कमसिन काया में भरी वासना
(Kamsin Kaya Me Bhari Vasna)
मित्रो, यह मेरी पहली कहानी है जो मेरी खुद की आपबीती है. मैं प्रदीप शर्मा पंजाब का रहने वाला हूँ परंतु दिल्ली के पालम में रहता हूँ. जिस मकान में मैं रहता था उस मकान के निचले हिस्से में एक मल्लाह परिवार भी था जिसमें मोनिका अपने दो भाई और माँ बाप के साथ रहती थी. ऊपरी हिस्से मैं मैं अकेला रहता था और उससे ऊपर के फ्लोर पर मकान मालिक अपने परिवार के साथ रहता था जिसकी चार बेटियां थी डोली, पूजा, शालू और सोनिया!
यह कहानी मेरी और मोनिका की है. मोनिका थी तो सांवली पर उसका बदन उसे बहुत खूबसूरत बनता था. 36डी साइज के चुचे, 30″ कमर और 38″ गांड क्या मस्त पटाखा माल थी. मोहल्ले का हर मर्द उसे चोदने के सपने देखता होगा पर वो मेरे ही नसीब में थी.
अकसर मकान मालिक की लड़कियाँ मेरे साथ हंसी मजाक किया करती थी. हालाँकि इस मजाक में कोई गन्दगी न तो मेरे दिमाग में थी, न उन सबके मन में … पर शायद मोनिका को बुरा लगता था.
कुछ समय बाद मकान मालिक अपने परिवार के साथ कुछ दिनों के लिये बाहर गया. तब शुरु हुई हमारी कहानी!
मेरी बातचीत तो मोनिका से होती ही रहती थी पर इतनी ज्यादा भी नहीं!
उसकी माँ और बाप दोनों काम पर जाते थे और भाई आवारा गर्दी करते थे. दिन में वो घर पर रहती थी.
उस दिन रविवार था, बारिश हो रही थी. तब वो ऊपर आयी और बोली- शर्मा जी, क्या बोर हो रहे हो?
मैंने कहा- हाँ, अकेला जो हूँ!
मोनिका बोली- हाँ आपकी चारों सहेलियां जो नहीं हैं. बहुत मस्ती करते ही उन सबसे.
मैंने कहा- हाँ, मजाक मस्ती तो चलती रहती है.
मोनिका- केवल मजाक … या मस्ती भी?
यह बात उसने मेरी आँखों में आंखें डाल कर कुछ झुक कर इस तरह कही कि उसके चुचे भी दर्शन देने को उतारू हो गये. उस वक्त उसने आसमानी स्लीवलेस टॉप और स्कार्ट पहनी थी. टॉप पूरी तरह टाइट था, उसके मस्त चुचे टॉप फाड़ कर बाहर आने को बेताब थे.
मैंने उसकी बात को समझ कर कहा- नहीं, अपने ऐसे नसीब कहाँ कि कोई हसीना अपना स्वाद चखा दे.
मोनिका- मतलब अभी तक किसी को नहीं चखा?
“हाँ अभी नहीं चखा!” मैंने कहा.
मोनिका मेरे सामने झुक कर बैठ गयी जिससे उसके यौवन पुष्प और ज्यादा मुखर होकर प्रकट हो गये. मैं एकटक उसके चुचे देखने लगा.
मुझे इस तरह देखते देख कर वह बोली- देखते ही रहोगे या चखने का मूड है?
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ? जरूर चखूँगा.
असल मैं उस टाइम तक मैंने किसी को छुआ भी नहीं था, इसलिये हिम्मत नहीं हो रही थी. इस बात को वो समझ चुकी थी.
कोई दो मिनट की खामोशी के बाद वो मेरे बराबर में आकर बैठी और मेरे गले में हाथ डालकर बोली- मेरे भोले राजा, आओ मेरा स्वाद चखो!
और वो मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगी. उसका यह आमन्त्रण भरा चुम्बन मेरे पूरे बदन को रोमांचित कर गया. मेरा लंड तो एक जोर का झटका लगा, मेरे हाथ खुद ही उसके चुचों पर चले गये.
