मुन्नू की बहन नीलू-3
कहानी का पिछला भाग: मुन्नू की बहन नीलू-2
शाम के चार बज रहे थे। यह दो घंटे चुदम-चुदाई में कैसे निकले पता ही नहीं चला। मेरा लंड काफी थक सा गया था। मुझमें भी उठने की क्षमता नहीं थी- सोचा घर चलें।
फिर सोचा नीलू की गांड मार कर चला जाए। फिर उसे सामने से भी तो चोदना था। बड़ी असमंजस में था मैं। यह सोचते हुए ना जाने कैसे मुझे नींद आ गई। थोड़ी देर में मैं एकदम से हड़बड़ाकर उठा। देखा, चारों और सन्नाटा और नीलू अभी भी लस्त थी।
उसकी पीठ पर धीरे से हाथ फेरा। उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा। वो ऊंह-ऊंह कर के उठी। अपने आप को देखकर पता चला कि वो मेरे साथ थी। वो भी नंगी। एक बार तो वो शरमाई, फिर हंस पड़ी। अब हंसी तो फँसी। मैं उसकी गोद में लेट गया।
उसने अपना एक मम्मा मेरे मुँह में डाल दिया और कहा- चूस बेटा। मेरी चूत का तो आज तुमने हलवा बना दिया, एकदम कोरी चूत थी, उसका भोसड़ा बना के रख दिया।
यह सब सुनते मेरा भैय्यालाल फिर से हिलने लगा।
मैंने कहा- नीलू बेबी ! लेट जाओ। तुम्हें आगे से चोदूंगा।
नीलू ने कहा- पहले मेरी चूत को गीला करो।
मैंने उसकी चूत में ऊँगली घुसेड़ी, थोड़ी सूख गई थी। लेकिन मेरी ऊँगली की कम्पन से फिर से उसमे जान आ गई और वो फिर थोड़ी गीली हो गई। मैं उसकी चूत को और ऊँगली करता रहा। जब बिलकुल तैयार हो गई, तब मैं उसके बीच में आया। उसके हाथ में लंड दिया और कहा- मेरी जान इस कलम को अपनी दवात में डाल लो।
उसने तो कमाल ही कर दिया। मेरे लंड को पकड़कर अपनी ढाई इंच की चूत पर लम्बाई से रगड़ने लगी- ऊपर के छेद से नीचे के छेद तक। ऐसा तकरीबन उसने तीन चार मिनट तक किया। फिर मेरे लंड को प्यार से मसला और बोली- तैयार है मेरा शेर। ले घुस अपनी मांद में और मचा तबाही।
मैंने नीलू की दोनों टांगें उठाईं और उसकी चूत में एक जोर का झटका दिया और पूरा नौ इंची अन्दर।
उसने ऐसी चीख मारी और मेरे बाजुओं को ऐसे भींचा कि उसके नाखून मेरे भुजाओं में घुस गए।
मैंने मुन्नू की फोटो देखी और कहा- देख मुन्नू, तेरी नंगी जिज्जी की चूत पर मैं कैसे हमला बोल रहा हूँ। अबे साले उसकी सील मैंने तोड़ी है। अब देख कैसे इसको मैं चोदता हूँ।
नीलू की दोनों टांगें मेरे कन्धों पर थी। उसकी दोनों गुदाज़ बाहें सर के ऊपर थीं। किसी भी लौंडिया को चोदते समय उसके दोनों हाथ ऊपर रख दो- लौंडिया और भी सेक्सी लगेगी।
नीलू ने मुझे देखा और कहा- मेरी चूत फ़ाड़ कर ही रखोगे आज? मैं मर जाऊंगी।
खैर। आप यह कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
नीलू ने फिर से एक कनफ़ोड़ चीख मारी और कहा- निकालो इसे ! मुझे नहीं कुछ करवाना।
