हस्पताल में लगवाए दो दो टीके- 2
(Hindi Kamvasna Story )
हिंदी कामवासना स्टोरी में पढ़ें कि मेरी सास हस्पताल में थी. मैं रात को उनके पास ही सोती थी. मैंने अपने मजे के लिए दो एक लंड का जुगाड़ कर लिया था.
यह कहानी सेक्सी लड़की की आवाज में सुनें.
मेरी हिंदी कामवासना स्टोरी के पिछले भाग
हस्पताल में लगवाए दो दो टीके- 1
में आपने पढ़ा कि मेरी सासू मां अस्पताल में भरती थी. मैं उनकी तीमारदारी के लिए रात को उनके पास ही रुकती, सोती थी.
करीब 11 बजे तक नर्स ने सासू माँ की ड्रिप उतार दी और दवाइयाँ भी दे दी.
फिर भी मैंने नर्स से पूछा- अगर अब कोई और दवाई नहीं देनी तो मैं दरवाजा अंदर से बंद करके सो जाऊँ?
तो वो बोली- अब कोई दवाई नहीं देनी है, आप सो जाओ. अगर कोई दिक्कत होती है तो हमें बता देना.
और फिर वो नर्स चली गयी.नर्स के जाने के 10 मिनट बाद ही मैंने उस लड़के को अपने रूम में बुला लिया. सासू माँ को कुछ भी पता नहीं था.
मैंने रूम को अंदर से बंद कर दिया और लाइट भी बंद कर दी.
अब आगे की हिंदी कामवासना स्टोरी:
अंधेरे में ही हम दोनों एक दूसरे की बांहों में आ गये और एक दूसरे के होंठ चूसने लगे.
वो अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को मसलने लगा और कपड़ों के उपर से ही अपने लंड को मेरी फुद्दी से रगड़ने लगा.
मैं भी गर्म हो चुकी थी. मैं अपनी एक टाँग उपर उठा कर अपनी फुद्दी को उसके लंड से रगड़ने लगी.
उसका अकड़ा हुआ लंड पूरे जोश से मेरी चुत पर रगड़ खा रहा था और वो भी उसी जोश से मेरे होंठ और मेरे पूरे बदन को चूसे जा रहा था.
अपने हाथों से वो मेरे बूब्स और मेरे सारे बदन को मसल रहा था.
फिर उसने मुझे वहीं पड़े हुए एक बैंच पर लिटा दिया और खुद भी मेरे उपर चढ़ गया.
मैं भी नीचे लेटी हुए उसके लंड को अपने हाथ से टटोलने लगी.
उसके लंड पर मेरा हाथ पड़ते ही उसने अपनी पैंट को खोल दिया और अपना तना हुआ लंड मेरे हाथ में थमा दिया.
एक लंबा और मोटा लंड मेरे हाथ में आते ही मैं खुश हो गयी और उसके लंड को मैं अपने हाथ से मसलने लगी.
फिर उसने मेरी पजामी का नाड़ा खोला और उसे मेरी जांघों तक सरका दिया. फिर मेरी पैंटी को भी नीचे खींच दिया.
मैंने भी अपनी गांड उठाते हुए उसकी मदद की.
फिर वो अंधेरे में ही अपने हाथ को मेरी फुद्दी पर रगड़ने लगा.
मेरी चिकनी फुद्दी तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी. उसका हाथ लगते ही मेरी फुद्दी के दोनों होंठ खुल गये और उसकी उंगलियाँ मेरी मेरी गीली फुद्दी में समाने लगी.
फुद्दी की ऐसी हालत देख उसने अगले ही पल अपना लंड मेरी फुद्दी के मुँह पर रखा और मेरी फुद्दी में धकेलने की कोशिश करने लगा.
मगर उसके धकेलने से पहले ही मैंने अपने चूतड़ों को उठाया और लपक कर मेरी फुद्दी ने उसके लंड का सुपारा अपने भीतर समा लिया.
ऐसी भूखी और प्यासी फुद्दी देखकर उसका लंड भी छलांगें मारने लगा और एक ही धक्के से पूरा मेरी फुद्दी में घुस गया.
