यह कैसा संगम-4
(Yah Kaisa Sangam-4)
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नेहा वर्मा
राधा तो मस्ती से चुदे जा रही थी। एक लय में चूत और लण्ड चल रहे थे। राधा को मन के मीत की चुदाई मिल गई थी। गोपाल भी अपनी मनपसन्द लड़की की चुदाई करके आनन्दित हो रहा था। जाने कब तक उनका यह दौर चलता रहा।
राधा की माँ हस्तमैथुन करके अपने आप को झाड़ चुकी थी। वो धीरे से उठी और अपना गाऊन नीचे किया, फिर अपने कमरे की ओर बढ़ चली।
कल रात को कैसा मजा आया, बता ना?
गोपाल से चुद गई… और जी भर कर चुदी…
गाण्ड मारी थी उसने…?
मम्मी… मत बोलो ऐसे… वो तो चुदाई में सब चलता है ना ! सुन्दर ने सबसे पहले आपकी गाण्ड चोदी थी ना?
प्रिया शर्मा सी गई। उसके गाल लाल हो गये।
राधा, एक बात कहूँ?
हां मम्मी… बताओ।
वो गोपाल से बात…
ओह्ह मम्मी, आपको चुदना है उससे… मेरी लवली मां… बात करती हूँ !
प्रिया ने शरमा कर अपना मुख अपने हाथों में छुपा लिया।
योजना के मुताबिक शाम को गोपाल राधा के घर आ गया। उसने राधा से पूछा- मां कहां है… अब कैसी है?
पता नहीं कैसा बुखार है… तुम ही देख लो ना।
पेट दर्द तो नहीं है ना, कोई कब्ज वगैरह?
तुम्हें देख कर तो अच्छे अच्छों के पेट दर्द करने लग जाता है।
अरे बताओ ना…
तो सुनो, मम्मी है ना, बस मौका देखते ही उन्हें दबा लेना। शरम मत करना।
अरे, मुझे जूते पड़वाने का विचार है क्या?
अरे चोद देना ना… बेचारी को एक लण्ड की जरूरत है… मस्त चुदैल राण्ड है ! सच कह रही हूँ… मौका मिलते ही दबा देना ! अरे चूचे तो दबा ही देना।
गोपाल एक बार तो असंमजस में पड़ गया। फिर सोचा कि चलो देखा जायेगा, जैसी स्थिति होगी वैसा कर लूंगा। मम्मी के कमरे का नजारा तो कुछ और ही था। मम्मी तो बड़ी खुश नजर आ रही थी।
आओ गोपाल, तुम्हारा ही इन्तज़ार कर रही थी। बस, थोड़ा सा मेरा चेकअप कर लो ! तुम्हें मर्ज मालूम हो जायेगा।
जी आण्टी, अभी कर देता हूँ, जरा यहां बैठ जाईये।
गोपाल ने अपना ब्लड प्रेशर नापने के लिये आण्टी के हाथ में पट्टा बांध दिया, पर जानबूझ कर उसने आण्टी के स्तनों को छूने लगा। उसने देखा कि आण्टी ने कोई विरोध नहीं किया बल्कि उनकी मुस्कराहट बढ़ गई थी और वो छूने में उसकी सहायता भी करने लगी थी। फिर गोपाल ने दो तीन बार फिर से उनके बोबे पर छू कर उस पर दबाव डाला।
यह तो सामान्य है !
उंह, नहीं तो, ये तो बहुत कड़े हो गये हैं ! देख लो ये स्टेथोस्कोप लगा कर !!!
फिर उसने अपना स्टेथोस्कोप निकाल कर उनकी छाती पर रख दिया। गोपाल अब खुलने लगा था। आण्टी भी उसे तिरछी नजरों से निहारे जा रही थी। उसने छाती पर देखते देखते धीरे से उनके स्तन के उभार पर भी उसे रख दिया। आण्टी के दिल की धड़कन तेज हो उठी थी। गोपाल को पता चल गया था कि राधा सही कह रही थी। आण्टी के स्तन बहुत कठोर हो गये थे, निपल तो फ़ूल कर सीधी हो चुकी थी। आण्टी चुदासी लग रही थी। बस यह ख्याल मन में आते ही उसका लण्ड जोर मारने लगा। उसकी सांसें तेज होने लगी। उसने अपने सामान को एक तरफ़ रख दिया और आण्टी के समीप सरक आया।
आण्टी, प्लीज बुरा नहीं मानना… थोड़ा सा चेक और कर लूँ !!!
