राधा और गौरी-2
प्रथम भाग : राधा और गौरी-1
से आगे-
‘कुछ नहीं अंकल, चोद डालो, मम्मी तो बस यूं ही शोर मचाती है.’ गौरी ने लण्ड को भीतर घुसते देख कर अपनी प्यारी सी योनि अपने हाथों से दबा डाली. मैंने अपना पूरा जोर लण्ड पर डाल दिया और लण्ड चूत में घुसता चला गया. राधा के मुख से सिसकारियाँ निकलती चली गई. मैंने देखा तो गौरी भी अपने कपड़े उतार कर अपनी चूचियाँ मल रही थी, एक अंगुली अपनी चूत में डाल रखी थी और आहें भर रही थी. मेरा मन तो गौरी को देख कर भी ललचा रहा था. साली भरपूर जवानी में अभी-अभी आई थी… मन कर रहा था उसे भी पटक कर चोद डालूँ.
‘गौरी अब तो तू जा ना!’
‘मम्मी, अब चुद भी लो ना, मुझे मजा आ रहा है. अंकल, भचीड़ लगाओ ना… मेरी मां को चोद दो ना!’
‘अच्छी तरह से देख ले गौरी! अपनी मां को चुदते हुये, है ना मस्त चूत तेरी मां की!’
मैंने राधा को चोदना आरम्भ कर दिया था. वो गौरी को देख कर शरमा रही थी. इसके विपरीत गौरी बेशर्मी से मेरे सामने खड़ी हो कर अपनी चूत खोल कर अपनी दो अंगुलियों को चूत में डाल कर अन्दर-बाहर कर रही थी. कभी-कभी जोश में आकर अपनी अंगुली में थूक लगा कर मेरी गाण्ड में भी घुसा देती थी.मुझे भी वो मस्ती दे रही थी. मुझसे गौरी का सेक्सी रूप नहीं देखा गया तो मैंने उसे राधा के पास लेटा दिया और राधा की चूत से लण्ड निकाल कर गौरी की चूत में डाल दिया.
‘प्रकाश पहले मुझे चोदो…’ राधा मन ही मन जल उठी.
‘नहीं अंकल, मुझे चोदो… जानदार लण्ड है… चोदो मुझे…अह्ह्ह्ह्ह!’ गौरी मचल उठी.
मैं बारी-बारी से दोनों की चूत में लण्ड पेलने लगा. गौरी की चूचियाँ कड़ी और मांसल थी. जबकि राधा की छातियाँ उम्र के हिसाब से थोड़ी सी ढली हुई थी, पर थी मस्त. कुछ ही देर में मेरा वीर्य छूट गया पर राधा और गौरी प्यासी रह गई थी. मैं दोनों को चोद कर हाँफ़ने लग गया था. पसीने पसीने हो गया था. दोनों मुझे ललचाई नजरों से देखने लगी थी. राधा ने गौरी को कुछ इशारा किया और फिर वो अन्दर चली गई. गौरी मुझसे छेड़ खानी करती रही और उसने मुझे फिर से उत्तेजित कर दिया. गौरी ने जल्दी से अपने आप को सेट किया और अपनी टांगें ऊपर उठा ली. मैंने तुरन्त आव देखा ना ताव, गौरी की चूत में लण्ड पेल दिया और फ़टाफ़ट धक्के लगाने लगा. गौरी तो वैसे ही चुदने के लिए प्यासी हो रखी थी, सो कुछ ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
फिर गौरी अन्दर जाकर राधा को बुला लाई. वो तो अभी तक नंगी ही थी, सीधे ही वो बिस्तर पर चढ़ गई और अपने चूतड़ ऊपर करके घोड़ी बन गई.
‘प्यारी सी गाण्ड है!इसे ही चोद दूं क्या?’ मैंने उसकी प्यारी सी गाण्ड देख ललचाई नजरों से देखा.
‘ऊँ हु… पहले चूत…’ राधा ने पहले अपनी तड़पती चूत को प्राथमिकता दी.
‘ओह… तो ये लो!’ मैंने अपना कड़क लण्ड हिलाया और उसे उसकी चूत में घुसा डाला.
गौरी मेरे पीछे बैठी मेरी पीठ सहलाने लगी. जब लण्ड चूत में घुस गया तो मैंने चोदने की रफ़्तार तेज कर दी. गौरी मेरे चूतड़ों को दबाने और मलने लगी. मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी. वो नीचे से मेरी गोलियाँ पकड़ कर धीरे धीरे मलने और खींचने लगी. मैंने जोश में गौरी के स्तन थाम लिए और गौरी ने राधा के!
गौरी मुझे चूमती भी जा रही थी. बीच में उसने राधा की गाण्ड में अंगुली भी कर दी. राधा चरम सीमा पर पहुँच गई थी. अन्त में राधा एक चीख मारी और झड़ने लगी. मुझे निराशा हुई कि अब मेरा क्या होगा?
गौरी ने राधा की गाण्ड की ओर इशारा किया. मैंने बिना समय गंवाए लण्ड को राधा के गाण्ड की छेद पर रख दिया. गौरी ने उसकी गाण्ड हाथों से खोल दी. गाण्ड का छेद खुल कर बड़ा हो गया. मैंने अपना लाल सुपारा उस छेद में आराम से डाल दिया. मैंने अपनी रही सही कसर उसकी गाण्ड में निकाल दी. खूब जोर से पेला उसकी गाण्ड को… अपना सारा रस उसकी गाण्ड ने भर दिया.
हम तीनों अब बिस्तर पर आराम से अधलेटे पड़े थे, गौरी कह रही थी- अंकल, प्लीज, जब आप फ़्री हों तो आ जाया कीजिये… हम दोनों आपका इन्तज़ार करेंगी.’
‘गौरी, इनको तो अब आना ही पड़ेगा ना, जब भी आयेंगे, हम दोनों को चोद जायेंगे, है ना?’ राधा ने कसकती आवाज में कहा.
‘तो अब मैं जाता हूँ, राधा की इच्छा पहले है… इनकी जब इच्छा हो मुझे मोबाईल पर बता दे!’ मैंने भी नखरा दिखाया.
‘इस मोबाईल से?… ठीक है!’ राधा इतरा कर बोली.
राधा ने मोबाईल लिया और मुझे फोन लगा दिया. मैं फोन की रिंग से चौंक गया. मैंने तुरन्त मोबाईल जेब से निकाला और कहा- हेलो… कौन?’
‘मैं राधा…!’
मैंने राधा की ओर देखा और तीनों ही हंस पड़े.
‘तो मैंने मोबाईल कर दिया!’ फिर मुझे मुस्करा कर तिरछी नजर से देख कर आंख मार दी.
‘तो फिर आओ… आपकी इच्छा पहले!’ मैंने राधा को फिर से अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर की ओर बढ़ चला.
‘अंकल, इसके बाद मेरी गाण्ड चोदनी है, याद रखना!’ गौरी ने मुझे याद दिलाया.
मैं पीछे मुड़ कर हंस दिया और उसे आँख मार कर मेरी सहायता करने का इशारा किया. गौरी हंसती मचलती हुई हम दोनों के पीछे खिंचती हुई चल पड़ी.
प्रेम सिंह सिसोदिया
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