मेरे मुँह से हल्की हल्की सी सिसकारियाँ निकलने लगी.
मैं बैंच के ऊपर अपनी टांगें उठाए हुए सीधी लेटी हुई थी और वो मेरी दोनों टाँगों का अपने कंधों पर रख कर अपने हाथों से मेरी दोनों जांघों को पकड़े हुए तेज़ी से अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा.
मैंने दोनों हाथों से कस के बैंच को पकड़ा हुआ था और उसके हर एक धक्के का जवाब अपनी गांड हिला हिला कर दे रही थी.
फिर उसने मेरी कमीज़ और ब्रा को भी मेरे गले तक ऊपर उठा दिया और मेरे बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
उसका लंबा और मोटा लंड मेरी चुत की दीवारों को रगड़ता हुआ मेरे अंदर तक समा रहा था. उसके हर एक धक्के से मुझे जन्नत का नज़ारा मिल रहा था.
मेरे मुँह से दबी हुई आवाज़ में ही आआअह्ह ह्ह्ह ह्ह्ह ह्हम्म अह्ह्ह ह्ह्ह की आवाज़ें निकल रही थी.
इससे वो लड़का और भी ज़ोर शोर से मुझे पेलने में जुट जाता.
आख़िरकार मैं चरमसीमा पर पहुँच गयी और मेरा सारा लावा निकल कर उसके लंड से लथपथ होकर बाहर बहने लगा.
मैंने अपनी कमर ऊपर उठा ली और उसके लंड के हर एक वार को अपनी चुत के सुराख पर सहने लगी.
उसने मेरी कमर के नीचे से हाथ डाला और मुझे और भी अपनी तरफ खींच लिया, जिससे उसका लंड मेरी चूत के और भी अंदर तक जाने लगा.
मैंने उसकी दोनों बाहों को कस के पकड़ लिया और फिर उसका भी लावा मेरी चुत के अंदर ही छूटने लगा.
वो रुक रुक के धक्के मारने लगा और अपनी हर एक पिचकारी को मेरे अंदर तक भेजने की कोशिश करने लगा.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
आख़िर उसने अपना सारा माल मेरी फुद्दी में उड़ेल दिया और फिर मेरे ऊपर ही लेटने की अवस्था में गिर पड़ा.
मैंने अपनी दोनों बांहों को उसके गले में डाल दिया और हम एक दूसरे के होंठ चूसने लगे.
उसका लंड ढीला होकर धीरे धीरे मेरी फुद्दी से बाहर निकलने लगा.
और साथ ही उसका और मेरा मिलाजुला चुत और लंड का रस भी बाहर बहने लगा.
कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर हम अलग हो गये.
मैंने अपना दुपट्टा लिया और अपनी चुत को साफ करके अपने आधे उतरे हुए कपड़ों को पहना.
और फिर मिलने के वादे से वो लड़का चला गया.
उसके जाने के बाद मैंने लाइट जला कर देखा तो बैंच की गद्दी पर हमारा वीर्य गिरा हुआ था और वीर्य से भरा पड़ा था.
मैंने उसे भी सॉफ किया और फिर आराम करने के लिए बैंच पर लेट गयी.
फिर जब मैंने अपने मोबाइल देखा तो उस पर बूढ़े की भी बहुत सारी मिस्ड काल आई हुई थी और मैसेज भी आए हुए थे.
उसने मेरी फुद्दी की तस्वीर दिखाने के बारे में लिखा था.
मैंने बूढ़े को वापिस रिप्लाई करते हुए लिखा- तस्वीर में क्या रखा है! देखनी है तो मेरी फुद्दी सीधे देखो.
मैसेज पढ़ते ही बूढ़े का फोन आ गया और बोलने लगा- मैं तो कब से बेकरार हूँ तुम्हारी फुद्दी देखने के लिए! तुम मिलो तो सही!
फिर मैंने बूढ़े को भी अपने रूम में आने के लिए कहा तो बूढ़ा पहले तो कुछ घबराने लगा.