करो ना… अच्छी तरह से चेक करना…
गोपाल ने आण्टी के पास चिपकते हुये उनके गले में हाथ डाल दिया और उनका एक उरोज धीरे से दबा दिया।
यह क्या कर रहे हो?
आण्टी की कोमल सी आवाज आई। उनकी आवाज में एक लहर सी थी। गोपाल ने आण्टी का दूसरा उरोज भी हौले से दबा दिया।
सच में बहुत कठोर हैं, कितने मस्त हैं आण्टी… आपके ये कठोर चूचे !
अरे, दूर हटो गोपाल, कोई देख लेगा। आण्टी की आंखों में सरूर उतर आया था।
कोई नहीं देखेगा आण्टी, मस्त माल हो !
धीरे से ना… लग जायेगी… प्रिया उत्तेजित होती हुई बोली।
गोपाल ने आण्टी की चूत को सहला दिया। प्रिया सिहर सी उठी। पर वो आनन्द में खोती जा रही थी।
आपकी चूत तो गीली हो गई है… लगता है इसे लण्ड की जरूरत है… आण्टी, चुदोगी क्या?
गोपाल, देखो तो कितना बदल गया है रे । अब आण्टी को चोदने की बात कर रहा है !!!
आपकी भोसड़ी भी तो चुदने को बेताब हो रही है… मेरा लण्ड घुसेड़ लो अब।
हाय कैसा बोलते हो गोपाल, तुम्हारी बातों से तो मेरी भोस लपलप करने लगी है।
तभी प्रिया ने गोपाल का लण्ड कस कर दबा लिया, उसे कठोर हाथों से घिसते हुये बोली- गोपाल आज तो चोद दे अपनी आण्टी की भोस को… आ अब लण्ड घुसा दे मेरी भोस में।
गोपाल ने हल्की फ़ुल्की सी आण्टी को अपनी गोदी में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया। आण्टी की साड़ी और पेटीकोट ऊपर को उठा दिया।
अरे रुक तो… मुझे कपड़े उतारने दे ! तू भी उतार ले अपने कपड़े…
दोनों ने धीरे धीरे अपने कपड़े उतार लिये। प्रिया एकदम नंगी, खूबसूरत सी काम की देवी, और गोपाल नंगा, उसका तन्नाया हुआ लण्ड… कामदेवता का साक्षात स्वरूप !
प्रिया ने एक कदम आगे बढ़ा कर गोपाल के लण्ड को अपनी चूत से चिपका लिया। राधा ने झांक कर यह नजारा देखा और वो मुस्करा उठी। मम्मी की अब चूत चुदेगी !
सब कुछ ठीक चल रहा था। गोपाल ने प्रिया को दीवार का सहारा दे कर अपने से लिपटा लिया। प्रिया ने अपनी एक टांग उठा कर उसकी कमर से लपेट ली। और अपनी चूत को उसके लण्ड से बार बार टकराने लगी। गोपाल उत्तेजना से भर गया और प्रिया को दीवार से लग़ा कर अपना लण्ड उसकी चूत में दबा दिया। प्रिया लण्ड के भीतर जाते ही सिसक उठी। उसने अपनी आंखें बन्द करके सर ऊपर उठा लिया। गोपाल ने नीचे झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों से लगा लिया। प्रिया की पीठ को थाम कर उसने अपना लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
प्रिया खड़े खड़े ही चुदने लगी। चोदने का यह तरीका गोपाल को बहुत अच्छा लगा। प्रिया भी स्वछन्द तरीके से अपनी कमर हिला हिला कर खूब मस्ती से चुदवा रही थी।
गोपाल, बहुत तड़पाया है तुमने ! चोदना ही था तो इतने दिनों तक क्यों तरसाया?
