तृष्णा की तृष्णा पूर्ति-3
क्योंकि पिछले 40 मिनट से दरवाजे के पास खड़े हो कर मैं यह दृश्य होते देख रही थी इसलिए इतनी उत्तेजित हो गई थी कि मैंने वहीं पर खड़े खड़े अपनी योनि में दो उंगलियाँ डाल कर अपनी योनि से कई बार रस का स्राव करा दिया !
उस रस के नीचे की ओर बहने से मेरी जांघें और टाँगें गीली हो गई थी, इसलिए मैंने भाग कर ऊपर अपने गुसलखाने में जाकर अपने आपको अच्छी तरह से साफ़ किया। तरुण को निशा के शरीर की मालिश अथवा उसके साथ सम्भोग करते देख कर मुझे उसे पाने की लालसा और भी अधिक बढ़ गई तथा मेरा मन उसके साथ यौन संसर्ग के लिए बहुत ही अधीर हो उठा !
मुझे अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए सही अवसर का इंतज़ार था और उसके लिए एक सप्ताह तक प्रतीक्षा भी करनी पड़ी !
एक दिन सुबह 9:30 बजे पति देव दुकान से वापिस आए और बताया कि मार्किट के किसी बड़े व्यापारी की मृत्यु हो गई है, इस वजह से पूरा बाज़ार बंद हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि सब दुकानदार उस व्यापारी की अंत्येष्टि के लिए उसके शव के साथ अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट जा रहे हैं। क्योंकि पूरा दिन दुकान बंद रहेगी इसलिए उन्होंने दोपहर को तरुण को उनका खाना लेकर दुकान पर भेजने के लिए मना कर दिया तथा घर में ही अन्य काम करवाने के लिए कह दिया !
पति देव की यह बात सुन कर तो मैं गदगद हो गई और मुझे ऐसा लगा कि मेरी लाटरी निकल पड़ी हो !
मेरे पति जैसे ही उस व्यापारी की अंत्येष्टि के लिए घर से निकले मैंने झट से अपने कपड़े उतार कर अपने कांख तथा जघन-स्थल के बाल साफ़ किये, उसके बाद मैंने गर्म पानी से स्नान किया और शरीर को पौंछ कर ब्रा, पैंटी तथा उनके ऊपर नाइटी पहन ली ! तरुण के ऊपर आने के समय से पहले ही मैंने अपने सिर पर चुन्नी बाँध कर बैड पर लेट गई !
थोड़ी देर के बाद तरुण ऊपर आ कर झाड़-पोंछ तथा सफाई करते हुए जब मेरे कमरे में आया और मुझे लेटे हुए देखा तो मुझ से पूछा कि मुझे क्या हुआ है, तब मैंने उसे बताया कि मेरे सिर में तथा पूरे शरीर में दर्द हो रहा है।
यह सुन कर उसने कहा कि वह मेरे सिर में तेल लगा कर अच्छी तरह से मालिश कर देता है जिससे दर्द दूर हो जायेगा और झट से ड्रेसिंग टेबल में से आंवले का तेल ले आया।
मैंने बैड से उठते समय शरीर में दर्द के कारण उठने में कठिनाई होने को दर्शाते हुए तरुण की ओर देखा तब मजबूरन उसे हाथ बढ़ा कर मुझे सहारा देना पड़ा। उसका सहारा लेते समय मैंने अपना सारा बोझ उस पर डाल दिया जिसके कारण मेरा पूरा शरीर उसकी बाहों में झूल गया लेकिन मैंने जल्द ही अपने को संभाल कर उससे अलग कर लिया ताकि उसे कोई शक न हो कि मैं नाटक कर रही हूँ।
जब मैं ठीक से बैड पर बैठ गई तब तरुण ने मेरे सिर पर तेल लगाया और मेरे सिर को कस कर दबाया और उसकी मालिश की। कुछ देर मालिश होने के बाद मैंने तरुण को मालिश बस करने और उसे घर की सफाई का काम समाप्त करने को कहा।
तरुण ‘अच्छा’ कह कर फर्श पर पोछा लगाने के लिए दूसरे कमरों में चला गया और मैं फिर से बैड पर लेट गई और उसका मेरे कमरे में आने की प्रतीक्षा करने लगी। जब वह मेरे कमरे में पोछा लगाने के लये आया तो मैंने हल्का हल्का कहराना शुरू कर दिया। तरुण ने जब मेरा कराहना सुना तो मुझसे पूछा कि क्या मेरे सिर का दर्द कम नहीं हुआ तो मैंने उसे बताया कि सिर का दर्द तो अब ठीक है लेकिन शरीर में दर्द बहुत ज्यादा हो रहा है !
