अचानक मिली लड़की की सहेली को भी पेला- 1
(GF Sex On Road)
GF सेक्स ऑन रोड का मजा लेना आसान नहीं है. लेकिन मुझे यह मजा मिला गाँव की ओर जाने वाली एक सुनसान सड़क पर! हल्की हल्की बारिश हो रही थी.
दोस्तो, मैं हर्षद आपका पुन: अपनी मनोरंजक सेक्स कहानी की दुनिया में स्वागत करता हूँ.
आपने मेरी सेक्स कहानी
बरसात में मिली एक अजनबी
कहानी पढ़ी ही होगी.
उसमें आपने मेरी और नीता की चुदाई की कहानी का मजा लिया था.
आज की सेक्स कहानी का तारतम्य उसी पिछली सेक्स कहानी से जोड़ कर आगे लिख रहा हूँ. मजा लीजिए.
पिछली बार मैं नीता के साथ चुदाई करके उसके साथ नंगा ही सो गया था.
अब आगे GF सेक्स ऑन रोड:
सुबह जब हम दोनों उठे तो नित्य क्रिया आदि से फारिग होकर खाना खाने को लेकर बात करने लगे.
नीता बोली- यार हर्षद, अब बहुत जोर की भूख लगी है. खाना बनाने में काफी समय लग जाएगा.
मैंने भी उससे कहा- हां नीता मुझे भी बहुत भूख लगी है. चलो हम तैयार होकर बाहर से खाना खाकर आते हैं.
तो नीता बोली- जैसा तुम चाहो हर्षद.
हम दोनों तैयार हो गए. हम दोनों अपने मोबाईल लेकर बाहर निकले तो नीता बोली- हम दोनों मेरी बाईक पर चलेंगे. बहुत दिनों से एक ही जगह खड़ी है.
तो मैंने कहा- ठीक है नीता.
मैंने अपनी जर्किन ले ली थी क्योंकि बारिश का कुछ कह नहीं सकते थे. आकाश में घने बादल छाये हुए थे.
नीता से मैंने कहा- नीता तुम पहन लो, इसे ठंडी हवा भी नहीं लगेगी.
उसने मेरी जर्किन पहन ली.
अब वो बाईक पर बैठ गयी और मैं उससे सटकर पीछे बैठ गया.
हम निकल पड़े.
थोड़ी दूर जाने के बाद मैंने पीछे से कमीज के अन्दर हाथ डालकर उसकी पीठ पर हाथ से सहलाने लगा तो पाया कि उसने अन्दर ब्रा पहनी थी.
मेरी इस हरकत से नीता चौंककर बोली- हर्षद, ये क्या कर रहे हो, अभी तक तुम्हारा दिल नहीं भरा क्या?
मैंने उसके कंधे पर अपना सर रखते हुए उसके गाल को चूमकर कहा- नहीं भरा नीता.
वो मुस्कुराकर बोली- बहुत बदमाश हो तुम!
मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा- तुम आगे देखकर बाईक चलाओ, बाकी मुझे जो करना है, वो करने दो.
नीता बोली- ठीक है तुम्हें जो करना है कर लो.
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोलकर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया.
फिर मैंने आहिस्ता से अपने दोनों हाथ नीता के मुलायम पेट पर रख दिए और उसके पेट व नाभि को सहलाने लगा.
साथ में उसके कान की लौ को अपने होंठों से काट रहा था.
तभी नीता ने भी अपना मुँह मोड़कर मेरे गाल पर अपना गाल रगड़ दिया.
अब नीता अपनी गांड पीछे सरका कर मेरे लंड से सटकर बैठ गयी थी.
उसकी तरफ से मस्ती करने से मुझमें भी जोश आ रहा था.
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए.
अब नीता मुँह घुमा कर मेरे कान में बोली- कोई देखेगा ना हर्षद.
मैंने कहा- किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा नीता. क्योंकि जर्किन की वजह से सामने वाले को कुछ नहीं दिखेगा.
नीता बोली- ठीक है हर्षद … लेकिन मुझे ज्यादा गर्म मत कर देना.
ऐसा कहती हुई वो तेज गति से बाईक चलाने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियां सहलाने लगा.
नीता गर्म होने लगी थी.
हम दोनों अब मुख्य मार्ग पर आ गए थे.
नीता बोली- यहां से थोड़ी दूरी पर एक बड़ा होटल है हर्षद, हम वहीं जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है नीता.
मैं जोर जोर से नीता की चूचियां रगड़ने लगा.
तो नीता कसमसा कर बोली- आहिस्ता से रगड़ो ना हर्षद … मुझे दर्द हो रहा है.
