इस चुत की प्यास बुझती नहीं- 6
(Hindi Sex Sex Xxx Kahani)
हिंदी सेक्स सेक्स Xxx कहानी में पढ़ें कि मुझे रात दिन सेक्स ही सेक्स की सूझती थी. अपनी ननद को भी मैंने अपनी तरह से पूरी तरह से सेक्स में डुबो दिया.
दोस्तो, मैं रूपा अपनी सेक्स कहानी में आपका एक बार फिर से स्वागत करती हूँ.
हिंदी सेक्स सेक्स Xxx कहानी के पिछले भाग
ननद की अन्तर्वासना का इलाज किया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मनोज ने मेरी ननद को खूब चोदा था.
अब आगे हिंदी सेक्स सेक्स Xxx कहानी:
इस कहानी को लड़की की सेक्सी आवाज में सुनें.
दो दिनों में मनोज ने अनन्या की चुत को दस बार चोदा होगा.
मनोज ने मुझे बताया कि अनन्या के साथ एक बात ये रही कि वो मुझसे वायदा करवाकर और करके गई है कि अब मैं किसी और की तरफ नहीं देखूंगा.
मैंने कहा- ठीक है. फिर तुमने क्या सोचा है. क्या तुम मेरे साथ अब सेक्स नहीं करोगे?
वो- मगर तुम तो कोई और नहीं हो ना. उसने यह तो नहीं कहा था कि मेरी भाबी की तरफ नहीं देखोगे. यह मेरा बेचारा लंड तुम्हारी चुत का दीवाना अपना वायदा निभाता हुआ अनन्या की भाबी की चुत को उसी के भाई के बेड पर चोदेगा.
बस फिर क्या था. मैं खुश हो गई. मुझे खुश देख कर वो मुझ पर टूट पड़ा.
मुझे पूरी नंगी कर के वो भी नंगा हो गया और 69 के पोज बना एक दूसरे की चुत और लंड की चुसाई शुरू हो गई.
काफी देर तक इसी तरह से चुसाई करने के बाद एक दूसरे की बांहों में समा गए.
फिर जो करना था, वो तो लंड ने चुत में जाकर करना शुरू कर दिया.
दोनों दिन मनोज मेरे घर पर रह कर मेरी चुत की सेवा की और अपने लंड की सेवा मुझसे करवाता रहा.
तीसरे दिन मैंने उससे कहा कि आज अशोक वापिस आ जाएगा, इसलिए आज तुम ना आना. अगर मौका मिला तो मैं खुद ही आ जाऊंगी.
शाम को पता लगा कि अशोक की फ्लाइट लेट है और वो मॉर्निंग में ही आएगा.
मैंने झट से मनोज के घर का रास्ता लिया और चुदने के लिए वहां आ गई.
और जैसे ही मैं उसके घर पहुंची, वो सिर्फ़ अंडरवियर में ही था और उसका लंड पूरा बाहर निकला हुआ था. वो तो पहले से ही खड़े लंड को हाथों में लिए हुए था.
उसने अंडरवियर से लंड बाहर निकाल लिया था ताकि वो उसको कम परेशान करे.
मुझे देखते ही उसने झट से दरवाजा बंद किया और मुझे गोद में उठा कर अपने बेडरूम में ले गया.
उसने आनन फानन में पूरे कपड़े उतार दिए और अपने खड़े लंड को झट से मेरी चुत में पेल दिया.
मनोज बोला- भगवान भी कितना प्यार करता है इस लंड से. यह बेचारा चुत के लिए रो रहा था कि तुमने आकर इसको हंसा दिया. देखो अब कितने मज़े से अपनी सुरंग में घुसा हुआ है.
चुदाई का दौर पूरी मस्ती से चला और आधी रात तक उसने तीन बार चोद कर मेरी चुत की पूरी हजामत कर दी.
फिर मैंने उससे कहा- अब मुझे जाना चाहिए, अगर उसका प्लेन कुछ जल्दी आ गया, तब भी मैं उसको घर पर ही मिलूं.
मनोज ने कहा- ठीक है.
मैंने उससे बता दिया था कि अशोक तुम्हारी शादी के लिए माना हुआ है और बोल रहा था कि जो भी फर्स्ट डेट निकलेगी, उसी में शादी करवा दूंगा. अब अपने लंड की मालिश करके रेडी रखो ताकि मेरी ननद इसकी गुलाम बन जाए.
