एक गाँव की अदभुत कहानी

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एक था गाँव जिसका नाम था लादपुर, बहुत ही छोटा सा गाँव था, बस 30-35 घरों का बसेरा था। करीब 150 लोग रहते थे उस गाँव में। गाँव से दस किलोमीटर की दूरी पर ही शहर था, मगर शहर के शोर-गुल से परे था। बहुत ही शांत और खूबसूरत गाँव था लादपुर। वहाँ के मर्द सुबह-सुबह ही काम पर निकल जाते थे, कुछ शहर की तरफ और कुछ खेतों की तरफ। औरतें घर का काम-काज करती। गाँव में ही एक छोटा सा स्कूल था जहाँ सातवीं तक पढ़ाया जाता था। जो लड़के लड़कियाँ सातवीं तक पढ़ाई ख़त्म कर चुके थे, उन्हें अब बस कोई काम धंधा तो था नहीं, बस ऐसे ही घूम-घाम कर दिन गुज़ारते थे।

उसी गाँव में चार दोस्त रहते थे- दीनू, हरिया, असलम और कल्लू।

चारों जवानी में कदम रख चुके थे.बस उनके दिमाग़ में 24 घंटे सिर्फ़ औरत-औरत-औरत होती थी। मम्मे, चूत, गाण्ड, लौड़ा, चुदाई बस यही सब उनकी ज़िंदगी बन गई थी। हर लड़की उन्हें एक चुदाई-मशीन लगती थी बस और कुछ नहीं !

चारों चुदाई के लिए इतना तरस रहे थे कि उन्हें अपनी माँ ,बहन, भाभी के बारे में भी गंदी-गंदी बातें करने में भी कोई शर्म नहीं आती थी। कभी-कभी शहर जाकर फिल्म देखना और वहाँ से गंदी-गंदी कहानियाँ और तस्वीरों वाली किताबें खरीदना उनका शौक़ था।

एक दिन ऐसे ही झाड़ियों में बैठकर लौड़ा लंगोटी में से हाथ में लेकर मुठ मारते हुए बतिया रहे थे यह चारों चोदू यार !

असलम : अबे सालो, कल जो देखी थी “जिस्म” कसम से क्या पिक्चर थी ! बिपाशा का तो दीवाना हो गया मैं यार !

हरिया : हाँ रे ! असलम सही कहता है, उस मादरचोद जॉन की तो निकल पड़ी, कैसे उसे समंदर के पास नीचे लिटा कर उसके लौड़ा को चूत में लेकर घोंटती है ! मेरा तो लौड़ा तन के बांस हो गया था।

कल्लू : हरिया, तेरा तो लौड़ा तन कर बांस हो गया था मगर मेरा तो उस छिनाय के जलवे देखकर वहीं पानी निकल गया ! आअहह !

दीनू : कल्लू, मेरी हालत तो मत पूछ ! मेरा तो दिल किया कि मैं पर्दे में घुस जाऊँ और उस रांड बिपाशा की चड्डी चीर कर उसकी चूत और गाण्ड चाट लूँ !

असलम : क्या चूत होगी उस सुअरनी की ! काली-काली झांटों से भरी, रस टपकाती ! अम्म ! सोचकर ही मेरे मुँह में पानी आ रहा है।

कल्लू : तुझे कैसे पता कि उसकी चूत झांटों से भरी होगी?

हरिया : अबे चोदूमल ! वो बंगालन है और जहाँ तक मैंने सुना है बंगाल की औरतें चूत, गाण्ड और बगल के बाल नहीं काटती। झांटों की मदद से वो मर्दों को रिझाती हैं।

कल्लू : इसका मतलब रानी मुखर्जी की बगल, चूत और गाण्ड में भी झाँटें होंगी? हाय मैं मर जाऊँ ! एक बार दर्शन हो जाए रानी की चूत के तो बस मैं गंगा नहा लूँ !.

दीनू : हाँ यार, मुझे भी चूत और गाण्ड पर बालों वाली औरतें बहुत पसंद हैं, बालों की वजह से पसीना ज़्यादा आता है और उसकी बदबू मुझे पागल कर देती है। बिपाशा की काली चूत में भी बाल होंगे, वो बाल कितने खुशकिस्मत हैं कि उन्हें 24 घंटे बिपाशा की चूत सूंघने और चाटने का मौका मिलता है। काश मैं भी बिपाशा की चूत का एक बाल होता !