आण्टी, इशारा तो करती, आपको भला कौन नहीं चोदना चाहेगा? मस्त भोसड़ी है ! जवानी चढ़ी हुई है। आप जितना चुदेंगी उतनी ही आपकी चूत को मस्ती मिलेगी।
हाय रे, ऐसे तो मत बोल, बस जोर जोर से चोद दे।
फिर गोपाल ने प्रिया को जमीन पर ही लेटा दिया और ऊपर चढ़ कर धकाधक उसकी चूत चोदने लगा।
आण्टी…
कहो मेरे राजा…
आज तो मैं आपकी माँ चोद दूंगा।
उफ़्फ़्फ़्फ़, मेरी मां को नहीं राधा की मां को… हाय राम… जरा जोर से भोस मार ना।
गोपाल बेरहमी से प्रिया को चोद रहा था, प्रिया को भी तो खूब मस्ती चढ़ रही थी। राधा से अब रहा नहीं गया वो भी कमरे में आ गई और गोपाल के पास ही बैठ गई। अपनी सलवार खोल कर उसने नीचे सरका ली और उसने अपनी चूत में अंगुली घुसा ली। अन्दर बाहर करते हुये वो भी बोलने लगी।
हाय गोपाल, चोद दे मेरी मां को… पिला दे लण्ड साली को… ठूंस दे आह्ह्ह्ह मम्मी… ।
राधा, मेरी बेटी… मस्त लौड़ा है गोपाल का… बहुत मजा दे रहा है। आजा पास आ जा…
राधा झट से उठ कर उन दोनों के और पास आ गई।
गोपाल, कैसी लगी मेरी मां?
मस्त है तेरी मां तो… क्या लण्ड लेती है।
पेल दे साली को… क्या याद करेगी…
राधा ने अपनी अंगुली में थूक लगा कर गोपाल की गाण्ड में घुसा दी। और अन्दर-बाहर करने लगी।
ओह्ह, मेरी राधा… जल्दी जल्दी कर गाण्ड में अंगुली, बहुत तेज मजा आ रहा है।
आ रहा है ना मजा… चोदते जा… और अपनी गाण्ड का मजा भी ले ले।
तभी प्रिया चरमसीमा पर पहुंच गई। उसके बल खाते ही गोपाल समझ गया कि प्रिया झड़ने वाली है। उसने दो शॉट खींच कर मारे और प्रिया एक चीख के साथ अपना काम रस त्यागने लगी। गोपाल ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। राधा ने उसे थाम कर उसे घिसना आरम्भ कर दिया। मुठ्ठ मारते ही गोपाल भी एक मधुर चीख के साथ झड़ने लगा। उसका गाढ़ा-गाढ़ा सफ़ेद वीर्य उछल कर प्रिया के पेट और स्तनों पर जा पड़ा जिसे राधा ने लपक कर चाट लिया। बाकी वीर्य प्रिया ने अपने शरीर पर फ़ैला लिया।
राधा, तुम्हारा गोपाल तो मस्त निकला। मस्त लण्ड है साले का। मजा आ गया चुदवाने में।
तो दोस्त किसका है… मेरा है… मेरी पसन्द है यह तो… उफ़्फ़ कितना लम्बा लण्ड है ना मां !!!
गोपाल धन्यवाद, तुमने मुझे इस उम्र में भी आनन्द दिया। प्लीज ऐसा आनन्द देते रहना।
अरे कैसे नहीं देगा मां, मेरा यार जो है, आपको खुश कर देगा गोपाल।
अब रात हो चुकी है, चलो सो जाओ, गोपाल, यहीं मेरे पास सो जा। अपनी आण्टी के पास।
ओह नहीं मां, आपने चुदा तो लिया, अब ये मेरे साथ मजे करेगा।
आण्टी छोड़ो ये सब, अपन तीनों एक ही बिस्तर पर सो जाते हैं, कभी मैं आण्टी को चोद दूंगा और कभी राधा को, क्यों ठीक है ना?
उस रात गोपाल ने प्रिया की दो बार गाण्ड मारी, राधा की भी चूत को भी मस्ती से कई बार चोदा। गोपाल ने अपनी जिन्दगी में पहली बार इतनी चुदाई की थी। सवेरे जब नींद खुली तो दस बज रहे थे। तीनों बेसुध से गहरी नींद में सोये हुये थे। गोपाल तो बुरी तरह से थका हुआ था। समय देखते ही वो उछल पड़ा।
अरे होस्पीटल जाना था, बहुत देर हो गई…
उसने जल्दी से स्नान किया फिर कपड़े बदले और सीधा अपनी ड्यूटी देने होस्पिटल भागा।
राधा और उसकी मां खुशी के मारे जोर से लिपट गई।
ओह्ह राधा बिटिया… कितनी गहराई से चोद डाला… तेरे यार हैं… मस्त मुण्डे हैं…
कहानी जारी रहेगी।
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