बरसात की हसीन रात-2
(Barsat Ki Haseen raat- Part 2)
मेरे सभी दोस्तों को मेरा प्रणाम !
मेरी पहली कहानी आपने पढ़ी और जो प्यार भरे मेल किए उनके लिए धन्यवाद !
पर वह कहानी वहीं ख़त्म नहीं हुई थी।
अगले दिन जब मैं सुबह उठा तो में अकेला ही बिस्तर में था, शीला मेरी बगल में नहीं थी।
मैंने शीला को पुकारा तो उसने कहा- आ रही हूँ ! तुम ब्रश करके तैयार हो जाओ !
मैं उठ कर तैयार हो गया।
दस मिनट बाद एक लड़की लाल रंग की साड़ी पहन कर मुँह पर घूँघट किए मेरी तरफ चली आ रही थी। मुझे पता था कि वह शीला ही होगी पर चेहरा ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था, उसकी साड़ी पारभासक थी, उसमें से उसका गोरा पेट और उसके गहरे गले के ब्लाउज से उसकी वक्षरेखा दिखाई दे रही थी। उसके हाथ में दूध का गिलास था, वह मेरे नजदीक बिस्तर पर बैठ गई और मुझे दूध का गिलास हाथ में देकर कहने लगी- लो पी लो दूध ! आज तुम्हें बहुत मेहनत करनी है फ़िर से !
मैंने उसकी आवाज़ सुनी और मैं समझ गया कि यह शीला ही है और इसका आज भी बहुत कुछ करने का मन है।
मैंने दूध पीया और उसका घूंघट उठाया।
दोस्तो, मैं आपको क्या बताऊँ ! वह क्या लग रही थी !
उसको इतना खूबसूरत मैंने कभी नहीं देखा था !
वह मेरी तरफ देखने लगी, उसकी आँखों में इतनी शरारत भरी हुई थी ! मैंने उसको वैसे ही चूमना शुरू किया, वह भी मुझे उसी तरह से चूमते हुए मेरा साथ देने लगी।
हम दोनों उसी तरह आधा घंटा एक दूसरे को चूमते रहे। मैं उसके स्तन भी दबा रहा था।
वह बहुत गर्म हो गई थी, मैंने उसको लिटा दिया और उसकी साड़ी आराम से उतार दी। उसने अन्दर सिर्फ लाल रंग की ब्रा और चड्डी पहनी थी, पेटिकोट और ब्लाऊज गायब था तो मुझे पता लगा कि ब्लाऊज़ ना पहनने के कारण ही मुझे ऐसा लगा था कि जैसे उसने काफ़ी गहरे गले का ब्लाऊज पहना हो !
मैंने उसको फ़िर से चूमना और उसके चूचे दबाना शुरू कर दिया। वह सिसकारियाँ लेने लगी।
मैंने उसके चुचूक को ब्रा के ऊपर से दाँतों में पकड़ लिया तो वह जोर से आह-आह करने लगी। मुझे पता था उसको ऐसा करना बहुत पसंद है।
मैंने दस मिनट तक वैसे ही उसके दोनों चुचूकों को चूसा, फ़िर मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उन दोनों कबूतरों को खोल कर आज़ाद दिया। इन दोनों कबूतरों को रात ही मैंने बहुत चूसा था इसलिए वे लाल हो रहे थे और इतने खूबसूरत दिख रहे थे ! कि यारो, मैं उनको फ़िर से चूसने लगा।
उसे भी बहुत मजा आ रहा था, वह मेरा सिर जोर से अपने वक्ष पर दबाने लगी। मैं उसके स्तनों का रस पीने लगा।
थोड़ी देर बाद में उसके पेट पर अपनी जुबान घुमाने लगा तो वह मचलने लगी थी, तड़पने लगी थी, मेरे बाल पकड़ कर मुझे बोल रही थी- मत करो राजा ! प्लीज मत करो ! गुदगुदी होती है !
