राजा का फ़रमान-5
कहानी का पिछला भाग: राजा का फ़रमान-4
मैं मदमस्त हुई अपनी जवानी का रस लुटा रही थी.
अब मैं भी मज़े लेने लगी थी; मेरे अंदर की छिपी राण्ड अब बाहर आकर अंगड़ाइयाँ लेने लगी थी… मेरी आहें दरबार में गूँज रही थी..
कि तभी अचानक राजा ने लण्ड निकाल कर मेरी गाण्ड में पेल दिया.
राजा अब झड़ने वाला था… राजा ने एक झटके से अपना लण्ड फिर मेरी चूत में पेला और झड़ने लगा…
आगे बढ़ कर मेरे होंठ चूसने लगा… उसने मेरी चूचक मसले … और मेरे अन्दर ही झड़ गया… उसके बाद वो मुझ पर से हट गया ..
उसने सिपाहियों को मुझे खड़ा करने को बोला.
मैं कामरस में भीगी हुई थी, मेरे से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था.
जैसे तैसे मैं सिपाहियो के सहारे खड़ी हुई।
हवा में कामरस की खुशबू मुझे और चुदने को मजबूर कर रही थी…
सभी मर्द मुझ पर हंस रहे थे, मेरी बेबसी का मजाक बना रहे थे, राजा ठहाके लगा रहा था…
कि तभी मुझ पर जोर से पानी फेंका गया..
मेरी आधी बेहोशी चूर चूर हो गई, मेरे जिस्म से काम रस हट गया..
मेरा गोरा जिस्म सबकी निगाहों में चमकने लगा..
मेरे गीले बाल मेरी चूचियों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रहे थे.
मेरे थरथराते होंठ पानी से भीग कर कई लण्डों को आमंत्रित कर रहे थे.
मेरी चमकती गाण्ड चुद कर और चौड़ी हो गई थी.
मेरी हालत देखने लायक थी.
सभी सभासद मेरा आँखों से चोदन कर रहे थे..
मैंने अपने हाथों से अपने लाल चूचों और बहती चूत को छिपाने की कोशिश की..
कि तभी दो सिपाही आए और मेरे जिस्म से मेरे हाथों को अलग कर अलग अलग दिशा में थाम लिया।
मैं नंगी खड़ी जमीन में गड़े जा रही थी!
सब मंत्री खड़े होकर मुझ पर थूकने लगे और ठहाके लगा कर हंसने लगे.
एक सिपाही दो लट्ठ लेकर आया, मोटे-मोटे लट्ठ, जो लंड से कई गुना बड़े और मोटे थे।
एक मेरी चूत में और दूसरा मेरी गाण्ड में घुसा दिया गया..
दर्द के मारे मैं चिल्लाने लगी.
तभी एक कसाई को बुलवाया गया. ताकि वो मेरे चूचे और ज़बान काट सके.
कसाई अपने औज़ारों की धार तेज कर रहा था..
वो मेरे करीब आया और काटने के लिए उसने अपनी कटार उठाई.
कि तभी पीछे से आवाज़ आई..
राजा- रुको!
सभी सभासद बातें बनाने लगे- यह क्या हो गया .. चिकने बदन पर राजा फिसल गया!
राजा- इस लड़की ने जितना दर्द सहना था, सह चुकी … और ऐसा नहीं कि इसने सिर्फ दर्द सहा… इसने सिपाहियों के हाथों से मसले जाने पर आहें भी भरी.. और अपनी चूत की मादक सुगंध सूंघ कर यह भी चुदने को बेताब हुई.. इससे यह साबित होता है कि लड़की में जिस्म का गुरूर जरूर है.. पर यदि इसे ठीक ढंग से गर्म किया जाये तो यह 8-10 लड़कियों का मज़ा एक ही बार में दे सकती है… इसलिए मैं इसकी चूत, गाण्ड सिलने का आदेश वापिस लेता हूँ और लड़की पर छोड़ता हूँ कि वो मेरी सबसे प्यारी रखैल बनना चाहती है या गली मोहल्ले में नंगी घूमने वाली रंडी? या फिर किसी टुच्चे की रखैल बन कर अपनी जवानी बर्बाद करना चाहती है और नौकरानी बने रहना चाहती है सारी ज़िन्दगी..!!!
मैं राजा के हाथ लुट चुकी थी और कई मर्द मुझे अब भोग चुके थे… राजा की बाकी दासियों की तरह मैं भी उसके लण्ड की दीवानी हो चुकी थी..
इसलिए मैंने उसकी रखैल बन कर रहना मंज़ूर किया।
अब राजा हर रात मेरे साथ गुज़ारता, मैं हर वक़्त नंगी रहती.
मेरी अन्तर्वासना हर समय जागृत रहती.
राजा जब आता, तब मुझे चोदता!
मेरे जीवन में अब वासना.. काम .. चुदाई.. लंड के सिवा कुछ नहीं रह गया था.
समाप्त!
कैसा लगा मेरा स्वप्न?
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