जिस्म की मांग-2

(Jism Ki Maang-2)

लीला रानी 2009-12-13 Comments

कहानी का पिछ्ला भाग: जिस्म की मांग-1

हम दोनों खड़े हुए, खून का धब्बा बोरे पर देखा- यह क्या हुआ?

“तेरी जवानी की झिल्ली फटी है रानी !”

“बिटटू मुझे धोखा मत देना, देख इसमें कोई शक नहीं रहा कि तुमने ही मेरी सील तोड़ी, यकीन करो पहला मौका तेरे संग है !”

“फिकर मत कर !”

मैं नादान उसकी बातों में आई, एक साथ नहाने के बाद मैंने गीले कपड़े ही पहने और भाग गई। वो भी निकल गया।

अब स्कूल जाते वक़्त वो मुझे कागज़ पकड़ाने लगा, मिलने को बेताब था। आग मेरी में भी उतनी ही थी, मौका और जगह नहीं थी। मेरी बड़ी बहन के भी यार थे, अपनी बहन को बिटटू से चक्कर का मैंने बता दिया कहा कि मुझे उससे मिलना है।

शाम को सैर के बहाने में बहन के साथ नहर पर चली गई, उसने भी अपने एक आशिक को वक़्त दिया था, चारे के खेत में मेरी कलाई पकड़ खींच लिया।

उसने खेत के बीच में दाती से चारे को काट कर गोल सा दायरा बनाया था उस पर बोरा बिछा रखा था।

“आओ रानी, सुहाग सेज पर बैठो !”

पहले मैंने आज अपने दिल से उसका लौड़ा चूसा, वो बहुत खुश था, मुझे उसका पानी भी बहुत भाया था।

उसने मुझे आज कुतिया बना दिया, घोड़ी बना कर लौड़ा फुद्दी में घुसा दिया।

“यह क्या? इस तरह?”

“रानी, क्या इसमें मजा नहीं आता तुझे?”

“आता है, मगर पता नहीं था ! उस दिन तो आपने अलग तरीके से किया था?”

थोड़ी देर बाद उसने मुझे उसी मुद्रा में बिछा कर वार पर वार किये और मैं झड़ने लगी।

जल्दी ही उसका भी जब होने लगा उसने खींच कर निकाला और मेरे मुँह में घुसाने लगा। पहले ही निकल गया और कुछ होंठों पर, गालों पर, लेकिन उसने लौड़े से लगा लगा कर सारा चटवा दिया।

पूरा एक साल हम दोनों का खेल ऐसे ही चला। मैंने उसको शादी के लिए कहा तो वो टालने लगा और फिर मुझे खबर मिली कि उसकी मंगनी हो गई है और दिसम्बर में शादी है।

मेरा दिल नहीं माना- यह झूठ होगा।

फिर बहुत कठिनाई से मेरा उससे संपर्क हुआ, उसने मुझे नहर पर बुलाया, मैं रोने लगी, उसने कहा- मजबूरी है, माँ ने कसम दे दी है।

बोला- लेकिन मेरा दिल तेरा रहेगा, जब कहेगी, आऊँगा, प्यार मेरा सिर्फ तुम हो !

कई दिन बाद मिले थे, मैं उससे चिपकने लगी, उसकी बाँहों में जाकर मुझे उसकी शादी भूल गई, वासना आँखों में नाचने लगी क्यूंकि यह जिस्म कुछ और भी मांगता है !

