कितने लोगों के नीचे मेरी माँ-1

(Kitne Logon Ke Neeche Meri Maa- Part 1)

मस्त लवड़ा 2009-01-08 Comments

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नमस्कार दोस्तो, आज मैं आपको एक हकीकत बताने वाला हूँ जिसे मैंने कई सालों से अपने दिल में ही छिपा रखा है। यह बात उन कुछ सालों की है जब मैंने बचपन से जवानी में कदम रखा।

मेरा नाम विकास है, मेरे घर में माँ-पिताजी के साथ मेरे एक छोटी बहन रहती थी जो मुझसे तीन साल छोटी थी।

मेरे पापा की ड्यूटी शिफ्ट में होती थी तो महीने के 15 दिन उनकी रात की ड्यूटी होती थी। बात उन दिनों की है जब मैं आठवीं कक्षा में था और मेरी बहन छटी में थी।

हमारा घर थोड़ा अलग-थलग था क्योंकि उस समय हमारे मकान के आस पास कोई घर नहीं बना था तो हमारे में बिजली भी नहीं थी।

हमारे घर एक बड़े भैया आते थे जो कॉलेज में पढ़ते थे और हमें ट्यूशन देते थे, उनका नाम कमल था। वो तो मुझे बाद में पता चला कि वो क्या देते थे। वे मुझे और मेरी बहन को बहुत डरा कर रखते थे तो हम चुपचाप पढ़ने में लग जाते थे।

मेरी माँ, जिसका नाम मधु था, उनकी उम्र 30 साल से भी कम होगी क्योंकि उनकी शादी बहुत कम उम्र में ही हो गई थी, मगर उन्होंने अपनेआप को खूब संवार कर रखा था, उनकी बदनाकृति 34-30-36 होगी, खास बात यह थी कि उनकी गांड बहुत चोड़ी थी जिसे हर कोई मारना चाहता था।

एक दिन जब मेरे पिताजी की रात की ड्यूटी थी तो पिताजी खाना खाकर सात बजे चले गए और हम दोनों भाई-बहन अपनी पढ़ाई करने लगे।

कुछ समय बाद हमारे दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी, तो मेरी माँ ने दरवाजा खोल दिया और दरवाजे खुलते ही कमल भैया अन्दर आ गए, कमल की उम्र करीब 24 वर्ष होगी और आते ही उन्होंने हमें खुद ही पढ़ने को बोल दिया, क्योंकि मेरी माँ रसोई में थी, वो रसोई में ही चले गए।

थोड़ी देर के बाद मुझे मेरे माँ की आवाज सुनाई दी- अभी नहीं प्लीज़!

तो मैं आहिस्ता से रसोई में गया और छिप कर देखने लगा। कमल ने मेरे माँ की साड़ी पीछे से उठा रखी थी और वो उनकी गाण्ड पर अपना हाथ फेर रहा था। क्योंकि मुझे तब तक ज्यादा यह सब पता नहीं था तो मैं उनके सामने अंदर चला गया और बोला- मेरे मम्मी को छोड़ दो!

मुझे देखते ही कमल ने माँ की साड़ी छोड़ दी और मेरे मम्मी बहाना बनाते हुए बोली- बेटा, मेरे घुटने में दर्द हो रहा था, तो ये उसकी मालिश कर रहे थे।

कुछ देर बाद कमल ‘रात में आता हूँ!’ कह कर चला गया और मेरी माँ ने हम लोगों को खाना खिला कर सुला दिया। लेकिन क्योंकि मुझे पता था कि कमल रात में आयेगा तो मैं सोया नहीं।

रात में करीब 11 बजे फिर से दस्तक हुई, मेरी माँ ने चुपके से उठ कर दरवाजा खोला और कमल धीरे से अन्दर आ गया।

अंदर आते ही उसने मेरे माँ से कहा- आज तो बाल-बाल बच गए!

और मेरी माँ को गले से लगा लिया। मेरी माँ उसे अपने से हटाते हुए बोली- रुको ना! पहले तसल्ली कर लूँ कि ये शैतान सोये हैं या नहीं!

और हमें देखने आई। मैंने सोने का नाटक कर लिया और वो निश्चिंत हो गई। क्योंकि हमारा घर में एक कमरा और एक रसोई ही थी तो मैं और मेरी बहन बैड पर सोये थे। थोड़ी देर में मेरे माँ ने नीचे एक गद्दा बिछा दिया और उस पर बैठ गई। कमल अब भी खड़ा था।

इतने में मेरी माँ ने कमल का लण्ड कपड़ों के ऊपर से पकड़ लिया और बोली- आजकल यह बहुत परेशान करता है न तुम्हें? आज इसे मैं ठीक कर दूँगी।

और यह कहते हुए कमल की पैंट उतार दी।

कमल वैसे तो दुबला-पतला था लेकिन उसका आठ इंच का लण्ड बहुत ही भयंकर लग रहा था लालटेन के रोशनी में!

मधु ने उसके लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी।

अब कमल के मुंह से आवाज आने लगी- आह्ह्ह्ह… मधु! मेरी जान! और! और!

वह मधु के बाल सहलाने लगा। कुछ देर बाद कमल ने अपना लण्ड उसके मुंह से निकाला और मधु के दूधों को उसके ब्लाऊज़ से बाहर निकाल लिया। मधु ने अभी भी अपनी साड़ी पहन रखी थी।

कमल ने उसकी साड़ी को ऊपर उठाया और उसकी बुर को चाटने लगा और एक हाथ से वो मधु के दूध दबाने लगा।

थोड़ी देर में ही मधु बोली- कमल! मुझे ठंडा कर दे! अब और मत सता!

मधु का पानी निकल रहा था और कमल उसे चूस रहा था। मधु भी उसके लण्ड को हाथ से सहला रही थी। अब मधु ने अपनी दोनों टांगें ऊपर कर ली और बोली- आओ अब!

कमल ने भी उसकी टांगों के बीच बैठ कर अपना लण्ड फ़ंसा दिया मधु की बुर में और जोर-जोर से चोदने लगा। मधु के मुंह से आवाज आने लगी- धीरे-धीरे!

लेकिन कमल कहाँ रुकने वाला था, कमल ने मधु को वैसे ही आधे घण्टे तक चोदा। बीच-बीच में वो उसके दूध को चूसने लगता था।

30 मिनट बाद कमल ने अपना पूरा पानी मधु की चूत में डाल दिया और उसके ऊपर निढाल हो गया।

दोनों कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहे, फिर मधु ने उसे अपने ऊपर से हटाया और उसके लण्ड को फिर से तैयार करने लगी।

लेकिन कमल का मूड नहीं था, उसने बोला- मैं थक गया हूँ।

मधु कहाँ मानने वाली थी, उसने उसके लण्ड को फिर से तैयार कर के उसे अपनी गाण्ड से सटा लिया।

अब कमल भी मूड में आ चुका था, उसने मधु को घोड़ी स्टाइल में किया और उसके ऊपर चढ़ गया।

इतने में मधु बोली- वो वैसलीन ले आओ!

कमल ने झट से वैसलीन अपने लण्ड और मधु की गाण्ड में लगाई और अपने 8 इंच के लौड़े को ऐसे गाण्ड मे घुसाया जैसे मक्खन में छुरी!

कमल ने मधु की गाण्ड खूब बजाई और अपना पानी उसकी गाण्ड में ही डाल दिया। दोनों ऐसे ही कुछ देर तक लेटे रहे, फिर मधू ने बोला- आज के लिए काफी है सर!

यह पूरा कार्यक्रम मैंने अपने आँखों से देखा है।

आगे की कहानी बाद में…
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