मगर फिर बोला- ठीक है, तुम दरवाजा खोल कर रखो, मैं अभी आया.
और फिर कुछ ही देर में बूढ़ा भी मेरे रूम में आ गया.
बूढ़े के रूम में आते ही मैंने फिर से कुण्डी लगाकर लाइट बंद कर दी और बूढ़े के साथ चिपक गयी.
वो बूढ़ा आदमी मेरे बूब्स और मेरी गांड को मसलने लगा.
और फिर मेरी कमीज़ और ब्रा को उपर उठा कर मेरे मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा.
मैंने अपनी कमीज़ को उतार कर नीचे फेंक दिया. और फिर अपनी ब्रा भी उतार फेंकी.
अब मैं ऊपर से बिल्कुल नंगी थी और बूढ़ा मेरे दोनों मोटे मोटे मम्मों को हाथ में पकड़ कर चूसने में लगा था.
फिर बूढ़ा मेरे पेट को चूमते हुए मेरी फुद्दी की तरफ बढ़ा और उसने मेरी पाजामी का नाड़ा खोलते हुए मेरी पाजामी और पैंटी को नीचे सरका दिया.
मैंने बूढ़े के सिर को पकड़ा और अपनी एक टाँग ऊपर उठाते हुए उसे पाजामी उतरने के लिए कहा.
और फिर उसने एक एक करके मेरे दोनों पांवों से मेरी पाजामी और पैंटी को निकाल दिया और वहीं पर फेंक दिया.
अब मैं बूढ़े के हाथों में बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
और वो मेरी जांघों को चूमते हुए मेरी फुद्दी की तरफ बढ़ने लगा.
वो ठरकी बुड्ढा फिर मेरी फुद्दी पर अपने मुँह को लगाकर ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा.
मैं भी उसका सिर पकड़ कर अपनी फुद्दी पर दबाने लगी और अपनी टांगें खोल कर अपनी फुद्दी को उसके मुँह पर दबाने लगी.
कुछ देर वो मुझे ऐसे ही चूसता और चाटता रहा. फिर उसने भी मुझे बैंच पर बिठा दिया और अपनी पैंट को भी उतार फेंका.
फिर वो बुजुर्ग आदमी मेरे चेहरे पर अपने लंड को रगड़ने लगा.
मैंने उसका लंड अपने हाथों में लिया और फिर अपने मुँह में लेकर उसका लंड चूसने लगी.
वो बूढ़ा मेरे सामने खड़ा होकर मेरे बालों को सहलाने लगा और अपने लंड के हल्के हल्के झटके मेरे मुँह में मारने लगा,
बूढ़े का लंड उस लड़के जितना लंबा और मोटा तो नहीं था, मगर फिर भी पूरा तना हुआ और पूरा हार्ड था.
तब उस बूढ़े ने अपनी शर्ट भी उतार फेंकी.
अब हम दोनों बिल्कुल मादरजात नंगे हो चुके थे.
बूढ़े ने मुझे खड़ा किया और अपनी जॅफ्फी में ले लिया.
मैं भी बूढ़े के साथ लिपट गयी.
बूढ़े की हाइट मुझसे कम थी और उसका चेहरा मेरे मम्मों तक ही पहुँच रहा था.
बूढ़े का लंड भी मेरी दोनों टाँगों के बीच रगड़ रहा था.
फिर बूढ़ा खड़े खड़े ही मेरी फुद्दी में अपना लंड डालने की कोशिश करने लगा.
मैंने भी थोड़ा झुकते हुए अपनी एक टाँग को उठाया और बूढ़े का लंड अपनी फुद्दी में ले लिया.
मेरी फुद्दी तो पहले से खुली पड़ी थी, बूढ़े का लंड एक ही झटके में मेरी फुद्दी में समा गया.
बूढ़ा अपने पैर उठा उठा कर मेरी फुद्दी को चोदने लगा मगर फिर भी उसका लंड वहाँ तक नहीं पहुँच रहा था जहाँ तक वो पहुँचाना चाहता था.
