लॉकडाउन में पुरानी क्लासमेट डॉक्टर से सेक्स- 3
(Classmate Sex Kahani)
क्लासमेट सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी कॉलेज की दोस्त मुझसे चुदाई के लिए आतुर हो रही थी. यही हाल मेरा भी था. उसकी चूत पर लंड रखा ही था मैंने कि …
दोस्तो, मैं संजीव कुमार एक फिर से अपनी पड़ोसन डॉक्टर प्राची की चुत चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
क्लासमेट सेक्स कहानी के पिछले भाग
क्लासमेट की चूचियों का दूध पीया
में अब तक आपने पढ़ा था कि प्राची मेरा लंड चूस कर वीर्य पी चुकी थी और मेरे साथ फिर से कामुक हरकतें करने लगी थी.
अब आगे क्लासमेट सेक्स कहानी:
प्राची की कामुक हरकतों से मेरा लंड भी फिर से खड़ा होकर प्राची को सलामी देने लगा था.
मैं अपना हाथ उसके बदन पर घुमा रहा था. कभी नंगी पीठ पर, तो कभी दूध से भरे उरोजों के निप्पल को उंगलियों में लेकर मसल देता, कभी उसकी मदमस्त गोरी जांघों को मसल देता, तो कभी उसकी चुत में उंगली डाल देता.
प्राची भी मेरे लंड को सहला रही थी. बीच में ही हल्के से अपने नाखून मेरे लंड पर गड़ाए जा रही थी.
अब मैं धीरे धीरे उसकी गर्दन पर चूमते हुए उसकी छाती पर आ गया. उसके उभारों से थोड़ा सा दूध चूसकर निप्पल दांतों से काटते हुए उसके सपाट पेट पर अपनी जीभ फेरने लगा.
धीरे धीरे मैं उसकी चूत की ओर बढ़ रहा था.
मैं उसके पेट से सीधा उसके पैरों के पास चला गया. उसके पैर की एक एक उंगली को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
प्राची के लिए मानो ये सब पहली बार ही हो रहा था.
वो हर एक क्रिया का आनन्द ले रही थी.
फिर मैं उसके पैरों पर जुबान फेरते फेरते उसकी जांघों तक चला आया. उसकी मदमस्त गोरी मांसल जांघों पर हल्के हल्के काटते हुए उसकी चुत पर अपना मुँह रख कर चूसने लगा.
प्राची की चूत फिर से पानी छोड़ने लगी थी और मेरे सात इंच के लंड को लेने के लिए तैयार थी.
मैं उठकर अपना लंड प्राची के मुँह के सामने ले आया.
वो समझ गई और उसने मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसकर पूरा गीला कर दिया.
मैंने अपने आपको प्राची की दोनों टांगों के बीच सैट किया और अपने लंड को चूत के होंठों के बीच ऊपर नीचे करने लगा.
प्राची मादक आहें भरने लगी.
मैंने लंड को उसकी चूत के ऊपर ठीक से रखा. प्राची की ओर देख कर, उसकी मौन स्वीकृति लेकर लंड को चूत में पेलने ही वाला था कि प्राची की बच्ची नींद से उठकर रोने लगी.
प्राची ने मुझे रोका और उठकर बेडरूम में चली गयी.
मेरे हाथ आया हुआ मौका चला गया था.
प्राची बच्ची को लेकर हॉल में आई. वो मुझे कपड़े पहनने का बोलकर उसने खुद भी अपनी शॉर्ट्स पहन ली.
फिर वो सोफे पर बैठ कर अपनी बेटी को दूध पिलाने लगी.
तब तक मैंने भी अपना शॉर्ट्स पहन लिया और जाकर प्राची के बाजू में सोफे पर बैठ गया.
मैंने घड़ी में देखा, तो सुबह के साढ़े ग्यारह बज चुके थे. हमारी कामक्रीड़ा में कब दो घंटे चले गए, इस बात कर पता ही नहीं चला था.
अब तो मुझे भी भूख लगी थी, तो मैंने भी प्राची के एक उरोज को मुँह में भर लिया और फ्रेश दूध पीने लगा.
