जंगल में भाभी की चूत की चुदाई

(Jungle Me Bhabhi Ki Chut Ki Chudai: Indian Sex Stories)

दोस्तो, मेरा नाम विकास ठाकुर है.
मेरी पिछली इंडियन सेक्स स्टोरी थी: स्लीपर बस में भाबी की चुदाई

मैं भाभी की चूत की चुदाई की एक नयी कहानी लेकर हाजिर हूँ. इसे मैंने मेघना नामक पाठिका की कहानी को सुनकर लिखा है. आप तो जानते ही हैं, फिर भी नए पाठकों के लिए मैं एक बार फिर से बता देता हूँ.

मैं पेशे से एक डॉक्टर हूँ. मुझे अन्तर्वासना पर सेक्स कहानी पढ़ना बहुत पसंद है. मैं एक 28 साल का युवक हूँ और मेरे लंड की साइज़ भी इतनी मस्त है कि ये किसी भी लड़की या भाबी को चुदाई का पूरा मज़ा दे सके. हालांकि मुझे लड़कियों से भाबियों की चुदाई करना ज्यादा पसंद है.

मैं अपनी इंडियन सेक्स स्टोरी पर आने से पहले ही बता दूँ कि कोई भी दोस्त मेरे से भाबी का नंबर या आइडी ना मांगे. किसी भी लड़की या भाबी के लिए उसकी प्राइवेसी और गोपनीयता बनाए रखना बहुत ज़रूरी होता है. इसलिए ये देखते हुए मैंने कहानी में नाम बदल दिए हैं.

इस सेक्स कहानी के पहले मैं ये बता देता हूँ कि मैंने किसी से कोई गद्दारी नहीं की, जो भी हुआ, मर्ज़ी से हुआ और एक बार ही हुआ.

ये मस्त कहानी मेरे दोस्त की वाइफ की चुदाई की है. हम तीनों साथ में ही काम करते हैं और तीनों ही डॉक्टर हैं.

पहले मैं दोस्त की वाइफ के बारे में बता दूँ. भाभी जी का नाम पल्लवी था और वो एकदम सिंपल सी लड़की लगती थीं, उनकी फिगर भी कोई ज्यादा भरी हुई नहीं थी. हां उनका पिछवाड़ा देखकर लोगों के लंड खड़े हो जाते थे. भाभी जी की गांड में ऐसा जादू था कि मरीज सिर्फ़ उनकी गांड देखने के लिए बार बार आते थे. वो साड़ी पहनती थीं. उनकी आंखें भूरी और गाल एकदम गुलाबी थे. उनके चूचे और गांड भी मस्त बाहर निकलती हुए थे.

सागर, मैं और भाभी हमेशा साथ में घूमते थे, हम तीनों ही ड्रिंक करते थे. मैं उनके घर पर भी बहुत बार आता जाता रहा हूँ.

हम लोगों को एक मेडिकल कैम्प के लिए नासिक जाना था. हम लोग लगभग पन्द्रह लोग थे. पल्लवी भाबी और मेरा दोस्त सागर भी साथ में थे.

हम लोग वहां पर गए. वहां पर हमें जंगल में रहना था. मतलब टेंट लगा दिए गए थे. ये टेंट बंद होते हुए भी ओपन किस्म के थे, उनमें दोनों तरफ़ से कोई भी झांक सकता था.

जहां हम गए थे, वहां पर ज्यादातर आदिवासी लोग रहते थे. जंगली इलाका था.

दो दिन के बाद सागर के पैर में मोच आने के कारण सागर वापिस घर चला गया. कैम्प और भाबी की जिम्मेदारी मुझे दे दी गई.

सागर के जाने के बाद पल्लवी भाबी ने मुझे बुलाया और बोला कि आज रात को सभी को बुला कर कल का प्लान डिसकस कर लेते हैं.

मैंने ओके कहा और सभी को इन्फॉर्म कर दिया.

हमारा काम होने के बाद मैं फ्रेश होकर उनके टेंट में गया. भाबी कपड़े चेंज कर रही थीं. अन्दर टेंट में एक ओर एक परदा लगा था, लेकिन मुझे सब दिखाई दे रहा था.

भाबी ने साड़ी ब्लाउज पेटीकोट और ब्रा उतारी और टी-शर्ट पहन ली. इस समय उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहना था. पैंटी भी निकाल दी थी. फिर नीचे सिर्फ़ एक नाइट पेंट पहन ली थी.

भाभी के चूचे और गांड को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
मेरा मन किया कि अभी जाकर उनकी गांड मार दूँ, उन्हें घोड़ी बना कर गांड में लंड के शॉट लगा दूँ. अपना लंड उनके मुँह में डाल दूँ. लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता था.

