कमीने यार ने बना दिया रंडी-3

(Kamine Yaar Ne Bana diya Randi- Part 3)

शाहीन शेख 2019-12-26 Comments

This story is part of a series:

मेरी सेक्स स्टोरी में अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने अपने एक एक्स बॉयफ्रेंड पर भरोसा किया था. मगर साले ने मुझे एक अच्छी भली शरीफ घरेलू औरत से एक रंडी का लेबल मेरे माथे पर लगा दिया।

मेरी कहानी के पिछले भाग पढ़ कर आप ये तो जान ही गए हो कि कैसे मैं माँ बनने की इच्छा मन में लिए अपने पुराने बॉय फ्रेंड के पास गई, और थोड़ा झिझकते हुये मैंने उसे अपना बदन सौंप दिया। उसके बाद उसने भी मेरा भरपूर इस्तेमाल किया। जितना मेरी 6 साल की शादीशुदा ज़िंदगी में मेरे पति ने मुझे नहीं चोदा उस से ज़्यादा मेरे बॉय फ्रेंड ने मुझे एक साल में चोद दिया था। मगर नतीजा अभी भी ज़ीरो ही था।

कई बार तो ऐसा चांस हुआ कि दिन में मैंने दो बार अपने बॉय फ्रेंड से चुदवाया और रात को दो बार अपने पति से भी चुदवाया. और दोनों ने भर भर के माल मेरी चूत में उड़ेला, मगर मैं फिर भी माँ नहीं बन पा रही थी।

सच में मुझे अपने आप पर, अपने बॉय फ्रेंड अपनी शौहर पर और इस दुनिया को बनाने वाले पर सब पर गुस्सा आ रहा था। मुझे अब ये लगने लगा था कि कमी मेरे शौहर में नहीं मुझ में ही है। मैं तो बच्चे की चाह में बेहयाई पर भी उतर आई, अपने शौहर से फरेब करके अपने यार से चुदवाने लगी। अगर कमी मेरे शौहर में है तो मेरे यार से मैं प्रेग्नेंट क्यों नहीं हो रही।

फिर मेरे शौहर ने एक दिन कहा कि उन्होंने एक नया फ्लैट देखा है। शहर के सबसे खूबसूरत एरिया में वो एक नई सोसाईटी में बना है।
एक दिन हम दोनों देख कर आए, सच में मुझे वो फ्लैट बहुत पसंद आया। मगर उसकी कीमत ज़्यादा थी।

मैंने अपने शौहर से कहा- अगर मैं भी कहीं जॉब कर लूँ, तो हो सकता है, हम दोनों मिल कर इस खूबसूरत फ्लैट को हासिल कर पाएँ।
पहले तो मियां जी को मेरा आइडिया कुछ खास पसंद नहीं आया मगर फिर भी मैंने उन्हें मना लिया।

मुझे एक प्राइवेट फ़र्म में जॉब मिल गई। काम अच्छा था, साफ सुथरा ऑफिस, बढ़िया पढ़े लिखे समझदार लोग। मेरे शौहर को भी मेरा ऑफिस बहुत अच्छा लगा। तवख्वाह सिर्फ 25000 थी, मगर आगे बढ़ने का अच्छा स्कोप था।

दो महीने बाद हम अपने उस नए फ्लैट में शिफ्ट हो गए। शौहर ने भी अपने बिजनेस को और बढ़ाने के लिए पूरा ज़ोर लगा दिया। दिन रात वो काम कर रहे थे। मेरी जॉब तो नौ से पाँच थी, तो मैं अक्सर 6 बजे तक घर आ जाती मगर शौहर अक्सर रात के 9-10 बजे आते। आते ही खाना खाते, और सो जाते।

पहले हमारे छोटे से घर में हम बहुत नजदीक थे, मगर इस बड़े फ्लैट में हम दोनों दूर हो गए। एक ही बिस्तर पर वो और एक तरफ मैं हो गए। अक्सर जब मुझे सेक्स की इच्छा होती, वो चुके होते।

इसी वजह से मैं अक्सर अपने लैपटाप पर पॉर्न साइट्स पर पॉर्न देखती, अन्तर्वासना पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ती और फिर हाथ से अपनी चूत का दाना मसल कर अपनी आग ठंडी करती।

एक दो बार तो ऐसे भी हुआ कि मेरे शौहर ने मुझे पॉर्न देख कर हाथ से करते हुये देखा। मगर जब मैंने उन्हें यहाँ तक कह दिया कि आप तो सो जाते हो, मैं क्या करूँ।
फिर उन्होंने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। हालांकि ये किसी भी मर्द के लिए खतरे की घंटी होती है कि अगर मर्द अपनी बीवी को वक्त पर ठंडी न करे तो वो किसी और का सहारा भी ढूंढ सकती है।
मैंने अभी हाथ का सहारा लिया था, कल को मैं किसी गैर मर्द का सहारा भी ले सकती हूँ।
और अगर देखा जाए तो मैं तो पिछले एक साल से रिलेशन में थी, और अपने शौहर से फरेब कमा रही थी। बेशक मेरे शौहर को नहीं पता था पर मुझे तो पता था। और मेरे दिल में अब ये बात घर कर रही थी कि मेरे बॉय फ्रेंड के बस की भी नहीं है, मुझे कोई और ही मर्द देखना होगा, जो मेरी कोख को हरी कर सके।

