जीना इसी का नाम है-4
(Jeena Isi Ka Naam Hai-4)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left जीना इसी का नाम है-3
-
keyboard_arrow_right जीना इसी का नाम है-5
-
View all stories in series
अनीता ने अपने वक्ष पर मेरा चेहरा भींच लिया, मैं अपने नाक और होंठ उसके उभारों पर घुमा रहा था, तभी अनीता ने एक हाथ से अपना स्तन पकड़ा और उसका निप्पल मेरे मुख में डाल दिया।
मैं समझ गया कि वो क्या चाहती है।
मैंने बारी उसके चूचुक खूब चूसे, तभी बिजली चमकी मैंने देखा उसके उरोज ऐसे थे मानो संगमरमर के दो नरम टुकड़े जिस पर हल्के गुलाबी रंग की निप्पल लगी थी।
अब अनीता को मैंने चित लेटा दिया और उसकी जींस का बेल्ट और बटन खोल दिया, फिर उसकी जिप नीचे करते गया फिर जींस नीचे खिसकानी शुरू कर दी।
वो पैर मोड़ कर व हिला कर जींस उतारने में पूरा सहयोग कर रही थी।
मैंने उसकी पेंटी खींच कर निकाल दी तो अनीता उठ कर बैठ गई और मेरी पैंट को खींचने लगी।
मैंने अपनी पैंट निकाल दी तो उसने अंडरवियर के ऊपर से टटोल कर मेरे लंड पकड़ लिया और हाथ फेरने लगी।
मेरा लंड तन कर सख्त हो गया, उसने मेरी अंडरवियर नीचे खींचा, लंड झटके के साथ आजाद हो कर हवा में लहराने लगा।
अनीता उसे पकड़ लिया और सहलाते हुए उसकी लम्बाई मोटाई व सख्ती का जायजा लेने लगी, फिर धीरे से फुसफुसाई- नाईस, पर बाल साफ क्यों नहीं करते हो?
मेरा लंड अनीता के मुलायम हाथों में जाकर धन्य हो गया।
इसके बाद अनीता टांगें फैला कर चित लेट गई, मैं लंड लेकर उस पर चढ़ गया और लंड उसकी चूत में घुसेड़ने की कोशिश करने लगा पर लंड हर बार इधर उधर स्लिप हो रहा था।
अनीता हँस दी, बोली- घोंचू… पहली बार है क्या?
मैं बोला- हाँ…
अब अनीता ने लंड को पकड़ कर उसका सुपारा बाहर किया और उसे अपनी चूत के मुँह पर जमाया, फिर बोली- पुश… पर धीरे धीरे… हाँ…
लंड धीरे धीरे घुसता गया, जैसे ही लंड पूरा घुसा, अनीता के मुख से निकला- आह… सो गुड…
बिजली चमकी, मैंने देखा कि अनीता की आँखें बंद हैं, वो पूरी तरह से चुदाई का मजा ले रही थी।
मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए, अनीता चुदते हुए बड़बड़ा रही थी- ओह, तुम कितने अच्छे हो… यह सब बहुत अच्छा लग रहा है… कई दिन के बाद मैं इतना सुख महसूस कर रही हूँ रे… हाय सचमुच बड़ा मजा आ रहा है… बड़ा दम है रे तुझमें… बड़े दिन बाद मर्द मिला है, हाय सी… सी… हाय…
उसकी बातों ने मेरी उत्तेजना बढ़ा दी, मैं तेजी से धक्के मारने लगा, अनीता बोली- मारो और मारो… हाय… जोर से… और जोर से…
अब अनीता हर धक्के पर चूत वाला पोरशन उछाल कर नीचे से धक्का लगाती, वो उत्तेजना में लगभग चिल्ला रही थी- ओह… ओह… उ..उ..उ…
मेरा लंड फुल टाईट हो कर पानी छोड़ रहा था, अनीता बोली- जोर से… पूरी ताकत से… आह मर गई… मजा आ गया… ओह… ओफ… ओफ… ओओ…
वो पूरी ताकत से मुझसे लिपट गई… लंड चूत में पूरा अंदर था और अपने मटेरियल की आखिरी किश्त छोड़ रहा था।
अनीता बोली- ऐसे ही मुझ पर पड़े रहो, अभी मत हटना…
कुछ देर वो ऐसे ही लिपटी रही, फिर हट गई।
हम दोनों ने कुछ देर बाद कपड़े पहन लिए, अनीता के चहरे पर सन्तुष्टि की झलक थी, वो जरा भी परेशान नहीं थी कि जो हुआ वो गलत था।
उसने दो सिगरेट निकाली, हम दोनों सिगरेट पी, फिर अनीता ने मेरे गाल पर चुम्बन किया, बोली- डियर, मैं सो रही हूँ!
