मस्त है यह सानिया भी-4
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हम सब मेरे बेडरूम में आ गए, तब रागिनी ने पूछा- मैं खुद कपड़े उतारूँ या आप दोनों में से कोई?
मैं सानिया की तरफ़ देख रहा था कि उसका क्या मिजाज है। उसे लगा कि मैं शायद उसको कह रहा हूँ कि वो कपड़े उतारे, इसलिए वो रागिनी की तरफ़ बढ़ गई।
रागिनी ने उसकी तरफ़ अपनी पीठ कर दी। जब सानिया उसके कुर्ते की जीप नीचे कर रही थी, रागिनी ने सानिया से हल्के से पूछा- ये आपके पापा है?
सानिया सिटपिटा गई।
उसे परेशानी से बचाने के लिए मैंने कहा- नहीं ! सानिया मेरे दोस्त की बेटी है, अभी मेरे साथ रहेगी। इसका ही मन था कि वो एक बार यह सब देखे।
रागिनी के मुँह से एक हल्का सा सॉरी निकला।
सानिया ने उसकी कुर्ते को खोलने के बाद उसकी शमीज (स्लीप) भी निकाल दी। रागिनी काले रंग की एक साटन ब्रा पहने थी। रागिनी का सपाट पेट देख मैं मस्त हो रहा था। चुचियाँ भी मस्त थी, एक दम ठोस ! 18 साल की लड़की की जैसी होनी चाहिए। मैं उसकी गदराई जवानी को घूर रहा था।
सानिया ने उसके सलवार की डोरी खींची और उसको नीचे कर दिया। उसने काले रंग की जालीदार लेस वाली पैन्टी पहनी हुई थी। पैन्टी में से भी उसकी चूत अपने फ़ूले होने का आभास दे रही थी। सुन्दर सी लम्बी टाँगें, एक दम हल्के-हल्के रोएँ थे जाँघों पर। उसके जवान बदन को मस्त निगाह से देखते हुए मैंने कहा- अब रहने दो सानिया, तुम आराम से देखो बैठ कर, बाकी मैं कर लूँगा।
फ़िर मैंने प्यार से रागिनी को बाँहों में उठाया और बेड पर लिटा उसके ओंठ चूमने शुरु किये। दो मिनट भी नहीं लगे और रागिनी के प्रत्युत्तर मुझे मिलने लगे। सानिया अपने कैप्री-टी-शर्ट में पास ही कुर्सी पर बैठ गई थी। मैंने रागिनी की ब्रा खोल दी और उसकी चूचियों से खेलने लगा। उसकी ठस्स चूचियाँ आजाद हो कर झूमने लगीं। एक बड़े से संतरे के आकार की थी उसकी चूचियाँ, जिन पर भूरे रंग के चुचूक मस्त लग रहा था। मैं उन्हें कभी चूमता, कभी चाटता, कभी चुचूक खींचता, कभी दबाता… मेरे दोनों हाथ भी कभी इधर तो कभी उधर मजा ले रहे थे।
करीब दस मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद मैंने रागिनी की पैन्टी उसकी कमर से खिसकाई, तो उसकी झाँटों भरी बुर के दर्शन हुए। मैंने रागिनी की झाँटों पर हाथ फ़ेरा। उसकी झाँट करीब आधा-पौन इंच की थी। उसकी चूत पर मैंने अपनी ऊँगली घुमाई और अंदाजा लगाया कि सही में उसकी अभी चुदाई ऐसी नहीं हुई है, जैसी आम रन्डी की हो जाती है। अभी भी वो घर का माल ही थी, सूरी ने सही कहा था।
उसकी चूतड़ों का भी मैंने जायजा लिया, गोल-गोल, मुलायम गद्देदार ! उन चूतड़ों को हल्के से मैंने दबाया फ़िर उन पर एक हल्की चपत लगाई।
मैंने उसकी योनि को सूँघा- सुभानल्लाह… क्या जवानी की खुशबू मिली मुझे !
मेरे लण्ड ने एक अँगड़ाई ली, मेरे मुँह से निकला- बहुत मस्त चीज हो मेरी जान !
