तड़फ़ाते बहुत हो-4

अब चोद भी डालो ना !

मुझे रुला कर दिल उसका भी रोया होगा,

चेहरा आँसुओं से उसने भी धोया होगा,

अगर न हासिल किया कुछ,

हमने कुछ प्यार में,

कुछ न कुछ तो उसने भी जरुर खोया होगा।

तभी तेज बारिश होने लगी और पूनम छत पर जाकर नहाने लगीं क्योंकि उसकी छत पर कोई आसानी से नहीं देख सकता था। ऊपर से अँधेरा भी था उसके पीछे पारुल भी चली गई।

अब आगे:

रात के 10.30 हो गए थे, और तेज बारिश होने लगी थी। कुछ देर बाद श्वेता भी उनके ही पास छत पर चली गई। तीनों ही नंगी थीं।

पारुल बोली- अब घर पर फोन करके कह देते हैं कि सुबह आयेंगी। हम रात को यही रुक जायेंगी और वीर को भी रोक लेते हैं, मजे करेंगी।

श्वेता बोली- यार उसने चार बार पहले ही चोद लिया है, अब पता नहीं अबकी बार वो तैयार होगा या नहीं?

पारुल ने कहा- देख लेंगे।

श्वेता बोली- क्या बात है मेरी बन्नो, लगता है दर्द कम हो गया है, तभी अपने चोदू को रोक्ने को कह रही हो?

पारुल शरमाते हुए बोली- नहीं इतनी बारिश में वो भी कैसे जा पायेगा?

ये सब बातें मैं ऊपर आते सुन रहा था, तभी मैं भी छत पर आ गया।

मैंने कहा- यार अब मैं कैसे जा पाऊँगा?

वैसे जो नजारा सामने था, उसे देख कर कोई नहीं जाने को नहीं कहेगा लेकिन मैं थक भी गया था।

पारुल कहने लगी- रुक जाओ न रात भर के लिए बस।

मैंने कहा- रुक तो जाऊँ पर एक शर्त है। अगर तुम मेरे साथ एक बार फिर।

उसने कहा- हाँ क्यों नहीं।

मैंने कहा- सिर्फ एक बार ही करूँगा, बहुत थक गया हूँ।

उन्होंने ‘हाँ’ कर दी।

फिर बारिश में तीनों ने आकर मेरा लंड चूसा और खड़ा कर दिया। फिर हमने नीचे आकर अपने-अपने घर फोन करके बताया।

इस बार मैंने कहा- मुझे तुम लड़कियों को देखना है आपस में सैक्स करते हुए।

वो दोनों राज़ी हो गई।

श्वेता पूनम की गोद में बैठ गई और उसके होंठों पर होंठ रख दिए। फिर एक हाथ पूनम की चूचियों पर ले गई और दबाने लगी, पूनम भी एक हाथ से उसके बालों को सहला रही थी और दूसरे से उसकी चूचियाँ दबाने में लगी थी।

कुछ देर बाद श्वेता पूनम की चूचियाँ चूसने लगी और दबाने लगी। पूनम उसके बालों को सहला कर मजे ले रही थी। कुछ देर बाद पूनम उसकी चूचियाँ चूसने लगी और निप्पल मसलने लगी।

इधर पारुल हम दोनों के लिए बियर के पैग बना रही थीं। पूनम श्वेता की टाँगों के बीच में बैठ गई और अपना मुँह श्वेता के चूत पर लगा दिया। ऐसा लग रहा था कि वो श्वेता की चूत खा ही जाएगी।

श्वेता की चूत चाटते-चाटते पूनम ने एक उंगली भी घुसा दी। श्वेता हाथों से पूनम का सर दबा रही थीं। मानो कह रही हो कि पूरा सर भी घुसा दो। पूनम ने श्वेता को दोनों टाँगें उठाने को कहा, उसने भी दोनों टाँगें हवा में उठा ली।

पूनम ने एक और उंगली श्वेता की चूत में घुसा दी और तेज तेज रफ़्तार में अंदर-बाहर करने लगी। श्वेता भी तेज-तेज आवाजें निकालने लगी। पूनम ने मौका देख कर दूसरे हाथ की एक उंगली श्वेता की गांड में घुसा दी। एक उंगली पूरी आराम से अंदर चली गई।

पूनम कहने लगी- अरे वीर तुमने तो इसका छेद वाकई बड़ा कर दिया है। देखो तो कितने आराम से अंदर चली गई।

