गाण्ड चुदाई चूत चोदी-1

(Gand Chudai Aur Chut Chodi-1)

आशीष जोशी 2015-05-31 Comments

This story is part of a series:

हैलो ऑल.. आपको आशीष जोशी का नमस्कार.. आशा है आपको मेरी पिछली दोनों कहानियाँ
चार लड़कियों के सामने नंगा होकर मुट्ठ मारी
शीमेल और मेरी गाण्ड
पसंद आई होगी। आज मैं तीसरी कहानी बताने जा रहा हूँ.. जो मेरी दूसरी कहानी से ही जुड़ी हुई है।

जैसे कि मैंने आपको बताया था कि उस दिन मेरा दोस्त और उसकी गर्ल-फ्रेण्ड मेरे घर पर आए थे और उन्होंने मुझे नंगा देख लिया था.. पर उसकी गर्ल-फ्रेण्ड शीतल की शरारती नज़र मुझे कुछ अजीब सी लगी थी। मैं उसी दिन से उसके बारे में सोच रहा था कि अगर मुझे इसकी रजा मिल जाए तो ये बंदी मुझे चोदने को मिल सकती है।

अब इसकी रजामन्दी कैसे ली जाए.. मैं उसके बारे में सोचने लगा.. तो मुझे ध्यान आया कि मेरी कहानी जो यहाँ प्रकाशित होने वाली है.. अगर मैं ये उसे पढ़ने के लिए दे दूँ.. तो मेरी बात बन सकती है।

जब मेरी स्टोरी अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई तो मैंने तीनों भागों के लिंक उसे वॉट’स अप Whatsapp पर भेज दिए।
मैं 2 दिन तक उसके जबाव का इन्तजार करता रहा और फिर तीसरे दिन उसका कॉल आया।
शीतल- हाय आशीष..
मैं- हाय.. हाउ आर यू? तुम मुझ पर गुस्सा तो नहीं हो ना?
शीतल- हा हा हा.. गुस्सा क्यों?

मैं- मैंने तुम्हें सेक्स स्टोरी की लिंक्स भेजी.. इसलिए..
शीतल- अरे नहीं.. उसमें गुस्से की क्या बात.. और तब जब कि मैं तुम्हें पूरा का पूरा देख चुकी हूँ.. डोन्ट वरी.. मुझे गुस्सा नहीं आया.. सिर्फ़ मैं थोड़ी काम में बिज़ी थी..

मैं- ओके.. थैंक गॉड.. कैसी लगी कहानी तुम्हें?
शीतल- ओह.. तुम्हारे साथ तो बहुत बुरा हुआ यार.. मैंने तो सोचा भी नहीं था कि उस दिन इतना सब कुछ हुआ होगा.. वेरी सैड.. मुझे बहुत बुरा लगा कि एक हिजड़े (हिजड़ी) Shemale ने तुम्हारी ले ली.. और वो भी उन सब लोगों के सामने..

मैं- हम्म..
शीतल- आशीष एक बात पूछू.. बुरा तो नहीं मानोगे?
मैं- नहीं शीतल.. पूछो ना..

शीतल- जाहिर है.. तुम्हें बहुत दर्द हुआ होगा.. पर तुम्हें वो उत्पीड़न कैसा लगा.. कुछ तो पसंद आया होगा ना.. कि इतनी सारी लड़कियों के सामने कोई तुम्हें फक कर रहा है..

मैं- पहले तो बहुत बुरा लगा था.. पर दूसरे दिन जब मैंने ठीक से सोचा तो एक चीज़ अच्छी भी लगी कि मैं उन सबके सामने एक हिजड़े से चुदा हुआ हूँ..
शीतल- हम्म.. ग्रुप में ऐसा किसी ने किया तो कुछ मर्दों को अच्छा लगता है.. और एक बात पूछनी है?
मैं- बेझिझक पूछो शीतल..

शीतल- क्या तुम इस शनिवार मेरे घर आ सकते हो?
मैं- क्यों.. कोई काम है?

