परोपकारी बीवी-2

(Propkari Biwi-2)

जवाहर जैन 2011-09-14 Comments

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जवाहर जैन
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नमस्कार। मेरी बीवी स्नेहा के सहयोग से अब मुझे उसकी सहेली व हमारे पड़ोस में रहने वाली अलका को चोदने को मौका मिलने वाला है, इस सोच के साथ आज मैंने स्नेहा को डट कर चोदा। अलका को मैं चोदूं, इसकी रिक्वेस्ट स्नेहा ने हमारी आज की चुदाई शुरू होने के पहले ही कर ली थी, पर मैंने सहमति चुदाई का पहला दौर निपटने पर ही दी।
यहाँ तक की कहानी आप पहले भाग में पढ़ चुके हैं, अब उससे आगे…

मैं समझ नहीं पा रहा था कि अलका को चोदने का मौका दिलाने पर स्नेहा का आभार कैसे व्यक्त करूं। मैंने बिस्तर पर लेटे हुए ही कहा- स्नेहा मुझे तुम से एक बात पूछने की इजाजत चाहिए।

स्नेहा बोली- हाँ, पूछिए ना।
मैं बोला- जैसे अलका को मैसी साहब से सैक्स में संतुष्टि नहीं मिलती तो उसने तुमसे कहकर मुझसे सैक्स करने की इच्छा जताई, पर क्या सैक्स में मैं तुम्हे संतुष्ट कर पाता हूँ? या तुम्हें भी किसी और से सैक्स करने की इच्छा होती है? यदि ऐसा है तो मुझे बताओ, तुम्हारा जिससे मन होगा, मैं उससे तुम्हें मिलवाने का प्रयास करूँगा।

बिस्तर पर मेरे ही बाजू से नंगी लेटी स्नेहा अब मेरे ऊपर आ गई और कमर तक फैले अपने खुले बालों को मेरे चेहरे से लेकर सीने तक ढकते हुए मेरे होठों को अपने होंठों की गिरफ्त में लेकर बोली- आज आपको अचानक यह पूछने की जरूरत क्यूं पड़ी?

मैंने कहा- स्नेहा, तुम बहुत सुंदर हो और तुम्हारा डीलडौल व बाडी शेप किसी बुढ्ढे का लौड़ा भी खड़ा कर देने का दम रखता है। शादी से पहले गांव के लड़के क्या अधेड़ भी तुम्हारी एक झलक देखने को बेताब रहते थे। यहाँ मेरे कई दोस्त भी काम का बहाना करके घर में आ जाते हैं, तो इतने सारे लोगों में कोई तो होगा जिससे तुम्हें सैक्स करने की इच्छा होगी। मुझे बताओ ताकि मैं उसे तुमसे मिलाने की व्यवस्था कर सकूँ।

स्नेहा बोली- जस्सूजी, आपको एसा कब लगा है कि मैं किसी और से सैक्स करने में रुचि ले रही हूँ या सैक्स में कभी आपने मुझे बीच में छोड़ा हो जिससे मैं आपसे और चोदने कह रही हूँ?

मैं बोला- अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ है पर यदि तुम्हारे मन में कोई इच्छा है तो बताओ ना।

स्नेहा मेरे ऊपर चढ़े हुए ही नीचे सरकी और अपने चूतड़ मेरे घुटने पर लाकर बैठ गई, इससे मेरा लंड उसके मुँह के पास आ गया। मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर उसे पुचकारते हुए बोली- यह मेरा प्यारा-प्यारा गुड्डू है ना ! इसके सही सलामत रहते हुए मेरी पुसी व मुझे किसी और की जरूरत नहीं है। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

स्नेहा के ऐसे प्यार से मेरे लौड़ा फिर उछलने लगा तो हम लोगों ने फिर चुदाई की।

सोते समय स्नेहा बोली- कल अलका से बात करने बाद उसे कब चोदना है, यह आपको बताऊँगी।

दूसरे दिन हमारी पहली शिफ्ट थी तो मैं व मैसी साहब सुबह ड्यूटी पर निकल गए। पूरे दिन मेरे मन में अलका का ही चेहरा घूमता रहा। दोपहर को जब हम लौटकर घर आए तो स्नेहा रोज की तरह गेट पर ही मेरे इंतजार में खड़ी थी, आज उसके साथ अलका भी थी। दोनों बात कर रही थी।
मैंने अलका को विश किया, मैसीजी अलका से बोले- क्या बात है, आज बाहर खडी हो?

