गीत मेरे होंठों पर-4
(Geet Mere Honthon Par- Part 4)
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अब तक आपने पढ़ा था कि गीत बता रही थी कि हम सहेलियां जवान होने लगी थीं. उस वक्त किसी के फोन में जरा सा भी पोर्न देख लेते थे, तब तो पूछो ही मत कि चूत का हाल क्या होता था. मोमबत्ती और उंगलियों से रगड़ रगड़ कर चूत छिल जाती थी और ऐसी भरी उफनती जवानी में हमारी खूबसूरती तो देखते ही बनती थी.
अब आगे:
गीत मुझे बताए जा रही थी कि खूबसूरती का आलम ये था कि जो भी मर्द हमें देख ले, वो हमें चोदने का ख्वाब जरूर देखता रहा होगा. वैसा ही हाल हमारा भी था हमारी चूत भी किसी भी हैंडसम लड़के को देखकर रस बहा देती थी.
अब हमें कॉलेज में प्रवेश लेना था, हम चारों सहेलियों में से मीता ने अपने घर वालों के दबाव में आकर दूसरे कॉलेज में दाखिला ले लिया, जबकि हम तीनों सहेलियां मनु परमीत और मैंने एक ही कॉलेज में दाखिला लिया.
जब हम पहले दिन कॉलेज कैंपस में पहुंचे, तब सबकी निगाहें हम तीनों पर ही आकर रूक जाती थीं. उस समय तक मनु और भी आकर्षक दिखने लगी थी. उसका 34-30-36 का लाजवाब फिगर, भारी कूल्हे, भारी उरोज, गोरी मखमली त्वचा, थिरकते गुलाबी होंठ, मांसल पिंडलियां, कमर तक लटकते सुंदर संवरे लहराते से बाल, मासूम चेहरे पर चमकती पसीने की बूंदें, सामान्य सा सलवार सूट, जिसे मनु सलीके से पहनी होती थी, फिर भी ब्रा की पट्टी जो जिस्म पर धंसी हुई सी रहती थी, उसे महसूस किया जा सकता था. कान में बहुत आकर्षक लटकन, हाथों में ब्रांडेड लेडीज घड़ी, सुंदर सी सैंडल. उसकी ऐसी मदमस्त सजी संवरी जवानी, बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर प्रलोभित कर लेती थी. जो भी उसे देखता, वो उसे रगड़ कर चोदने का ही सपना संजो ही लेता.
दूसरी ओर 5 फीट 8 इंच की और 34-30-34 की फिगर वाली परमीत की स्टाईल बिल्कुल अलग थी. परमीत को स्पोर्ट्स से बहुत लगाव था, इसलिए वो ज्यादातर समय उसी तरह के कपड़े और चाल-ढाल में नजर आती थी. परमीत के उरोज नोकदार और मदमस्त कर देने वाले तो थे ही … और वह टी-शर्ट पहनने की वजह से ज्यादा नोकदार और शानदार लगते थे. परमीत बिंदास भी रहती थी. च्विंगम चबाना और आस्तीन को मोड़ कर कपड़े पहनना उसे बेहद पसंद था. हालांकि कॉलेज में प्रथम वर्ष होने की वजह से थोड़ा नियम से रहती थी, पर उसके स्वभाव में कोई खास परहेज देखने को नहीं मिला.
परमीत के कंधों तक आते छोटे बाल खास अंदाज में बंधे हुए रहते थे. परमीत को देखकर ‘कुछ कुछ होता है..’ फिल्म की अभिनेत्री काजोल की याद आती थी. बस फर्क ये था कि काजोल सांवली थी और परमीत गोरी. आप सभी तो जानते ही हैं कि कम अनुभवी लड़के गोरी लड़कियों की गुलाबी चूत के कैसे दीवाने होते हैं.
ओ..ओए … ओए जनाब अब परमीत के ही ख्यालों में खो जाओगे या मेरे बारे में भी कुछ सुनोगे.