शीतल- हाँ.. कुछ काम ही है.. उस दिन तुम्हें उस हालत में देखा है.. तब से मैं चाहती हूँ कि तुम्हें एक दिन के लिए मेरे यहाँ बुला लूँ और पूरे दिन के लिए बिना कपड़ों का ही रखूँ.. मुझे तुम्हारी छोटी सी नुन्नू बहुत अच्छी लगी.. मैं भी इसका अनुभव लेना चाहती हूँ.. क्या तुम आ सकते हो और मेरी इच्छा पूरी कर सकते हो?

मन में तो मेरे लड्डू फूट रहे थे.. मैं भी उस दिन से इसके सामने फिर से नंगा होने का बहाना सोच रहा था.. 2-3 बार तो उसके नाम से मुठ्ठ भी मार चुका था।

मैं- जी ठीक है.. कितने बजे आना है?
शीतल- सुबह जल्दी ही आ जाओ तो अच्छा है.. साथ बिताने के लिए उतना ही ज़्यादा वक्त मिलेगा।

मैं- ओके शीतल ठीक है.. तुम मुझे अड्रेस एसएमएस कर दो.. मैं ब्रेकफास्ट के वक्त तक पहुँच जाऊँगा।

शीतल- ठीक है.. वैसे और एक बात कहनी थी..
मैं- बोलो..
शीतल- उस दिन जैसे पूरे ‘शेव्ड’ थे तुम.. बिल्कुल वैसे ही पूरी तरह से शेव करके आना.. ऊपर.. नीचे और आगे से.. पीछे से.. समझ रहे हो न?
मैं- ओह.. ओके पक्का..

शीतल- तुम्हारे लिए एक सरप्राइज भी है..
‘सरप्राइज.. वो क्या है..?’
‘वो तुम इधर आओगे तभी जान पाओगे.. वर्ना सरप्राइज कैसा हुआ..’

मैं- ओके.. आई विल सी.. बाय.. सी यू..
शीतल- यस.. बाय..

मैं मन ही मन सोचने लगा कि क्या सरप्राइज होगा.. इतना शेव करके आने को बोल रही है.. मतलब जरूर मुझे कुछ करने को मिलेगा.. मैं बहुत ही पॉज़िटिव सोचने लगा।

शनिवार को..

सुबह जल्दी उठ कर मैं तैयारी करने लगा.. मैंने शुक्रवार को ही लेडीज रेज़र खरीद लिया था.. गाण्ड के बाल लेडीज रेज़र से अच्छे से निकलते हैं इसलिए.. सुबह उठते ही मैंने बहुत अच्छी तरह से 2-3 बार रेज़र फेर कर पूरे के पूरे बाल निकाल दिए.. उसके बाद मैं रोज़ की तरहा नंगा नहाया।

जब मैं साबुन लगा रहा था.. तब मेरा ही हाथ मेरी गाण्ड पर घूम रहा था.. तो मुझे बहुत ही अच्छी फीलिंग आ रही थी, फटाफट नहा कर मैं रेडी हो गया.. जैसे कि मैं जानता था कि वहाँ जाकर सारे कपड़े उतारने ही हैं.. इसलिए मैंने अन्दर के दो कपड़े यानि.. बनियान और अंडरवियर पहने ही नहीं.. सिर्फ़ जीन्स और टी-शर्ट डाल कर मैं उसके घर की ओर चल पड़ा।

रास्ते में मुझे बहुत ख्याल आ रहे थे कि मेरे लिए क्या सरप्राइज होगा।
मैंने उसके लिए एक फ्लावर बुके खरीदा।

उसके घर..

वो पुणे की एक बहुत बड़ी टाउनशिप में एक बिल्डिंग के 22 वें माले पर रहती थी.. सेक्यूरिटी एंट्री करने के बाद ऊपर जाने तक मुझे लिफ्ट से लगभग 2 मिनट लग गए.. 22 वें माले का कॉरीडोर बहुत चौड़ा था और वहाँ से पूरा पुणे दिखाई दे रहा था।

सुबह की धीमी ठंड.. हल्की हवाएं.. एक रोमान्टिक माहौल का अनुभव करा रही थीं।
उसी खुशनुमा माहौल में मैं गाना गुनगुनाते हुए उसके फ्लैट के सामने पहुँच गया.. और मैंने डोर बेल बजाई।

शीतल ने दरवाजा खोला..
वॉववव ववव… क्या गजब की खूबसूरत लग रही थी वो..