मैंने आवाज़ दी, तो पल्लवी भाभी ने अन्दर आ जाने को कहा. मैं पहले से ही अन्दर था.

मैं बैठ गया. भाभी आईं, तो मैं उनको देखता रह गया. भाबी बहुत हॉट लग रही थीं.

मैंने ऊपर से नीचे तक पहले भाभी को घूरना शुरू किया. पल्लवी भाभी के कपड़े बहुत ज्यादा टाइट थे. उनके चूचे और चूत एकदम शेप में साफ़ दिख रही थी.

वो मुझसे बात कर रही थीं और मेरी नज़रें उनकी फूली हुई गांड पर टिकी थी. आज ऐसा पहली बार हुआ था, जब मैंने भाभी के बारे में ग़लत सोचा था.

कुछ ही देर में बाकी के लोग भी आ गए. हम सभी लोगों ने कल का प्लान डिसकस किया.

सभी को सोने की जल्दी थी, बहुत सारी नर्स गांड मरवाने को बेकरार थीं और सबकी सबने अपना अपना लंड सिलेक्ट कर लिया था.

थोड़ी देर बाद सब लोग निकल गए भाभी ने मुझे रुकने को कहा.

भाभी ने कहा- हमने जिनको दवाई दी है, उन लोगों ने उनका आदिवासी डांस देखने को बुलाया है. बाकी सब नहीं आ रहे हैं. हम लोगों को जाना चाहिए.

मैंने हां कर दिया और हम दोनों उनके यहां जाने के लिए निकल गए. वो लोग पहाड़ों के बीच अपने भगवान के पास कुछ प्रार्थना कर रहे थे.

फिर उनका डांस शुरू हुआ. बहुत मज़ा आ रहा था. तभी एक बंदे ने मुझे एक ग्लास लाकर दिया, जिसमें कुछ था. उसे पीने के बाद पता चला कि वो शराब जैसा कुछ था. बड़ा ही उत्तेजक पेय था. हालांकि वो लोग बहुत सिंपल थे, तो मैंने और भाभी ने उस जूस को पी लिया और मज़ा लेते रहे.

फिर बाद में उन लोगों ने हमें भी नचाया. वो लोग हमें मियां बीवी समझ रहे थे. उनके डांस के हिसाब से भाबी मेरे आगे थीं. मेरा लंड भाभी की मक्खन की तरह गांड में घुस रहा था. पर हम लोग नशे में थे. हम दोनों ही नशे में इस तरह के डांस का मजा लेने लगे थे. मेरे दिमाग में तो पहले से ही भाभी की गांड बसी हुई थी.

कोई एक घंटे के बाद हम दोनों उनको बोलकर वहां से अपने टेंट आने के लिए निकल आए. पर हमसे एक गलती हो गई. हम दोनों रास्ता भटक गए थे. और कुछ समझ में नहीं आ रहा था. मोबाइल में भी नेटवर्क नहीं था. हम लोग दो घंटे से भटक रहे थे मगर कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था.

भाभी थक गईं और बोलीं- कहीं पर बैठते हैं फिर सोचते है.

ठंड भी बहुत ज्यादा थी. हम दोनों ने नॉर्मल कपड़े पहने हुए थे. उतने में भाभी को सामने एक खाली खंडहर सा दिखा. हम डरते डरते वहां पर गए. अन्दर खाली कमरे थे. हमने सोचा कि यहीं पर कुछ देर रुक जाते हैं.

मैं दूसरे कमरे में चला गया. मुझे वहां पर दो चटाई पड़ी मिलीं. अभी मैं उन चटाई के बारे में सोच ही रहा था कि तभी भाभी के चिल्लाने की आवाज़ आई. मैंने जल्दी से जाकर देखा, तो भाभी वहां पर टंकी जैसा कुछ था, उसमें गिर गयी थीं.

मैं पानी के अन्दर गया और उनको बाहर निकाला. पानी के कारण हम दोनों भीग गए थे और ठंड भी बहुत थी.

हम लोगों ठंड के मारे कंप रहे थे. तभी भाभी ने जो कहा, वो सुनकर मैं हैरान था.

भाभी ने कहा- ठंड बहुत ज्यादा है, हमें गीले कपड़े उतार कर बैठना पड़ेगा, नहीं तो हम ऐसे ही मर जाएंगे.
मैंने उनकी तरफ देखा तो भाभी ने कहा- हम डॉक्टर हैं. थोड़ा दिमाग़ से सोचो.