उसने कहा- तुम चिंता ना करो, मैं उसको पूरी चुदक्कड़ बना दूंगा, फिर वो लंड के बिना रह ही नहीं सकेगी. हो सकता है अगर मैं भी कहीं कुछ दिनों के लिए इधर उधर चला गया, तो वो किसी और के लंड को अपनी चुत में डलवा ले.
मैं हंसी- तो उसमें क्या है, जब तुम किसी दूसरी चुत में अपना लंड डाल सकते हो, तो उसे भी पूरा हक़ है अपनी चुत को जैसे चाहे इस्तेमाल करे.
तब उसने कहा- मैंने कब कहा है कि वो ना करे. तुम्हारी सोहबत में रहेगी, तो तुम्हारी तरह ही बनेगी ना!
मैं- अच्छा यह बात है, तो ठीक है. दो महीने बाद ही देखना तुम्हारी उस चुत को मैं कैसे किसी और से चुदवा देती हूँ.
मनोज ने कुछ नहीं कहा और मैं वापिस अपने घर आ गई.
ये अच्छा ही हुआ क्योंकि मेरे वापिस आने के आधा घंटे बाद ही अशोक आ गया और बोला- फ्लाइट कुछ जल्दी ही शुरू हो गई थी.
मैंने कहा- अब तुमको क्या बताना.
मैंने सोचा कि जो भी होता है, अच्छा ही होता है. मेरी चुत पूरी तरह से चुदी हुई थी और नींद भी आ रही थी. मगर पति को देख कर उसके लंड से चुदने की कामना दिल में आ गई और सोचा कि एक बार तो इससे चुद ही लूं.
पति शायद कई दिनों से चुत का भूखा था. उसने वहां किसी के साथ मुँह नहीं मारा होगा, इसलिए वो मेरी चुत पर टूट पड़ा.
उसने भी मेरी चुत को सुबह तक तीन बार चोदा.
सुबह मुझमें चलने तक की हिम्मत नहीं रही थी.
ऑफिस जाने का मन नहीं था. तो मैंने मनोज से फोन करके कहा कि मैं आज ऑफिस नहीं आ सकती क्योंकि रात भर मेरी पूरी सेवा हुई है. जितनी तुमने की थी, उससे कुछ ज़्यादा ही पति ने कर दी है.
उसने कहा- कोई बात नहीं. तुम आज सुबह भी अपनी सेवा पूरी करवाओ.
अगले दिन पति शाम तो मुझे लेकर मनोज के घर गया और बोला- मनोज जी मैं सोचता हूँ कि हम अपनी दोस्ती को क्यों ना रिश्तेदारी में बदल दें. अगर आपको मेरी बहन पसंद है, तो मुझे यह रिश्ता पूरी तरह से मंजूर है. आप अपने पेरेंट्स को बुलवा लीजिए और बात पक्की करने के बाद कुछ ही दिनों में यह काम पूरा कर दें.
मनोज ने कहा- ठीक है मेरे पेरेंट्स कल ही आ जाएंगे.
इस तरह से सब कुछ ठीक ठाक हो गया और अगले हफ्ते ही अनन्या और मनोज की शादी हो गई.
अनन्या बहुत खुश थी. खुशी तो हम सब को भी थी.
मगर मेरी नजरें मनोज के लंड पर थीं क्योंकि अब अनन्या उसके पास रहेगी.
अब जब भी अशोक आउट ऑफ स्टेशन होगा, उस समय मैं कौन से लंड का इंतज़ार करूंगी. मैंने सोचा चलो देखती हूँ.
अब मैंने सोचा कि क्यों ना अनन्या को अपनी राजदार बना कर खुल कर चुदूं और उसकी भी चुदाई करवाऊं.
अनन्या ने शादी के बाद अपनी कम्पनी से रिज़ाइन करने की जब सोची तो उसके बॉस ने कहा- अगर तुम चाहो, तो घर से काम भी कर सकती हो. बस महीने में दो दिन ऑफिस आना होगा.
मुझको यह बात पसंद आ गई और वो यहां पर सारा दिन घर पर ही रह कर काम करने लगी. मैं उसके पास ऑफिस के बाद ही जा पाती थी या उसको अपने घर बुला लेती थी.
कुछ दिनों बाद किसी मीटिंग में मनोज को दो दिनों के लिए चेन्नई जाना पड़ा.