असलम : दीनू, काली चूत तो तेरी माँ की भी है, साली सुबह-सुबह जब पानी भरने आती है तो क्या गाण्ड मटका-मटका कर चलती है। क्या तूने देखी है कभी अपनी माँ की गाण्ड?

दीनू : हाँ एक बार देखी थी, जब मैं खेतों में गया था, माँ संडास करके चूतड़ धो रही थी, मैं झाड़ियों में छुप कर देख रहा था। बहुत ही प्यारी है मेरी माँ की गाण्ड, चूत पर बाल थे या नहीं, देख नहीं पाया मगर गाण्ड तो बहुत प्यारी लगी मुझे। मैने फिर बहुत बार कोशिश की माँ को संडास करते हुए देखने की, पर माँ ऐसी जगह बैठती थी कि देखना मुश्किल होता था।

कल्लू : दीनू, तेरी बहन कजरी के भी मम्मे निकल आए हैं, साली अभी बड़ी हो रही है मगर मम्मे जैसे चुदी-चुदाई रंडी के हों !

हरिया : हाँ रे दीनू ! तेरी बहन कजरी को तो चोदने का बहुत मन करता है, उसकी कुँवारी फ़ुद्दी की खुशबू क्या होगी ! चूत तो बहुत कसी हुई होगी तेरी बहन कजरी की ! और गाण्ड के तो क्या कहने ! उस साँवली सी चूत में मुँह मारने को जी कर रहा है। मेरी शादी करवा देना रे उसके साथ, मेरा साला बन जाना !

दीनू: साले, शादी तो मैं खुद अपनी बहन कजरी और माँ के साथ करना चाहता हूँ ताकि ज़िंदगी भर उनकी चूत और गाण्ड में मुँह और लौड़ा मार सकूँ। अगर मैं उनको चोदने में कामयाब रहा तो तुम सब लोगों को भी चोदने दूँगा।

असलम : “ठीक है रे दीनू ! भरोसा है तुझ पर ! पहले तू चोद ले ! फिर हम सब मिलकर एक दिन तेरी माँ-बहन को चोदेंगे।

कल्लू : हरिया, तेरी बड़ी बहन आशा का क्या हुआ? उसके लिए कोई रिश्ता आया था ना, क्या पक्का हो गया?

हरिया : “अरे कहाँ ! उस बहनचोद को 50 हज़ार रोकड़ा, स्कूटर और टीवी दहेज में चाहिए था। हमारी इतनी हैसियत कहाँ ! बापू तो किसी तरह शहर में काम करके घर चला रहे हैं।

असलम : साला ! जाने दे, अकल घास चरने गई थी उसकी ! और लंड तो था ही नहीं उस भड़वे का, जो तेरी बहन आशा से शादी करने के लिए दहेज माँगा। अगर मैं होता ना, आशा जैसी राण्ड कुतिया की चूत और गाण्ड के लिए खुद पैसे देकर शादी करता।

कल्लू : हाँ रे ! असलम सही कहता है, आशा क्या पटाखा है ! चेहरा एकदम सोनाली बेंद्रे, मम्मे अमीषा पटेल, चूत एकदम करीना कपूर के जैसी, कमर शिल्पा शेट्टी, बस रंग ही थोड़ा सांवला है, मगर एक नंबर की राण्ड दिखती है, ऐसा लगता है उसके चेहरे से कि वो एक लण्ड को तरस रही है।

दीनू : हाँ रे हरिया, इतनी छिनाल बहन जिसकी उमर ढलती जा रही है, बिना लंड के कैसे गुज़ारा करती होगी? क्या उसकी चूत और गाण्ड में लंड के लिए खुजली नहीं होती?