फिर अंधेरे में हम दोनों ने अपने अपने गीले कपड़े उतार दिए और एक दूसरे की तरफ पीठ करके बैठ गए. लेकिन कब तक ऐसे ही रहते … ठंड तो अभी भी थी.

हम दोनों लोग एक चटाई पर सो गए और एक चटाई ऊपर से ले ली.

मेरा लंड खड़ा हो चुका था. हमारा शरीर एक दूसरे को टच हो रहा था. भाभी थोड़ा पीछे को हो गईं. मेरे शरीर की गर्मी की वजह से उनकी सर्दी कम हो गयी.

मैंने उनकी तरफ देखा तो भाभी ने कहा- दूसरा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है. हमें ठंड से बचने के लिए एक दूसरे से लिपट कर सोना पड़ेगा.
उनकी बात सुनकर मैं झट से राजी हो गया क्योंकि मुझसे कंट्रोल ही नहीं हो रहा था.

मैंने पीछे से उनको अपनी बांहों में भर लिया और उनकी गोल व नरम गांड को अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया. उनकी गांड काफी बड़ी थी और एकदम मक्खन की तरह थी. उनकी गांड को हाथों से दबाने और मसलने में मुझे काफी ज्यादा मजा आ रहा था.

फिर भाभी भी जोश में आ रही थीं.

उनके मुँह से ‘आ..हं दबाओ … ज़ोर से कुछ तो करो …’ के बोल निकलने लगे थे.

दो मिनट के बाद भाभी बोलने लगीं- ये सही नहीं है.
मगर अब तक मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था.
मैंने भाभी को समझाया कि हमें ये करना होगा, वरना हम मर जाएंगे.
इस पर भाभी ने मुझसे प्रॉमिस लिया कि ये एक ही बार होगा और किसी को पता नहीं चलेगा.

मैंने भाभी को प्रॉमिस किया और किस करना स्टार्ट कर दिया.

मैं पीछे से उनकी गांड और मम्मों पर हाथ फेर रहा और दबा रहा था. हाय कितने मुलायम और नरम चूचे थे. मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था. इतने में ही भाभी भी काफी गर्म हो गयी थीं. उनके मुँह से लगातार ‘आह … आह …’ की धीमी आवाज निकल रही थी.

कुछ देर बाद भाभी ने मुझसे कहा- विकास आज मुझे चूत चटवानी है. सागर ने कभी नहीं किया. प्लीज़ मेरी चूत चाटो ना!
मैं नीचे को खिसक गया.
फिर भाभी ने मुझे इशारा किया और हम दोनों 69 की पोजीशन में हो गए.

मैंने भाभी की चूत के पास पहुंच गया और उनकी चूत को जीभ से चाटने लगा. मैं भाभी को पूरा मजा दे रहा था. मेरी पूरी जीभ चूत के अन्दर थी. मैं जीभ डाल कर आइस्क्रीम की तरह भाभी की चूत चाट रहा था.

भाभी की चूत का खट्टा पानी मुझे बड़ा मस्त लग रहा था. फिर भाबी ने मेरा लंड हाथ में ले लिया. वो अपने हाथ मेरे लंड को हिलाने लगीं. मेरी भी आहें निकलने लगीं. मेरी हालत खराब हो रही थी और भाभी ने लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं. फिर भाभी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और अब भाभी लंड को अन्दर बाहर करते हुए चूसे जा रही थीं. इधर मेरी जीभ भाभी की चूत के साथ साथ उनकी झांटों के बाल भी खींच रहा था.

मैंने भाभी से पूछा- लंड चूसने में मजा आ रहा है?
तो भाभी ने मुझसे बोला- हां … मुझे लंड चूसना बहुत पसंद है.

मैंने पूछा- सागर का लंड भी चूसती हो?
भाभी ने कहा- हां बहुत बार चूसा है.
मैंने भाभी से पूछा- लंड का पानी पीना भी पसंद है?
वो बोली- हां तुम मेरे मुँह में ही निकाल देना … मुझे माल को पीना पसंद है.

मैं अब बेफिक्र होकर लंड चुसवाए जा रहा था. भाभी ने मेरे लौड़े को चूस चूस कर और बड़ा कर दिया.

वो कहने लगीं- मुझे बड़ा लंड पसंद है. तुम्हारा सागर से बड़ा लंड है.

मैं अब काफ़ी जोश में आ गया था. मैं भाभी का सर दबा रहा था और अपना लंड पूरा अन्दर तक दे रहा था.