तब अशोक ने कहा- तुम रात को अनन्या के साथ रहो, ताकि उसको कोई प्राब्लम ना हो.
मैंने अनन्या को बोला हुआ था कि डिनर तुम यहीं करोगी, इसलिए वो ऑफिस का काम खत्म करने के बाद हमारे यहां चली आई.
रात तो मैंने उसके साथ जाने से पहले अपनी अलमारी से नकली लंड जो कमर पर बांधा जाता है, उसे अपने पर्स में डाल लिया और उसके साथ उसके घर चली आई.
घर आकर कोई काम तो था नहीं इसलिए टीवी पर कोई ‘बी’ ग्रेड फिल्म देखने लगी.
बी ग्रेड में चुदाई को छोड़ कर बाकी सब कुछ दिखा देते हैं, जैसे कि लड़की की चुत और मम्मे और लड़के का लंड, लड़के से लड़की के मम्मे दबवाना आदि.
इन सबको देख कर चुत में पूरी गर्मी छा जाती है.
मैंने कहा- अनन्या, जिंदगी के असली मजे यही हैं. देखो बाहर के लोग किस तरह से मज़े लेते हैं. और हम वो ही 18 वीं सदी की बातें करते हैं. तुम एक बात बताओ कि क्या हम लोग बसों में या गाड़ियों में या मॉल में लड़कों के साथ लग कर नहीं निकलती हैं? उससे क्या कोई हमारे में कमी आ जाती है. अपने दोस्तो से हाथ मिलाते हैं, तब क्या हमारा कुछ निकल जाता है.
उसने कहा- नहीं तो!
मैं- अब तू बता, अगर चुत में किसी और का लंड चला जाए तो क्यों दुनिया बखेड़ा करती है. लंड गया तो बाहर भी तो आ गया. चुत और लंड का क्या घिस गया. वो तो पहले जैसे ही हो जाते हैं. चुत चुदी कुछ देर के लिए … फिर वैसे की वैसे हो गई. मैं तो कई बार सोचती हूँ कि क्यों ना जिंदगी के पूरे मज़े लिए जाएं. चार दिन की जिंदगी है, करो जो करना है, किसी की क्यों चिंता करनी.
अनन्या बोली- भाबी कह तो तुम सही रही हो मगर दुनियादारी भी तो देखनी पड़ती है ना!
मैंने कहा- मैं कहां कह रही हूँ कि दुनियादारी ना रखो, जो करना है सबको बता कर थोड़ी ना करना है. करो जो दिल में आए, मगर किसी को क्यों बताना. अब तुम बताओ तुम्हारा भाई कई दिनों तक बाहर रहता है. क्या तुम समझती हो कि वो बिना चुत के रह पता होगा. यहां वो किसी दिन भी बिना चुदाई के नहीं रहता. ऐसा आदमी एक दिन भी बिना चुत के कैसे रह सकता है. तुम बताओ की क्या वो रह पाएगा?
अनन्या- तो क्या आप उससे पूछती नहीं हैं?
मैं- हां, जब पूछो तो यही कहेगा कि तुम्हारी कसम मैंने आज तक किसी और की तरफ नजर ही नहीं डाली, चुत की तो बात ही छोड़ो.
अनन्या- भाबी कह तो तुम सही रही हो, मगर क्या किया जा सकता है सिवाए वो जो कहे, उसको मानने के.
मैं- चलो ठीक है. मेरी सोच जो है, वो मैंने तुमको बता दी. अब तुम अगर खुल कर ना बताना चाहो … तो मैं कुछ नहीं कहूँगी.
इस पर अनन्या ने कहा- भाबी दिल तो मेरा भी कई बार करता है कि किसी और का लंड ले लिया जाए, मगर बहुत डर लगता है.
मैं- अच्छा … तुम तो पूरी छुपी रुस्तम निकली. तुमने कभी बताया भी नहीं … वरना यह तुम्हारी भाबी अब तक तो न जाने क्या कुछ ना कर भी देती और किसी को कानों कान खबर भी ना होती.
अनन्या- नहीं भाबी, ऐसी बात नहीं है, तुम मेरी बात का उल्टा मतलब निकाल रही हो.