उसे अब तक चुप देख मैंने कहा- थोड़ा बातचीत करती रहो स्वीटी, वरना मजा नहीं आयेगा।
उसने कहा- ठीक है सर।
मेरे दिमाग ने मुझे उकसाया तो मैं बोला- अब ऐसे सर-सर ना करो। मुझे तुम डार्लिंग कहो, राजा कहो, जानू कहो, ऐसा कुछ कहो।
तो रागिनी बोली- अभी ऐसा सब बोलने की आदत नहीं हुई सर, सॉरी डार्लिंग !
फ़िर बोली- मैं डार्लिंग नहीं बोल पाउँगी, आप मेरे से बहुत सीनियर हैं।
मुझे मौका मिल गया, मैं तो अब रागिनी में सानिया को देख रहा था, सो मैंने कहा- ठीक है, तो तुम मुझे अंकल तो कह सकती हो।
रागिनी मुस्कुराई- ठीक है अंकल।
अब मैंने कहा- रागिनी, आज मुझे अपनी झाँट बनाने दो, इसके तुम्हें मैं 500 रूपए और दूँगा।
वो चुप रही तो मैंने सानिया से कहा- सानिया वो शेविंग किट और पानी ले आओ।
सानिया तुरंत उठ कर चली गई।
वो जब तक आई, मैंने रागिनी को बेड पर तौलिया बिछा उस पर बैठा दिया था। मैंने रागिनी को पहले पलट कर घोड़ी बनने को कहा, फ़िर पीछे से उसकी गाँड और योनि के आस-पास के बाल पहले कैंची से काट कर फ़िर रेजर से शेव कर दिया।
बड़े प्यार से मैंने उसकी झाँट बनाई थी, और सोच रहा था काश एक दिन इस सानिया की झाँट बनाने का मौका मिले तो मजा आए।
मैंने रागिनी को अब सीधा लिटा दिया और साईड से उसकी झाँटों को कैंची से काटने लगा। चूत की फ़ाँक के ठीक ऊपर और चूत की होंठ पर निकले बाल रेजर से साफ़ कर दिए। अंत में मैंने उसकी झाँटों को दोनों तरफ़ से छीलना शुरु किया। सीधा-उल्टा दोनों तरफ़ से रेजर चला कर मैंने उसकी झाँट दोनों साईड से छील दी, और बीच में जो जैसे था छोड़ दिया।
करीब दस मिनट बाद रागिनी की बुर एक दम साफ़ हो चमक उठी थी, उसके बुर के ठीक उपर से जहाँ से लड़कियों की झाँट शुरु होती है वहाँ तक करीब आध इंच चौड़ी एक पट्टी के तरह अब झाँट बची हुई थी। नाप के हिसाब से बोलूँ तो करीब तीन इंच लम्बी और आधा इंच चौड़ी और करीब पौना-एक इंच लम्बी झाँटों से अब रागिनी की बुर की सुन्दरता बढ़ गई थी।
मैंने अपने कलाकारी से संतुष्ट हो कर कहा- देख लो सानिया, यही है, लैंडिंग स्ट्रीप, दुनिया की सबसे ज्यादा मशहूर झाँट की स्टाईल !