गोरी-गोरी धुली सी त्वचा.. शायद अभी-अभी नहा कर आई थी.. स्लीवलेस टॉप.. उसमें से दिखता हुआ उसका दुधारू क्लीवेज.. मस्त लग रही थी।

उसके टॉप की लम्बाई भी मुश्किल से नाभि तक ही थी.. उससे उसकी नाभि बहुत ही मस्त दिख रही थी.. नीचे एक जीन्स की शॉर्ट.. जो नाभि के नीचे कमर से शुरू होकर आधी जाँघों पर खत्म हो चुकी थी।
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उसकी दूधिया नंगी जाँघें.. बहुत ही मस्त लग रही थीं.. टॉप के चुस्त होने की वजह से ये उसके कड़े निप्पल दिखने से समझ आ रहा था कि उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है और अपने 34 डी नाप के मम्मे सिर्फ टॉप के पीछे ही छुपाए हुए हैं.. उसकी कमर लगभग 32 इन्च की होगी और नितंब 36 इन्च या या थोड़े ज़्यादा रहे होंगे।

मैं तो उसे उसी हालत में देखता रह गया.. तब उसी ने मुस्कुराते हुए मुझे झिंझोड़ा और कहा- आशीष.. ऐसे क्या देख रहे हो.. पहले कभी किसी को ऐसा नहीं देखा क्या.. और यहीं पर खड़े रहोगे या अन्दर भी आओगे?

जैसे ही उसके बोल मेरे कानों में पड़े.. मैं हड़बड़ा गया.. और ‘सॉरी’ कह कर.. नीचे को देखने लगा।

शीतल- चलो.. अन्दर आ जाओ..
मैं- हाँ.. ये लो फूल.. तुम्हारे लिए..

शीतल ने चहकते हुए कहा- वॉववव.. मेरे लिए.. सो स्वीट.. बहुत मस्त है.. तुम्हारी अच्छी पसन्द है.. थैंक यू सो मच.. तुम बैठो मैं पानी लेकर आती हूँ.. और हाँ.. जैसे कि मैंने कहा था कि घर में आते ही तुम अपने कपड़े उतार दोगे.. तो मैं पानी लेकर आती हूँ.. तब तक तुम अपने कपड़े.. ठीक है न..!

मैं कुछ कहता इससे पहले वो इठलाती हुई अन्दर चली गई..। मैं सोच में पड़ गया.. आज पहली बार कोई मुझे कपड़े उतारने को खुद से कह रहा था और मैं सोच में पड़ा था।

आज तक इतनी सारी औरतों के सामने नंगा हो जाने के बावजूद मेरा यह हाल था..
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वो पानी लेकर आई और उसने मुझे आवाज़ लगाई- आशीष.. आशीष.. क्या हुआ.. तुम आज कुछ खोए-खोए से लग रहे हो? मैंने कहा था कपड़े उतार कर रखो..

मैं- जी.. जी.. व..वो.. ऐसी कोई बात नहीं.. दरअसल मैं सोच रहा था कि अभी-अभी तो आया हूँ..

शीतल- तो.. तो क्या हुआ.. और वैसे भी तुम खुद को.. अपने घर के अन्दर बिना कपड़ों का ही तो रहना पसंद करते हो ना.. तो इसे भी अपना ही घर समझो और चलो जल्दी से मुझे कपड़े दे दो.. तो मैं इन्हें कमरे में रख कर आती हूँ..

इतना कहकर वो सामने के सोफे पर बैठ गई और मेरे कपड़े उतारने का इन्तजार करने लगी।
सोफे पर बैठने के बाद उसकी सिर्फ़ नंगी टाँगें ही मुझे दिख रही थीं.. जिससे मेरे अन्दर हलचल शुरू हो गई थी।

मैंने अपना टी-शर्ट उतार दिया.. और जीन्स के बटन खोल कर पीछे मुड़ने लगा.. तभी..

प्रिय साथियों कहानी को विराम दे रहा हूँ.. कल फिर मिलते हैं। आप से गुजारिश है कि मेरा प्रोत्साहन करने के लिए मुझे ईमेल अवश्य लिखें।
कहानी जारी है।
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