मैंने कहा- मेरी बिल्लो रानी, मुझसे अब खुल कर बात किया करो. मैं तुम्हारी पूरी राजदार हूँ. किसी को भनक भी नहीं पड़ने दूंगी. चलो अभी तो अपने कपड़े उतारो, मैं तुम्हारी चुत का पूरा इंतज़ाम करके ही आई हूँ.
यह कह कर मैंने अपने कपड़े उतार दिए और नकली लंड को कमर पर बांध लिया.
लंड देख कर वो बहुत खुश हो गई और बोली- मैं तो सोच रही थी कि आज चुत भूखी ही रहेगी.
मैंने कहा- अब यह तुम्हारी भाबी तुम्हारी चुत को कभी भी भूखी नहीं रहने देगी. तेरी चुत में अब हर रोज लंड घूम कर ही आएगा, चाहे फिर वो नकली ही क्यों ना हो.
हम दोनों लग गए और धकापेल चुदाई के बाद जब वो पूरी तरह से ठंडी हो चुकी तो मैंने वो ही लंड उनकी कमर से बांध दिया.
मैंने कहा- अब तुम मुझे भी चोद दो.
उसने मेरी चुत में डिल्डो पेल कर मेरी चुत भी रगड़ दी.
इस तरह से हम दोनों चुत चुदवा कर नंगी ही सो गईं.
सुबह मैं अपने घर पर आ गई और वो अपने ऑफिस के काम में मस्त हो गई.
रात तो भी यही प्रोग्राम चला और मैंने भाभी से बहुत सी सेक्सी बातें की.
अनन्या अब पूरी तरह से खुल चुकी थी और किसी भी नये लंड को लेने के लिए एकदम तैयार हो गई थी.
एक उसने खुद से कहा- भाबी, देखो हम लोग रोज घर पर खाना खाते हैं, मगर कई बार होटल में भी तो जाकर खाते हैं. किसलिए … ताकि मुँह का जायका बदल जाए. क्या यही बात चुत पर नहीं लागू होती.
मैंने उससे कहा- हां क्यों नहीं. चुत को तो और भी ज़्यादा ज़ायक़ा बदलना चाहिए ताकि वो इधर उधर के लंड लेकर अपने को जवान समझे. तुम बोलो तो कुछ मोटे लम्बे लंड का जुगाड़ किया जाए.
वो सोचने लगी.
मैं- अरे तू चिंता ना करना, में भी उस प्रोगाम में पूरी तरह से शामिल रहूंगी.
तब उसने कहा- ऐसा कैसे हो सकता है भाभी?
मैंने कहा- सब हो सकता है … तुम कहो तो सही एक बार.
अनन्या ने कहा- अब और क्या बोलना है, मैंने बोल तो दिया है.
मैं- ओके … मगर कुछ इंतज़ार करना पड़ेगा.
मुझे पता था कि मेरी बुआ का लड़का कुछ दिनों के लिए किसी मीटिंग में यहां आ रहा है. वो हमारे ही घर पर रहने वाला था. ऊपर वाला भी जब खुश करने पर आता है, तो पूरा खुश कर देता है.
जिस दिन बुआ के लड़के को आना था उसी दिन अशोक को 10 दिनों के लिए बाहर जाना था.
जैसे ही वो आया, तो भूखे कुत्ते की तरह बोटी देख कर मेरे ऊपर चढ़ गया.
जब उसने मुझे पूरी तरह से चोद लिया, तो वो मेरी तरफ प्यार से देखने लगा.
मैंने उसे चूमते हुए कहा- मैंने तुम्हारे लिए एक और चुत का इंतज़ाम कर रखा है. उसे भी मस्त करके चोदना और मुझे भी. हम दोनों को एक साथ ही नंगी करके रखना ताकि वो यह ना समझे कि में उसको ब्लैकमेल करूंगी.
भाई ने पूछा- कौन है?
तब मैंने उससे कहा- अनन्या … मेरी ननद तेरे लंड के लिए रेडी है.
ये सुन कर वो उछल पड़ा- क्या बात करती हो, उसकी चुत को तो मैं जमाने से सूंघ रहा हूँ.
उस दिन मैंने ऑफिस से यह कह कर कि मेरी बुआ का लड़का आया हुआ है … मुझे कुछ काम है … छुट्टी ले ली.
उधर मैंने अनन्या से कहा कि जैसे ही मनोज ऑफिस चला जाए, तुम मेरे घर आ जाना.