वैसे परमीत और मनु के बारे में ही सुनो तो अच्छा है, क्योंकि मेरे में बताने लायक कुछ खास था भी नहीं.
मुझे मां ने कहा था कि कॉलेज पढ़ाई करने जाना है … तो फैशन के चक्कर में रहना ही मत … और सुन तू पुराने कपड़े ही पहन कर कॉलेज जाया कर.
उस समय 5.5 इंच की हाईट और 32-28-32 के टाईट फिगर के ऊपर झोले जैसा ढीला-ढाला गुलाबी रंग का कुरता और ढीली पजामी पहन कर कॉलेज गई थी. फिर भी पीठ तक आते रेशमी बाल गालों पर आती लटें, दमकता बादामी गोरा रंग, शर्माती लेकिन पलकें झुका कर बिजली गिराती निगाहें, पतले से नाजुक कातिल होंठों की वजह से मुझे देखने वाले लड़कों को अपने पैंट के भीतर ही लंड ठीक करना पड़ रहा था.
कुछ दिनों बाद तो मेरी कमर की लचक, चलने का तरीका और माथे की सुंदर सी चमकती बिंदी देखकर कभी-कभी कुछ शरारती लड़के वो गाना भी गा देते थे.
ना कजरे की धार,
ना मोतियों का हार,
ना कोई किया शृंगार
फिर भी तुम कितनी सुंदर हो …
साथ ही वो मुझसे सुनना चाहते थे.
तुम्ही तो मेरे दिलबर हो …
पर मैं ऐसा कुछ कहने के बजाए, उन्हें दिखावे में गुस्सा करके चली आती थी. सच कहूँ तो उनकी छेड़खानी से मेरी चूत भी गीली हो जाती थी, पर मैं ऐसे ही कहीं भी अपनी जवानी तो नहीं लुटा सकती ना!
लेकिन अब मैंने उनके गाने बंद कराने के लिए काजल लगाना शुरू कर दिया. इससे उनका गाना तो बंद हो गया … पर अब वो मेरे और भी दीवाने हो गए. उन्होंने मेरे मदमस्त नयनों की वजह से मेरा नाम मृगनयनी रख दिया, जो वो मुझे मेरे ना रहने पर कहते थे.
सुंदर लड़की हो, सीधी हो या चंचल कॉलेज के पहले दिन सभी का हाल बुरा होता है. पढ़ाई का डर, रैगिंग का डर, अजनबी माहौल … इस सबको समझने में थोड़ा वक्त तो लगता ही है. कॉलेज के पहले दिन हम तीनों सहेलियां इसी झिझक के साथ हौले-हौले अपना कदम बढ़ा रही थीं.
एक दिन अचानक हमारे सामने तीन लड़के और दो लड़कियां आ खड़ी हुईं और उन्होंने हमें घूर कर देखना शुरू कर दिया. मैं और मनु थोड़ा डरने लगे और परमीत को गुस्सा आने लगा. पर मनु ने परमीत का हाथ दबाकर शांत रहने का इशारा किया.
कुछ पल घूरने के बाद उसमें से एक लड़की, जो एकदम ही माडर्न अंदाज में थी … उसने कहा- चलो फटाफट अपना इंट्रो दो.
उसके ऐसा कहते ही हम थोड़ा और डर गए, पर उन सबके होंठों पर मुस्कुराहट बिखर गई. हम कुछ देर यूँ ही खामोश खड़े रहे.
तभी उस लड़की की सख्त आवाज पुनः हमारे कानों से टकराई- सीधे-सीधे इंट्रो देते हो या फिर बताऊं रैगिंग कैसे होती है?
मनु ने डरते हुए अपना इंट्रो देना शुरू कर दिया और रैगिंग करने वाली लड़की की मुस्कुराहट और भी बेशर्म होने लगी. मनु के बाद मैं भी इंट्रो देने का मन बना रही थी, पर इंट्रो देना आसान नहीं था, क्योंकि वो लोग बीच-बीच में कुछ बोलकर मजाक भी उड़ा रहे थे.
