सुहागरात की विधि -1

(Suhagrat Ki Vidhi- Part 1)

शगन कुमार 2010-03-19 Comments

इस लेख में किसी कुँवारी लड़की के साथ पहली बार सम्पूर्ण सम्भोग की विधि बताई गई है। इसे हिन्दी में कौमार्य-भंग, योनिछेदन, सील तोड़ना व अंग्रेज़ी में Deflowering या Defloration कहते हैं। यह किसी भी लड़की के लिए उसके जीवन की एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण घटना होती है जिसे वह ज़िंदगी भर नहीं भूल सकती।

यह एक ऐसा अवसर होता है जिसकी वह तब से कल्पना कर रही होती है जब से उसके बदन में यौन-कामुकता का जन्म होता है और वह अपने स्त्रीत्व का अनुभव करने लगती है। अकसर लड़कियाँ अपनी शादीशुदा या अनुभवी सहेलियों से इस बारे में चर्चा करती हैं… और यह भी देखा गया है कि ज़्यादातर लड़कियाँ अपने अनुभव बढ़ा-चढ़ा कर ही बयान करती हैं जिससे उनके मर्द पर आंच ना आए।

अपनी सहेलियों की मधुर कहानियाँ सुन कर लड़कियों के मन में लुभावने सपनों का जन्म होना स्वाभाविक है। अब यह पुरुषों पर निर्भर है कि वे अपनी प्रेयसी या पत्नी के भोले और बरसों से संजोये हुए सपनों को कितना साकार कर पाते हैं या उन्हें कुचल देते हैं।

किसी लड़की का कौमार्य भंग करना पुरुष के लिए एक बहुत ही ज़िम्मेदारी का काम होता है। उसे इस मौक़े को उतनी ही तवज्जोह देनी चाहिए जितनी किसी पूजा को दे जाती है। उसे लड़की के लिए यह मौक़ा हमेशा के लिए यादगार बनाना चाहिए।
उसे इस दिशा में हर वह प्रयत्न करना चाहिए जिससे लड़की अपना सबसे मूल्यवान उपहार उस पुरुष को देते हुए खुश हो।

पुरुष के लिए यह इतना कठिन काम नहीं है क्योंकि एक कुँवारी लड़की की अपेक्षाएं ज्यादा नहीं होतीं। वह यौन के सुखों से अब तक अनभिज्ञ होती है और उसके मन में आकांक्षा, व्यग्रता, चिंता और डर जैसे कई विचार घूम रहे होते हैं।
पुरुष का कर्तव्य बनता है कि वह उसकी भावनाओं की कद्र करते हुए बड़े प्यार से उसको धीरे धीरे इस नई डगर पर ऐसे ले जाए कि वह उसके साथ बार-बार उस डगर पर चलना चाहे।

सुहागरात की तैयारी

मर्दों और लड़कियों दोनों के लिए सबसे ज़रूरी तैयारी है अपनी शारीरिक स्वच्छता या सफाई।

यौन सम्भोग एक ऐसा मिलन है जिसमें हमारा संपर्क एक दूसरे के पूरे अंग से होता है। तो लाज़मी है कि हमारा पूरा शरीर एकदम साफ़ हो। गुप्तांगों की सफाई तो ज़रूरी है ही, साथ ही साथ हमारे बाकी अंग, खास तौर से मुँह, जीभ और बगलें साफ़ होना बहुत आवश्यक हैं।

बेहतर होगा अगर दोनों जने बिस्तर पर जाने से पहले नहा लें। लड़कियों को चाहिए कि अपनी योनि, गुदा, नाभि और स्तनों को अच्छे से धो लें और लड़कों को अपने लिंग को अच्छे से साफ़ कर लेना चाहिए।

अगर लिंग खता हुआ नहीं है (uncircumcised) तो उसके सुपाड़े की परत को जांच लेना चाहिए। कई बार वहाँ गंदगी (smegma) छिपी होती है जो दिखती नहीं है। शरीर से कोई दुर्गन्ध नहीं आनी चाहिए। मेरी सलाह है कि शरीर पर कोई खुशबू (इत्र, सेंट, डियो इत्यादि) लगाने की ज़रूरत नहीं है। सिर्फ साफ़-सुथरा बदन ही काफी है जिससे हमारे बदन की प्राकृतिक गंध (Pheromones) नष्ट ना हो जाए जो यौनाकर्षण में एक अहम भूमिका निभाती है। हाँ, लड़कों को अपनी उँगलियों के नाखून छोटे कर लेने चाहिए और यकीन करना चाहिए कि वे नुकीले नहीं हैं। नाखून काटने के बाद उन्हें फ़ाइल कर लेना चाहिए वरना अनजाने में लड़की के गुप्तांगों को ज़ख़्मी कर सकते हैं।