मैं आहिस्ता से उसकी चूचियां और निपल्स सहलाने लगा.
अब मेरा लंड तनाव में आने लगा था.
नीता को मेरे लंड का दबाव उसकी गांड पर महसूस हो रहा था.
मैंने अपने हाथ नीचे ले जाकर उसकी कमर को कस लिया और पीछे से धक्के देने लगा.
नीता भी पीछे को होकर अपनी गांड मेरे लंड पर रगड़ने लगी थी.
उसे भी मजा आ रहा था.
ऐसे ही मजे लेते हुए हम थोड़ी ही देर में होटल पहुंच गए.
मैंने अपने हाथ पहले ही बाहर निकाल लिए थे.
नीता ने बाईक साईड में लगा दी और अपनी जर्किन डिक्की में रख दी.
हम दोनों अन्दर आ गए.
दो मंजिल का होटल था. ऊपर फैमिली के लिए अलग से केबिन की सुविधा थी.
हम ऊपर जाकर एक केबिन में बैठ गए.
वेटर पानी लेकर आ गया और बोला- सर ऑर्डर प्लीज!
हम दोनों ने मेनूकार्ड देखकर ऑर्डर दे दिया.
वेटर के जाने के बाद नीता बोली- मैं वॉशरूम होकर आती हूँ.
और वो चली गयी.
उसके आने के बाद मैं भी वॉशरूम जाकर आया.
थोड़ी ही देर में वेटर खाना लेकर आ गया और हम दोनों आराम से बातें करते हुए खाना खाने लगे.
आधा घंटा में हमारा खाना पूरा हो गया.
वेटर ने बिल लाकर दिया तो मैंने उसे पैसे दे दिए और हम दोनों केबिन से निकल कर होटल के पीछे वाले हिस्से में बने गार्डन में बैठ गए.
मैं नीता की गोद में अपना सर रखकर लेट गया था.
नीता अपने हाथों की उंगलियां मेरे बालों में फिराने लगी.
मैंने उसकी कमर को अपने हाथों से कस लिया था.
नीता बोली- कितना अच्छा लगता है ना हर्षद … ऐसे गार्डन में एक दूसरे के साथ प्यार करते हुए!
मैंने कहा- हां नीता … इसलिए तो प्यार करने वाले गार्डन में ज्यादा दिखाई देते हैं.
ऐसे ही बातें करते आधा घंटा कैसे बीत गया, कुछ पता ही नहीं चला.
इतने में नीता के मोबाईल की रिंग बजी तो मैंने पूछा- किसका फोन है?
वो स्क्रीन देखती हुई बोली- मेरी सहेली का है.
मैंने कहा- ओके, बात कर लो.
ये कहकर मैं पेशाब करने चला गया.
नीता फोन पर बात कर रही थी.
“ठीक है हम चार बजे तक पहुंच जाते हैं.”
उसकी आखिरी की यही बात मैंने सुनी थी और उसने फोन काट दिया.
मैं उसके पास गया तो वो बोली- मेरी सहेली गीता का फोन था. उसने हमें अपने घर में बुलाया है.
मैंने बोला- मुझे भी? लेकिन क्यों?
तो वो बोली- उसके पति ऑफिस के काम से दो दिन लिए बाहर गए हैं और उसके सास ससुर यात्रा से कल शाम तक वापस आ जाएंगे. उसे अकेले घर में डर लगता है इसलिए बुलाया है.
मैंने कहा- तुमने उससे मेरे लिए क्या कहा?
नीता- यही कि मेरे साथ मामा का लड़का भी है, तो उसने कहा कि उसे भी साथ में लेकर आ जाओ. मेरी भी जान पहचान हो जायेगी.
मैंने हंस कर कहा- अच्छा ये बात है, ये गीता रहती कहां है?
तो नीता ने कहा- हमारे गांव के बाहर उसका बड़ा सा दो मंजिल का घर है. मेरी शादी के कुछ महीने बाद ही उसकी शादी हो गयी थी. गीता बहुत ही खूबसूरत और खुले दिल से बात करने वाली लड़की है. लेकिन अभी तक बेचारी की गोद सूनी ही है. हालांकि वो अपने चेहरे पर ये दर्द कभी दिखने नहीं देती है. उसने बहुत बार मेरे पास आकर और मुझे बताकर अपने दिल का दर्द हल्का किया है. उसके घर में धन दौलत बाकी सब ऐशोआराम की कोई कमी नहीं है लेकिन तन और मन के सुख से वंचित है बेचारी. उसकी कहानी लगभग मेरे जैसी ही है. लेकिन मेरा पति शराबी था और वो अब नहीं रहा, इसलिए मैं सभी सुख से वंचित थी.