मैंने उसकी एक न सुनी। उसकी एक टांग अपने कंधे पर रखकर मैं उसे धकापेल चोदने लगा। नीलू आह आह करती रही। लेकिन कुछ ही पलों में सामान्य हो गई और वो भी झटके देने लगी। मैं कभी उसके मम्मों को दबाता और कभी उसकी टांग चाटता। लेकिन जब उसकी जाँघों पर ऊँगली फेरता तब वो खूब उछलती- लेकिन साब क्या चुदाई थी वोह। जब भी कोई मस्त लौंडिया को चोदो तब उसके चेहरे के भाव ज़रूर पढ़ने चाहिएँ।
नीलू इतनी चुदक्कड़ निकलेगी मैंने कभी सोचा नहीं था।
अब उसने भी मुझे झटके दिए। उसकी गोरी सी प्यारी सी चूत को मैं रौंद रहा था। मैं चाहता था कि एक बार चुदते हुए मुन्नू देखे। मैं उसे दिखाना चाहता था कि एक लंड का इस्तेमाल कैसे करना चाहिये। खैर मैंने नीलू को फिर से इस तरह आठ-दस मिनट तक चोदा।
शायद वो फिर झड़ने वाली थी, बोली- अज्जू मैं झड़ने वाली हूँ ! आज तो मेरी चूत से पांच लीटर रस निकला होगा। और चोदो मुझे। जोर से पेलो। और तेज़ करो और तेज़।
मैंने कहा- ले नीलू और चुद ! और चुद रानी। यह चूत तो होती ही चुदने के लिये। और यह लंड भी तुम्हारा है मेरी बिल्लो। और चुद !
ऐसा कहते मैं उसे और स्पीड से चोदने लगा।
मैंने कहा- ले मेरी जान ! निचुड़ जा।
अब लगा कि जैसे मैं भी फटने वाला हूँ, मैंने कहा नीलू- मेरा रायता भी निकालने वाला है। कहाँ डालूँ? चूत के अन्दर डाल दूं क्या?
उसने कहा- चूत छोड़कर कहीं भी गिरा दो।
मैंने उसको और जोर से चोदा।
वो बोली- अज्जू कितना बढ़िया चोदते हो तुम यार। खूब चोदो मुझे।
मेरा लण्ड फटने से पहले मैंने अपने लण्ड को नीलू की झांटों पर रख दिया। लंड का सारा रायता उसकी झांटों पर फैल गया मैंने उसकी झांटों पर खूब लंड घुमाया। काली काली घुंगराली झांटों में मेरा श्वेत रायता ओस की बूँदों की तरह दिख रहा था।
मैं उसकी चूत देखता रहा- मज़ा आ गया।
मैंने जोर से बोला- अबे मुन्नू देख तेरी जिज्जी की चूत का क्या कर डाला। इसकी प्यारी सी चूत को मैंने तहस नहस कर डाला।
नीलू बोली- क्या कह रहे हो मुन्नू से?
मैंने कहा- मेरी जान, तेरे भाई ने एक बार मुझे चेतावनी दो थी कि मैं तुझसे दूर रहूँ और मैंने प्रण किया था कि तुझे चोदूँगा ज़रूर ! और आज मेरी ख्वाहिश पूरी हो गई। मैं चाहता हूँ कि मुन्नू देखे कि तू मेरा लंड कैसे लेती है, कैसे चूसती है और मेरे लंड से कैसे चुदती है।
नीलू बोली- तुम लड़के लोग भी ना !?!
मैंने नीलू की चूत को देखा, रायता सूख रहा था- ऐसा लग रहा था जैसे नीलू अपनी झांटों में कलफ लगवा कर आई हो।
नीलू की साँसें अब भी बहुत ही तेज़ चल रही थी। उसके मम्मे ऐसे ऊपर नीचे हो रहे थे मानो कोई जहाज़ समुद्र में हिचकोले खा रहा हो। मैं निढाल हो कर नीलू पर लेट गया और उसके गाल चूमने लगा। फिर धीरे से उसके बगल में लेटकर उसका एक मम्मा हौले से दबाने लगा।
अन्तर्वासना डॉट कॉम पर ही इस कहानी के अगले भाग में होगा कि किस तरह मैंने नीलू की गांड फ़ाड़ी।
कहानी का अगला भाग: मुन्नू की बहन नीलू-4
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