मैंने अनन्या से उसको इंट्रोड्यूस करवाया कि यह मेरी बुआ का लड़का है और कुछ दिनों तक यहीं रहेगा.
फिर मैंने अनन्या को अलग से ले जाकर पूछा कि लौंडा पसंद आया?
वो बोली- क्या मतलब?
मैंने कहा- अभी ये हम दोनों की चुत को ठोकेगा.
उसने कहा- ये तो तुम्हारा भाई है न!
मैंने कहा- हां दुनिया की नजरों में, मगर मेरी नजरों में वो मेरा चोदू सईयां है.
अब अनन्या कुछ ना बोली मगर उसके हाव भाव से पता लग रहा था कि उसे लौंडा पसंद आ गया था.
मैंने कहा- रोहन, तुम बेडरूम में चलो, मैं अभी आती हूँ.
जब मैं अनन्या तो लेकर वहां गई, तो रोहन पूरा नंगा होकर अपने लंड को खड़ा किए हुए बेड पर बैठा लंड हिला रहा था.
रोहन ने आव देखा ना ताव, झट से उठ कर मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी चुत को चूसने लगा.
अनन्या से उसने कुछ भी नहीं कहा.
तब मैंने अनन्या से कहा- तुम खुद कपड़े उतारोगी या कोई तुमको उतारने वाला चाहिए?
वो मेरी तरफ देखती रह गई और तभी रोहन ने उसके भी कपड़े उतार कर उसे भी नंगी कर दिया.
रोहन उसके मम्मों को दबाने लगा और साथ ही वो मेरी चुत को भी चूस रहा था.
कुछ देर बाद रोहन ने उसकी चुत को चाटना शुरू कर दिया और मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. फिर दोनों को लिटा कर कभी मेरी चुत पर मुँह मारता, कभी उसकी चुत पर. उसके बाद वो अनन्या की चुत पर लंड रख कर चढ़ गया और उसकी ताबड़तोड़ चुदाई चालू कर दी.
चुदने के बाद रोहन का लंड कुछ ढीला पड़ गया. उधर अनन्या भी दो बार चुत झाड़ चुकी थी. वो दोनों निढाल पड़े थे.
कुछ देर बाद मैंने रोहन के लंड को ढीला देखा तो उसने कहा- रूपा, मेरे लंड को खड़ा करो अब तुम्हारी चुत फाड़ने की बारी है.
मैं खुश हो गई और मैंने उसके लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. एक दो मिनट में ही लंड लोहे की तरह से खड़ा हो गया.
बस फिर क्या था … उसने मेरी चुत की भी वैसे ही चुदाई की, जैसे अनन्या की की थी.
दो बार चुदवाने के बाद मैंने अनन्या को घर वापिस भेज दिया क्योंकि उसको ऑफिस का काम करना था.
उसे मैंने कह दिया कि कल से तुम अगले 10 दिनों तक खूब मज़े से रोहन के लंड से चुदने आती रहना. मैं तो ऑफिस में रहूंगी, मगर तुम इसे या तो बुला लेना … या यहीं आ जाना. चुदाई के बाद इसको वापिस जाने के लिए बोल देना या फिर खुद आओ तो वापिस चली जाना. मैं भी इसको सब समझा दूंगी.
इस तरह से वो रोज दिन में रोहन से चुदने लगी और मैं रात में रोहन के लंड का स्वाद लेने लगी.
फिर देखिए किस्मत का खेल, जिस दिन रोहन को वापस जाना था, उसी दिन अशोक को वापिस आना था.
मतलब ऊपर वाले ने मेरी चुत के लिए लंड का इंतज़ाम एकदम पक्का करके रखा था.
अनन्या की चुत को मैंने दूसरे लंड का चस्का तो लगवा दिया था. मगर अब किसी और का लंड कैसे दिलवा सकती हूँ, यह मेरी समझ में नहीं आ रहा था.
मैं खुद भी परेशान थी कि मनोज अनन्या के रहते हुए मेरी चुत चुदाई पर ध्यान नहीं दे पा रहा था.
इस सबका मैंने क्या क्या जुगाड़ किया और किस तरह से अनन्या को पूरी चुदक्कड़ बना दिया, इस सबका विवरण फिर किसी और दिन किसी नई सेक्स कहानी में लिखूंगी.
आपको मेरी ये हिंदी सेक्स सेक्स Xxx कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करना न भूलें.
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