मैं पैर लम्बे कर दीवार से टिक कर बैठा था, वो मेरे जांघों पर सर रख कर सो गई, मैं अनीता की चुदाई करने को लेकर पता नहीं क्या क्या सोच रहा था, वो चुद-चुदा कर आराम से सो रही थी।
सुबह तक बारिश रुक गई, हम लोग जल्दी उठ गए, हमरे कपड़े ख़राब हो गए थे, वहाँ से बाइक के पास आये, अनीता ने बाइक पर गर्लफ्रेंड स्टाइल में बैठ कर बूबे मेरी पीठ से टिका दिए, बोली- वापस खामला चलो, मुझे गेस्ट लोगों के पास जाना है।
हम खामला आ गए, चाय नाश्ता करने के बाद कपड़े की दुकान में जा कर नए कपड़े पहने, इससे पहले ख़राब कपड़ों के कारण सभी हम लोगों को घूर-घूर कर देख रहे थे।
जब मैं गेस्ट हाउस के सामने अनीता को बाइक पर से उतर रहा था, तब मैं रात की चुदाई के बारे में सोच रहा था कि अनीता बोली- पहली बार है न बेटा, इसलिए ज्यादा सोच रहा है, एक दो बार के बाद में सब नार्मल हो जायेगा।
फिर आँख मार कर बोली- जीना इसी का नाम है…
मैंने अनीता को वापस गेस्ट लोगों के पास छोड़ दिया और शहर आ गया।
इसके बाद भी जिंदगी में बहुत कुछ हुआ पर वो मैं बाद में फुरसत मिलने पर बताऊँगा, फिलहाल इतना ही !
अनीता को एक बार चोदने के बाद मैं उससे काफी घुल मिल गया था, वह मुझ पर काफी भरोसा करती थी और मुझे एकदम सीधा-सादा आदमी समझने लगी।
मैंने कभी भी उसे चोदने के लिए परेशान नहीं किया।
अनीता से मिली जानकारी के अनुसार वह अपर मिडल क्लास की अति महत्वाकांक्षी लड़की है, अनीता का एक भाई है जो अब अमेरिका में सेटल हो गया है, उसे पैसे, पॉवर, नाम, सेक्स सभी कुछ चाहिए था, इसके लिए वो कुछ भी कर सकती थी, बूढ़े अमीरों से अच्छा पैसा लेकर चुदवाती थी, सेक्स की भूख मिटाने के लिए जवान लौंडों को फांस रखा था, वो नेता, बड़े ऑफिसर और नामी गुंडे से भी चुदवाती थी ताकि पॉवर बना रहे और कोई काम पड़ने पर ये लोग मदद कर सकें।
पर कोई ऐरा-गैरा आदमी उस पर हाथ नहीं डाल सकता था, वो एक खास चीज थी जो खास लोगों के लिए ही बनी थी। वह अपने छोटे-मोटे काम मुझसे करवाने लगी, जिसमें अक्सर वो ऑफिस में लेट होने पर अपने पिताजी को डॉक्टर के पास ले जाने और उनकी देखरेख करने का कम होता था।
मैं उसके पिताजी से भे काफी घुलमिल गया था।
इसी बीच में मौका मिलने पर मैं अनीता को अक्सर चोद लिया करता था।
वह दिल ही दिल में मुझसे प्यार करने लगी थी।
कहानी कैसी लगी? मुझे मैं करके अवश्य बताना।
What did you think of this story??
Comments