मनु का इंट्रो पूरा भी नहीं हुआ था कि तभी हमारे पीछे से एक आवाज आई- क्यों क्या हो रहा है वहां?
हम तीनों ने किसी टीचर के होने की उम्मीद से पलट कर देखा और उनके चेहरे तो पहले से ही उस आवाज की ओर थे. अब कुछ पल में आवाज लगाने वाली लड़की हमारे करीब आ चुकी थी. ये टीचर तो नहीं थी, पर हमारे स्कूल के समय में हमारी सीनियर थी, जो इस कॉलेज में थी तो सेकेंड ईयर में, फिर भी अपने तेवर के कारण सीनियर हो चुकी थी.
खैर हमें उससे कोई लेना-देना नहीं था, हम तो बस उन लोगों के झुंड से पीछा छुड़ाना चाहते थे. हमारी उस सीनियर का नाम कोमल था.
उन लोगों ने कोमल से कहा- जैसे सबका इंट्रो होता है, वैसा ही इनका भी हो रहा है.
इस बात पर कोमल ने पास आते ही कहा- ये मेरे पहचान के हैं, इनका जो भी इंट्रो लेना हो, वो सब मुझसे ले लेना.
इतना कह कर वो हमारे क्लास की तरफ आगे बढ़ी, वो सारे लोग कुछ ना कह सके. कोमल ने हमें भी साथ चलने को कहा, हमने भी बिना समय गंवाए साथ पकड़ लिया. हम एक दूसरे को जानते थे, पर हमारा कोई खास संबंध नहीं था. लेकिन ऐसे समय में थोड़ी सी भी जान पहचान बहुत फायदेमंद थी.
वैसे कोमल का ऐसा व्यवहार हमें थोड़ा चकित करने वाला भी था … क्योंकि स्कूल के दिनों में परमीत और कोमल की लड़ाई हो गई थी. लेकिन अभी कोमल का नर्म व्यवहार ये साबित कर रहा था कि उसने पिछली बातें भुला दी हैं.
खैर कोमल से हमारी जान पहचान है, इस बात को सभी समझ गए और कॉलेज में लोग हमें परेशान करने के बजाए हमसे दोस्ती करने लगे.
कॉलेज का पहला साल पढ़ाई के अलावा माहौल में ढलने, लोगों को समझने में चला गया. लेकिन इस एक साल के पूरा होते होते हम लोग भी पूरी तरह बदल गए थे. कोमल सीनियर होकर भी हमारी खास सहेली बन गई थी और हम अब फ्रेंक होकर बातें करने लगे थे.
गाली गलौज कर लेना लंड चूत की बातें कर लेना, अब हमारे लिए बहुत बड़ी बात ना रही. हां इन सब में मैं थोड़ा पीछे रहती थी, पर कोमल और परमीत के रहते हमारा ग्रुप भी बिंदास ग्रुप कहा जाता था. लड़कों से हमारी दोस्ती कम ही थी, पर कोमल के कुछ लोगों को लिफ्ट तो देनी ही पड़ती थी. खास कर कोमल के लड़के दोस्तों से हमारी भी दोस्ती हो चुकी थी.
अब वो दिन भी आ गया, जब कॉलेज में वार्षिक उत्सव (एनुअल फंक्शन) मनाना था. सारे सीनियर पंद्रह दिन पहले से ही बहुत मेहनत से उत्सव की तैयारी कर रहे थे. कोमल भी सहयोग कर रही थी और कभी-कभी हम भी कोमल की मदद कर देते थे. हमारी मेहनत रंग लाई और वार्षिक उत्सव भव्य तरीके से मनाया गया.
उस दिन बहुत से लड़कों ने बहुत सी लड़कियों को प्रपोज भी किया, कुछ लड़के लड़कियों की सैटिंग तो पहले से ही चल रही थी और कुछ बेचारे बहुत ज्यादा शर्मीले थे.