गीता की दर्द भरी कहानी सुनकर मैं कुछ सोचने लगा.
नीता बोली- क्या हुआ हर्षद?
“कुछ नहीं नीता. तुम्हारी सहेली गीता के साथ बहुत ही बुरा हुआ. क्या पता तकदीर लिखने वाले ने उसके नसीब में क्या लिखा है?”
नीता बोली- हां हर्षद, ये सच है नसीब के आगे हम क्या कर सकते हैं. अब चलो हर्षद तीन बजे हैं, बारिश आने से पहले हमें उसके घर पहुंच जाना चाहिए. बाकी बातें रास्ते में करेंगे.
मैंने कहा- हां नीता चलो. लेकिन अब मैं बाईक चलाऊंगा, तुम पीछे बैठना.
नीता बोली- ठीक है.
नीता ने मेरी जर्किन पहन लिया और मेरे पीछे मुझसे चिपककर बैठ गयी.
होटल से कुछ दूर जाने के बाद उसने एक हाथ से मेरी कमर को कस लिया और दूसरा हाथ मेरी जांघ पर रख दिया.
मैं तेज गति से बाईक चला रहा था.
आकाश में बादल छाये हुए थे, बारिश कभी भी शुरू हो सकती थी.
नीता मेरे कंधे पर अपना सर रखकर बोली- इतनी तेज क्यों चला रहे हो? गीता से मिलने के लिए बहुत उतावले हो रहे हो क्या हर्षद?
ऐसा कहते हुए नीता ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.
मैंने कहा- नीता, तुम बहुत बदमाश हो.
उसने मेरे कान कि लौ को हल्के से अपने दांतों से काटकर कहा- अच्छा मैं बदमाश और तुम? तुम्हारे मन में तो लड्डू फूट रहे होंगे ना?
मैंने कहा- क्यों … लड्डू क्यों फूटेंगे? तुम मेरे लिए सब कुछ हो, तो तुम्हारी सहेली के बारे में गलत कैसे सोच सकता हूँ.
नीता ने मेरे गाल को चूमकर और लंड को रगड़ते हुए कहा- अरे यार मैं तो मजाक कर रही थी. लेकिन हर्षद मुझसे उसका दर्द नहीं देखा जाता है. हमें उसकी मदद करनी ही चाहिए. तुम उसे सारी खुशियां दे सकते हो हर्षद.
मैंने कहा- ये कैसे हो सकता है नीता? और वो भी मेरे साथ तुम्हारे होते हुए?
नीता बोली- हां हर्षद. तुम दोनों एक दूसरे को देखते ही एक दूसरे पर फिदा हो जाओगे. गीता खूबसूरत और सेक्सी फिगर वाली है. इधर तुम भी हैंडसम और रोमांटिक हो.
मैंने हंस कर कहा- अच्छा … लेकिन क्या वो मान जाएगी?
नीता बोली- वो सब मैं देख लूंगी हर्षद. कुछ भी करेंगे लेकिन हमें उसे पूरी तरह से खुश करना ही है.
हम ऐसे ही बातें करते जा रहे थे. समय का पता ही नहीं चला.
इतने में नीता के गांव जाने वाला रास्ते का मोड़ आ गया.
मैंने मेन रोड से बाईक को मोड़ दी और गांव के रास्ते पर चलाने लगा.
वहां से आधे घंटे में हम गीता के घर पहुंच सकते थे, लेकिन तभी हल्की हल्की सी बारिश शुरू हो गयी.
साईड में कहीं ऐसा पेड़ भी नहीं था, जिसकी छाँव में रुका जा सकता था.
थोड़ी दूर आगे एक पत्तों का सायाबान दिखाई दिया, तो मैंने बाईक की गति बढ़ाकर उस शेड तक पहुंच कर साईड में बाईक लगा दी.
हम दोनों अन्दर गए. खाली शेड था, शायद किसी ने यूज ही नहीं किया था.
रास्ता भी सुनसान था.
मैं नीता को बांहों में कसकर चूमने लगा तो उसने भी मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
वो अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़कर बोली- हर्षद, मेरा मन बहुत कर रहा है. चूत में बहुत खुजली हो रही है और मौसम भी रोमांटिक है.
मेरा भी लंड फड़फड़ाने लगा था तो मैंने कहा- हां नीता मेरा भी बहुत मन कर रहा है.
नीता ने झट से मेरी पैंट खोली और अंडर पैंट के साथ उसे मेरे घुटनों तक नीचे कर दी.
