प्यार सेक्स या धोखा-1
हाय दोस्तो, मेरा नाम योगेन्दर शर्मा है, मेरे घरवाले मुझे योगी और दोस्त पंडित कहकर पुकारते हैं, मेरी लम्बाई 5.8 इंच है और कसरत करने से शरीर कसा हुआ है। भगवान ने चेहरा भी ठीक ही दिया है, न तो ज्यादा बुरा और न ही ज्यादा अच्छा। परन्तु मेरे शरीर को सूट करता है। जो भी लड़का मुझे देखता बस यही कहता भाई मेरा भी शरीर ऐसा बनवा दो।
मैं अर्न्तवासना पर एक साल से कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। इन कहानियों में कुछ सच्ची लगती हैं, तो कुछ बिल्कुल बकवास। जिन पर मैं चाह कर भी विश्वास नहीं कर पाता। तो कुछ इतनी सच्ची कि मैं रोने पर मजबूर हो जाता हूँ। इस साइट के माध्यम से हम अपने दुख और खुशी की बातें दूसरों को बताते हैं और कहानियों का मजा लेते हैं।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
कहानी चार साल पहले की है। उस समय मेरी उम्र 18 साल थी। मैंने बी एस सी में अपने नजदीक के शहर में दाखिला लिया। मुझे बस 2-4 ही शौक थे। खाना, सोना, चश्मे और टोपी पहना, जिम जाना और मार-पीट यानि दादागिरी करना। लड़कियों की तरफ मैं कभी ध्यान नहीं देता था।
मुझे आज भी याद है वो कॉलेज का पहला दिन, मैं हमेशा कॉलेज लेट ही जाता था, जैसे ही मैं कक्षा के दरवाजे पर पहुँचा, सभी लड़कों और लड़कियों की नजर मुझ पर टिक गईं।
मैं और मेरा दोस्त कक्षा के दरवाजे पर पहुँचे। हम दोनों ने सफेद कपड़े पहने थे आँखों पर काले चश्मे और सिर पर टोपी। सारी कक्षा के लड़के-लड़कियों की नजर हम पर थी।
दो लड़के आए और अपना नाम बताया और हमारा पूछा। उनका नाम राहुल और जय था। हम उनके पास बैठकर बात करने लगे। उन्होंने बताया कि कक्षा में दो गुट बने हैं और नितिन नाम का लड़का दादागिरी करता है। इतने में ही नितिन दो लड़कों के साथ कक्षा में आ गया, उसकी नजर हम पर थी।
वो राहुल से बोला- लग गया चमचागिरी में?
फिर मुझसे बोला- ओए इधर आ।
मैं खड़ा हुआ और उसके पास चला गया।
वो बोला- हीरो है क्या? ये चश्मा और टोपी उतार।
मैंने मना कर दिया।
वो डेस्क पर बैठ गया और बोला- नहीं उतारेगा?
“नहीं !”
“दादा बनोगे?”
“अभी तो बाप भी नहीं बना।”
“मुझसे बकवास कर रहा है बहन के लौड़े, तेरी माँ को चोदूँ।”
मैं सब कुछ सुन सकता हूँ पर कोई मेरी माँ और बहन की गाली दे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करता।
मैंने उसे चुप होने का इशारा किया।
“क्यों साले मारेगा मुझे?” और मेरी छाती पर लात मार दी।
मेरा सिर डेस्क से लगा और एक लड़की की चूचियों से लगकर गोद में गिर पड़ा। मेरे सिर से खून निकलने लगा जिससे उस लड़की का सारा सूट खून में सन गया, सभी लड़कियाँ हँसने लगीं।
एक लड़की हँसते हुए बोली- नितिन सभी नये छात्रों का ऐसे ही स्वागत करता है।
मैं बोला- तो कमी भी क्या है? पहले दिन ही लड़की की गोद में लेटा हूँ।
वो चुप हो गई।
जिसकी गोद में मैं गिरा था, उसने मेरे सिर पर रुमाल रख दिया।
नितिन बोला- कुतिया, यह क्या तुम्हारा भाई है, जो इसकी सेवा में लग गई।
यह सुन कर वो लड़की रोने लगी।
मैं खड़ा हुआ और जाते ही उसके गाल पर तमाचा जड़ दिया। मेरी उंगलियाँ उसके गाल पर छप गई, वो उठा और मारने को हाथ चलाया। मैंने उसका हाथ पकड़कर कमर से लगाया और पीछे से गर्दन पकड़र उसका सिर 2-3 बार डेस्क में दे मारा जिससे उसके सिर और मुँह से खून निकलने लगा।
झगड़े की जानकारी पाते ही हमारे टीचर आ गये और मुझे कक्षा से निकाल दिया। मैं घर आ गया।
दूसरे दिन कॉलेज पहुँचा और डेस्क पर सिर रखकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद वो लड़की आई जिसके ऊपर मैं गिरा था।
“आप ठीक हो?”
मैंने सिर उपर उठाकर देखा तो दंग रह गया। मेरे सामने एक परी जैसी लड़की खड़ी थी। उसने सफेद कपड़े पहने थे और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान। होंठ बिल्कुल लाल, उसका फिगर बिल्कुल हीरोइन उर्मिला जैसा। कहने का मतलब मस्त थी और आवाज कोयल जैसी।
“क्या हुआ आप ठीक हो ना?”