अलका भी स्नेहा की तरह गाड़ी से उनके टिफिन का बैग उतारते हुए बोली- आप भी तो बाहर से ही आ रहे हैं ना, आपके ही इंतजार में खड़ी थी।

मैसीजी बोले- मेरा इंतजार कर रही थी? अब क्या हुआ?
अलका स्नेहा को बोली- देखा आपने… यदि मैं इनका इंतजार करूं तो उसमें भी सवाल होगा।

मैं अपनी गाड़ी अंदर खड़ी कर चुका था और हम दोनों हाथ पकड़े घर के अंदर आ गए। स्नेहा भीतर पहुँचते ही बोली- देखा आपने, कैसे बोलते हैं बिचारी से।

मैंने कहा- वह आज तुम्हें देखकर अपने पति के लिए गेट पर रूकी हैं, ऐसे में यदि मैसीजी उनसे यह पूछ रहे हैं तो कोई गलत थोड़े ही कर रहे हैं।

अब स्नेहा मुझे बोली- आप सब मर्द लोग न औरतों से बस अपना ही काम करवाओगे।
मैं बोला- ओ मैम, छोड़िए ये सब, क्या बात हुई वो बताइए?
स्नेहा बोली- मैंने जैसे ही अलका को आपके रजामंद होने के बारे में बताया अलका तो ने मुझे गले से लगा लिया, कहने लगी कि मैं सोचती नहीं थी कि मेरी इतनी बड़ी समस्या तू इतनी जल्दी हल कर देगी।

मैं बोला- सही बोली, यदि तुम नहीं बोलती तो मैं अलकाजी को घास भी नहीं डालता।

स्नेहा बोली- छोड़िए ना वो सब। अब आपको इस ऑफ के बाद प्लांट में कोई काम बताकर अपनी शिफ्ट चेंज करवानी है। अगले हफ्ते मैसीजी की नाइट शिफ्ट होगी। तब आप अलकाजी को रात भर में खुश कर देना, फिर फर्स्ट या सेकेंड शिफ्ट ड्यूटी कर लेना।
मैंने कहा- तुमने तो पूरा योजना बना रखी है।
स्नेहा बोली- यह मेरी नहीं, अलका की योजना है।

इस तरह छुट्टी के बाद अगले वर्किंग डे से हमारी नाईट शिफ्ट लगी, मैंने काम का बहाना बताकर अपनी शिफ्ट चेंज करा ली। इधर स्नेहा और अलका में भी बात होती रही।

आज मैं सेकेंड शिफ्ट करके लौटा। स्नेहा ने मुझे गेट से लिया और बोली- आज आपको अलका के घर में ही सोना है, पर लंबी नींद मत मारना। देर रात या सुबह 4 बजे तक अपने घर आ जाना, क्यूंकि फिर मैसीजी आ जाएंगे।

मैं बोला- उनके यहाँ क्यों? अलका हमारे घर में क्यूँ नहीं आ सकती, और मैं अलका को जब चोदूंगा तब तुम मेरे पास क्यों नहीं रहोगी। स्नेहा बोली- नहीं, आपको अलका को चोदते हुए मैं नहीं देख सकूंगी, फिर मैं मोना को अपने पास ही सुलाकर रखूंगी ना, ताकि वह अपनी मम्मी को आपसे चुदते हुए ना देख सके।
मैं बोला- अच्छा मोना को अलका ने यहाँ भेज दिया है।
स्नेहा बोली- हाँ, मैसी साहब के सामने ही मैं उसे ले आई थी, और खेलते हुए यहीं सो गई।

अब मैं अपने घर आया, व बाथरूम गया, नहा धोकर फ्रेश हुआ। तब तक स्नेहा ने खाना परोस दिया। हम दोनों ने खाना खाया।

फिर मैंने स्नेहा से कहा- जाओ, पूछ लो अलकाजी से !
स्नेहा ने मुझे किस किया और बोली- आज रात को अलका को चोदना, पर फिर मुझे मत भूल जाना।
मैं बोला- फिर वही बात शुरू कर दी तुमने? जाओ मैं नहीं जाता।
अब स्नेहा बोली- मत जाइए, मैं सुबह उन्हें कोई झूठा बहाना बना कर सुना दूंगी।

अब मैं घबराया कि कहीं ये मुझे अलका को नहीं चोदने देगी, तो मेरा लंड उदास हो जाएगा, मैं तुरंत बोला- अरे यार तुम ही पहले मुझे उन्हें चोदने के लिए कहती हो, अब तुम ही बदल रही हो, ऐसे में क्या सोचेगी अलका?

स्नेहा बोली- उन्हें जो सोचना है, सोचें, आप मेरे आदमी हैं, आपको मुझे छोड़कर उनके पास नहीं जाएँगे बस।

कहानी जारी रहेगी।
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