भाभी हाथों से लंड की मुठ मार मार कर उसे चूस रही थीं. इससे मेरा लौड़ा गर्म हो गया. मैंने सारा माल निकाल भाभी के मुँह में गिरा दिया. भाभी ने मेरा सारा माल पी लिया और लंड चाट कर सारा माल साफ कर दिया.

फिर भाभी बोलीं- अब तुम मुझे अपने लंड से चोदो. बस माल अन्दर मत गिराना. आज मुझे हर स्टाइल में चोदो, अब मुझसे रहा नहीं जाता. जल्दी करो … चोदो मुझे … आंह चोद दो मेरी चूत. इसे फाड़ कर रख दो.

मैंने अपने होंठों से उनके होंठों पर चूमना करना शुरू किया. मैं बहुत तेजी से भाभी को किस कर रहा था और साथ में उनके मम्मों को मसल रहा था. भाभी के मम्मों के बाद मैंने उनके गाल पर, गले पर, चूत, गांड. हर जगह चूमा और चूसा.

फ़िर नीचे से हाथ डाल कर उनकी चूत को सहलाने लगा और अन्दर उंगली डालने लगा.

भाभी की चूत में उंगली और बड़े सख्त मम्मों को मैं पूरी ताकत से पी रहा था. मैं भाभी के मम्मों को मसलने और जोर से दबाने लगा. मैंने उनके एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर दबाते हुए मींजा.

तो वो जोर से सिसकारने लगीं- उह उह आह विकास … आज मुझे पूरी तरह से चुदाई का मज़ा दे दो. मुझे तेरा लंड चूत में चाहिए. प्लीज़ जल्दी से डाल दो. चाहो तो माल अन्दर ही निकाल देना, लेकिन अब सब्र नहीं होता.

मैंने भाभी को सीधा किया और ऊपर चढ़ गया. मैंने अपना लंड भाभी की चूत के ऊपर रगड़ने लगा. उनकी चूत पूरी गीली हो गयी थी. उनकी एकदम टाईट चूत को चोदने के लिए मैंने पहला झटका ही जोर से दे दिया, पर अन्दर नहीं घुस सका. भाभी गीली चूत की वजह से लंड फिसल रहा था.

फिर भाभी ने एक हाथ से लंड चूत की फांकों में सैट किया. मैंने उनके एक बूब को मुँह में लिया और एक ज़ोर का शॉट लगा दिया.

लंड अन्दर घुसते ही भाभी ज़ोर से चिल्ला दीं- ओह मर गई … कितना बड़ा है तेरा … आह मुझे दर्द हो रहा है.

जबकि अभी मेरा आधा लंड ही भाभी की चूत में गया था. मैंने बात करते हुए और एक शॉट दे मारा. मगर भाभी की चूत काफ़ी टाईट थी.

कुछ देर के दर्द के बाद भाभी ने अपनी गांड ऊपर की और बोलीं- हां … अब लगाओ शॉट.
मैंने एक बार फिर जोर के झटके से अपना पूरा लंड भाभी की चूत में डाल दिया और चुदाई करने लगा.

भाभी मादकता से बोल रही थीं- आह धीरे धीरे करो … मुझे भी मज़ा लेने दो. लंड चूत की चप चप की आवाज़ आनी चाहिए.

भाभी मेरी पीठ में नाख़ून के निशान छोड़ रही थीं.

मैंने उनके मम्मों को दबाते हुए धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे करने लगा था. साथ में बीच में एकाध ज़ोर से शॉट लगा देता था.

कुछ देर बाद भाभी का दर्द भी कम हो गया और वो भी गांड उठाते हुए लंड का मज़ा लेने लगीं.

भाभी जोर से आवाजें निकालने लगीं- ओहो … हए ह्म्म … आ … जोर से … आंह और ज़ोर से करो. मुझे तुम्हें पूरा अन्दर लेना है. आंह विकास मर्द की तरह चोदो … आह प्लीज़ स्पीड बढ़ाओ अपनी … आंह मैं आने वाली हूँ.

मैंने अपने झटकों की ताकत बढ़ाई और स्पीड भी … और भाभी को जोर जोर से चोदने लगा.

कुछ देर बाद मैंने भाभी के पैर अपने कंधे पर ले लिए और चुदाई की स्टाइल चेंज कर दी. अब तो पच पच आवाज़ से सारा माहौल मस्त बन गया था.

थोड़ी देर बाद भाभी झड़ गईं. फिर भी वो गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थीं. उनकी चूत का रस टपकने लगा था, मुझे उसकी महक आ रही थी.

मुझे और भाभी दोनों को काफ़ी मज़ा आ रहा था. अब फ़च फ़च की आवाज़ और भी तेज आ रही थी.

