वो बुरके वाली

टॉम हूक 2010-09-21 Comments

नमस्कार दोस्तो,

सबसे पहले आप सबका धन्यवाद करता हूँ कि आप सभी को मेरी पिछली कहानियाँ काफी पसंद आई और आपके सुझावों और सराहना के लिये शुक्रिया।

मेरी पिछली कहानी को पढ़ने के बाद मुझे दोस्ती के काफ़ी ऑफर आये। एक छोटी सी प्रार्थना है कि कृपया मुझसे मेरी महिला मित्रों के नाम व नंबर ना मांगें क्योंकि मैं उनका नाम या नंबर देकर उनको बदनाम नहीं कर सकता। हर लड़की, आंटी या भाभी की अपनी भी एक ज़िन्दगी होती है और मुझसे उनकी दोस्ती भी उनका निजी मामला है। मेरी कुछ दोस्त यहीं दिल्ली की हैं उनसे मुलाक़ात भी हुई और काफी कुछ, पर वो सब बाद में।

आज सोचता हूँ कि मैं एक पुराना किस्सा लिखूँ आपके लिये।

यह कहानी मेरे दिल के काफी करीब है इसीलिए लिख रहा हूँ ! बात थोड़ी पुरानी है लगभग 2 साल पुरानी।

कहानी शुरू हुई थी मेरे दोस्त के घर एक पार्टी समारोह से।

मेरे एक करीबी दोस्त के घर में एक पार्टी का आयोजन था और मैं उसमें गया था क्योंकि वो मेरा काफी करीबी दोस्त था तो मुझे काफी कामों की ज़िम्मेदारी दी गई थी। मेहमानों को लाने की, वापस छोड़ कर आने की, पार्टी में उसका ख्याल रखने की वगैरा-वगैरा।

सारे काम सही जा रहे थे, पार्टी काफी अच्छी चल रही थी, मेहमान आ रहे थे।

तभी एक महिला मेहमान आई बुरके में और वो सीधे महिलाओं के कमरे की तरफ चली गई। यह बात मैंने अपने दोस्त को बता दी तो उसने बताया कि वो उसकी भाभी की कोई दोस्त होगी।

बाद में मुझे मेरे दोस्त की भाभी के साथ कोई भी लड़की बुरके में नहीं दिखाई दी तो मैंने उनको बता दिया कि एक लड़की बुरके में आई थी और सीधे महिलाओं के कमरे की तरफ चली गई थी तो उन्होंने अपने पास ही खड़ी एक लड़की की तरफ इशारा करके बताया कि वो शाज़िया थी और उन्होंने उससे मेरी मुलाक़ात करवाई। हमारी हाय-हेल्लो हुई। फिर मैं पार्टी के बाकी कामों में लग गया।

अब धीरे धीरे पार्टी समाप्त होने लगी, लोग अपने घर जाने लगे तो भाभी ने मुझे बुलाया और कहा कि मैं शाज़िया को उसके घर पर छोड़ आऊँ क्योंकि मेरा दोस्त किसी और को छोड़ने के लिए गया हुआ है और शाज़िया को घर के लिए देरी हो रही है।

मैंने कहा- ठीक है।

मैंने शाज़िया को अपनी बाइक पर बैठाया और हम चल दिए। रास्ते में मैंने शाज़िया से थोड़ी बहुत फ्लर्टिंग भी की क्योंकि वो मेरी आदत है। पर यह भी सच था कि वो वाकई में काफी सुन्दर थी, एकदम दूध जैसी सफ़ेद थी, हाथ लगाओ तो डर लगे कि कहीं मैली न हो जाए। होंठों पर हल्की गुलाबी रंग की लिपस्टिक, गालों पर रूज़ । हल्के गुलाबी रंग का ही सूट पहना हुआ था और सूट पर गज़ब की कढ़ाई और शरीर की बनावट एकदम सुडौल, फिगर था एकदम कातिलाना 34-30-36 !

करीब 15 मिनट का सफ़र था तो रास्ते में हमारी थोड़ी बहुत बात ही हुई, फिर शाज़िया ने कहा कि मैं उनको एक गली के सामने छोड़ दूँ, वहाँ से उनका घर पास ही है।

मुझे थोड़ा अजीब लगा कि रात का समय है और वो अकेली लड़की कैसे जाएगी।

तो मैंने कहा- मैं आपको घर तक छोड़ देता हूँ !