“हाँ मैं ठीक हूँ, पर आप कौन?”
“आप मुझे नहीं जानते?”
“नहीं।”
“मेरा नाम गीता है और कल आप मेरी ही गोद में गिरे थे।”
“ओ सॉरी !”
“किस लिए?”
“वो कल मेरी वजह से आपके कपड़े खराब हो गए थे और नितिन आपसे उल्टा सीधा बोला।”
“उसे छोड़ो, उस कुत्ते की तो आदत है और मुझे तो बहुत तंग करता है।”
“तो आप उससे कुछ कहती नहीं हो?”
“क्या कहूँ, वो तो बेशर्म है।”
“अगर अब आपसे कुछ कहे तो थप्पड़ मार देना, फिर मैं देख लूँगा साले को।”
“क्यों? आप मेरे लिए ऐसा क्यों करोगे?”
“नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। बस मुझे पसन्द नहीं है कि कोई लड़का किसी लड़की को तंग करे।”
“ठीक है।”
“पर क्या तुम मुझसे दोस्ती करना पसन्द करोगे?” गीता अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली।
“क्यों नहीं।” मैंने उससे हाथ मिला लिया। क्या मुलायम हाथ था। आज पहली बार किसी लड़की का हाथ पकड़ा था और पकड़ते ही करेन्ट सा लगा।
“अब छोड़ भी दो।” गीता हँसते हुए बोली, “और यह आप चश्मे क्यों पहने रखते हो और आपका नाम क्या है?”
“यह मेरा शौक है, वैसे तो मेरा नाम योगेन्दर है पर आप योगी कह सकती हो।”
“ठीक है, और आप मुझे गीत कहकर बुलाना।”
“ओके।”
फिर वो अपनी सीट पर चली गई।
राहुल मेरे पास आया और बोला- यार क्या कह रही थी गीता तुमसे? यह तो किसी से बात भी नहीं करती।
“कुछ नहीं यार, हाल चाल पूछ रही थी।”
धीरे-धीरे मेरी और गीत की बातें बढ़तीं गई। मैं हर वक्त उसके बारे में सोचता रहता। गीत कितनी अच्छी है, कितनी प्यारी बातें करती है, आदि। शायद मैं उसे प्यार करने लगा था। परन्तु मैं प्यार के बारे में कुछ जानता ही नहीं था।
लगभग 2 महीने बाद कॉलेज से जयपुर के लिए टूर जाने लगा।
मेरा इस बीच 3-4 बार और झगड़ा हो गया। इसलिए टीचर ने मुझे साथ ले जाने से मना कर दिया। मेरे दोस्तों और गीत ने बहुत सिफारिश की, पर टीचर नहीं माने।
गीत मेरे पास आई और बोली- मैं भी जयपुर नहीं जा रही।
“क्यों?”
“मैं तुम्हारे बिना नहीं जाऊँगी। आप चलोगे तो चलूँगी वरना नहीं।”
“ऐसा क्यों कर रही हो गीत तुम। मैं तो लड़का हूँ जब दिल करेगा घूम आऊँगा। परन्तु तुम्हें मौका मिले या नहीं।”
“मुझे नहीं पता, मैं अकेले नहीं जाऊँगी।”
“पर मेरे साथ ही क्यों तुम्हारी सहेलियाँ जा रही है ना।”
“मैंने बोला ना तुम चलोगे तो चलूँगी वरना नहीं।” गीत गुस्से में बोली।
मुझे भी गुस्सा आ गया, “अच्छी जबदस्ती है। मुझे नहीं जाना। तुम्हें जाना हो तो जाओ पर मेरा पीछा छोड़ो।”
गीत रोने लगी और उठ कर चल दी। मैंने सोचा कि मैंने ठीक नहीं किया और उसके पीछे चल दिया।
“गीत सुनो…सुनो तो सही ! गीत यार सॉरी, सॉरी यार, अच्छा ठीक है मैं चलूँगा। यार बोल दिया ना चलूँगा।”
गीत रुक गई और आँसू पोंछते हुए बोली, “सच?”
“हाँ !”
“कैसे?”
“तुम टीचर के साथ चलना, मैं अलग से आ जाऊँगा।”
“सही में?”
“हाँ, परन्तु तुम मेरे साथ ही क्यों जाना चाहती हो?”
गीत ने मेरा हाथ पकड़ा और पार्क में ले गई। हम दोनों बैठ गए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
गीत बोली- मैं जिस दिन तुम्हें नहीं देखती। मेरा कहीं भी दिल नहीं लगता। अगर तुम जयपुर नहीं आए तो मैं कैसे रह सकती हूँ।
“क्यों? तुम्हारा दिल क्यों नहीं लगता?” मैं उसे तड़पाने के लिए मजाक करने लगा।
“योगी, तुम तो बिल्कुल बुद्धू हो।”
“क्यों?”
“तुम कोई बात समझते ही नहीं, बस मार-पीट करना जानते हो और कुछ नहीं।”
“क्या नहीं समझा मैं?”
“मुझे नहीं पता।”
“गीत बताओ ना।”
“प्लीज !”
“जब किसी को ऐसा होता है तो समझो उसे प्यार हो गया है।”
“अच्छा तो तुम्हें प्यार हो गया है, पर किससे?”
कहानी जारी रहेगी !
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