श्वेता कहने लगी- अब मजे मत लो जल्दी करो।

पूनम ने जल्दी-जल्दी हाथ चलाना शुरू किया और पाँच मिनट के बाद श्वेता का पानी निकल गया।

कुछ देर लेटने के बाद पूनम बोली- श्वेता चल अब मेरा भी पानी निकाल दे।

श्वेता बोली- अब मुझ से नहीं होगा।

पूनम को गुस्सा आ गया। इतने में मैं उसके पास गया और उसे डॉगी स्टाइल में आने को कहा। वो डॉगी स्टाइल में आ गई। मैंने उसके चूतड़ों पर एक चपत लगाई। उसकी गोलाइयों को पकड़ कर चौड़ा किया, जिससे उसकी चूत साफ़ दिखाई देने लगी।

मैंने उस पर जीभ लगा दिया और जीभ से उसकी चूत चूसने लगा। ये देखने के लिए पारुल भी पास आ गई और श्वेता भी उठ कर बैठ गई।

मैं पूनम की चूत को जीभ से चोद रहा था। साथ में उसकी गांड में भी दो उंगलियाँ डाल दी, जिस से वो तड़प उठी और आराम-आराम से अंदर-बाहर कर रहा था।

मैंने थोड़ी देर बाद उसे सीधा लिटा दिया और दांतों से उसके चूत के दाने को हल्का सा काटा, और जीभ फेरी। अपनी चुटकी से उसके भगनासे को मसलने लगा।

वो गांड उठा-उठा कर सिसकारी ले रही थी ‘आआह्ह आआआह मर गई ! ओह्ह आअह्ह रोको प्लीज् रोको आअह्ह !’ और चूतड़ जोर-जोर से उठाये जा रही थी।

मैंने उसकी चूत में तीन उंगलियाँ डाल डाल दीं और तेज-तेज अंदर-बाहर करने लगा। एक मिनट में उसने भी अपना पानी छोड़ दिया। श्वेता और पूनम दोनों कहने लगीं कि हमें नींद आ रही है, हम सोने जा रहे हैं। तुम दोनों आपस में मजे करो।

पारुल ने जो बियर बची थी उसे भी गिलास में डाल लिया और खुद पीया मुझे पिलाया। उसे भी पूरा नशा हो चुका था और मुझे भी था पर इतना नहीं हो रहा था।

मैंने कहा- चलो सीढ़ियों पर चलते हैं। वो जाकर सीढ़ियों में बैठ गई।

मैंने जाकर उसकी टाँगें फैलाईं और चूत चाटने लगा।

वो अपने हाथ से मेरे सर को दबाये जा रही थी।

मैंने खड़े होकर अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। वो भी अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को पकड़ कर आगे की ओर खींच रही थी। और पूरा लंड मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी, पर पूरा तो नहीं लेकिन पहले से ज्यादा लंड अंदर लेकर चूस रही थी। मैं भी उसका सर पकड़ कर आगे-पीछे कर रहा था, साथ ही कमर भी हिलाए जा रहा था।

कुछ देर बाद मैंने उसे छत पर लाकर दीवार की तरफ उसका मुँह करके खड़ा किया। उसने दीवार पर अपने हाथ रख दिए। मैंने उसकी एक टाँग उठाई और अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का दिया। दो धक्कों में ही मेरा लंड उसकी चूत में था। पहले आराम-आराम से लंड को पारुल की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था।

बारिश पहले से भी तेज हो रही थी। उसी तेज बारिश में हमारी चुदाई चल रही थी। कुछ मिनट बाद मैंने उसे घुमा कर अपनी तरफ उसका मुँह किया। चूत पर लंड रख कर धक्का दिया। आराम से लंड अंदर चला गया। उसकी एक चूची अपने हाथों में ले ली और दूसरी को मुँह में लेकर चूसने लगा।

वो मेरे कंधे को पकड़े हुए थे उस पर नाखून गड़ा रही थी। मैं थोड़ा रुक गया और अपना लंड उसकी चूत में से निकाल लिया।

वो बोली- क्यों निकाल लिया? प्लीज करो न !

