मेरे दोस्त की बीवी-4
(Mere Dost Ki Biwi-4)
प्रेषक : नवीन सिंह
मैंने रात को ही रचित को फोन किया- लाइन साफ़ है, कल का कार्यक्रम तय है भाई ! और फोन सुजाता के कान में लगा दिया।
वो बोला- ठीक है भाई, कल देख तू तेरे बीवी को कैसे चोदता हूँ। वो बोलेगी कि मजा आ गया, ऐसा कभी नवीन ने कभी नहीं किया ऐसा जोरदार सेक्स ! कल भाभी की चूत को सही लण्ड मिलेगा।
“ठीक है, बाय यार ! कल मिलते हैं, कल चोद लेना जितना चोदना हो अपनी भाभी को !
आने वाले कल का जोश सब के सर चढ़ कर बोल रहा था।
सवेरे हम अपने काम पर निकल गए, शाम को सबको रचित के घर जमा होना था, खाना भी वहीं था और पीना भी !
हमने साथ बैठ कर शराब पी और मस्ती का दौर चालू हो गया।
मैं रचित के लण्ड पर हाथ लगा कर बोला- देखो सुजाता, रचित का !
और रचित ने भी मेरा लण्ड पकड़ लिया।
सुजाता शरमा गई। फिर भाभी आ गई- हटो, मैं मजा लूंगी नवीन के साथ तो !
रचित हट गया, मैंने सुजाता के भी कपड़े खोलने शुरू कर दिए और साथ ही मैं बबिता भाभी को भी चूम रहा था।
जैसे ही मैंने सुजाता की ब्रा खोली, रचित बोला- वाह भाभी ! आपके चूचे क्या माल हैं !
वो उनके ऊपर झुक गया उनको ऐसे चूमने लगा जैसे उसने पहली बार चूचियाँ देखी हों।
बबिता भाभी भी नंगी हो गई।
हम सब नंगे थे। सुजाता ने जैसे ही रचित के लण्ड के हाथ लगाया, वो बोली- वाह ! इसको कहते हैं लण्ड ! यार नवीन, धन्यवाद यार ! तुम जैसा पति सबका होना चाहिए। भाभी बोली- नहीं सुजाता, रचित जैसा पति ! इन्हीं का चमत्कार है कि हम दोनों एक दूसरे के पति से चुद रही हैं।
सुजाता ने रचित का लण्ड मुँह में ले लिया और इधर भाभी ने भी मेरा लण्ड मुँह में ले लिया। आज मैं ऐसा नजारा देख कर जल्दी झड़ने वाला था, मैंने कहा- भाभी मैं झड़ने वाला हूँ !
“आने दो भैया ! मैं तुम्हारे वीर्य की प्यासी हूँ !”
सुजाता ने उसको ऐसा करते हुए देखा तो बोली- यह क्या भाभी?
भाभी ने कहा- ऐसा तो बहुत अच्छा लगता है, एक बार तुम भी रचित का पीकर देख लो, अच्छा लगे तो आगे करना नहीं लगे तो कोई बात नहीं।
फिर क्या था, सुजाता ने रचित का लण्ड मुँह में ले लिया और बड़े मजे से चूसने लगी। इधर भाभी भी मेरा लण्ड मुँह में लेकर बहुत अलग अहसास दे रही थी।
थोड़ी देर में मैं भाभी के मुँह में झड़ने लगा। उधर रचित सुजाता के मुँह में !
सुजाता ने रचित का सारा वीर्य पी लिया। थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे।
फ़िर हमने खाना खाया ऐसे ही नंगे ! बस थोड़ा बहुत तन को ढक रखा था। खाने से ज्यादा ध्यान एक दूसरे की ओर था।
मैं और रचित तो ऐसे ही खाना खा रहे थे। सुजाता ने खाना खाते हुए रचित का लण्ड हाथ में ले लिया।
खैर हम खाने से निबट कर फिर बिस्तर पर थे।
इस बार अपनी अपनी बीवी के साथ सेक्स शुरू कर रहे थे, दोनों को मजा आ रहा था क्योंकि माहौल ही सेक्सी था। थोड़ी देर हमने ऐसे ही किया। फिर बीवियों को बदल कर करने लगे।
दोनों खुश थी- अब आया मजा हमको ! अपने अपने पसंद का लण्ड मिल गया है।
ऐसे ही कई महीनों तक चलता रहा, फिर हम बोर होने लगे हमको और कुछ नया चाहिए था !
एक दिन रचित बोला- यार, अब मजा कम हो गया है ! क्यों न हम विशाल को भी इस खेल में शामिल कर लें?