प्यार भुला कर जिस्म मुझ पर हावी हो गया, तन की प्यास आग बुझवाने के लिए मैंने पहल कर दी। आधा घंटा दोनों गुत्थम-गुत्थी होते रहे।

मैं जितनी मायूस थी, अब उतनी खिली-खिली थी, तन मन पर हावी हो गया। अब वो शादी में व्यस्त हो गया, हफ्ते में एक बार में उसे खेत में बुलाती ही बुलाती थी। मेरे लिए वो आता भी था, तन की आग बुझा कर चला जाता था।

उसकी शादी हो गई, नई नवेली लड़की मिल गई थी, उसके नशे में वो मुझे भूलने लगा था, मेरा फ़ोन भी कहाँ उठाता था।

एक दिन मैं अड्डे पर कंप्यूटर कोर्स करने के लिए शहर जाने के लिए बस की इन्तज़ार में खड़ी थी, अड्डे में मैंने उसको बाईक पर उसकी बीवी के साथ जाते देखा, वो भी बहुत खूबसूरत थी।

मैं जान गई कि यह उसकी मजबूरी नहीं थी, उसको अनछुई और मेरे जैसी सुंदर औरत मिल गई थी।

तभी उसका दोस्त बाबू, जो अपनी कार में था, आया और मेरे करीब कार रोक दी- बैठो भाभी जी ! मैं भी शहर जा रहा हूँ।

मैं बैठ गई।

“तुम अब मुझे भाभी क्यूँ कहते हो, अब तो उसकी असली बीवी को भाभी कहा करो और नई भाभी की गोदी में बैठा करो !”

“मैं तो आपकी गोदी में बैठना चाहता था !”

“उसकी मर्ज़ी !”

” पर मैं तो आपकी गोदी में बैठना चाहता हूँ !”

“वो बेवफा निकला !”

“तो क्या हुआ? तुम दिल पर क्यूँ लगाये बैठी हो? हम हैं ना ! वो तो खेतों में मिलने आता था, एक हम हैं कि पूरा फार्म हाउस खाली पड़ा रहता है, शहर कोर्स करने जाती हो, तो कोई शहरी कबूतर पकड़ा या नहीं? वैसे आप बहुत सुंदर हो !” मेरी जांघ पर हाथ फेरता हुआ बोला।

मेरे अंदर लहर बन निकली।

“हमें मौका तो दो लीला ! हम भी प्यासे हैं !”

“तुम भी !”

“मेरे वाली धोखा देकर विदेश के लालच में चली गई, कहो तो चलें फार्म हाउस में?”

मैं मुस्कुरा दी।

हाय भाभी ! सॉरी हाय लीला डार्लिंग, !”

उसने वहीं से यू-टर्न मारा।

“लेकिन वहाँ तेरे घरवाले तो नहीं होंगे?

“अरे लीला नहीं ! उसका पूरा कामकाज मैं देखता हूँ !” जांघ से हाथ आगे सरकाते हुए फुद्दी पर हाथ फेरता हुआ बोला- लगता है भट्टी तप रही है, लेग पीस डालना पड़ेगा।

उसका फार्म हाउस इतना बड़ा और सुंदर था, नौकर ने सैल्यूट मारा, सीधी कार गेराज में लगाई, वहाँ से उतर अंदर गए।

उसने मुझे अपने कमरे में ए.सी ऑन करके बिठाया- लीला तुम कितनी सुंदर हो !

इतने में नौकर कोल्ड ड्रिंक लेकर आया, देकर गया।

थोड़ी देर बैठे रहे, फिर मेरे पास आकर बैठ गया, हाथ जांघों में रेंगने लगा था। उसने अपनी कमीज़ उतार दी उसका सीना बिटटू से ज्यादा चौड़ा और फौलादी था।

उसने मुझे अपनी ओर खींच कर सीने से लगाया, मैं खिंचती चली गई उसकी तरफ।

उसने आराम से मेरी कमीज़ उतारी, गर्दन से चूमता हुआ मुझे गर्म करने का पॉइंट खोजने लगा।

जब उसने मेरा चुचूक मसला फिर चूमा तो मैं मचलने लगी, उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और दोनों मम्मे फड़फड़ाते बाहर निकले, उसने पकड़ लिए, चूमने लगा। मैंने उसके लौड़े को उसकी पैंट के ऊपर से दबोच लिया, ऊपर से चुम्मा ले लिया।

“हाय लीला रानी, बहुत सयानी हो मेरी जान !”