तो उन्होंने मना कर दिया और बोली- घर पास ही है।

तो मैंने उनसे कहा- ऐसा है तो आप चली जाइये पर मेरा फ़ोन नंबर ले लीजिये और घर पहुँच कर एक मैसेज कर दीजियेगा जिससे मैं निश्चिन्त हो जाऊँ।

तो उन्होंने मेरा नंबर ले लिया। फिर वो चली गई, मैं वहीं खड़ा रहा और लगभग 10 मिनट के बाद उनका मैसेज आ गया कि वो घर पहुच गई हैं। फिर मैं अपने घर चला गया।

और इसके बाद हम दोनों की मेसेज के जरिये बातें होने लगी। धीरे धीरे हम दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गये।

एक दिन मैंने उनसे पूछा कि उनका कोई बॉय फ्रेंड है क्या? तो इस पर वो मुस्कुरा दी और मुझसे पूछा कि मुझे उनकी उम्र क्या लगती है?

तो मैंने कहा कि आप शायद 23-24 की हो !

इस पर वो हँस कर बोली- अरे मैं 30 की हूँ।

मुझे तो जैसे शॉक लग गया, मैंने कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता !

तो वो बोली- ऐसा ही है।

मुझे यकीन नहीं हुआ, तब उन्होंने बताया अपनी जिन्दगी के बारे में कि उनका निकाह 6 साल पहले हुआ था और निकाह के 3 साल बाद उनको पता लगा कि उनके पति के किसी दूसरी औरत से सम्बन्ध हैं तो उसके बाद उनका तलाक हो गया और पिछले 2 साल से वो अपने माता-पिता के घर रह रही हैं और टीचर की जॉब कर रही हैं।

यह सब सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया था कि कोई कैसे इतनी खूबसूरत बीवी के होते हुए भी किसी और औरत के पास जा सकता है और दुःख भी हुआ शाज़िया की ज़िन्दगी के हालात को देख कर।

उस दिन के बाद से मेरे दिल में शाज़िया के लिए प्यार और हमदर्दी दोनों बहुत बढ़ गये थे। मेरी हमेशा यही कोशिश रहती कि जितना हो सके मैं शाज़िया को ख़ुशी दे सकूँ। काफी असमानताएँ थी जैसे कि हमारी उम्र, हमारा धर्म पर फिर भी हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। यह बात हमने एक दूसरे से जबां से कही नहीं थी पर आँखें सब कह देती थी।

हम छुप छुप कर एक दूसरे से मिलते रहते थे क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि उसके घर वालों को मेरे बारे में कुछ पता लगे।

इसी बीच मेरा जन्मदिन आया। मैंने पूरे दिन शाज़िया के फ़ोन या मेसेज का इंतज़ार किया पर उसकी कोई कॉल या मेसेज नहीं आया। मुझे बहुत गुस्सा था उसके ऊपर। शाम को करीब 5 बजे उसने कॉल की और जन्मदिन मुबारक कहा। मैंने उससे कोई खास बात नहीं की। वो समझ गई कि मैं उससे काफी गुस्सा हूँ तो वो बोली- गुस्सा मत करो और मेरे घर आ जाओ।

मैंने कहा- कैसे आऊँ? तुम्हारे घर वाले होंगे।

तो उसने बताया कि सारे घर वाले बाहर गये है और कल आयेंगे।

तो मैंने उससे पता समझा और उसके घर पहुँच गया। घर पहुँचते ही उसने सबसे पहले मुझे गले लग कर जन्मदिन की बधाई दी। यह पहली बार था जब मैंने उसके शरीर की गर्माहट को महसूस किया। गले मिलते हुए उसके कोमल कोमल स्तन मेरे शरीर से टकराए। वो मेरे लिए एक यादगार पल बन गया था और शायद अब तक का सबसे प्यारा जन्मदिन का तोहफा।

फिर वो मेरे लिए अपने हाथों से बनाया हुआ केक लाई और हमने केक काटा। मैंने उससे खिलाया और उसने मुझे।

मैंने सोच लिया था कि आज उससे बोल ही दूँगा कि मैं उससे कितना प्यार करता हूँ।

फिर उसने थोड़ा सा केक मेरे चेहरे पर लगा दिया और हंसने लगी। मन तो किया कि मैं भी उसके चेहरे पर केक लगा दूँ पर उसका हँसता हुआ चेहरा देख कर नहीं लगाया। फिर मैं बाथरूम में चेहरा साफ़ करने गया, वापस आकर देखा तो मोहतरमा अपने कमरे में रजाई डाल कर लेटी हुई थी। फिर मेरी तरफ देख कर कहा- यहीं आ जाओ, थोड़ी देर टीवी देखते हैं, फिर खाना खायेंगे।

मैंने पास जाकर पूछा- मैं कहाँ बैठूँ?