मुझे और मनु को भी कई प्रपोजल आए, पर हमने हंस कर मजाक में टाल दिया. वैसे मन तो था कि प्रपोजल स्वीकार लिया जाए, पर प्रपोज करने वाले हमें पसंद नहीं आए. परमीत को भी एक प्रपोजल आया, पर बेचारे को बहुत भला बुरा सुनना पड़ा. शायद कॉलेजों में ये सब आम बात थी, पर हमारे लिए ये अनुभव नया और मजेदार था.
खैर कॉलेज का हमारा सबसे शानदार दिन गुजर चुका था. उसके बाद के दो तीन दिनों तक व्यवस्था को ठीक करने और समीक्षा चर्चा, हंसी मजाक और खर्च का हिसाब करने में निकल गया.
हिसाब करने के बाद सीनियर लीडर ने कहा कि हमारे पास कुछ पैसे बचे हैं, इनका हम जैसे चाहे उपयोग कर सकते हैं.
तो कुछ सीनियर स्टूडेंट्स और काम में ज्यादा हाथ बंटाने वालों ने कहा कि करना क्या है … एक अच्छी सी पार्टी मनाते हैं. अगर उसके लिए कुछ पैसे और भी लग जाएं, वो भी हम इक्ट्ठा कर लेंगे.
इस बात पर सबने सहमति दे दी, लेकिन लड़कियां भी रहें, इसलिए दिन का कार्यक्रम तय किया गया और कॉलेज डे पर ही बंक मारकर प्रोग्राम करना फिक्स हुआ. कोमल की वजह से हमें भी पार्टी में शामिल होने का ऑफ़र मिला और हमने झिझकते हुए हां कह दिया.
सभी लड़के लड़कियां कॉलेज फंक्शन पर तैयारी से तो आए थे, पर कॉलेज में होने की वजह से किसी ने ज्यादा लिमिट क्रास नहीं की थी. पर आज तो सबने हद ही कर रखी थी. कुछ लड़कियां तो घर से कपड़े लेकर आई थीं … क्योंकि वो कपड़े शरीर को नाममात्र ही ढकने वाले थे.
पार्टी एक रईस सीनियर के फार्म हाउस में थी, जहां स्विमिंग और गार्डन के अलावा भी बहुत सी सुविधाएं मौजूद थीं. सबसे पहले म्यूजिक शुरू हुआ. लड़के मचलने लगे, लड़कियां थिरकने लगीं. कुछ लड़कियों ने रूम में जाकर कपड़े बदल लिए और जिसने अन्दर थोड़े बड़े कपड़े पहन रखे थे, उन्होंने वहीं पर ही अपने ऊपरी कपड़े उतार फेंके.
बस एक मैं थी, जो सलीके से कपड़े पहने अपने जींस टॉप पर भी शरमा रही थी. क्योंकि मैं पहली बार ऐसे कपड़े पहनकर कॉलेज आई थी.
सारे लड़कों की नजर मुझ पर ही थी. हो सकता था कि ये मेरा भ्रम ही रहा हो, पर उनकी नजर पड़ते ही मेरे जिस्म में भी हलचल हो जाती थी.
परमीत लाल रंग की शॉर्ट स्कर्ट और काले रंग की गहरे गले वाले टॉप में आई थी. तो मनु ने कैप्री टॉप स्टाईल में अपने कपड़े पसंद किये थे. हम तीनों ही सहेलियां आज नये अंदाज में नजर आ रही थीं.
खाना बनाने वाले अलग से बुलाए गए थे और फार्म हाउस के नौकर चाकर भी हमारी सेवा में लगे थे, इसलिए हमें कोई चिंता नहीं थी.
सभी नाचने में लगे थे, तभी कुछ लोगों ने ज्यादा खुश होते हुए शोर करना शुरू कर दिया और कुछ लोग फार्म हाउस के एक रूम की तरफ लपके. दरअसल वहां बाहर खड़े होकर उस फार्म हाउस के मालिक यानि हमारे रईस सीनियर ने इशारा करके बुलाया था और वो इशारा ड्रिंक यानी दारू के लिए था.