इसके अलावा यौन संसर्ग के लिए आवश्यक है कि एक शीतल कमरा हो जिसमें एक आरामदेह बड़ा बिस्तर हो। कमरे के साथ बाथरूम लगा हुआ हो जिसमें ठण्डे और गर्म पानी का बंदोबस्त हो। गोपनीयता और एकांत के लिए गहरे परदे और मंद रोशनी बेहतर रहेगी। बिस्तर पर तीन-चार तकिये और एक-दो तौलिए होने चाहिए। कुछ लोगों की राय में वातावरण को रूमानी बनाने के लिए सुगन्धित मोमबत्तियाँ और हल्का संगीत होना चाहिए। मैं इसे ज़रूरी नहीं समझता। अगर हो सके तो ठीक है पर ज़रूरी नहीं है।

मेरी राय में जब लड़का-लड़की यौन के आवेश में आ जाते हैं तो उनकी सब इन्द्रियाँ सिर्फ सम्भोग पर केंद्रित हो जाती हैं और वातावरण की सुगंध या संगीत का अहसास उन्हें कतई नहीं होता।

किसी भी सम्भोग के पहले पेट हल्का होना चाहिए। तो, दोनों को हल्का भोजन करना चाहिए और कच्चा प्याज-लहसुन से परहेज़ करना चाहिए जिससे मुँह से दुर्गन्ध ना आये। वैसे भी खाना खाने के बाद मुँह अच्छे से साफ़ कर लेना चाहिए।

अमूमन लोग सोचते हैं कि संभोग का मज़ा बढ़ाने के लिए मदिरा-पान कर लेना चाहिए। पर यह ना तो ज़रूरी है और ना ही मैं इसकी सलाह देता हूँ। मैं मदिरा-पान के खिलाफ नहीं हूँ और एक-आध पैग में कोई बुराई भी नहीं है परन्तु यौन का मज़ा जो पूरे होशो-हवास में आता है वह नशे की हालत में कहाँ आ सकता है। यौन तो खुद ही सर्वोत्तम नशा है…..

फिर शराब का सहारा किस लिए ? वैसे भी डॉक्टरों का मानना है कि शराब लिंग के लिए उत्तेजक नहीं बल्कि एक अवरोधक का काम करता है। शराब के बाद पुरुष सेक्स के बारे में बातें तो बहुत कर सकता है पर उसकी पौरुष शक्ति कमज़ोर हो जाती है और कई बार वह सम्भोग में विफल भी हो सकता है।

हाँ, एक और बात…. अपने मोबाइल फोन बंद करना ना भूलें वरना वे ऐसे समय बजेंगे कि सारा मज़ा किरकिरा हो जायेगा।

शुरुआत

पुरुष के लिए ज़रूरी है कि वह किसी बात के लिए जल्दबाज़ी न दिखाए। भले ही लड़का-लड़की पहले से एक दूसरे को जानते हों या फिर पहली बार एकांत में मिल रहे हों…..

शुरुआत में दोनों को एक अजीब सी झिझक होगी। लड़की को खास तौर से काफी संकोच और असमंजस हो सकता है …. थोड़ी-थोड़ी घबराहट भी हो सकती है। कुछ मर्द भी ऐसे मौक़ों पर घबराहट महसूस कर सकते हैं खास तौर से वे जिन्हें अपना लिंग छोटा लगता हो या जिन्हें शीघ्र-पतन का डर हो। मेरी राय में दोनों को ही अपनी शंकाओं पर काबू पाने की कोशिश करनी चाहिए और प्रकृति की इस नायाब अनुभूति का आनन्द उठाने का प्रयास करना चाहिए।

बेहतर होगा अगर शुरुआत बातचीत से की जाये। पुरुष को पता होना चाहिए कि सेक्स के प्रांगण में हर तरह की पहल उसे ही करनी होती है। लड़की को ऐसे मौक़े पर लज्जा और झिझक ही शोभा देती है। ठीक तरह से बातचीत करने के लिए भी पहले से तैयारी करना बेहतर होगा। पुरुष को चाहिए कि इस बारे में पहले से सोच ले क्या क्या बात करनी है वरना उस वक्त दिमाग धोखा दे सकता है।