प्राची ने मेरी तरफ देखा, तो मैंने अपने मुँह में भर दूध उसी को पिला दिया.
ये बड़ा ही कामुक करतब था.
थोड़ी ही देर में हम दोनों ने प्राची के उरोजों से निकले दूध से पेटभर दूध पी लिया.
अब मैं बच्ची के साथ खेल रहा था और प्राची खाना बनाने में जुट गई थी.
मुझे भी ऑफिस का थोड़ा काम करना था तो बच्ची को सुलाकर मैं अपने घर आ गया.
लेकिन काम में मन कहां लग रहा था. बार बार प्राची की गुलाबी दरार वाली चूत आंखों के सामने आ रही थी.
कैसे भी करके ये लॉकडाउन हटने से पहले मुझे प्राची के चूत के मजे लेने थे उसको सुकून से चोदना था.
लेकिन तभी किसको पता था कि ये लॉकडाउन जून महीने तक बढ़ता ही जाएगा.
शाम को जब मैं प्राची के घर गया, तो प्राची चाय बना रही थी.
मैंने पीछे से जाकर उसको दबोच लिया.
शायद मेरे आने का अहसास प्राची को पहले से ही था.
मैं प्राची की गर्दन पर किस करने लगा तो प्राची बोली- इतने भी क्या उतावले रहते हो तुम … यहीं हूँ मैं … कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
तब तक तो मैंने प्राची की टी-शर्ट ऊपर करके उसके मम्मों पर अपना कब्जा जमा दिया था.
‘तुम्हें तो कुछ बोलना ही बेकार है.’
ये बोलते हुए प्राचीने दो कप में चाय भर दी.
मगर मैंने प्राची को थोड़ा आगे को झुका दिया.
उसे समझ नहीं आया कि मैं क्या करने वाला हूं. मैं प्राची के मम्मों को दबाने लगा और उसके दूध की धार चाय के कप में छोड़ने लगा. आज पहली बार प्राची भी अपने दूध से बनती चाय पीने वाली थी.
हमने टीवी देखते देखते चाय खत्म की और इधर उधर की बातें करने लगे साथ ही मैं प्राची की गोरी आधी नंगी जांघों पर हाथ फेर रहा था.
धीरे धीरे उसके लोवर को ऊपर खिसकाते हुए अपना हाथ उसकी गर्म फूली हुई चूत पर घुमाने लगा. अपने हाथों से उसकी चूत को मसलने लगा.
तो प्राची बोली- तुम तो बस दिन भर मेरी चूत के पीछे पड़े रहते हो.
मैंने भी अपनी उंगली उसकी चूत में घुसाई और बोला- मनीष के आने से पहले इस खजाने को लूटना है मुझे, मेरा चूहा तेरी चूत में कैसे हल्ला मचाता है, वो दिखाना है.
इतना बोलकर मैंने उसके लोवर को खींच दिया और नीचे उसके पैरों के पास छोड़ दिया.
लोवर निकालने में प्राची ने भी अपनी गांड उठाकर मेरी मदद की.
चूत में उंगली करने की वजह से प्राची की चूत पानी कामरस छोड़ने लगी थी. तो मैंने अपनी जुबान फेरकर ‘सपर सपर ..’ करके उसका रस पी लिया और उसकी चूत को चाटने लगा.
प्राची को उसकी चूत चटवाना पसंद आ रहा था. वो मेरे बालो से खेल रही थी. कभी मेरा सिर अपनी चूत पर दबा देती.
मैं तो मस्त होकर उसकी चूत चाट रहा था. चूत की वो मादक गंध और उसका लिसलिसा स्वाद मिठास भरा लग रहा था.
थोड़ी देर चुत चाटने के बाद मैंने प्राची को मेरे ऊपर आकर 69 पोजिशन में मेरा लंड चाटने बोला.
तो प्राची अपनी दोनों टांगें फैला कर मेरे मुँह पर बैठ गयी और झुककर मेरा लंड चूसने लगी.
हम दोनों काम के दरिया में डूबे जा रहे थे कि तभी प्राची मेरे मुँह में झड़ गयी.
मैंने उसका पूरा पानी पी लिया. थोड़ा सा खट्टा लिसलिसा पानी किसी वोडका से कम नहीं था.
