नीला के चक्कर में-2

राजा गर्ग 2014-03-22 Comments

प्रेषक : राजा गर्ग

हैलो दोस्तो, आप सबको आंटी के मज़े के बारे में तो मैंने बता दिया था, मगर नीला के बारे में कुछ नहीं बताया था। अरे यार तब तक कुछ हुआ ही नहीं था।

चलो अब बताता हूँ। आंटी ने उस दिन के बाद कई बार मुझे घर पर बुलाया और अपने साथ सारे मज़े कराए। मैंने आंटी के मुम्मों पर बहुत सारे लव बाइट्स दिए, पूरे मम्मे उन्हीं से लाल हुए पड़े थे। जब भी आंटी के यहाँ जाता, नीला को ढूँढता रहता था। आंटी मुझसे अपनी ठरक मिटवाती रहतीं और मैं बस नीला के बारे में ही सोचता रहता। आंटी को तो मैं ढंग से खा चुका था, मगर नीला से तो अभी कोई बात ही नहीं हुई थी।

एक दिन मैंने आंटी से कहा- आंटी वो आपकी भतीजी है न नीला, वो इस सबके बारे में जानती है?

आंटी बोलीं- हाँ शायद, मगर समझदार है, कुछ नहीं बोलती।

मैंने कहा- है तो वो भी एकदम मस्त वाला पटाखा।

आंटी बोलीं- आखिर भतीजी किसकी है।

मैंने आंटी से अपनी इच्छा ज़ाहिर की कि मुझे एक बार नीला की भी लेनी है।

आंटी बोलीं- वो ऐसे नहीं मानेगी। मन किसका नहीं होता, मगर ऐसे कैसे मानेगी?

मैंने कहा- कुछ तो करवाओ आंटी, या अपनी सेवायें बंद करूँ आपके यहाँ से भी !

आंटी ने कहा- रुक ना, मैं कुछ करती हूँ, मगर सुन, वो अभी बच्ची है और तू जानवर जैसा हो गया है। उसे मेरी तरह चबा मत जाइओ, आराम से हैंडल करियो, कहीं बात बिगड़ न जाए, मैं चुपके से तेरा काम करवाऊँगी।

मैंने कहा- ठीक है।

और मैंने मन में सोचा पहले साली को नीचे तो आने दो, तब देखते हैं।

खैर कुछ दिन बाद आंटी का मेरे पास फ़ोन आया- आज मौका है, नीला से मैं अपने शरीर की मालिश करवाऊँगी, तू उस वक्त से पहले आ जाना।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं तैयार होकर आंटी के यहाँ पहुँचा, नीला कहीं बाहर गई हुई थी, आंटी ने मुझे अपनी अलमारी के पीछे छुपने के लिए बोल दिया और खुद बाहर चली गईं।

इतने में नीला आ गई और आंटी उससे बोलीं- आज वो उनके शरीर की मालिश कर दे।

नीला ने कहा- ठीक है आप अपने कमरे में लेट जाओ, मैं वहीं आती हूँ।

आंटी आईं और अपने कपड़े उतार कर लेट गईं और नीला भी एक सिर्फ टी-शर्ट और बॉक्सर में आंटी के कमरे में हाथ में तेल लेकर आ गई। उसने शायद अन्दर कुछ नहीं पहना था।

वो आंटी से बोली- आंटी कुछ तो पहन लो।

मगर आंटी ने कहा- नहीं ऐसे ही सारे में लगा दे, सारे बदन में दर्द होता है।

नीला इस बात से अनजान थी कि मैं उसी कमरे में हूँ और उन दोनों को देख रहा हूँ। आंटी उससे तेल लगवाने लगीं। आंटी इतनी कमीनी निकली उस लड़की से भी मज़े ले रही थी।

वो लड़की जब उनके मम्मों पे हाथ लगा रही थी, तब उन्होंने उसका हाथ पकड़ कर, अपने मम्मों पर कस के मसल लिया। नीला ने आंटी के मम्मों पर मेरे दांतों के निशान देखे, तो उसने पूछा- ये क्या है आंटी?