“यह लौड़ा होता ही ऐसा है बाबू !”

उसने अपनी पैंट उतारी, मैंने झट से उसका अंडरवीयर उतारा और लौड़ा चूमने लगी।

“हाय मेरी जान, परफेक्ट हो तुम तो !”

उसने भी मेरी सलवार का नाड़ा खींचा, मैं खड़ी हुई, सलवार गिर गई, मैंने उठा कर एक तरफ़ रख दी।

उसने बोला- टांगें फैला रानी !

मेरी चिकनी जांघें देख वो पागल हो गया। उसने मेरी चड्डी उतारी, होंठ लगा दिए, चूसने लगा। फिर उसने मेरी टांगें उठवा कर अपना लौड़ा घुसा डाला।

“कितना मस्त स्टाइल है !”

उसने जोर जोर से मुझे ऐसा पेला मानो सुपर फास्ट दौड़ रही हो, चप-चप की आवाजें कमरे में उठने लगी, साथ में मेरी मीठी सिसकारियाँ गूंजने लगी।

“हाय मेरे राजा ! और मार, और मार ! फुद्दी बहुत दिनों की प्यासी है।”

“लीला डार्लिंग, हमारी शरण में आई हो, अब प्यासी कभी नहीं रहोगी।”

दोनों गंदी गंदी बातें करते हुए झड़ने लगे।

“हाय बाबू, तुमने मुझे संतुष्ट कर दिया, कई दिन से प्यासी नदी में आज तुमने पानी छोड़ दिया, आज तुमने मुझे ख़ासा सुख दिया है।”

उसने मुझे अपना नंबर दिया- जब तेरा दिल चाहे चुदने को मुझे फ़ोन कर देना !

और हम दोनों मिलने लगे, वक़्त बीता, एक रोज़ बिटटू मेरी शरण में आया उसकी बीवी ने झगड़ा किया था उसके साथ पहले मैंने उसको दुत्कार दिया था, बदला लेने की भावना से मैंने उसको अपने बिस्तर में शरण दे दी, उसको वो सुख दिए जो मैंने बाबू से सीखे थे।

अब बिटटू अपनी पत्नी को मना कर घर तो ले गया मगर मेरे बिस्तर के मोह ने उसे मेरी तरफ खींचा क्यूंकि यह जिस्म कुछ और भी मांगता है।

एक के बाद जब मैंने दूजे से नाता जोड़ा, मतलब बाबू से नाता जोड़ा, यह जानते हुए कि वो मेरे जैसी से शादी नहीं करेगा, बस वो मेरे शौक पूरे करता था, बदले में मैं उसे अपनी जवानी देती, मुँह को जब कच्ची उम्र में सेक्स का रस चख जाए तो, ऊपर से उन मर्दों के साथ जिनके साथ मैं जानती थी कि मेरा घर नहीं बसा पायेगा, बाबू के घरवाले भी उसकी सगाई कर चुके थे।

उधर बिटटू मुझ पर पैसे लुटाने लगा, उसकी पत्नी मेरे तक होटल पहुँच गई, उसने मुझे गाली दी- कुतिया, कमीनी, यहाँ तक कि मुझे रखैल भी कह दिया।

वैसे मैं उसके कहे शब्द से सहमत थी, जब कोई लड़की शादीशुदा मर्द को अपने बिस्तर में बेरोक जगह दे तो नाम यही मिलेगा। मगर मुझे यह शब्द सुन कर अलग मजा आया, मेरा सेक्स भड़का, अभी तो मैं बाबू की रखैल भी बन सकती थी, पर अब बिटटू में दम नहीं रहा था, वो दारु पीता था, नशे में रह रहकर उसका स्टेमिना ख़त्म हो चुका था। बिटटू के ढीले लौड़े से मेरा मन उब गया।

उधर बाबू ने मुझे वादा किया था कि शादी के बाद कुछ दिन बाद वो दुबारा मुझे मिलना शुरु कर देगा।

कहानी जारी रहेगी।

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