मेरा खड़ा लंड उसके सामने आ गया था. वो दोनों हाथों में लंड लेकर आगे पीछे करने लगी.
मैंने भी उसकी कमीज ऊपर करके उसकी सलवार पैंटी के साथ खींचकर घुटनों तक नीचे कर दी और उसकी चूत को सहलाने लगा.
नीता की चूत गीली हो गयी थी. मेरा लंड पूरी तरह से तन गया था.
नीता बोली- हर्षद जल्दी से अपना लंड डाल दो मेरी चूत में … नहीं तो कोई आ जाएगा, तो दिक्कत हो जाएगी.
मैंने नीता को घुमाकर उसकी गांड मेरी तरफ करके उससे झुकने को कहा.
नीता ने अपनी टांगें फैलाईं और अपने हाथ घुटनों पर रखकर झुक गयी.
मैंने अपने मुँह से लंड पर थूक छोड़ कर उसे चिकना किया और के नीता की चूत की दरार में रगड़ने लगा.
नीता मेरे लंड पर जोर देने लगी.
मैंने जोर से धक्का देकर आधे से ज्यादा लंड चूत में पेल दिया, तो नीता मादक सिस्कारियां लेने लगी.
मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ ली और लंड आगे पीछे करने लगा.
नीता भी अपनी गांड आगे पीछे करके साथ देने लगी थी.
मेरा लंड नीता की चूत की गहराई में जाकर दस्तक दे रहा था.
नीता अपने मुँह से मादक सिसकारियां लेती हुई बोली- और जोर जोर से धक्के मारो हर्षद … बहुत मजा आ रहा है.
मैं अपनी पूरी ताकत से धक्के मारने लगा. तो नीता की चूत ने पानी छोड़ दिया.
मगर मैं बिना रुके नीता को चोदता गया.
दस मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद मैं अपनी चरम सीमा पर आ गया था.
नीता बोली- हर्षद चूत में मत छोड़ना, मुझे तुम्हारा अमृत पीना है.
मैंने झट से लंड चूत से बाहर निकालकर उसके मुँह में दे दिया.
नीता मेरा आधा लंड अपने मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी.
मेरे लंड ने लगातार कुछ पिचकारियां नीता के मुँह में मारकर उसका मुँह वीर्य से भर दिया.
नीता ने सारा वीर्य गटक लिया.
नीता ने मेरा लंड चूस चूसकर पूरा साफ कर दिया था. उसने वीर्य की एक बूंद भी नहीं छोड़ी थी.
GF सेक्स ऑन रोड के बाद हम दोनों हल्के हो गए थे. बारिश भी थम गयी थी.
हम दोनों अपने कपड़े ठीक करके बाहर आ गए.
मैंने बाईक निकाली.
नीता बोली- अब मैं बाईक चलाऊंगी.
उसने बाईक अपने हाथ में ली और मैं उसके पीछे से सटकर बैठ गया.
हम निकल पड़े.
मेरा लंड अभी भी आधा तना हुआ था. नीता अपनी गांड पर मेरे लंड का दबाव महसूस कर रही थी.
वो भी अपनी गांड आगे पीछे करके मेरे लंड को रगड़ रही थी. हम दोनों मजे ले रहे थे.
अब हम गांव मे पहुंच चुके थे.
नीता बोली- बस अब दस मिनट में हम गीता के घर आ जाएंगे हर्षद.
मैंने कहा- ठीक है पन्द्रह मिनट लेट हो गए हैं.
वो बोली- उससे कुछ नहीं होता है.
थोड़ी देर बाद नीता बोली- वो सामने दिख रहा है ना … वो गीता का घर है हर्षद.
मैंने कहा- ये मकान तो गांव से बहुत ही दूर बनाया है.
इतने में फिर से बारिश शुरू हो गयी.
गीता के घर जाने तक मैं पूरा भीग गया था.
नीता कमर के नीचे थोड़ी भीग गयी थी.
नीता ने पार्किंग शेड में बाईक लगायी और हम दोनों दरवाजे के बाहर खड़े हुए ही थे कि बाइक की आवाज सुनकर गीता बाहर निकल कर मेरे सामने आ गयी.
हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे.
गीता बहुत ही खूबसूरत लड़की थी और उसकी फिगर भी काफी सेक्सी थी. उसने पीले रंग की नाईटी पहनी थी. उसकी आगे निकली हुई गोल मटोल 34 इंच की चूचियां साफ दिख रही थीं.
उसके निप्पल भी कड़क दिख रहे थे.
छोटी कमर और गदरायी हुई बाहर को निकली हुई गोल मटोल छत्तीस इंच की गांड देखकर मेरा लंड तनाव में आने लगा था.
