं थी जो मैं प्रेग्नेंट होती.
मैंने वो पैकेट वहीं डाल दिया और थोड़ा सा थूक लगा कर आंटी की टाँगें उठाईं और लंड को चूत पे सैट करके हल्का सा धक्का दे मारा.
आंटी को थोड़ा दर्द हुआ.
फिर मैंने लंड निकाल कर आंटी की फुद्दी पर थूक लगाया और लंड रख कर ज़ोर लगाया, लंड पूरा अन्दर चला गया.. आंटी की चीख निकल पड़ी.
फिर मैं अपनी रफ्तार बढ़ाता रहा, अब आंटी की फुद्दी पूरी तरह से खुल और खिल चुकी थी. मैं घप घप की आवाज़ के साथ ज़ोरदार चुदाई कर रहा था और आंटी के चेहरे पर साफ झलकती हुई खुशी देख रहा था जिस कारण मुझे भी बहुत खुशी हो रही थी कि आज मेरी वजह से किसी को खुशी मिली.
लगभग 15 मिनट तक मैं आंटी को अलग अलग पोज में चोदता रहा और आंटी को पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया. अंत में उनकी फुद्दी में ही सारा वीर्य छोड़ दिया.
उस रात फिर दो बार और मैंने आंटी को चोदा और फिर रात के 3 बजे मुझे नींद आ गई. सुबह जब आँख खुली तो टाईम 10:45 हो चुका था. मैं डरते डरते नीचे आया कि आंटी के पति शक़ ना करें.
मैं जीने से नीचे आ रहा था तो आंटी बोलीं- डरो मत मेरे पति चले गए.
मैं आंटी को बोला- अब मैं जाने की इज़ाजत चाहता हूं.
वे बोलीं- इतनी जल्दी?
मैंने कहा- फिर याद करना बंदा हाज़िर हो जाएगा.
उन्होंने मुझे कुछ रूपए दिए और कहा- ये मेरी तरफ से गिफ्ट है.. रख लो.
मैंने उन्हें टाइट हग किया और आदाब बोलकर स्टेशन की तरफ रवाना हो गया.
कैसी लगी आप सब को मेरी ये चुदाई की रियल कहानी, जरूर बताइएगा. बंदा फिर आपकी खिदमत में हाज़िर होगा
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