कुछ दिन सबर करो !

sweet_simple_raj 2006-08-01 Comments

प्रेषक :

दोस्तो, मेरा नाम रोहित है और मैं अंबिकापुर का रहने वाला हूँ। आज मैं आप लोगो को अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।

बात आज से दो साल पहले की है, मेरी दोस्ती नेट से अंबिकापुर के पास में ही रहने वाली एक लड़की से हुई, वो अंबिकापुर से २५ किलोमीटर दूर रहती थी और रोज सुबह अंबिकापुर के कॉलेज आती थी।

पहले २-३ दिन तो हमने नेट में ही ४-५ बजे तक बात की, उसके बाद मैंने उससे उसका मोबाइल नंबर माँगा जो कि उसने देने से मना कर दिया। फिर मैंने उसे अपना नंबर दिया और कहा कि जब तुम्हें लगे कि हमें फ़ोन से बात करनी चाहिए तुम खुद मुझे कॉल कर लेना !

उसने बोला- ठीक है !

जैसा मैंने सोचा था, दो दिन बाद उसका कॉल आया, उससे पहली बार बात करके ही मुझे लगा कि उसमें चुदाई की बहुत प्यास है। मैंने भी देर ना करते हुये पहले ही दिन उसके साथ फ़ोन सेक्स किया, फिर हम रोज ही फ़ोन सेक्स करने लगे।

कुछ दिनों बाद मैंने उसे बोला- मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ !

तो वो पहले तो ना नुकुर करने लगी, फिर मान गईइ। मंगलवार की दोपहर को वो अपने घर में कुछ बहाना करके अंबिकापुर आई, उसने मुझे कॉल करके बोला कि वो एक रेस्टोरेंट में है। मैं जैसे ही रेस्टोरेंट के नीचे पहुंचा, वो मेरी कार में आकर बैठ गई। उसने जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी और बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। जैसे ही मैने कार टाऊन से बाहर निकाली, वो मुझसे लिपट गई और मुझे पागलों के जैसे चूमने लगी। मैंने भी देर न करते हुए कार को सुनसान जगह में रोक दिया और उसे चूमने लगा।

वो मदहोश होने लगी थी, मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसके मम्मों को कपड़ो के ऊपर से दबाना शुरु कर दिया। उसने पहले बोला कि यह क्या कर रहे हो?

तो मैंने बोला- तुझे प्यार कर रहा हूँ मेरी जान !

तो उसने मुझे दिखाने के लिए बोला- ये सब गलत है !

तो मैने बोला- प्यार में कुछ सही-गलत नहीं होता !

फिर वो मान गई, मैंने उसका टॉप ऊपर कर दिया। उसने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी थी। जैसे ही मैंने उसकी ब्रा खोलनी चाही, उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और बोली- आज नहीं कुछ दिन सबर करो !

मैंने भी जल्दबाजी नहीं की और उस दिन सिर्फ चुम्बन और मम्मों को दबा के काम चला लिया। फिर तो हम रोज मिलने लगे, वो रोज कॉलेज आती और मैं उसे कॉलेज के सामने से अपनी कार में बैठा के ले जाता और कॉलेज ख़त्म होने के पहले कॉलेज के सामने छोड़ देता था, सुबह ७ बजे से लेकर दोपहर को २ बजे तक हम घूमते रहते थे मैं उसके मम्मे चूसता था वो मेरा लौड़ा चूसती थी। मैं कार चलाता रहता और वो मुझे चलती कार में किस करती और मेरे लौड़े से खेलती रहती थी, पर कभी कार में चुदाई का मौका नहीं मिला।

एक दिन नवरात्र की रात को मैं जगराते में घर से बाहर था, रात को ११ बजे उसका कॉल आया कि प्लीज़, आज रात मेरे घर आ जाओ !

मैंने बोला- तू पागल हो गई है? खुद भी मरेगी और मुझे भी मरवाएगी !

तो उसने बोला- घर में सब सो गए हैं, आज मुझे रात भर जी भर के चोदना ! बस एक बार आ जाओ !

उसकी ऐसी बातें सुन कर मेरा भी लौड़ा खड़ा हो गया। मैंने जाकर वोदका के चार पैग पिए और दो पैग कोल्ड ड्रिंक के साथ मिलाकर पैक करवा के उसके घर ले गया। पहली बार उसके घर जाने में मेरी गांड तो फट रही थी पर सामने वो नंगी भी दिख रही थी। मैने सोचा- आज जो भी हो जाये, आज तो उसको चोद के रहूँगा !

मैं जैसे ही उसके घर पहुंचा, वो मुझसे लिपट गई। मैने बोला- मैने तेरी बात मानी, अब तुझे भी मेरी बात माननी होगी और ये वोदका पीनी पड़ेगी !

वो मान गई, उसने एक ही बार में दोनों पैग वोदका पी लिए। फिर वोदका के नशे में झूमते हुए उसने मेरी जींस में हाथ डाल दिया और मेरा लौड़ा बाहर निकाल के चूसने लगी…..

दोस्तो, रात के दो बज गए हैं और यह कहानी लिखते लिखते मेरा लौड़ा खड़ा हो चुका है, आगे की कहानी आपके विचारों के बाद जारी रहेगी…

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