गीता की नजर मेरे पैंट में तने हुए लंड के उभार पर ही टिकी हुई थी.
उसने अपनी नाईटी के ऊपर से ही चूत को सहलाया और बोली- नीता हर्षद, अरे अन्दर भी आ जाओ. तुम लोग भीग चुके हो.
पहले नीता अन्दर गयी तो गीता ने उसे अपने गले लगाकर कहा- कितने दिन बाद घर आयी हो नीता.
दोनों ने एक दूसरे को चूम लिया.
गीता नीता से बोली- बाथरूम में जाकर कपड़े बदल लो और मेरी नाईटी पहन लो.
नीता बाथरूम में चली गयी.
गीता ने मुझे अपने गले लगाकर गाल पर चूम लिया तो मैंने भी अपने दोनों हाथ उसकी बाहर निकली और गदरायी गांड पर रखे और सहलाने लगा.
इस पर गीता मादक सिसकारी लेकर बोली- बहुत हैंडसम हो हर्षद. ये तुम्हारा चौड़ा सीना और गठीला बदन देखकर मैं तो तुम पर फिदा हो गयी हूँ. नीता ने तुम्हारे बारे में जितना बताया था, तुम उससे चौबीस हो.
ये कहते हुए गीता ने अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ दी.
मैं समझ गया कि नीता और गीता ने आपस में मुझे बांटने का तय किया हुआ है. मुझे भी क्या फर्क पड़ने वाला था.
उधर मेरे लंड का अहसास करते ही वो एकदम से बोली- उई माँ, ये तो तुम्हारा कितना बड़ा है. इसे तो एक बार लेकर देखना पड़ेगा.
मैंने कहा- अभी नहीं गीता, बाद में दिखाता हूँ.
गीता मुझसे अलग होकर बोली- ऊपर के कमरे में चले जाओ, वहां बेडरूम में बाथरूम है. मैं तुम्हें दूसरे कपड़े दे देती हूँ हर्षद. वहां तुम अपने कपड़े बदल लो.
मैं ऊपर के बाथरूम में जाकर अपने पूरे कपड़े निकालकर नंगा होकर नहाने लगा.
फिर मैं तौलिये से बदन पौंछने लगा.
मेरा लंड गीता के बारे में सोचकर फिर से तनाव में आ चुका था.
मैं अपने सर के बाल पौंछते पौंछते नंगा ही बाहर आ गया.
दरवाजे के पास गीता खड़ी थी.
मैं उसे देखकर भी अंजान बना रहा और बेड पर बैठकर बाल साफ करने लगा.
गीता मेरे पास आकर खड़ी हो गई और बोली- हर्षद, ये लो इसे पहन लो.
मैंने झट से तौलिया लंड पर रख दिया और कहा- अरे गीता तुम … कब आई?
वो बोली- मैं अभी आयी हूँ, जब तुम बाहर आये थे. अब छुपाने से क्या फायदा हर्षद, मैंने सब कुछ देख तो लिया है.
ये कहते हुए उसने तौलिया खींच लिया और अपने मुलायम हाथों में मेरा लंड लेकर बोली- बाप रे … कितना लंबा और मोटा है तुम्हारा हर्षद. मैं तो इसे लेकर मर ही जाऊंगी. मेरे पति का तो पांच इंच लंबा और एक इंच ही जाड़ा है. इसे देख कर तो मैं हैरान हो गयी हूँ कि इतना बड़ा भी होता है.
मैं उठकर खड़ा हो गया तो गीता ने मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
मैंने भी उसे अपनी बांहों में कसा और चूमने लगा. साथ में मैं अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
गीता मादक सिसकारियां लेती हुई बोली- ओह हर्षद शादी होने के बाद भी मैं प्यासी हूँ. तुम ही मेरी प्यास बुझा सकते हो.
इतने में नीता गीता को पुकारती इधर ही आ रही थी तो गीता मुझे छोड़कर बाहर चली गयी.
मैंने भी झट से लुंगी पहन ली और टी-शर्ट पहन कर बाहर आ गया.
नीता बोली- चलो नीचे मैंने चाय बनायी है.
हम तीनों नीचे हॉल में आ गए.
नीता चाय लेकर आयी और हम चाय पीने लगे.
दोस्तो, इस GF सेक्स ऑन रोड कहानी की ये अभी शुरुआत है. मैं आपको विस्तार से इसके बारे में लिखूंगा. आप मुझे मेल करना न भूलें.
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GF सेक्स ऑन रोड कहानी का अगला भाग: अचानक मिली लड़की की सहेली को भी पेला- 2
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