मैं जाकर फिर सीढ़ियों पर बैठ गया। वो भी समझ गई कि लंड पर बैठना है। उसने मेरी तरफ पीठ करके लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सैट किया और धीरे-धीरे बैठने लगी। बैठते-बैठते पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया और उछल-उछल कर चुदने लगी।

कुछ देर बाद मैंने उसे उठा लिया और गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया। उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया। वो नल पकड़ कर खड़ी हो गई। मैंने उसे थोड़ा पीछे करके झुकाया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब मैं उसे सटासट चोदने लगा।

वो भी हर धक्के पर “आअह अह” करने लगी। कुछ दी धक्कों में उसने अपना पानी छोड़ दिया। अपनी टाँगे मोड़ने लगी। उसकी टाँगे बुरी तरह काँप रही थीं।

कुछ ही देर में वो रोने लगी। मुझे उसके दर्द का एहसास हुआ तो मैंने अपना लंड निकाल लिया। उसे उठा कर जाकर सोफे पर बिठा दिया। मेरा लंड अब भी पूरा खड़ा था।

जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने कहा- मेरा अभी नहीं हुआ।

पारुल सिसिया कर बोली- बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने कहा- अच्छा चलो, मुँह से चूस कर निकाल दो।

उसने ‘हां’ कर दी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उसने लंड को पकड़ कर मुँह में ले लिया और बीच में निकाल कर कहने लगी- जब निकले तो बता देना। मुँह में ही मत छोड़ देना।

वो पूरी तन्मयता से चूसने लगी। अचानक एकदम से मुझे लगा कि अब गया। मैं क्या कहूँ या करूँ कुछ दिमाग में ही नहीं आया। मैंने झटके से उसके मुँह रोक कर लंड निकाल लिया और जैसे ही लंड निकाला, तो मेरा पानी उसके चेहरे पर गिर गया।

उसने आँखें बंद कर ली थीं।

कुछ माल उसके चेहरे पर गिर गया तो कुछ कंधे पर और थोड़ा चूचियों पर।

वो मुझे घूर कर देखने लगी।

मैंने उसे कपड़े से साफ़ किया तो उसने मुस्कुरा कर मुझे एक जोरदार चुम्मा लिया और कहने लगी- इस बार तो पहले से ज्यादा मजा आया पर तुम तड़फ़ाते बहुत हो।

उसके बाद हम दोनों दूसरे कमरे में चले गए। उससे चला नहीं जा रहा था तो उसे मैं ही उठा कर ले गया। पूनम और श्वेता भी सो रही थीं। हम भी जाकर सो गए।

पाँच बार ली थी। हालत तो ख़राब होनी ही थी।

सुबह मेरी नींद दस बजे खुली तो वहाँ सिर्फ पूनम थी।

काफी थकावट सी लग रही थी।

वो आई और बोली- फ्रेश हो जाओ, मैं तुम्हारे लिए कुछ बनाती हूँ।

मैं फ्रेश होकर, नहा कर आया और कपड़े पहन लिए।

पूनम मेरे लिए केले और दूध लाई जिसमें काजू बादाम मिले हुए थे।

पूनम बोली- पारुल कह रही थी कि बाद में सबसे ज्यादा मजा दिया।

मैंने भी हामी भर दी।

पूनम- दोनों कह रही थीं कि तड़पाया बहुत पर पूरा मजा दे दिया।

मैंने पूछा- और तुम्हें कैसा लगा?

पूनम- मुझे कौन सा छोड़ दिया। मुझे भी तो बहुत तड़पाया। एक बात बताऊँ, बुरा तो नहीं मानोगे?

“हाँ बोलो क्या बात है।”

पूनम- कल पारुल का कोई जन्मदिन नहीं था। वो बस दोनों तुमसे मिलने के लिए झूठ बोली थीं।

मैंने कहा- पता है मुझे। मैंने कल उसके पर्स में स्कूल का कार्ड देखा था जिसमें उसका जन्म की तारीख लिखी थी।

उसके बाद उसने मुझे गले लगाया और कहा- भूल तो नहीं जाओगे?

मैंने कहा- नहीं और कुछ न सही अच्छे दोस्त तो रहेंगे ही।

फिर उसने मुझे अंदर से एक बड़ा सा तोहफा दिया, जो बंद था। पहले मैं मना कर रहा था, पर उसने दोस्ती की खातिर रखने को बोला तो रख लिया। घर आकर खोला तो उसमें मेरे लिए कपड़े और कुछ और चीजें थीं।

अब हम अच्छे दोस्त हैं, कभी जरुरत होती है, तो वो पूरी कर देते हैं, चाहे कोई सी भी… समझ गए न आप कौन सी जरुरत?? हा हा हा।

तो बताइए कैसी लगी आपको मेरी यह कहानी? मुझे आपके मेल का इन्तजार रहेगा।

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