विशाल हमारा दोस्त है।
मैंने कहा- ठीक है, पर वो मान जायेगा क्या?
रचित ने कहा- हाँ, मान जायेगा। मेरी उसके साथ भी खुली बात होती है, तो वो जरूर मान जाएगा, ग्रुप सेक्स का उसको भी शौक है।
मैंने कहा- ठीक है ! यार, उसकी बीबी बहुत हॉट है, साथ में मिल कर चोदेंगे, मजा आएगा और वो हमारी बीवियों को चोदेगा।
तब मैं बोला- ठीक है यार, इसी को तो लाइफ कहते हैं।
और उसने विशाल को फोन लगा दिया, बोला- तुझे नवीन की बीवी को चोदना है क्या? अगर हाँ तो जल्दी आ जा मेरे दफ्तर में !
“यार, नवीन की बीवी मेरे से चुद जाये तो मेरे लाइफ बन जाएगी !” विशाल बोला।
“तो जल्दी आ ! मैं बताता हूँ उसको कैसे चोदेगा तू।”
वो दस मिनट में आ गया पर मुझे वहाँ देख कर डर गया।
मैं बोला- कोई बात नहीं, आओ यार विशाल !
और रचित ने उसको सारी योजना बताई।
वो मान गया और बोला- यार, मैं भी ग्रुप सेक्स का मजा लेने के लिए तरस रहा हूँ। वैसे मेरे बीवी भी ग्रुप सेक्स का मजा लेने की इच्छुक है।
फिर विशाल के घर ही हमने कार्यक्रम रखा, हम चारों वहाँ गए, खाना खाया और सेक्स की बात करने लगे आपस में।
विशाल अपनी बीवी के स्तन दबाने लगा, मैं भाभी के, रचित सुजाता के !
थोड़ी देर मैं सब कितनी बार अलट-पलट करते रहे, पता ही नहीं चला।
विशाल की पत्नी सोनिया का बदन देख कर मेरा और रचित का तो एक एक बार ऐसे ही हो गया। क्या मस्त फिगर है !
वो भी बहुत बड़ी चुदक्कड़ निकली, उसने रचित और मेरे दोनों के साथ अकेले सेक्स किया। विशाल मेरी बीवी और भाभी को चोद रहा था।
हमारी तो ख्वाहिश पूरी हो रही थी, विशाल मेरे बीवी को ज्यादा मजे ले कर चोद रहा था। उसको वो बहुत पसंद थी, बोला- यार नवीन, भाभी को चोदने के सपने तो मैंने बहुत देखे थे, आज मेरे दिल की तमन्ना पूरी हो गई।
वो बोला- तुम कहो तो मेरा एक दोस्त है, जिसके साथ हम सेक्स करते हैं, उसको भी शामिल कर लेते हैं? मेरे बीबी ने खूब चुदाई करवाई है उससे !
“क्या नाम है उसका?”
“दिवाकर !”
“और उसकी बीवी का?”
वो बोला- उसके बीवी नहीं है, वो तो मेरे बीवी को मजे देता है।
“मतलब तुम उससे अपनी बीवी को चुदवाते हो?”
वो बोला- हाँ, इसको वो अच्छा लगता है।
“ठीक है, क्यों भई, बुलवाना है क्या एक लण्ड और तुम्हारे लिए?”
वो बोली- हाँ !
और दिवाकर को फोन किया, वो आ गया। फिर वहीं सबने मिल कर सेक्स किया।
दिवाकर ने विशाल का लण्ड मुँह में लिया। यह देख कर सब चौंक गए। रचित ने पूछा- यह क्या है?
वो बोला- आखिर मेरे बीबी को चोदता है, कुछ मजा मुझे भी तो देगा न !
और उसने बारी-बारी से सबका लण्ड मुँह में लिया। यह अलग अहसास ज्यादा मजा दे गया।
दिवाकर का एक दोस्त भी हमारे जुड़ गया और उसकी बीवी भी !
मजा बढ़ता जा रहा था और हमारी टीम में लोग भी बढ़ते जा रहे थे। हमारी टीम में आठ मर्द और सात महिलाएँ हो गई हैं और सेक्स कौन किसके साथ करता है, पता ही नहीं चलता है। हाँ बस हमें अलग चूत का मजा आ रहा था और हमारी बीवियों को अलग अलग लण्ड का मजा आ रहा था।
कहानी के बारे में राय भी बताएँ, यह कहानी सच है, अगर और कोई शक है तो बिना संकोच पूछ सकते हैं।
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