मैं अपने ऑफिस में भी सबसे घुलमिल गई थी। बहुत से मर्द मुझे पसंद भी करते थे, 2-3 तो मैंने शॉर्ट लिस्ट कर रखे थे कि अगर बात बनी तो इनसे तो मैं चुदवा लूँगी। 

एक दिन मैं शाम को अपने बॉयफ्रेंड से मिलने गई। उस दिन उसने मुझे अपने उसी पसंदीदा होटल में बुलाया। पसंदीदा क्या था, सस्ता होटल था। अब तो मैं उस होटल में खुले आम साड़ी में या 
सूट सलवार में भी चली जाती थी।

करीब करीब पूरा होटल स्टाफ मुझे पहचानता था। मगर उस दिन कुछ खास हुआ.

खास यह हुआ कि जब मैं लिफ्ट के पास खड़ी लिफ्ट के आने का इंतज़ार कर रही थी, तो दो वेटर आपस में बात कर रहे थे।
एक बोला- लगता है, आफताब भाई को इस रंडी से इश्क हो गया है, वरना एक बार चोदने के बाद कौन बार बार एक ही रंडी पर पैसे खर्च करता है।

मुझे बड़ा अजीब लगा कि ये लोग मुझे कोई रंडी समझ रहे थे.
पहले तो उन पर गुस्सा आया, फिर सोचा कि ये लोग गलत भी क्या सोच रहे हैं। जब मैं इस होटल में अक्सर अफ़ताब के साथ आती हूँ। आई, घंटा दो घंटे रुकी और फिर चली गई, तो होटल में क्या करने आती हूँ। भोंसड़ी मरवाने, तो फिर तो मैं रंडी ही हुई न।
तो मैंने उनकी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया।

जब मैं रूम में पहुंची, तो आफताब पहले से ही टेबल सजाये बैठा था। शराब चिकन नमकीन सब रखे बैठा था। मैं गई, बड़े ही बेतकल्लुफ़ी से उस से मिली। उसने मुझे भी एक पेग दिया, मैंने पिया और उसे उन दो वेटरों की बात बताई।
वो बोला- यार आइडिया तो अच्छा है। क्यों ना आज हम दोनों कोई रोल प्ले करें। मैं एक कस्टमर और तुम एक रंडी बनो। और फिर मैंने तुम्हें पैसे दे कर तुम्हारा जिस्म खरीद कर तुमसे सेक्स करूंगा। और तुम भी पूरा किसी रंडी की तरह ही एक्ट करना।

एक पेग अंदर जाने के बाद मैं भी थोड़ा दिलेर हो गई और मैंने उसकी बात मान ली। फिर आफताब ने मुझे नीचे भेजा और एक वेटर को अपने रूम में बुलाया। थोड़ी देर बाद वो वेटर मुझे होटल की लॉबी से ऊपर आफताब के कमरे में ले गया।

मुझे देख कर आफताब बोला- अरे वाह छोटू। तू तो बड़ा मस्त माल ले कर आया है। क्या शानदार रंडी है। लेकर पकड़ 500 तेरा इनाम!
और आफताब ने मुझे बाजू पकड़ कर बिस्तर पर ले गया.

और वो वेटर आफताब की बगल में खड़ा होकर हम दोनों को देखने लगा।

फिर आफताब बोला- हाँ जी मैडम, क्या नाम है आपका?
मैंने कहा- जी मुझे शाहीन शेख कहते हैं।
वो बोला- वाह बड़ा ही हसीन नाम है, बिल्कुल आपकी तरह। अच्छा ये बताइये कि कितने पैसे लेती हैं आप?
मैंने कहा- जी मैं एक शॉट के 5000 और पूरी रात के 20000 लेती हूँ।

आफताब बोला- और क्या क्या करती हो?
मैंने कहा- जो आप चाहें मैं वो सब करती हूँ।
आफताब बोला- थोड़ा खुल कर बताएं।
मैंने कहा- जी मैं लंड चूस लेती हूँ, मगर मगर माल नहीं पीती। आप अपना माल मेरे मुँह में छुड़वा सकते हो।
आफताब ने मुस्कुरा कर पूछा- और गांड।
मैंने कहा- आपकी मर्ज़ी, आप चाहें तो मार सकते हो, मुझे कोई ऐतराज नहीं है।

मतलब एक तरह से आफताब ने उस वेटर को ये साबित कर दिया कि मैं एक गश्ती हूँ, जो पैसे लेकर मर्दों से चुदवाती हूँ। जबकि मैं इस सब को एक खेल ही समझ रही थी।