क्योंकि सिर्फ एक बेड था, तो उसने कहा- यहीं आ जाओ रजाई में, बाहर काफी ठण्ड है।

दिसम्बर का महीना था, ठण्ड अपने पूरे शवाब पर थी। वो एक सिंगल बेड था तो मैं उसके पास ही जाकर लेट गया। फिर करीब 10 मिनट हम ऐसे ही टीवी देखते रहे। इसके बाद मैंने अपना हाथ रजाई के अंदर ही उसकी कमर पर रख दिया तो उसने मेरी तरफ करवट ली। चूंकि मैं उसके करीब ही लेटा हुआ था तो उसके करवट लेते ही उसके बाल जो की खुले हुए थे उस वक़्त, मेरे चेहरे पर आ गये और हम दोनों के चेहरों के बीच सिर्फ 2 इंच की दूरी थी। हम दोनों की आँखें मिली और करीब 2-3 मिनट हम एक दूसरे को ऐसे ही देखते रहे और फिर पता ही लगा कब हम एक दूसरे से लिपट गये। हम दोनों के शरीर एक दूसरे के शरीर से रगड़े जा रहे थे और फिर हम दोनों के होंठ आपस में टकरा गये।

मुझे याद ही नहीं कि जाने कितनी देर हम एक दूसरे को चूमते रहे, शायद 20 मिनट और इसी बीच हमारी जीभ भी एक दूसरे से लिपट लिपट कर खेल रही थी।

फिर मैं उसकी गर्दन को चूमता कभी उसके कान के पीछे की तरफ चूमता और वो बहुत ही ज्यादा कामुक सिसकारियाँ ले रही थी और बीच बीच में बोल रही थी- नहीं नहीं ! हमें ये सब नहीं करना चाहिए !

पर उसके शब्द और उसका शरीर दोनों अलग अलग भाषा बोल रहे थे, वो मुझसे लिपटी जा रही थी और मैं उससे। पर वो फिर भी बोल रही थी कि नहीं, यह सही नहीं है।

मैं उसकी गर्दन को चूमते-चूमते उसके गले तक आ गया और सूट के ऊपर से ही उसके स्तनों को चूमने लगा।

जैसे ही मैंने अपने अपना एक हाथ उसके स्तन पर रख कर उससे हल्का सा दबाया, उसके मुँह से सी ईई ईइ उफ म्म उफ की आवाज़ें निकलने लगी। फिर उसने मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझे बेतहाशा चूमने लगी, मेरे होंठों को उसने अपने होंठों से भर लिया और मुझे चूमे जा रही थी।

फिर धीरे धीरे हम दोनों के सारे कपड़े उतर गये। वो सिर्फ काले रंग की ब्रा पैंटी में थी और मैं अपने जोकी अंडरवियर में।

तब मैंने ट्यूब लाइट की रोशनी में उसको अच्छे से देखा। दूध से भी ज्यादा गोरी लड़की काली ब्रा पेंटी में।

उसकी ब्रा का साइज़ 34डी था। हम फिर एक दूसरे से लिपट कर चूम रहे थे और चूमते-चूमते मैंने उसकी ब्रा की एक साइड को नीचे खिसका कर उसके निप्पल को हाथ से हल्का स मसल दिया।

उसकी उफ्फ सी ई ईई ईईई म्म्म आ आआह्ह सिसकारियाँ शुरू हो गई।

उसका निप्पल बहुत ही हल्का भूरा था। मुझे रहा नहीं गया और मैंने उसके निप्पल को मुँह में भर लिया और दबा दबा कर चुसुकने लगा।

उसकी बहुत ही कामुक और पागल कर देने वाली सीत्कारें निकल रही थी। फिर एक एक करके मैंने उसके दोनों निप्प्ल को चूसा, मम्मों को खूब दबाया और उसके स्तनों को चुसुकता रहा।

इधर मेरा लंड नीचे कपड़े फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

अब उससे रहा नहीं गया और उसने अपना हाथ मेरे अंडरवीयर में डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसको सहलाने और आगे-पीछे करने लगी।

धीरे धीरे मेरा लण्ड उसके मुँह में था और वो उसको बहुत ही प्यार से चूसे जा रही थी और मुझे पागल कर रही थी।