यह सुन कर जब तरुण चुप हो गया तब मैंने उसे पूछा कि क्या वह मेरे शरीर की मालिश भी कर देगा जिससे उसका दर्द भी दूर हो जाए !
मेरी बात सुन कर तरुण कुछ देर तक मौन रहा और फिर मुझे टालने कह दिया कि शरीर की मालिश के लिए तो मुझे नाइटी उतारनी पड़ेगी ! मैंने उसकी बात सुन कर पहले तो थोड़ी सी हिचकिचाहट दिखाई लेकिन फिर दर्द से कराहते हुए उसे बाहर का दरवाज़ा बंद करने और ड्रेसिंग टेबल से बादाम के तेल लाकर मेरी मालिश करने को कहा।
जब तरुण दरवाज़ा बंद करके और तेल लेकर आया तब मैंने बैड से उठी और अपनी बाहें ऊपर करी तथा उसे नाइटी उतारने में मेरी मदद करने के लिए कहा। तरुण ने झुक कर नाइटी उतारने में मेरी मदद की और फिर अपने हाथों में तेल लगा कर मेरी गर्दन, बाजुओं और कन्धों की मालिश करने लगा !
दस मिनट के बाद तरुण मुझे लेटने को कहा और मेरे शरीर के बीच के भाग यानि मेरे पेट, नाभि और कमर पर तेल लगा कर थोड़ा कस कर मालिश करने लगा। जब वहाँ का सारा तेल शरीर में समां गया तब वह मेरे शरीर के निचले भाग यानि की टांगों और जाँघों की ओर जाने लगा !
यह देख कर मैंने उसे रोक कर कहा कि पहले वह मेरे वक्ष की मालिश करे और उसके बाद में शरीर के नीचे के भागों की मालिश करे !
मेरी यह बात सुन कर तरुण थोड़ा सकपका गया और जड़ होकर मुझे देखने लगा !
जब मैंने उससे पूछा- क्या हो गया? ऐसे क्यों देख रहा है?
तब उसने कहा कि इसके लिए मुझे अपनी ब्रा भी उतारनी पड़ेगी। मैंने उसे कह दिया कि अगर ऐसी बात है तो वह उसे उतार सकता है और मैंने दूसरे ओर करवट कर ली ताकि वह मेरी ब्रा के हुक खोल सके! जब उसने आगे बढ़ कर हुक खोल दिया तब मैं सीधी होकर लेट गई और उसे अपनी ब्रा को मेरे शरीर से अलग करने दिया !
इसके बाद तरुण ने मेरे स्तनों पर तेल लगाया और अपने तेल से सने हुए हाथों से मेरे स्तनों की अच्छी तरह से मालिश करने लगा। उसके हाथ बहुत ही फुर्ती से गोल गोल मेरे स्तनों पर चल रहे थे जिसकी वजह से मेरे स्तनों के अन्दर हो रही गुदगुदी से मुझे बहुत ही आनन्द आ रहा था! दस मिनट तक स्तनों की मालिश करने के बाद तरुण ने मेरे स्तनों के ऊपर चुचूक पर कुछ बूँदें तेल डाल कर अपने अंगूठे और उंगली के बीच में पकड़ कर उनकी मालिश करने लगा और बीच बीच में उन्हें ऊपर की ओर खींचने लगा। तरुण का ऐसा करना मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था लेकिन मेरे शरीर के अंदर वक्ष से लेकर योनि तक उत्तेजना की एक लहर दौड़ने लगी थी !
लगभग पन्द्रह मिनट तक मेरे वक्ष की मालिश करने के बाद तरुण मेरे शरीर के निचले भाग की ओर पहुँचा और मेरे पैरों, टांगों, घुटनों तथा जाँघों की मालिश करने लगा।
दस मिनट तक उनकी मालिश करने के बाद उसने मुझे करवट बदल कर पेट के बल लेटने को कहा। उसके कहे अनुसार जब मैं लेट गई तब अगले दस मिनट तक उसने मेरी पीठ, रीढ़ की हड्डी, कन्धों तथा कमर की मालिश की और फिर तेल उठा कर जाने लगा ! उसे जाते देख मैंने उससे रुकने को कहा और पूछा कि नितम्बों और जघन-स्थल की मालिश तो उसने अभी नहीं की है, तो उसने कहा कि वो तो उसे आती नहीं है !
जब मैंने उससे पूछा कि अगर उसे वहाँ की मालिश करनी नहीं आती तो उसने उस रात निशा की मालिश कैसे की थी?
तो वह भौंचक्का सा रह गया और मेरी ओर सिर झुका कर हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगने लगा !