कुछ देर बाद मैंने अपने हाथ उसके टॉप में डाल दिये और उसके चुचे ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.
क्या चुचे थे … जितना दबाता था, उतने ज्यादा सख्त हो रहे थे.
उसने भी मेरी जिप खोल कर मेर लंड पर कब्ज़ा कर लिया और उसे नापने की कोशिश करने लगी. मेरा 6 इंच का लंड अपने पूरे रूप में आ चुका था. तब तक मैं उसे ऊपर से पूरी नंगी कर चुका था.
क्या मस्त लग रही थी … उसके काले निप्पल और तीन इंच का एरोला … मैं उसके चुचे चूसने लगा. एक को चूसता, एक दबाता जा रहा था.
तभी उसने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. क्या आनंददायक पल था. उसके गर्म गर्म होटों में जब मेरा लंड गया तो लगा जैसे दहकती भट्टी में डाल दिया हो.
धीरे धीरे मेरा पूरा लंड उसके मुँह में समा गया जिस वो अंदर बाहर करके चूसती रही. उसके मुँह की गर्मी के आगे मेरा लंड ज्यादा देर टिक नहीं सका और उसके मुँह में ही झड़ गया. ऐसा लगा जैसे मानो मेरे प्राण ही लंड के रास्ते निकल कर उसके मुँह में समा गये हों.
असीम आनंद … जिसका बयान करना मुश्किल है.
उसने मेरे लंड को अच्छी तरह चूस-चाट कर साफ़ किया और अपनी स्कार्ट उतार कर पूरी नंगी हो गयी. उसकी चुत एकदम साफ थी. शायद उसी दिन साफ करके आयी थी. मैं भी बिना कुछ बोले उसकी चुत पे टूट पड़ा. नंगी चिकनी चुत को हाथ से छूकर देखा.
उसने आंखें बंद कर ली और मेर सर पकड़ कर अपनी चुत पर झुकाने लगी और बोली- चूसो मेरे भोले राजा … मुझे भी मजा दो!
मैंने भी उसकी चुत को चूसना शुरु कर दिया. चुत के दाने को जीभ से सहलाता, होटों से दबता और मुँह में भर कर जोर से चूसता. वो भी आह उह कर के चुत चूसाई का आनंद ले रही थी. इधर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, मैं अपनी जीभ उसकी चुत में डाल कर जीभ से चोदने लगा.
तभी उसने मेरा सर पकड़ कर जोर से दबाया और मेरे मुँह में ही झड़ गयी. उसकी चुत से निकला कसैला सा पानी मेरे मुँह में भर गया जिसे मैं पी गया.
तब तक मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था. झड़ने की वजह से मोनिका शांत लेटी थी. तभी मैंने उसकी टाँगें उठा कर अपने कंधे पर रखी और उसकी चुत पे लंड टिका कर जोर का धक्का चुत पे मारा.
एक ही धक्के में मेरा आधा लंड चुत में घुस गया.
वो अचानक हुए हमले के लिये तैयार नहीं थी, बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… रुको!
पर मैं कहाँ रुकने वाला था, तब तक मेरा दूसरा धक्का उसकी चुत को झेलना पड़ा और मेरा पूरा लंड अंदर हो गया.
मोनिका की चुत पहले ही गीली थी तो ज्यादा परेशानी नहीं हुई; लंड फिसलता हुआ अंदर घुस गया. उसके बाद मैंने ताबड़तोड़ चुदाई शुरु कर दी. इस बार मेरा लंड बहुत देर में झड़ा. जब तूफान शांत हुआ तब तक उसकी चुत दो बार और पानी गिरा चुकी थी.
उस दिन हमने शाम तक चार बार चुदाई की और यह काम रोज का हो गया. जब भी मेरी छुट्टी होती, हम सारा दिन नंगे होकर खुल कर चुदाई करते. एक दिन हमारी पोल खुल गयी, हम दोनों को मकान मालिक की बड़ी लड़की डोली ने देख लिया.
दोस्तो, मेरी सेक्सी कहानी आपको कैसी लगी?
[email protected] पर मेल करके बतायें.
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