कुछ को छोड़कर सभी लड़के और लड़कियां उस ओर जाने लगे. इसमें हमें ज्यादा आश्चर्य भी नहीं हुआ. हमें भी चलने को कहा गया, पर हमने कभी पी नहीं थी और ना ही पीने का कोई इरादा था, तो हमने उनकी बात को नकार दिया.
वहां सब कुछ ओपन होकर भी पर्दे में चल रहा था, पर ड्रिंक के बाद पहले से सैट लड़के लड़कियां आपस में जुड़ने चिपकने और समय जगह के जुगाड़ में लगने लगे.
ऐसे ही मौज मस्ती के साथ पार्टी चलती रही, फिर बरामदे में स्टाल जैसा बना कर, खाना टेबल पर लगा दिया गया. सबने मस्ती के साथ खाना खाया और फिर कुछ लोग घर की ओर रवाना हो गए और ज्यादातर लड़के लड़कियां अपनी चुदाई कार्यक्रम के लिए चले गए.
आखिर में कोमल की एक सहेली के अलावा मैं, परमीत, मनु और कोमल और वो रईस लड़का, जिसका नाम संजय था और उसका दोस्त संदीप ही उस फार्म हाउस में रह गए.
प्रिय पाठकों यहां में कुछ देर के लिए गीत की बात को रोक रहा हूँ. आप लोग तो जानते ही हैं कि अभी गीत मुझे अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बता रही थी, तो मैं संदीप नाम सुनकर चौंक पड़ा.
मैंने गीत से बीच में ही पूछा- संदीप … संदीप तो मेरा नाम है!
गीत ने कहा- क्यों … एक नाम के दो आदमी नहीं हो सकते क्या? संदीप नाम के उस लड़के ने मेरी जिंदगी बदल कर रख दी थी और सच कहूं, तो मैंने आपका नाम संदीप है, जान कर ही आपसे बात करना शुरू किया.
मैं चुप हो गया.
गीत ने दोबारा से कहना शुरू किया- अब बीच में टोकना मत, पूरी बात सुनो, अब मुझे भी बताने में मजा आ रहा है.
खाने के बाद उस रईस लड़के ने नौकरों को छुट्टी दे दी और हम सब हॉल में बैठ कर गप्पें मारने लगे. ये हॉल बड़ा सा था, चारों ओर एंटीक पीस और मंहगी पेंटिंग्स से सजावट की गई थी. बीच में भूरे कलर का सोफा सेट गोलाकार में लगा हुआ था. उसके सामने टी टेबल थी और हमने अपनी महफिल यहीं जमा रखी थी.
तभी बीच से उठकर कोमल ने ताश की गड्डी निकाल ली और सभी को खेलने के लिए जबरदस्ती करने लगी.
कोमल की इस बात पर संजय ने कहा- बच्चों वाला ताश का गेम मैं नहीं खेलने वाला, कुछ पैसे या शर्त लगे, तो ही पत्ते बटेंगे, वर्ना गप्पें मारकर ही टाईम काट लेते हैं.
कोमल ने तो झट से बात मान ली और कहा कि पैसों का खेल तो जुआरी करते हैं, हमें तो मस्ती करनी है, इसलिए शर्त ही लगाकर खेलते हैं.
मैंने तो किसी भी तरह के ऐसे खेल और शर्त के लिए साफ मना कर दिया और देर होने की बात कहकर जल्दी घर चलने की जिद भी करने लगी.
पर सबने कहा कि ठीक है … तुम भले ही गेम में साथ मत दो, लेकिन साथ में रुक तो सकती हो.
तब मैंने अपनी मौन स्वीकृति दे दी और मनु ने तो मेरे नक्शे कदम पर चलना ही ठीक समझा, लेकिन परमीत को कोमल ने उकसा ही लिया. ऐसे भी परमीत अपने झगड़ालू स्वभाव के कारण चैलेंज वाली चीजों में पीछे नहीं रहती थी, लेकिन आज की शर्त थी कि हारने वाले को एक बार में ही बीयर की बोतल पूरी पी कर खाली करनी होगी और परमीत ने खाना खाने के बाद भी ये शर्त मान ली थी. जबकि दारू पीने वाले ये जानते हैं कि खाना खाने के बाद दारू नहीं पी जाती.