उस पानी का नशा मुझे अपनी चरम तक ले जाने लगा.
मैं भी अभी झड़ने ही वाला था. मैंने प्राची को बोला- मेरा पानी छूटने वाला है.
पता नहीं उसे क्या हुआ, वो उठकर बेडरूम में चली गयी और कुछ ही क्षणों में अपने साथ एक छोटी डिब्बी ले आयी.
उसने मुझे खड़ा होने बोला. मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैं बस चुपचाप खड़ा हो गया. फिर प्राची ने मेरे लंड को हाथ में लेकर मुठ मारना शुरू कर दिया.
एक मिनट में मैंने प्राची से कहा- मेरा निकलने वाला है.
जैसे ही मेरी पिचकारी छूटी, प्राची ने उस डब्बी का मुँह लंड के सामने रख दिया. फिर तो मेरे वीर्य से वो डिब्बी भरने लगी.
मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया कि प्राची मेरा वीर्य क्यों जमा कर रही थी.
लेकिन मैंने अभी इसके बारे में पूछना उचित नहीं समझा; फिलहाल तो मुझे बस उसे चोदने में रस था.
झड़ने के बाद हम दोनों सोफे पर बैठ गए. मैं प्राची को किस करने लगा तो वो भी मेरा साथ देने लगी.
मैं प्राची के होंठों को चूसते उसके कान के पास अपनी जीभ फेरने लगा. मैं उसके कान के पटलों पर हल्के हल्के दांत गड़ा देता, तो वो आह कर देती.
फिर धीरे धीरे मैं उसकी गर्दन को चाटते हुए काटते हुए उभारों तक आया और उसके गुलाबी निप्पल को अपने दांतों के बीच लेकर जोर से भींच लिया और खींचने लगा.
प्राची तो मानो जैसे तड़फ उठी, उसके मुँह से चीख निकल गयी और वो उसके निप्पल को मेरे दांतों से छुड़ाने के लिए मुझे दूर धकेलने लगी.
लेकिन ऐसा करने से उसके निप्पल और खींच रहे थे, तो वो फिर से तड़प उठती.
प्राची को ऐसे तड़पाने भी एक अलग मज़ा आ रहा था. मैं उसके एक निप्पल को चूसने लगा और दूसरे निप्पल को उंगलियों से मसलने लगा.
अब प्राची का हाथ भी मेरे लंड पर चला गया.
मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे लंड के नीचे लटक रही गोटियों को प्राची ने अपनी मुट्ठी में जोर से भींच दिया.
इसकी वजह से मैं तड़प उठा और मैंने भी उतनी ही जोर से उसके निप्पल को काट दिया.
प्राची की आंखों से पता चल रहा था कि उसको कितनी तेज तकलीफ हुई होगी; पर मैंने ध्यान नहीं दिया.
अब प्राची पूरी गर्म हो गई थी और मैं बिल्कुल देरी नहीं करना चाहता था.
मैंने उठकर प्राची की टांगों को खींचकर उसे थोड़ा आगे किया. उसकी टांगों को फैलाते हुए अपने आपको सही से पोजीशान में लाते हुए लंड का सुपारा चूत पर घिसने लगा.
प्राची की चूत यौन रस से पूरी तरह गीली हो चुकी थी. मैं बस लंड को चूत के लबों के बीच में ऊपर नीचे कर रहा था.
प्राची चूत में लंड लेने को इतनी उतावली हो चुकी थी कि वो अपनी गांड उठाकर मेरे लंड को चुत में लेने की कोशिश कर रही थी.
लेकिन मैं उसकी कोशिश को बार बार नाकाम कर रहा था.
“अब चोदो भी …”
प्राची गुस्से में बोली.
तो मैंने भी एक झटके में आधा लंड चूत में घुसेड़ दिया.
प्राची के मुँह से एक कामुकता से भरी आवाज निकल आई.
मैं अपने आधे लंड को ही चुत में घुसाए प्राची को चोदने लगा.
धीरे धीरे प्राची के मुँह से कामुकता भरी आवाजें बढ़ने लगीं.