अकसर लड़कियों को अपने घरवालों की और खुद की तारीफ सुनना अच्छा लगता है। अगर सुहाग-रात शादी के बाद मनाई जा रही है तो अकसर लड़की काफी थकी हुई होती है …. उसकी थकान दूर करने के लिए पुरुष उसके हाथ, कंधे, बाजू, सिर इत्यादि दबाने के बहाने उसको छू सकता है। इससे शुरू-शुरू की झिझक तोड़ने में सहायता मिलेगी और लड़की को साहस भी मिलेगा। इन दो बातों को ध्यान में रखते हुए कुछ इस तरह से बातचीत शुरू की जा सकती है :-

मानो लड़की का नाम मीना है,

“वाह मीना ! मैं बहुत खुशनसीब हूँ ……..”

(मीना कुछ नहीं कहती)

“जो तुम मुझे मिली हो….”

(मीना कुछ नहीं कहती)

“तुम्हारे मम्मी-पापा कितने अच्छे हैं… दोनों अभी भी जवान लगते हैं … !”

(मीना ज़रूर मुस्कुराएगी)

कुछ देर उसके माँ-बाप, भाई-बहन की तारीफ करने के बाद ….

“मीना … तुम्हारा नाम मुझे बहुत अच्छा लगता है ….. छोटा सा … मैं तुम्हें प्यार में या गुस्से में …. दोनों में आसानी से बुला सकता हूँ !!” (फिर नाटकीय ढंग से उसका नाम एक बार प्यार से और एक बार गुस्से से लेकर दिखाओ। वह ज़रूर हँस पड़ेगी)

“तुम हँसती हुई ज्यादा अच्छी लगती हो …. तुम्हें पता भी है तुम्हारे गाल और होंठ कैसे खिल जाते हैं !” (इस समय उसके गाल पर चुम्बन ले सकते हैं)

“मुझे लगता है तुम बहुत थक गई हो….. लाओ, मैं तुम्हारी थकान दूर कर दूं।”

(यह कहते हुए उसके कंधे, या हाथ या सिर को पकड़ कर सहलाना शुरू किया जा सकता है। अगर वह शरमाये या आनाकानी करे तो भी पुरुष को दृढ़ता से उसे पकड़ कर प्यार से सहलाना या दबाना चाहिए)

चीर-हरण

सम्भोग से पहले लड़की को निर्वस्त्र करना एक ऐसा अवसर है जो दोनों को उत्तेजित करने में मदद कर सकता है। इस अवसर का सही उपयोग करना चाहिए। अगर पुरुष लड़की का शरीर दबा कर उसकी थकान मिटाने में जुटा है तो वह आसानी से धीरे धीरे उसके कपड़े इस तरह अलग कर सकता है मानो वे उसके रास्ते में आ रहे हों।

लड़की का चीर-हरण धीरे धीरे करना चाहिए। अकसर लड़कियाँ ऊपरी कपड़े उतरवाने में ज्यादा संकोच नहीं करतीं पर पहली बार किसी के सामने ब्रा और पैन्टी उतरवाने में शर्म के कारण आपत्ति कर सकती है।
अगर ऐसा होता है तो पुरुष को लड़की की इच्छा की कद्र करनी चाहिए और रुक जाना चाहिए। इस समय वह खुद अपने आप को निर्वस्त्र कर सकता है। कुछ लड़कियों को रोशनी में नंगा होने से संकोच होता है तो उजाला कम कर देना चाहिए… पर बिलकुल अँधेरा ठीक नहीं है।

हालाँकि मेरा यह मानना है कि सच्चा पुरुष वही है जो स्त्री की इच्छाओं की कद्र करे और उसकी भौतिक कमजोरी का नाजायज़ फ़ायदा ना उठाये। पर यह भी सही है कि पुरुष को दृढ़ता से वे सब काम करने चाहिए जो कि उचित और ज़रूरी हों। अगर लड़की को ज्यादा ही संकोच या आपत्ति हो तो उसे अपना हक़ जता कर या ज़रूरत हो तो थोड़ा बल इस्तेमाल करके लड़की को सही मार्ग पर लाना चाहिए। इसका मतलब यह कदापि नहीं है कि लड़की का जबरन देह शोषण किया जाये …. आशा है पाठक मेरा उद्देश्य समझ गये होंगे।

जारी रहेगा।

शगन

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