अब मैं और मनु उन्हीं के पास लेकिन थोड़े साईड में बैठे और हमारे अलावा बाकी सभी एक घेरा बनाकर बैठ गए. वो ताश का कौन सा गेम खेल रहे थे, मैं नहीं जानती … पर पहले दौर का खेल लगभग तीस मिनट तक चला. मुझे उसके नियम कानून भी नहीं पता थे, तो हम लोगों ने ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया. लेकिन उनकी बातें और मस्ती भड़कीले और बेहूदा होती जा रही थीं.
वहां पर मेरे और मनु के अलावा एक शख्स और था जो सलीके से था और वो था संदीप. उसके होंठों पर मुस्कुराहट थी और प्रेम भरी उसकी तिरछी नजर मुझ पर ही टिकी थीं.
मुझे ये तो नहीं पता कि मैं अपना दिल हारने लगी थी या नहीं, पर इतना जरूर जानती हूं कि अंत में परमीत ताश के खेल में हार गई थी और उसके हारते ही कोमल ने एक बीयर की बोतल को परमीत के सामने रख दी. मैंने और मनु ने बीयर नहीं पीने के लिए इशारे से परमीत को कहा, पर अब किसी ना नुकुर के लिए बहुत देर हो चुकी थी.
काले रंग की टॉप और लाल स्कर्ट में सुंदर कयामत दिखने वाली परमीत, अब पूरी नशेड़ी नजर आ रही थी. उसने बीयर की पूरी बोतल एक बार में ही खाली कर दी और इस दौरान कुछ बीयर उसके मुँह से बह कर गोरे गाल और उधर से गले से होते हुए लो-कट टॉप के बीच से होता हुए उसके मांसल मदमस्त उभारों को भिगोने लगी. उसे इस हालत में देख कर संजय के लंड में तनाव आने लगा. संजय ही क्यों … उस वक्त तो कोई भी मर्द खुद पर काबू नहीं कर सकता था.
तभी मैंने देखा कि संजय जीभ से अपने होंठों को ऐसे चाट रहा है, जैसे उसे उसका शिकार मिल गया हो. उसने कोमल को कुछ इशारा भी किया और कोमल ने नजरें बचाते हुए हां में अपना सर भी हिलाया.
इधर परमीत ने बीयर खत्म करते ही जोश में कहा- ओए बस इतनी सी शर्त थी, ये तो बच्चों का काम था. कुछ बड़ों वाली शर्त लगाई होती, तो मजा आता.
परमीत ने पहले कभी बीयर नहीं पी थी, हमें पता था कि वो ये सारी बातें हार की चिढ़ में बोले जा रही थी.
परमीत की इस चैलेन्ज भरी बात के जवाब में कोमल ने कहा- ज्यादा डींगें मारना बंद कर … बड़ों वाला चैलेंज लेने की हिम्मत अभी तेरे अन्दर नहीं है.
इस बात पर परमीत और भड़क उठी और उसने तमतमा कर कहा- अरे बोल तो सही … करना क्या है, अभी करके दिखाती हूँ.
कोमल के चेहरे पर कमीनेपन वाली मुस्कान छा गई … और उसने झट से कहा- अगर इतनी ही हिम्मत है … तो चल अभी सबके सामने लंड चूस के उसका पानी पी कर दिखा.
कोमल की बात पर परमीत को झटका लगा और इधर मैं और मनु तो कांप ही गए. मैं झट से परमीत के पास चली गई और बात ना मानने को कहने लगी.
पर परमीत के ऊपर बीयर हर पल अपना कब्जा बढ़ा रही थी और कोमल ने तो शायद शकुनि से बड़ा षड़यंत्र रचा था.
कोमल ने फिर से फिकरा कसा- जा परमीत जा … अपनी सहेलियों की बात मान, अभी बड़ों वाले चैलेंज लेने की हिम्मत तुममे नहीं है.