थोड़ी देर बाद मुझे लगने लगा कि मैं भी होने वाला हूँ. मैंने लंड निकाल कर भाभी उल्टा कर दिया और उन्हें कुतिया बना कर पीछे से उनकी चूत में अपना लंड घुसा दिया.
लंड घुसाते ही मैंने शॉट लगाना चालू कर दिए.

मैं पीछे से जोर जोर से धक्के लगा रहा था. अब मेरा लौड़ा रुकने वाला नहीं था.

मैंने भाभी से बोला- मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है, मेरा होने वाला है. मैं चूत में निकल रहा हूँ.
भाभी ने कहा- ठीक है … निकाल दो. मैं गोली ले लूंगी.

मैं पूरी ताकत से भाभी की टाईट चूत में झटके लगा रहा था. वो बेहाल थीं और स्लो करने के लिए कह रही थीं. मगर मेरा लंड मानने को तैयार ही नहीं था.

फिर भाभी ने मेरी गोटियां सहलाईं और कुछ तेज झटके के साथ मैंने अपना पूरा माल भाभी की चूत में डाल दिया.

झड़ने के बाद हम दोनों नंगे ही वहां पर पड़े थे.

हमें अब ठंडी नहीं लग रही थी, पूरे पसीने से बेहाल थे. भाभी ने मुझे थैंक्स कहा और मेरे लंड को चाट कर साफ करने लगीं.

दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. इस टाइम पर भाभी ने बोला- चूत में दर्द हो रहा है. कुछ देर बाद में करते हैं.
मैंने ओके कह दिया.

अब भाभी मेरी तरफ गांड करके एकदम चिपक कर लेट गईं.

कुछ देर बाद फिर से चुदाई का दौर चला, और भाभी जी ने मस्ती से चूत लंड का खेल खेला, मैंने भाभी की चूत की चुदाई की.
इसके बाद हम दोनों चिपक कर सो गए.

मैं सुबह जगा, तो मेरा लंड खड़ा था. मैंने भाभी की गांड में लंड डालने की कोशिश की, लेकिन भाभी ने गांड ज्यादा बार नहीं मरवाई थी.

भाभी को दर्द हुआ, तो वो जाग गईं और बोलीं- आखिरी बार करने दे रही हूँ.

मैंने भाभी की गांड मारी और झड़ने के टाइम मैंने लंड बाहर निकाल कर अपने पैंट से पौंछ कर भाभी के सामने हिलाया, तो भाभी समझ गईं.
उन्होंने बोला- मुझे मुँह में लेना है.

मैंने उनके दोनों मम्मों के बीच में लंड रगड़ते हुए उनके मुँह में लंड डाला और भाभी के मुँह को चोदने लगा.

कुछ ही देर में मैंने सारा माल भाभी के मुँह में निकल दिया. भाभी ने मेरे लंड को किस किया और ‘मिस यू..’ कहा.

फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने.

भाभी ने कहा- ये बात कभी किसी को पता नहीं चलनी चाहिए.

मैंने उन्हें हग किया और प्रॉमिस किया कि कभी किसी को पता नहीं चलेगा और ये दुबारा भी नहीं होगा.

हम दोनों ने एक दूसरे को हग किया और एक लंबा किस किया. भाभी ने मेरे लंड की तरफ़ देखा, वो खड़ा था.

भाभी ने लंड से कहा- हाथ हिलवाओ या कोई और ढूंढ लो. मेरी नहीं मिलने वाली है.
मैं हंस दिया.

फिर हम खंडहर से बाहर आ गए. रास्ता समझ आने लगा था. हम दोनों लोग टेंट में आ गए.

आज भी हम लोग दोस्त हैं और मस्त जी रहे हैं. कभी कभी भाभी को देखकर भाभी की चूत की चुदाई का मूड होता है, मैं उनको बोलता भी हूँ लेकिन फिर हम लोग कंट्रोल कर लेते हैं.

इस कंट्रोल की वजह है मेरा दोस्त और उनका पति सागर.

दोस्तो, ये थी वो सेक्स कहानी जो मैंने एक पाठक की रिक्वेस्ट पर उसकी आपबीती लिखी थी, उससे सम्पर्क करना सम्भव नहीं है, इसलिए अप मुझे मेल कीजिए और लिखिए कि ये सेक्स कहानी कैसी लगी.

अंत में मैं एक ही बात कहूँगा कि औरतों का सम्मान कीजिए, उनको प्यार और इज़्ज़त दीजिए. उनकी प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखें.

भाभी की चूत की चुदाई की मेरी नयी इंडियन सेक्स स्टोरी आपको पसंद आयी या नहीं?
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