मैंने उसकी बात नहीं मानी और पाँच मिनट उसको वैसे ही करता रहा। वह हंस हंस कर मचल रही थी।
फ़िर उसकी चूत पर पहुँच गया मैं !
तब मैंने देखा कि उसकी चड्डी चूत के छेद के स्थान पर गीली हो गई थी। मैंने उसको वहीं चाटना शुरु किया। मैं जब उसके पेट पर मस्ती कर रहा था, शायद तभी वह एक बार झड़ गई थी।
उसकी योनि से मस्त सुगन्ध आ रही थी और उस सुगन्ध से जैसे मुझे नशा सा चढ़ रहा था।
मैंने उसकी चड्डी उतार दी और मुझे एक बार फ़िर उस खूबसूरत चूत के दर्शन हो गए। रात की तरह मैं उसकी चूत को चाटने लगा, उसमें अपनी जुबान घुसा कर अन्दर के माल को चूसने लगा।
वह भी खूब उत्तेजित हो रही थी और मेरे सिर को जोर से अपने वस्ति-स्थल पर दबाने लगी, रगड़ने लगी। मैं उसकी पसंद के अनुसार ही उसकी चूत चाट रहा था।
वह अपने हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी, हम दोनों अनजाने में ही अब 69 अवस्था में हो गए और एक दूसरे को चाटने लगे। करीब बीस मिनट बाद मैंने सीधे होकर उसको पीठ के बल लिटाया और अपने लण्ड को शीला की चूत के दाने पर रगड़ने लगा।
वह जोर जोर से बड़बड़ा रही थी, कह रही थी- ऐसा मत करो ! सीधा अन्दर डालो ! मत तड़पाओ !
पर मुझे उसको थोड़ा तो तड़पाना था और फ़िर वह मजा देना था जो उसको चाहिए था।,
मैंने थोड़ी देर में लण्ड उसकी चूत में घुसाया, धीरे-धीरे धक्के देने लगा। थोड़ी देर बाद जब शीला मेरा साथ देने लगी तब मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और जोर से उसे चोदने लगा।
अब कमरे में सिर्फ चीखने की और गालियों की आवाज गूंज रही थी।
20 मिनट के बाद हम दोनों झड़ने वाले थे, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और 2-3 धक्के लगते ही उसके मुँह में झड़ गया। उसने मेरे लण्ड को प्यार से चूस कर पूरा पानी पी लिया।
सुबह के गयारह बजे चुके थे पर थकान के कारण हम दोनों वैसे ही नंगे सो गए।
दोपहर करीब साढ़े बारह बजे हम दोनों उठ गए और बाथरूम में नहाने गए। वहाँ बाथरूम के अन्दर भी शीला को चोदने को मन कर रहा था मेरा !
जैसे ही हम शॉवर के नीचे गए, शीला ने मेरे लण्ड को साबुन लगाया और साफ किया और मुँह में लेकर चूसने लगी। धीरे-धीरे मेरे लण्ड में जान आई और फ़िर से तैयार हो गया शीला की चुदाई के लिए।
मैंने भी उसकी फ़ुद्दी साबुन से साफ की और चाटने लगा। थोड़ी देर बाद उसको वैसे ही दीवार से चिपक कर खड़े होने को कहा और अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।
करीब 20 मिनट बाद हम दोनों चरम सीमा पर एक साथ ही पहुँचे।
जब हम बाथरूम से बाहर आए तो दोपहर के दो बज रहे थे।
हम दोनों ने खाना खाया और सो गए। शाम के छः बजे हम दोनों उठ गए, चाय पी रहे थे तब उसने मुझे कहा- अब तुम मेरे बदन की मालिश करो अच्छे से तेल लगा कर !
मैंने तेल से उसकी बढ़िया सी मालिश की।
उस रात को क्या हुआ यह मैं आपको अगली कहानी में बताता हूँ।
मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी मुझे मेल करके ज़रूर बताएँ।
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