आंटी ने बोल दिया- एक मकड़ी मसली गई थी।

मेरी हँसी छूटते-छूटते रह गई।

नीला समझ तो रही थी, मगर वो कुछ नहीं बोली। करीब आधे घंटे बाद उस औरत ने बोला- अब बस।

फिर आंटी नीला से बोलीं- आ जा, तुझे भी तेल लगा दूँ।

उसने झेंप कर मना किया, मगर आंटी ने कहा- कोई नहीं… लगवा ले !

वो मान गई।

वो बिस्तर पर लेट गई और अपनी टी-शर्ट ऊपर कर ली।

मगर आंटी ने कहा- ये सब तो उतारना पड़ेगा।

खैर उसने अपनी टी-शर्ट ऊपर कि कसम से लाजवाब नज़ारा था वो, एकदम कसा हुआ बदन, प्यारे से मगर भरे हुए चूचे, सॉरी… ‘टिट्स’ जैसा माल वैसा नाम।

आंटी ने उसके शरीर पर तेल मलना चालू किया और आंटी ने धीरे-धीरे उसके गुप्त अंगों को मसलना चालू किया। नीला ने प्यार से मीठी आहें भरनी चालू कीं। यहाँ आंटी मज़े ले रही थीं और वहाँ मैं अलमारी के पीछे खड़ा अपने लंड का गला घोंटे जा रहा था। मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मगर आंटी नीला को शायद और गर्म कर रही थीं।

आखिरकार नीला गर्म हो चुकी थी और पूरे मज़े ले रही थी। आंटी ने उसे उल्टा लिटाया और उसकी गाण्ड के आस-पास तेल लगाना चालू किया और धीरे से उसके दोनों छेदों में उंगली देनी चालू की।

मैं महसूस कर सकता था नीला की वो ‘आहें’ जो मुझे चीख चीख कर कह रही थीं कि वहाँ क्या खड़ा है चूतिये !

इतने में आंटी ने मुझे हाथ से इशारा किया, मैं धीरे से गया और अपना लंड हाथ में पकड़ा, चुपके से बिस्तर के ऊपर अपने घुटने टिकाए और पीछे से जाकर नीला के ऊपर झटके से चढ़ गया, नीला एकदम हड़बड़ा गई और छटपटाने लगी। मगर मैं उसके शरीर पर पूरी तरह से कब्ज़ा पा चुका था।

नीला चिल्लाने लगी- मुझे छोड़ दो।

मगर मैं उस वक़्त हब्शी हो चुका था, मैंने उससे कहा- बहुत दिन हो गए तुझे देखते हुए, बहुत तड़पाया है तूने ! आज मौका मिला है, आज नहीं छोड़ूंगा तुझे !

वहीं नीला अपनी आंटी की तरफ देख कर कह रही थी- आंटी, प्लीज मुझे बचा लो।

मगर आंटी तो प्यार से उसका शरीर ही सहला रही थीं, आंटी बोलीं- एक बार करवा ले, कुछ नहीं होगा।

मगर वो कहे जा रही थी- आपने मुझे कहाँ फंसा दिया।

मैं नीला से बोला- देखो, अब तुम आराम से मेरा साथ दो, तो तुम्हें ज्यादा तकलीफ नहीं होगी !

नीला एकदम से चुप सी पड़ गई।

मैंने कहा- नीला सब करते है ये, तुम भी कर लो, और मैं वैसे भी तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ, तुमसे ज़बरदस्ती नहीं होगी मुझ से।

नीला बोली- मैंने सुना है कि इसमें ज्यादा दर्द होता है !

तभी आंटी बोली- पगली वो तो पहली बार हल्का सा दर्द होगा, मगर फिर मज़ा आने लगेगा।

वो बोली- आंटी पक्का न, देखो प्लीज़ आराम से करना, और वो आंटी से बोली- कहाँ फंसा दिया मुझे।

आंटी बोलीं- आगे-आगे देख क्या होता है।

मैंने नीला को आहिस्ते से अपनी तरफ खींचा, और उसकी दोनों टाँगे अपनी जाँघों के ऊपर से निकालीं, नीला ने डर के मारे आंटी के मम्मे को जकड़ लिया था और बार-बार कह रही थी- आराम से करना !