मैं उठ कर उसके पास गई और उसके हाथों को पकड़ कर अपने स्तनों पर रख दिए और उसके दोनों गालों पर चुम्बन किया, फिर उसको अपने आलिंगन में लेकर मैंने उसके कान में मेरे नितम्बों और जघन-स्थल की मालिश करने के लिए कहा। जब तरुण बहुत देर तक बिना हिले-डुले अपनी जगह पर ही दयनीय हालात में खड़ा रहा तब मैं उसे खींच कर बैड के पास ले आई और उसे मेरी आगे की मालिश करने का आदेश सुना दिया तथा बैड पर उल्टी होकर लेट गई। मेरा आदेश सुन कर तरुण धीरे धीरे हरकत में आया और उसने मुझे पैंटी उतारने को कहा लेकिन मैंने मना कर दिया और उसे खुद ही उतारने को कहा।
अंत में जब उसे कोई और रास्ता नहीं सूझा तो उसने मुझे चूतड़ ऊँचे करने को कहा और मेरा ऐसा करने पर उसने मेरी पैंटी उतार दी।
अब मैं बिल्कुल नग्न उसके सामने लेटी थी और तरुण मेरे नितम्बों की कस कर मालिश करने लगा था, वह नितम्बों के साथ साथ उनके बीच की दरार में हाथ डाल कर मेरी गुदा तक की भी मालिश करने लगा था।
जब उसने मेरे पीछे की मालिश को पूरी तरह से कर दी तब मैं सीधा हो कर लेट गई और उसे आदेश दिया कि मेरी बाकी की मालिश वह नग्न हो कर ही करे !
तरुण के पास कोई भी चारा नहीं होने के कारण उसने अपने सब कपड़े उतार दिए और मेरे जघन-स्थल और योनि पर तेल लगा कर मालिश करना शुरू कर दिया।लगभग पांच मिनट तक बाहर से मालिश करने के बाद उसने मेरी योनि के मुख को खोल कर उसके अन्दर तेल से भीगी हुई अपनी दो उंगलियाँ डाल कर उसके अन्दर से भी मालिश करने लगा !
कुछ देर के बाद तरुण ने मेरी योनि के भगांकुर पर तेल लगाया और अंगूठे से उसे भी रगड़ने लगा। उंगलियों से योनि की और अंगूठे से भगांकुर की संयुक्त मालिश से मैं उत्तेजित होने लगी और मेरे मुँह से सी.. सी.. और उन्ह.. उन्ह.. की आवाजें निकलने लगी !
मेरी तरह तरुण भी मेरी इस तरह मालिश करने से बहुत ही उत्तेजित हो गया और उसका लिंग खड़ा हो कर मेरी जाँघों को छूने लगा था।तब मैंने उसके खड़े लिंग को पकड़ लिया और मुंड के बाहर निकल कर कर मसलने लगी। पांच मिनट में ही उसका लिंग लोहे की रॉड की तरह हो गया ! तब मैंने उसे खींच कर अपने बिस्तर पर लिटा लिया और उस पर चढ़ कर अपनी योनि को उसके मुँह पर रख दी तथा उसे उसको चाटने को कहा !
क्योंकि तरुण भी अब मेरे साथ यौन प्रसंग के लिए सम्पूर्ण रूप से तैयार हो चुका था इसलिए उसने कोई विरोध नहीं किया और बहुत ही प्यार से मेरी योनि तथा भगांकुर को चाटने लगा तथा अपनी तीखी जिह्वा को योनि के अन्दर बाहर करने लगा !
फिर मैंने भी आगे झुक कर उसके लिंग को अपने मुँह में ले लिया और कुल्फी की तरह उसे चूसने लगी। लगभग दस मिनट की इस क्रिया के बाद जब मेरी योनि में से पहली बार स्राव हुआ तो तरुण ने वह सारा रस पी लिया।
इसके बाद मैं तरुण के ऊपर से हट कर उसके बगल में लेट गई और उसे अपने ऊपर चढ़ने को कहा। तरुण के उठते ही मैंने अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर दी और वह उन दोनों के बीच में बैठ कर अपने लिंग के मेरी योनि के द्वार तथा भगांकुर पर रगड़ने लगा जिससे मेरी उत्तेजना और भी बढ़ गई। जब उत्तेजना मेरे बस से बाहर हो गई तब मैंने तरुण के लिंग को पकड़ कर योनि द्वार पर स्थित किया और उसे धक्का मारने को कहा।
तरुण ने बड़े ही प्यार से हल्का सा धक्का लगा कर अपने लिंग के आगे का दो इंच भाग मेरी योनि के अन्दर सरका दिया। उसके मोटे लिंग को पहली बार योनि के अन्दर लेने में मुझे थोड़ी तकलीफ तो महसूस हुई लेकिन उत्तेजना के कारण मैं वह सब सहन कर गई और तरुण को लिंग का बाकी भाग भी अन्दर डालने को उकसाया।
मेरे इस निर्देश पर तरुण ने आहिस्ता आहिस्ता अपने लिंग को आगे पीछे करते हुए धक्के देने लगा और अगले पांच-छह धक्कों में ही अपना पूरा लिंग मेरी योनि में भीतर प्रविष्ट कर दिया। फिर तरुण ने मेरे होटों का चुम्बन लिया तथा मेरे स्तनों को चूसने लगा और अपने लिंग को अहिस्ता अहिस्ता मेरी योनि के अन्दर बाहर करने लगा।
तरुण द्वारा मेरे स्तनों का चूसना और योनि के अन्दर उसके लिंग का गमनागमन से मेरी योनि के अन्दर गुदगुदी होने लगी थी। तरुण के हर धक्के पर मुझे योनि के अन्दर उत्तेजना होती और मेरी योनि तरुण के लिंग को जकड़ कर अन्दर की ओर खींचती, इस खींचातानी से जो रगड़ लगती उस आनन्द का विवरण करना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि वह एक आंतरिक आनन्द जिसको सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है, उसको लिख कर शब्दों में विवरण नहीं किया जा सकता !