तो मैंने लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरे जोश के साथ फिर से अन्दर पेल दिया. इस बार मैंने अपना पूरा सात का लंड चूत में उतार दिया था.
इस धक्के से प्राची की चीख निकल गयी और उसकी आंखों से पानी निकलने लगा- आह आह … धीरे करो!
प्राची बड़बड़ा रही थी.
मैं उसकी बात को नजर अंदाज करते हुए तेजी से उसकी चूत चोदे जा रहा था. प्राची की चूत पूरी टाइट लग रही थी … मानो बहुत महीने लंड नहीं खाया हो.
मैंने प्राची से पूछा, तो उसने भी यही बताया कि जब से मैं प्रेग्नेंट थी, तब से अब तक मैंने लंड का स्वाद ही नहीं चखा था. मनीष भी अब अधिकतम वक्त मेरे साथ अस्पताल में ही रहता है और इतना बड़ा लंड मेरी चूत ने पहली बार ही लिया है.
यह सुनकर तो मैं और जोश में आ गया और प्राची की चूत में लंबे लंबे धक्के लगाने लगा था.
कुछ ही समय बाद प्राची की चूत ने पानी छोड़ दिया था.
लेकिन मैं तो अभी और लंबा चलने वाला था.
चूत के छोड़े हुए पानी के वजह से चूत पूरी गीली हो चुकी थी और मेरा लंड भी अब आसानी से चूत के अन्दर बाहर हो रहा था.
फच्च फच्च की आवाज के साथ मैं प्राची की चूत चोदे जा रहा था.
इससे प्राची भी फिर से गर्म हो गयी थी.
मैंने प्राची की चूत से लंड निकाले बिना ही उसे अपने ऊपर उठा लिया और उसके चूतड़ों के नीचे हाथ डालकर उसे मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगा.
इस प्रकार खड़े खड़े ही मैं प्राची की चूत को चोदते हुए उसके उरोजों से दूध पीने लगा.
मेरे ऐसे करने से प्राची फिर से अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई और कामुक सिसकारियां लेते हुए मेरे लंड पर झड़ने लगी.
प्राची का गर्म पानी चूत में मेरे लंड के ऊपर से होता हुआ नीचे की ओर बहने का अहसास मुझे हो रहा था.
उसके गर्म पानी के वजह से अब मैं भी अपने चरम सीमा तक जा पहुंचा.
मैंने प्राची को नीचे लिटाया और पूरी ताकत से उसे चोदने लगा.
जब मेरा पानी निकलने वाला था, तो मैंने प्राची से पूछा- कहां निकालूं?
तो उसने बोला- अन्दर ही पानी छोड़ना … बहुत दिनों से प्यासी है मेरी चूत, तुम्हारे पानी से उसकी प्यास मिट जाएगी.
कुछ तेज झटकों के बाद मेरा गर्म गर्म लावा उसकी चूत में छूटने लगा. मैंने अपने वीर्य से चुत को पूरा भर दिया था.
आखिरकार प्राची चुद गई थी.
उसने उठकर अपनी चूत की ओर देखा. दोनों उंगलियों से चूत के लबों को फैलाया, तो धीरे धीरे मेरा वीर्य उसकी चूत से बाहर रिसने लगा.
उसने अपनी एक उंगली अपनी चूत में से निकलने वाले मेरे वीर्य में भिगोई और उसे अपने मुँह में डाल लिया.
वो उंगली को चाटते हुए बोली- आज पहली बार इतना सुख मिला है.
फिर मुझे किस करके वो बाथरूम की ओर जाने लगी, तो उसकी मस्त गदराई हुई गांड को छिपाए हुए मांसल चूतड़ देखकर मेरा लंड फिर से झटके मारने लगा.
पूरे लॉकडाउन में मैंने प्राची को कैसे कैसे चोदा, मुझे उसकी गांड मारने का मौका मिला या नहीं … प्राची के दूध का कैसे उपयोग किया और प्राची ने मेरे वीर्य का क्या किया. आगे की सेक्स कहानी में मैं सब बताऊंगा. तब तक घर पर रहें और सुरक्षित रहें.
मेरी क्लासमेट सेक्स कहानी आपको कैसी लगी?
संजीव कुमार
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