मैंने उसकी चूत के छेद पर अपना लंड रखा और नीला की तरफ देखा, वो पसीना-पसीना हो रही थी। मैं उससे लिपटने-चिपटने को बेताब हो रहा था, मैंने धीरे से अपना लंड अन्दर डाला और जैसे ही मेरा लंड थोड़ा अन्दर गया, नीला ने झटके से मुझे पीछे धकेल दिया और चीखी- मुझे नहीं करना यह सब !

तब आंटी ने समझाया- नीला समझ न, यह लड़का अब तुझे वैसे भी नहीं छोड़ेगा, तो तू आराम से करवा ले, वरना बेकार में तेरी बुरी हालत हो जाएगी, तू चिंता मत कर ज्यादा दर्द नहीं होगा।

नीला बेचारगी सा मुँह बनती हुई मान गई। मैंने फिर नीला को पकड़ा और फिर उसकी चूत में लंड डाला। इस बार मैंने और प्यार से अन्दर प्रवेश कराया, मेरा लंड अन्दर जा रहा था और नीला के हाथ का दबाव आंटी के मम्मों पर बढ़ता जा रहा था।

वो हल्का-हल्का काँप रही थी। मैंने फिर अपना लंड बाहर निकाला और फिर हचक कर पूरा अन्दर तक डाल दिया।

“आई माँ.. मार दिया !!” और कस कर आंटी के मम्मों को नोंच लिया।

आंटी प्यार से उसकी छाती सहला रही थीं। वो चीख रही थी, शायद उसकी झिल्ली फटी थी और थोड़ा खून भी आया था। वो डर गई, मगर आंटी ने उसे समझा दिया। खैर दर्द तो उसे हो ही रहा था। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे एक कपड़े से पोंछा, फिर नीला की चूत को पोंछा। इतने में आंटी बर्फ़ लेने चली गईं।

आंटी के जाते ही मैं नीला पर दोबारा चढ़ा और उसकी चूत में लंड डाला और इस बार मैंने कतई रहम नहीं किया क्योंकि मैं जानता था कि अगर आंटी वापस आ गईं, तो मुझे मेरी मर्ज़ी नहीं करने देगी। मैंने नीला की चूत में अपना लंड पूरा अन्दर तक बाड़ दिया था। नीला जोर से चिल्लाई, मैंने झपट कर उसका मुँह बंद कर दिया।

इतने में आंटी भाग कर वापस आईं, तब तक मेरी मशीन चालू हो चुकी थी। मैंने नीला को धक्के मारने चालू कर दिए थे, वो चीख रही थी।

आंटी मुझ से बोलीं- मैंने तुझे मना किया था न कि इसका पहली बार है !! छोड़ कमीने।

आंटी ने मुझे धक्का दिया।

मैंने कहा- हट जाओ आंटी, अब तुम्हारी बच्ची को मैंने औरत बना ही दिया है।

वहाँ नीला मेरे नीचे पड़ी-पड़ी धक्के खा रही थी और चिल्ला भी रही थी। उसने मुझे अपने ऊपर से हटाने की पूरी कोशिश की, कभी मेरा मुँह को नोंचा और कभी मेरे मुँह पर थप्पड़ मारे, मगर मैं डटा रहा और मैंने अपनी मशीन चालू रखी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

धीरे-धीरे नीला की चीखें आहों में बदलती जा रही थीं, वो समझ तो गई थी कि अब वो छूट तो पाएगी ही नहीं, तो वो थोड़ी ढीली पड़ गई। शायद उसे मज़ा भी आने लगा था। अब नीला के अन्दर भी भावनायें जागने लगी थीं। वो भी इन सब चीजों को एन्जॉय कर रही थी। उसने अपने होंठों को एक-दूसरे के नीचे दबा लिया था।

नीला को मैंने थोड़ी देर के लिए छोड़ा, तो नीला उठ कर बाथरूम में चली गई और मैं उसके आने का इंतज़ार करने लगा क्योंकि अभी तो उसकी बस नथ ही उतरी थी, अभी उसकी शर्म खोलना तो बाकी था।

इससे आगे क्या हुआ, अगले भाग में पढ़िएगा।

मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category चुदाई की कहानी or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

नीला के चक्कर में-2

Comments

Scroll To Top