दस मिनट के बाद तरुण ने अपनी गति बढ़ा दी और मुझे मिल रहे उस अत्यंत ही सुखी आनन्द की अनुभूति को दुगना कर दिया। जब योनि के अन्दर हो रही उत्तेजना बहुत ही तेज़ हो गई और मेरे बर्दाश्त के बाहर होने लगी तब मेरे मुँह से अह्ह्ह… अह्ह्ह…. की ध्वनि निकलने लगी। मैं उस ध्वनि को रोकने के लिए अपने पर काबू पाने की कोशिश कर ही रही थी कि मेरा जिस्म अकड़ गया तथा मेरी योनि के अन्दर से एक तेज़ लहर निकली जिस के कारण मेरे मुँह से आईईईईई….. की चीख निकली !
इस चीख के साथ ही मेरी योनि में से रस का स्राव होने लगा और उस गीलेपन के कारण योनि में से फच फच की आवाजें कमरे में गूंजने लगी !
इन आवाज़ों ने हम दोनों को बहुत अधिक रोमांचित कर दिया जिसके कारण हम दोनों ने संसर्ग की गति को बहुत ही तेज़ कर दिया और दोनों उछल उछल कर उस क्रीड़ा में लीन हो गए ! जब हमें यौन संसर्ग करते हुए 15 मिनट बीत गए और तीन बार मेरी योनि से स्राव हो गया तब मैंने महसूस किया कि तरुण का लिंग भी फूलने लगा है तथा वह भी उस संसर्ग के अंतिम क्षणों के करीब पहुँच चुका है, उस समय मैंने तरुण को सम्भोग की गति को बहुत ही तेज़ करने को कहा और खुद भी उसी गति से उसका साथ देने लगी !
दो मिनट के बाद ही मेरी योनि में बहुत ही जोर की खिंचावट हुई और मेरा पूरा शरीर अकड़ गया और मेरे मुख से बहुत जोर की अह्ह्ह… अह्ह्ह्ह… और उन्ह्ह्हह… उन्ह्ह्ह… की आवाज़ें निकलने लगी, तभी तरुण के मुँह से भी आह्ह्हह्ह… की आवाज़ निकली और उसके लिंग में से गर्म गर्म लावा मेरी योनि के अन्दर भरने लगा !
एक स्त्री को यौन संसर्ग के अंत में जिस आनन्द तथा संतुष्टि की चाहत होती है मुझे उसी आनन्द और संतुष्टि की अनुभूति उस समय हो रही थी ! योनि के अन्दर तरुण के लिंग से निकले उस लावे की गर्मी ने पिछले कुछ दिनों से मेरे अन्दर की सुलग रही सारी आग और तृष्णा को शांत कर दिया !
अब मेरे दिल में तरुण के लिए असीम प्यार की एक लहर उठी रही थी जिसमें बह कर मैंने तरुण को अपने बाहुपाश में भर लिया और उस पर चुम्बनों की बौछार कर दी !
कुछ देर हम दोनों वैसे ही लेटे रहने के बाद उठे और गुसलखाने में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया तथा कपड़े पहन कर कमरे से बाहर निकले और अपने अपने काम में व्यस्त हो गए !
आप सब पाठक-गण से हाथ जोड़ कर मेरी एक विनती है कि आप सिर्फ घटना पर ही प्रतिक्रिया ही भेजें और यौन संसर्ग, दोस्ती तथा चैट आदि के लिए कृपया अपने निमंत्रण भेजने का कष्ट ना करें !
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