अब मेरे मुँह से आह्ह्ह्ह आःह्ह्ह निकलने लगी। फिर मैंने उसकी ब्रा उतार फेंकी। इधर उसने मेरा अंडरवियर उतार दिया और फिर से मेरे लंड को मुँह में भर कर चूसने लगी।

फिर वो मेरे ऊपर आ गई और मेरे निप्प्ल को मुँह में लेकर जीभ से रगड़ने लगी। यह मेरे लिए नया था, उसके इस अंदाज़ ने मुझे पागल कर दिया।

फिर मैंने उसको रोका और नीचे जाकर उसकी पेंटी उतार दी। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम फूली हुई सी चूत थी उसकी। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत का चूमने और चूसने लगा।

उसको मज़ा आने लगा और वो आहें भरने लगी, उसकी आहें सुनकर मेरा जोश बढ़ने लगा तो मैं उससे और जोर जोर से उसकी चूत को चूसने लगा और मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी तो उसकी हालत ख़राब होने लगी.. वो अपनी गांड उठाने लगी और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं उसकी चूत चूसता रहा।फिर हम 69 की अवस्था में आ गये, मैं उसकी चूत चाट रहा था, चूस रहा था और वो मेरा लंड।

थोड़ी देर में उसकी चूत ने अपना काम-रस छोड़ दिया और उसने जोर जोर से चूसते हुए मुठ मार कर मेरा माल निकाल दिया।

हम फिर से एक दूसरे को चूमने लगे और फिर उसने मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी।

मैं उसके गोरे और चिकने पेट को चूम रहा था और उसकी फूली हुई चूत को अपनी उंगली से चोद रहा था..

10-12 मिनट चूसने के बाद मेरा लंड फिर से तैयार हो गया, वो बोली- अब नहीं रहा जा रहा है, प्लीज़ अपना मेरी में डाल कर मेरी प्यास बुझा दो।मैंने अपने लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और हल्का सा उस पर रगड़ने के बाद उसकी मुनिया में दबा दिया..

मेरा टोपा अंदर था और फिर मैंने लंड को बाहर निकाला और एक झटके में पूरा उसकी चूत में डाल दिया। शाजिया की हल्की चीख निकल गई, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

अब मेरा लंड और उसकी चूत आपस में एक दूसरे के साथ चुदाई का खेल खेल रहे थे। उसकी चूत कसी हुई थी क्योंकि उसने काफी दिनों या सालों से किसी के साथ कुछ किया नहीं था..

थोड़ी सी परेशानी के बाद लंड आराम से जा रहा था उसकी चूत के अंदर..

चूत एकदम गीली थी, काफी मज़ा आ रहा था और उसके ऊपर से उसकी बेहद कामुक सिसकारियाँ हाय हाय स्स्स आअ म्म्म उफ्फ और जोर से चोदो मुझे म्म्म आआ अह आ, काफी दिन हो गए चुदे हुए ! चोदो चोदो और तेज़ ह्हह्ह सीईई म्म्म म्मम। पूरा कमरा उसकी सिसकारियों और पट पट की आवाजों से भरा हुआ था। करीब 10-12 मिनट की ज़ोरदार चुदाई के बाद मेरा निकलने वाला था। मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?

तो वो बोली- मैं भी जाने वाली हूँ, तुम मेरे अन्दर ही छोड़ दो !

फिर लगभग एक साथ हम दोनों का निकल गया ! मैंने अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया और उसकी चूत ने मेरी एक एक बूँद निगल ली।

हम दोनों काफी थक गए और उसी हालत में सो गए..

उस पूरी रात हमने तीन बार एक दूसरे को प्यार किया और चरम पर जाकर स्खलित हुए।

फिर सुबह उसने मुझे एक प्यारा सा चुम्बन देकर उठाया, हम एक बार और प्यार का खेल खेलना चाहते थे लेकिन उसके घर वाले कभी भी वापस आ सकते थे सो मुझे जाना पड़ा पर वो पहली और शायद आखिरी बार हमने प्यार किया था एक दूसरे को क्योंकि वो जानती थी कि हमारा कोई भविष्य नहीं हो सकता और उसने अपने किसी चचेरे से निकाह कर लिया और देश छोड़ कर चली गई।

पता नहीं अब वो कहाँ है लेकिन वो मेरी जिन्दगी की सबसे हसीन और खूबसूरत महिला है और उसके साथ बिताई उस रात का हर एक पल मेरे लिए यादगार है।

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category चुदाई की कहानी or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

वो बुरके वाली

Comments

Scroll To Top