रागिनी की भी नजरें मेरे कला की दाद दे रहीं थी।
मैंने कहा- रागिनी, जाओ एक बार फ़िर से चूत धो कर आओ।
वो अपने कटे हुए झाँटों को तौलिए में लेकर बाथरूम में चली गई। सानिया भी शेविंग किट रखने चली गई, तो मैंने अपने कपड़े उतार दिए, और पूरी तरह से नंगा होकर अपना लण्ड सहलाने लगा। मैं सोच रहा था कि कैसे अब सानिया मेरा लण्ड देखेगी।
सानिया पहले लौटी। मुझे नंगा देख थोड़ा हिचकी, पर मैं बेशर्म की तरह उससे नजरें मिला कर लण्ड से खेलते हुए बोला- बैठो, आराम से डेढ़-दो घन्टे तो पेलूँगा ही उसको। अगर तुम्हें बुरा लगे तो तुम चली जाना सोने के लिए। मुझे तो अपना पैसा भी वसूल करना है।
सानिया थोड़ा लजाते हुए कुर्सी पर बैठ गई। रागिनी अब तौलिए से अपनी चूत को पौंछते हुए कमरे में आई और तौलिए को एक तरफ़ फ़ेंक दिया।
मैंने उसको कहा- आओ रागिनी, जरा लण्ड से खेलो, एक बार पहले निकाल दो, फ़िर तुम्हारी चूत चूस कर तुमको भी मजा दूँगा। कोई झिझक मत रखो। अब थोड़ी देर भूल जाओ कि तुम कालगर्ल हो और पैसे लेकर चुदाने आई हो। आराम से सेक्स करो, जैसे प्रेमी-प्रेमिका करते हैं। तुम्हें भी मजा आयेगा और मुझे ही।
वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गई और प्यार से मेरे लण्ड को, जो अभी तक लगभग ढीला ही था, अपने कोमल हाथों में पकड़ लिया। मेरा लण्ड अभी कोई 5″ का था ढीला सा, काला। उसने दो चार बार अपने हाथ से पूरे लण्ड को हल्का-हल्का खींचा और फ़िर मेरे लण्ड के टॉप से चमड़े को पीछे करने लगी। पर चमड़ा तो पीछे टिकता तब जब लण्ड कड़ा होता, सो वो बार-बार आगे आ जा रहा था। मेरे हाथ उसके कंधों तक फ़ैले बालों के साथ खेल रहे थे।
रागिनी ने फ़िर मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। धीरे-धीरे मेरे लण्ड में सुरूर आने लगा, वो अब थोड़ा खड़ा हो रहा था। करीब दो मिनट की चुसाई के बाद मेरा लण्ड ठीक से खड़ा हो गया। उसकी पूरी लम्बाई करीब 8″ थी। रागिनी भी मस्ती से लण्ड चूस रही थी, और मेरे अंडकोष तथा झाँटों से खेल रही थी। लड़की धंधे में नई जरूर थी, पर लण्ड चूसने में उस्ताद थी। मुझे खूब मजा दे रही थी।
मैंने रागिनी की तारीफ़ की- वाह रागिनी ! मजा आ गया ! तुम तो बहुत उस्ताद हो यार ! वाओ, मजा आ रहा है।
रागिनी ने एक नजर मेरे से मिलाई और फ़िर मेरे लण्ड को दोगुने जोश से चूसने लगी।
कोई 7-8 मिनट में मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊँगा। मैं अभी 5-7 मिनट और रुक कर झड़ना चाहता था इसलिए रागिनी को कहा- आअह, अब रुको बेटा। मुझे जोर की सु-सु आई है।
रागिनी ने लण्ड मुँह से बाहर कर दिया। मैं तो थोड़ा समय चाहता था कि लण्ड एक बार थोड़ा शान्त हो ले तो फ़िर चूसवाऊँ ! सो मैं बाथरूम की ओर नंगे ही चल दिया।
बाथरूम में मैं सुन रहा था कि रागिनी और सानिया बात कर रही हैं। रागिनी ने उससे पूछा कि वो कब ज्वाईन करेगी?
तब सानिया ने कहा कि वो सिर्फ़ देखेगी अभी सब।
रागिनी ने कहा- क्यों ? आ जाईए दीदी, आपको भी मजा आयेगा।
पर सानिया ने छोटा सा जवाब दिया- नहीं ऐसे ही ठीक है।
मैं समझ गया कि यह साली सानिया आसानी से नहीं चुदेगी, “साली कुतिया” मैं बड़बड़ाया।
अब तक पेशाब करने के बाद मैंने लण्ड को पानी से धोया और वो अब तक आधा ढ़ीला हो चुका था, जैसा मैं चाहता था।
मैं कमरे में आ गया, बिस्तर पर लेट कर कहा- यहाँ आ जाओ और चूसो, एक पानी निकाल दो मेरा। तुम भी तो नीचे बैठ कर थक गई होगी।
रागिनी ने फ़िर से मेरे लण्ड को मुँह में डाला और शुरू हो गई। मैं अब सानिया साली को उसके हाल पर छोड़ रागिनी से मजे लेने की मूड में आने लगा था।
मेरे मुँह से अनायास निकलने लगा- वाह स्वीटी, बहुत खूब… अच्छा चूसती हो लण्ड, मजा आ गया…
रागिनी ने भी लण्ड मुँह से बाहर करके कहा- थैक्यू, अंकल !