उसके बाद वो वेटर आफताब को सलाम करके कमरे का दरवाजा बंद करके बाहर चला गया।

आफताब मुझे बिस्तर पर ले आया और एक रंडी की तरह ही उसने बिना कोई प्यार मोहब्बत की इज़हार किए सीधा ही मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने भी उसका साथ दिया और थोड़ी ही देर में मैं बिल्कुल नंगी लेटी उसका लंड चूस रही थी।
मैंने महसूस किया कि आफताब अब मुझे मोहब्बत नहीं करता, उसके लिए मेरा जिस्म ही पहली पसंद है। वो सोचता है कि आई है, इसे चोदो और भागा दो।
उस दिन भी सिर्फ आधे घंटे में ही उसने मुझे चोदने के बाद फारिग करके भेज दिया।

मैं वापिस आते हुये सोच रही थी कि यार मैं उसकी माशूक हूँ या साली एक दो टके की रंडी हूँ?
खैर!

मगर कुछ दिन बाद एक और घटना हुई, मुझे वही वेटर बाज़ार में मिला जिसको आफताब ने होटल ने बुलाया था।
मुझे सलाम करके उसने मुझे ऑफर दी- मैडम जी, आप जो काम कर रही हो न, उसमें आपका कोई फायदा नहीं है, वो आफताब सर सिर्फ आपका इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर आप चाहें तो मैं आपको एक ऐसे बंदे से मिला सकता हूँ, जो आपको आपके काम की सही कीमत दिलवा सकता है।
मैंने उसे कहा- तो तूने क्या मुझे रंडी समझ रखा है, चल भाग भोंसड़ी के। 
मगर वो बोला- मैडम जी आप नाराज़ न हो, ठंडे दिमाग से सोचना, मैं आपको कल को फोन करूंगा।

मैंने पूछा- तुम्हारे पास मेरा नंबर कैसे आया?
वो बोला- वो तो आफताब सर ने दिया था कि अगर मैडम को कोई और ग्राहक चाहिए तो मैं दिलवा दूँ।

मुझे बड़ी हैरानी हुई कि क्या आफताब मुझसे पीछे छुड़वाना चाहता है। अगर उसका मन मेरे से भर गया है, तो साफ कहे, पर मुझे आगे तो किसी के पास न बेचे।
मैंने आफताब से बात करी, मगर उसने बात को मज़ाक में उड़ा दिया।

अगले दिन उस वेटर का फिर से फोन आया, तो मैंने उसे कह दिया- अभी मैंने कुछ सोचा नहीं है, जब मेरे मन में कुछ होगा तो मैं तुम्हें बता दूँगी।
मगर एक बात मेरे मन में थी कि मुझे आफताब से बात को करनी ही पड़ेगी। 

फिर एक दिन आफताब ने मुझे उसी होटल में बुलाया, मैं गई। मगर मैंने कोई तैयारी नहीं करी। मेरी झांट के बाल भी बढ़े हुये थे, बगलों में भी बाल उग आए थे। कोई मेक अप नहीं किया, बिल्कुल ऐसे ही उठ कर चली गई, जैसे नहाई धोई तैयार नहीं हुई होऊँ।

जब मैं रूम में गई तो आफताब के साथ एक और बंदा बैठा था। मुझे अंदर घुसते ही उनसे मुझे ऊपर से नीचे तक घूर कर देखा, मेरे सारे बदन का मुआयना उसने अपनी आँखों से कर लिया था। मैंने आफताब से बात करनी थी, पर इस बंदे के आगे मैं क्या बात करूँ।

मगर आफताब बहुत परेशान दिख रहा था। उसने शराब भी बहुत पी रखी थी।
उसने एक गिलास में एक पेग बना कर मुझे दिया और फिर बोलने लगा- शाहीन मेरी जान, मैं बहुत बुरी तरह से फंस गया हूँ, समझ नहीं आता मैं क्या करूँ।
मैंने उसे पूछा- ऐसा क्या हो गया?

तो वो कई तरह की कहानियाँ मुझे सुनाने लगा, ये हो गया वो हो गया।
वो जो दूसरा आदमी बैठा था, वो आफताब का बॉस था। बात आ कर यहाँ पर खत्म हुई कि आफताब ने अपने काम में कोई घोटाला कर दिया था और उसकी एवज़ में वो जेल भी जा सकता था। सिर्फ उसका बॉस उसे बचा सकता था। मगर बॉस ने उस से जो कीमत मांगी थी, वो आफताब दे नहीं सकता था।

बेशक आफताब ने मुझे अभी खुल कर कुछ नहीं कहा था मगर मैं समझ चुकी थी कि आज की रात मुझे इस बॉस के साथ बितानी पड़ेगी।
और वही हुआ, थोड़ी देर बाद आफताब ने मुझसे कहा- मेरे बॉस की इच्छा है कि अगर आज की रात तुम इनके साथ बिता लो तो ये मेरे सारे गुनाह माफ कर देंगे और मैं जेल जाने से बच जाऊंगा, नहीं तो हो सकता है कल की रात मैं जेल में बिताऊँ।

कहानी जारी रहेगी.
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