फिर उसने भी मुझे बैंच पर लेटने के लिए कहा और खुद मेरी टाँगों के बीच में आ गया.
और तब उस बूढ़े आदमी ने अपना लंड मेरी फुद्दी में डाल कर मुझे चोदना शुरू कर दिया.
भले ही बूढ़े के लंड उस लड़के के मुक़ाबले छोटा था मगर बूढ़ा जिस तरीके से मुझे धीरे धीरे चोद रहा था, उससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
बूढ़ा कभी तो मेरे ऊपर लेट कर मुझे चोदता और कभी खड़े होकर ज़ोर ज़ोर से मेरी फुद्दी में अपना लंड धकेलता.
फिर बूढ़े ने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा तो मैं उसी बैंच पर अपने हाथ रख कर नीचे खड़ी हो गयी.
और बूढ़ा मुझे पीछे से मेरे बालों को पकड़ कर मुझे घोड़ी की तरह चोदने लगा.
मैं पहले भी उस लड़के से झड़ चुकी थी इसलिए अबकी बार मैं भी जल्दी नहीं झड़ने वाली थी.
और जिस तरीके से बूढ़े मुझे चोदे जा रहा था, मुझे नहीं लगता था कि बूढ़ा भी जल्दी झड़ जाएगा.
फिर बूढ़ा खुद बैंच पर बैठ गया और उसने मुझे अपनी गोद में बैठने के लिए कहा.
तो मैं उसके लंड पर अपनी फुद्दी टिका कर बैठ गयी और फिर खुद ही उपर से उछल उछल कर अपनी चुदाई करवाने लगी.
और फिर इसी जोश में चुदती हुई मैं झड़ गयी.
मुझे झड़ते हुए देख बूढ़े ने मुझे बैंच पर लिटाया और मेरी दोनों टाँगों के बीच आकर मुझे ज़ोर ज़ोर और तेज़ी से पेलने लगा.
सच में मुझे अब अहसास हुआ था कि बूढ़ा कोई अनाड़ी नहीं बल्कि मंझा हुआ खिलाड़ी था.
मेरी दोनों जांघों को पकड़ कर मुझे तेज़ी से चोदते हुए बूढ़े ने कहा- तुम्हारे अंदर ही झाड़ जाऊँ या बाहर निकाल लूं?
तो मैंने कहा- मेरे फुद्दी के अंदर ही झड़ जाओ. मेरे पास गोली है, मैं खा लूँगी.
बूढ़ा भी कुछ बड़े झटकों के साथ मेरी फुद्दी में ही झड़ गया. बूढ़े का वीर्य कुछ ज़्यादा नहीं निकला मगर फिर भी उसने मेरी फुद्दी की आग को ठंडा कर दिया.
मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरी फुद्दी की आज की प्यास तो ख़त्म हो गयी है.
फिर बूढ़ा और मैं दोनों कुछ देर बैंच पर लेटे रहे और फिर मैंने बूढ़े को जाने के लिए कहा.
मगर बूढ़े ने कहा- मैंने तो तुम्हारी चुदाई अंधेरे में ही की है, तुम्हारी फुद्दी के दर्शन तो मुझे हुए ही नहीं … मैं देखना चाहता हूँ कि जिस फुद्दी को मैंने चोदा है, वो दिखती कैसी है.
मैंने कहा- ठीक है! अगर तुम फुद्दी के दर्शन ही करना चाहते हो तो बाथरूम में लाइट जला कर देख लो.
फिर हम दोनों बाथरूम में चले गये और वहाँ लाइट जला कर वो मेरी फुद्दी को देखने लगा और फिर से मेरी फुद्दी को चाटने और चूमने लगा.
उसके बाद वो बूढ़ा अपने कपड़े पहन कर चला गया और मैं भी अपने कपड़े पहन कर उसी गंदे बैंच पर सो गयी.
तो दोस्तो, आपको मेरी यह हिंदी कामवासना स्टोरी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताना!
मेरी मेल आइडी है
[email protected]
What did you think of this story??
Comments