और फ़िर से चूसने लगी।
मैं बोल रहा था- बहुत खूब बेटा, चूसो और खेलो इसके साथ… आज तुम्हें बहुत मजा दूँगा, तुम बहुत अच्छी हो.. थोड़ा हाथ से भी करो रानी…मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि कैसे मर्द को खुश किया जाता है, वेरी गुड… ऐसे ही करो !
रागिनी ने हाथ से लण्ड सहलाना शुरु किया और अंडकोष चाटने लगी- अब ठीक है, अंकल?
मैंने जवाब दिया- हाँ बेटी, बहुत अच्छा… सही कर रही हो.. आआआह्ह्ह मजा आ रहा है, चूस अब और निकाल कर सारा माल चाट जा..!
रगिनी अब जोर जोर से लण्ड चूस रही थी। मैं झड़ने की स्थिति आने पर बिस्तर से उठा और रागिनी को कहा- मुँह खोलो बेटा, सब पी जाओ !
और उसके मुँह में झड़ गया। रागिनी भी सहयोग करते हुए सारा निगल गई, चूस-चाट कर लण्ड साफ़ कर दिया। लण्ड अब हल्के-हल्के ढीला होने लगा।
मेरा पूरा ध्यान अब रागिनी पर था, सानिया को मैंने उसके हाल पर छोड़ दिया था।
मैंने अब रागिनी को कहा कि अब वो आराम से लेटे और मैंने अपनी ऊँगलियाँ उसकी ताजा-ताजा साफ़ हुई चूत पर घुमाई। उसकी चूत एक दम गीली हो गई थी, ऐसा लग रहा था कि पसीज रही हो। मैंने एक नजर सानिया पर डाली, वो एक टक हमें ही देख रही थी, उसकी नजर भी रागिनी की चूत पर थी।
मैं झुका और एक प्यारा सा चुम्मा उसके चूत की फ़ाँक की ऊपर की तरफ़ चिपका दिया- मजा आया रागिनी बेटा?
हल्के से काँपती आवाज में उसने कहा- हाँ अंकल, बहुत ! आप बहुत अच्छे हैं।
मैं अब अपनी जीभ उसकी चूत की फ़ाँक पर घुमा रहा था और नमकीन पानी चाट रहा था। फ़िर मैंने उसके पैरों को फ़ैला कर उसकी चूत खोल ली और उसके चूत तो चाटने-चूसने लगा। रागिनी कभी आह भरती, कभी सिसकती, तो कभी एक हल्का सा उउम्म्म्म् आअह्ह्… उसे मजा आने लगा था।
लड़की चोदते हुए मुझे करीब 25 साल हो गए थे और मैं अपने अनुभव से किसी भी रन्डी को मस्ती करा सकता था। रागिनी तो अभी भी बछिया ही थी मेरे लिए, जब कि मैं एक साँड, जो शायद तब से चूत चोद रहा था जब से इसकी मम्मी ने चुदाना भी नहीं शुरु किया होगा। मैं अब रागिनी को सातों आसमान की सैर एक साथ करा रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने रागिनी की चूत से मुँह हटाया। वो बिल्कुल निढ़ाल दिख रही थी। मैंने उसको तकिये के सहारे बिठा दिया और अपने दाहिने हाथ की बीच वाली ऊँगली चूत में घुसा दी। फ़िर ऊपर की तरफ़ उँगली को चलाते हुए रागिनी के जी-स्पॉट को खोजना शुरु किया, और तभी रागिनी का बदन हल्के से काँपा। मुझे अपने खोज में सफ़लता मिल गई थी। मैंने अपनी उँगली से चूत के भीतर उस जगह कुरेदना शुरु किया तो रागिनी मचलने लगी- आआ अह्ह्ह्ह्ह अंकल ! उउईईईमाँ… इइइस्सस…
अचानक वो छटपटाई और फ़िर एकदम से ढीली हो गई।
कहानी जारी रहेगी, कई भागों में समाप्य !
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