इस बात पर परमीत आगबबूला हो गई. वो बोल उठी- किसके लंड का पानी पीना है, मैं तैयार हूँ. आज तुम भी ये जान लो की परमीत पक्की सरदारनी है और सरदारनी किसी चैलेंज से पीछे नहीं हटती.
परमीत थी तो सरदारनी ही, चाहे खूबसूरती की बात हो या हिम्मत की, सभी चीजों में आगे थी.
तभी कोमल ने कहा- एक बार फिर सोच ले … कहीं बाद में मुकर गई या हम पर जबरदस्ती का इल्जाम लगाना हो, तो चैलेंज मत ले.
इस पर परमीत ने फिर ताव दिखा कर कहा- मैंने कह दिया, सो कह दिया … मैं पीछे हटने वाली नहीं हूँ, हां तुझे लंड चुसाने वाला नहीं मिल रहा है, तो भले पीछे हट जा.
कोमल ने अपने होंठों पर फिर एक तीखी मुस्कान बिखेरी और कहा- लंड तो तेरे सामने ही हाजिर है … और ऐसा कहते हुए उसने थोड़ा सरक कर संजय के पेंट के अन्दर खड़े हो चुके लंड को ऊपर से ही सहला दिया.
उसने संजय से कहा- क्यों संजय, तुम्हें कोई एतराज तो नहीं?
इस बात पर संजय ने भी बिना वक्त गंवाए जवाब दिया- नेकी और पूछ पूछ … चाहो तो तुम सभी लड़कियां एक साथ मेरा लंड चूस सकती हो.
इस पर कोमल ने कहा- अभी तो तुम केवल परमीत को ही लंड चुसाओ … ऐसे भी तुम्हारा लंड भी उसी के लिए अकड़ रहा है.
उसकी इस बात को सुनते ही मुझे कुछ देर पहले के उनके इशारों का अर्थ समझ आने लगा. मैं समझ चुकी थी कि ये सब अचानक नहीं हो रहा है, पहले से प्लानिंग की हुई साजिश है.
मैंने परमीत को एक बार फिर पीछे हटने को कहा, लेकिन परमीत पर बीयर का नशा हावी हो चुका था और सरदारनी का अपने चैलेंज से पीछे हट जाना असंभव था.
अब वहां बैठे सारे लोग मूक दर्शक बन गए. संजय सोफे में थोड़ा आगे खिसक कर बैठ गया. कोमल उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और परमीत को भी उसके सामने ऐसे बैठाया कि वो लंड आसानी से चूस सके.
अब कोमल ने संजय के पैंट की जिप खोलनी शुरू की और कोमल की सहेली, जो अब तक शांत थी, उसने ताली बजानी शुरू कर दी.
मेरी और मनु की हालत खराब थी, हालांकि हमारी चूत भी कुलबुलाने लगी थी. हम लोगों ने आज तक इतने करीब से किसी मर्द का लंड नहीं देखा था.
पेंट की जिप नीचे खिसकने लगी और हमारी धड़कनें तेज होने लगीं.
फिर जिप नीचे होते ही कोमल ने अपना हाथ अन्दर डाला और संजय के लंड को बाहर निकाल लिया. परमीत को तो जैसे शर्त के बहाने स्वर्ग मिल गया था और हमारी आंखें फटी की फटी रह गई थीं.
परमीत ने उस आधे खड़े लंड को अपने हाथों में संभाला, ये देखते ही कोमल अपनी सहेली के साथ तालियां बजाने लगी. परमीत ने उस सांवले से बड़े लंड को हाथों से सहलाना शुरू कर दिया. मनु और मैं ये दिखाना चाह रहे थे कि हम उधर नहीं देख रहे हैं, पर हमारी नजर थी कि वहां से हट ही नहीं रही थी.
आपको यह कहानी कैसी लग रही है? अपनी राय इस पते पर दें.
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कहानी जारी रहेगी.
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