हरिया : होती होगी ! मगर बेचारी क्या करे ! भरी जवानी बेकार जा रही है, चूत सूख रही है और मम्मे ढीले पड़ रहे हैं ! पर क्या करे अगर कोई रिश्ता ना आए।

असलम : अरे ऐसे में ही तो भाई काम आता है, तू अपनी बहन को पटा क्यूँ नहीं लेता? तुझे चूत और गाण्ड चाहिए और तेरी आशा को लौड़ा ! बस घर की बात घर में ही रहेगी। मुझे लगता है अगर तू ज़रा कोशिश करेगा ना, तो अपनी बहन की चूत में लौड़ा पेल सकता है। अगर तेरा लौड़ा कम पड़ जाए ना तो हम सब हैं ना तेरी बहन की चूत और गाण्ड की खुजली मिटाने के लिए।

हरिया : लगता है तुम लोग ठीक कह रहे हो, बहुत बार आशा को कपड़े बदलते भी देखा है मैंने ! बहुत ही मस्त माल है, फिल्मों की सारी हेरोइनें भी चूत चाटेंगी उसके सामने ! मगर सग़ी बहन को चोदना पाप है, यह सोच कर मैं चुप रहा। पर अब लगता है उसकी चूत और गाण्ड में लौड़ा पेलने का वक़्त आ गया !मैं आज से ही कोशिश शुरू करता हूँ।

असलम : सच में यार ! इन माँ-बहनों ने तो लौड़े में दम कर रखा है, अब मेरी बात ले लो। जब से मेरा बाप मरा है, मेरी माँ और सौतेली माँ के झगड़े सुन-सुन कर लंड पागल हो जाता है।

कल्लू : वो कैसे?

असलम : झगड़ते झगड़ते ऐसी-ऐसी गंदी-गंदी गालियाँ देती है कि अब क्या बताऊँ? जैसे कि मेरी माँ कहती है- राण्ड साली ! अपनी चूत के जलवे दिखा कर मेरे शौहर को अपनी जाल में फँसा लिया ? तेरी चूत में कुत्ते का लौड़ा ! तेरी चूत में सांड का मूसल !

तब मेरी सौतेली माँ कहती है- चुप हो जा सुअरनी ! तेरी चूत और गाण्ड में दम नहीं था इसलिए वो मादरचोद मेरी चूत को सूंघता हुआ मेरी चूत मारने आया, मगर हाय मेरी किस्मत शादी के दो साल में ही मर गया। अब बता मेरी चूत और गाण्ड कौन मारेगा? तेरा बाप?

यह सब सुन कर मेरा तो लौड़ा ऐसे तन जाता है कि जी करता है दोनों रांडों को वहीं लिटा के चोद डालूँ !

असलम के मुँह से यह सब सुन कर और उसकी छिनाल माओं के बारे में सोच कर चारों ने लौड़ों से अपना-अपना पानी निकाल दिया।

दीनू : असलम, हमारा तो तेरे मुँह से सुनकर ही लंड से पानी निकल गया। अब हम समझ सकते हैं कि यह सब गलियाँ उन भोसड़ियों के मुँह से सुन कर तेरा क्या हाल हुआ होगा !

हरिया : असलम, तू सब को चूत मारने को कहता है मगर तू क्यूँ नहीं मारता? तेरी सौतेली माँ तो चुदने के लिए हमेशा तैयार लगती है, वो खुशी-खुशी अपने सौतेले बेटे का लंड घोंटेगी। चल देर मत कर ! आज से तू भी लग जा अपनी माँ को पटाने में !

कल्लू : तुम सब लोगों की बातें सुन कर बहुत खुशी भी हुई मगर दुख भी हुआ, काश मेरा भी कोई अपना होता, कोई माँ-बहन, भाभी, मौसी या कोई भी तो मैं भी उनको चोदता ! मगर मेरा तो इस दुनिया में कोई नहीं है, मैं तो अनाथ हूँ, जाने किस राण्ड की औलाद हूँ, किस भड़वे का बीज हूँ।

सबने कहा : अरे कल्लू, तू क्यूँ उदास होता है, हम सबकी माँ-बहनें तेरी भी माँ-बहनें हैं, अगर हम कभी उनको चोद पाए तो तू भी ज़रूर चोद लेना उनको। हर औरत जिसको हम चोदेंगे उसे तुझसे भी ज़रूर चुदवाएँगे, जवानी का हर मज़ा हम साथ-साथ लूटेंगे रे रंडी की औलाद ! क्यूँ फिकर करता है? चल अब चलते हैं, भूख लगी है, ज़रा पेट की पूजा करके फिर बैठते हैं।

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