मुंडा पहाड़ दा- फुद्दी पाड़दा
प्रेषक : एन्ड्रयू बीन
मेरी तरफ से सब चुदाई करवाने वालियों को और चुदने वालियों को मेरे और मेरे लौड़े से प्रणाम !
आपको मैंने पहले अपनी चाची के बारे में बताया था कि चाची की भोसड़ी का भोसड़ा कैसे बनाया था ! और मेरे पाठकों को शायद मेरी एक सच्ची कहानी पसंद आई होगी।
मैं चाची की भोसड़ी मारने के बाद काफी देर तक चाची से नहीं मिला। फिर चाची ने मुझे फ़ोन किया, बोली- क्या बात है जून की छुट्टियों में नहीं आना है ?
मैंने बोला- मेरा दिल नहीं कर रहा ! गर्मी बहुत है !
इसपर चाची ने बोला- आ जा ! तेरी गर्मी मैं दूर करुँगी !
मैं भी मैं समझ गया था कि चाची क्या बोल रही है। मेरा भी कुछ मूड बदल गया था और मैंने बोला- चलो, मैं, अपना कुछ काम है, ख़त्म करके आ रहा हूँ ४-५ दिन में !
मैंने शिमला से दिल्ली की बस पकड़ी और अगले दिन मैं सुबह दिल्ली पहुँचा। ३० मिनट में मैं चाचा के घर चला गया था। मैंने जाकर चाय पी और इसके बाद मैं फ्रेश होने चला गया। चाचा जी भी ड्यूटी पर चले गये थे, मेरी चाची, जैसे ही मैं नहाने लगा, तो बोली- एक मिनट बाथरूम का दरवाज़ा खोल !
मैंने खोला तो चाची ने बिना कुछ बोले मेरा लौड़ा सीधा हाथ में पकड़ कर अपने मुँह में डाला। थोड़ी देर चूसने के बाद बोली- मैं तेरे जाने के बाद बिल्कुल ही प्यासी हूँ, रात को कभी अपनी बुर में ऊँगली डालती हूँ, कभी कुछ ! पर तेरे लौड़े ने ऐसी चुदाई की थी कि कुछ होता ही नहीं था।
मैंने भी चाची की साड़ी खोली- मम्मे तो पूछो न कैसे बाहर आये- जैसे कैदी को सजा से मुक्ति मिल जाती है !
चाची मेरी इतनी गरम थी कि जैसे ही उसने मेरा लौड़ा चूस कर अपनी बुर में डाला, उसी समय झड़ गई। फिर मैंने भी कुछ देर बाद अपना वीर्य चाची की बुर में झाड़ दिया। इसके बाद मैं नहा धोकर फ्रेश हो गया। मैंने खाना खाया और रात की नींद की वजह से मैं २-३ घंटे सो गया।
इसके बाद मैं जैसे ही उठा, चाची बोली- मेरी टांग में दर्द हो रहा है ! मेरे बैग में खुर्मानी का तेल था। दर्द और औरत को गर्म करने के लिए बड़ा अच्छा होता है, मैंने बोला- चाची इस दर्द को मैं ठीक करता हूँ। मैंने तेल निकाला और मालिश की ! चाची को कुछ आराम मिला। इसके बाद चाची को बोला- चाची, आपकी कमर की भी मैं मालिश करता हूँ ! और भी आराम मिलेगा !
चाची ने उल्टी होकर अपनी कमीज़ ऊपर की तो मैंने मालिश करते करते चाची को पूरा गरम कर दिया। चाची अब पूरी नंगी थी, उसके स्तन ऐसे लग रहे जैसे उसमें से दूध आने वाला है। मैंने जैसे ही मम्मे चूसने शुरु किये, उतने में चाची की एक पड़ोसन बिना कुछ बोले सीधे ही चाची के घर में घुस आई और हम दोनों को देख कर दंग रह गई। मेरा लौड़ा भी पूरी टशन से खड़ा था।
उसने बोला- मैं तो आपका पता लेने आई थी ! और आप यह क्या कर रहे हो?
चाची का पूरा मूड था, चाची ने बिना कुछ सोचे समझे बोला- यह मुंडा पहाड़ दा- फुद्दी पाड़ दा ! इक वार मजा ले के देख !
उसकी उम्र मेरी चाची से कुछ कम थी, कोई २८-३० बरस की होगी, बोली- अगर आपने यह खेल खेलने थे गेट तो लॉक कर देना था।
वो भी तैयार हो गई, बोली- मैं कुंडी लगा कर आती हूँ !
मैं भी खुश था, बुढ्ढी चाची की गांड भी मारने को मिली, एक जवान औरत की चूत भी ! अब हम दो से तीन हो गये थे, उस औरत ने अपना कमीज उतारा, उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी। मम्मे कोई ३६ साइज़ के थे। अब मेरे सामने दो औरतें नंगी थी। पड़ोसन ने मेरा लौड़ा चूसा, मैं उसके मम्मे चूसता हुआ अपनी चाची की भोसड़ी में उंगली कर रहा था। चाची कुछ ज्यादा उम्र की होने के कारण जल्दी झड़ गई। इसके बाद मैंने अपना लौड़ा पड़ोसन की चूत में डालना चाहा तो उसकी चूत में जा ही नहीं रहा था। मैं दो तीन धक्के दिए तो उसे दर्द होने लगा। कुछ टाइम बाद दर्द गायब हो गया और मज़े ले कर वो भी झड़ गई। मैंने अपना वीर्य अब उसकी चूत में डाल दिया। अब इसके बाद हम तीनों ढीले पड़ गये। इसके बाद जब तक मैं वहां पर रुका, मेरी चाची और उसकी पड़ोसन की जम कर बार बार चुदाई की। इतने मजे मैं जिन्दगी में कभी सोच भी नहीं सकता था।
अब देखो, दुबारा कब मौका मिलेगा ! तब तक मेरे पाठकों को मेरा नमस्कार।
उम्मीद है मेरे पाठको को यह मेरी सच्ची कहानी अच्छी लगी होगी।
मुझे मेल करना !
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