चिकनी चाची और उनकी दो बहनों की चुदाई-9
(Chikni Chachi Aur Unki Do Bahano Ki Chudai- Part 9)
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मैं आपका ज़ीशान … अब आपके सामने अपनी बिल्कुल सच्ची चुदाई की कहानी का 9वां भाग लेकर हाजिर हूँ.
अभी तक आपने पढ़ा कि मैंने हिना आंटी के स्लेव सेक्स को एन्जॉय किया था और उन्होंने मेरे लंड पर कूद कूद कर अपनी चूत का पानी निकाल दिया था.
हिना- बहुत मस्त था … जीशान … अब तेरी बारी … तुझे जो करना है कर ले, अब मैं तेरी हूँ.
आंटी ने मेरी हथकड़ियां खोल दीं. जैसे ही उन्होंने मुझे खोला … मैंने अपनी पूरी ताकत से एक चांटा दे मारा. मेरे झापड़ से आंटी नीचे गिर गईं. मैंने उन्हें ऊपर उठाया और एक और ज़ोर से चांटा दे मारा.
मैं- साली रंडी, अब तुझे देखता हूँ.
अब मैंने हिना आंटी को हथकड़ियां पहना कर लॉक कर दिया. मैं बहुत थक गया था, इसकी वजह से पहले मैं फ्रिज के पास पानी पीने गया. वहां जूस पिया और एक बोतल पानी आंटी के लिए ले गया.
मैं- हिना डार्लिंग पानी चाहिए?
हिना- हां जान दे दे.
अब आगे:
आंटी को प्यास लग रही थी. मैं पानी उन्हें देने जा रहा था, लेकिन मैंने उन्हें पानी नहीं पिलाया बल्कि पानी उनके ऊपर गिरा दिया.
हिना- नीचे क्यों गिराया, मुझे तो प्यास लग रही है.
मैं- रंडी, तुझे प्यास लग रही है … मैं बुझाऊंगा तेरी प्यास.
मैंने अपना पूरा लंड उनके मुँह में डाल दिया और अपनी पेशाब उनके मुँह में छोड़ने लगा.
आंटी लंड को बाहर निकाल नहीं पा रही थीं. वो कुछ कर ही नहीं पाईं, बल्कि आंटी ने मेरी पूरी पेशाब पी ली.
हिना- ये क्या कर दिया तूने? कोई कितना भी बेरहम हो, पेशाब थोड़े ही पिलाता है.
मैं- चुप रह रंडी, अब मैं जैसा कहता हूं, तू वैसे करना.
मैंने वहां रखा 10 इंच का डिल्डो हाथ में ले लिया. वो काफी मोटा भी था. मैं ज़ोर से उनकी चुत में घुसेड़ दिया. एक बार में ही करीब 8 इंच तक डिल्डो आंटी की चूत के अन्दर चला गया.
आंटी दर्द से चीखने लगीं- आआआह … मैं तो मर गई … धीरे.
फिर मैं वाइब्रेटर लेकर उनकी गांड में रखने लगा और डिल्डो को आगे पीछे करने लगा. आंटी तो मचल गईं- आआआह ऊऊऊउफ … उमम्म …
मैं ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से डिल्डो को आगे पीछे कर रहा था. मैंने वाइब्रेटर उनकी गांड में डाल दिया था. करीब 5 मिनट ऐसे करने से आंटी थक गईं और झड़ने वाली थीं. तभी मैंने तुरंत दोनों को निकाल लिया.
हिना- निकाला क्यों? दो मिनट और कर दे ऐसे ही प्लीज … मैं झड़ने वाली हूँ. प्लीज.
मैं- तू इतने जल्दी झड़ जाएगी, तो मुझे कौन मजे देगा रंडी.
मैं लॉक को खोलने लगा और उन्हें ऊपर उठा कर हग कर लिया, मैं आंटी को चूमता रहा. फिर मैं उन्हें विंडो के पास ले गया और उन्हें वहां खड़ा करके खिड़की से लॉक कर दिया.
हिना- ये तू क्या कर रहा है? यहां क्यों लॉक किया?
मैं- बस ऐसे ही, तुम मज़े लेना रंडी.
मैंने चाबुक लिया और एक ज़ोर से चिपका दिया. उनके गोरी जांघें लाल हो गईं.
मैं ज़ोर ज़ोर से चिपका रहा था, उनका बदन लाल हो गया था.
हिना- आह छोड़ दे मुझे … आज मेरी सब हसरतें पूरी हो गईं, अब मुझे छोड़ दे … कोई बचाओ ये मुझे मार ही देगा.
उनकी आवाजें ज़ोर से होने लगीं. मैं एक कपड़े से उनका मुँह बंद दिया. अब उनकी आवाज अन्दर ही रुकने लगी.
हिना धीमी आवाज में- आआआह …
मैंने करीब 50 बार चाबुक से उन्हें मारा. फिर मैंने उन्हें खोल दिया.
आंटी तो अब खड़ी भी नहीं हो पा रही थीं. मैंने ही उन्हें सहारा देकर बेड पे सुलाया और फिर से लॉक करने लगा.
हिना- और कितना करेगा … मार ही देगा क्या. प्लीज मुझे छोड़ दे. मेरी अभी कोई वासना बाकी नहीं बची है … छोड़ दे मुझे.
मैं- ऐसे कैसे छोड़ दूँ. मेरी वासना तो अभी पूरी नहीं हुई है.
मैंने आंटी गाल पर ज़ोर से चांटा मारा, वो चुपचाप रह गईं. मेरी नजर अब उनकी 38 साइज़ की चूचियों पर थी. मैं ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था और ज़ोर ज़ोर से काट रहा था. निप्पलों को भी काट रहा था. मुझे मज़ा आने लगा.
वहां आंटी का हाल बेहाल हो गया था- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
आंटी अब तक दो बार झड़ चुकी थीं, तो अब चुत मारने का फायदा नहीं था. इसलिए मैंने उनकी गांड मारने को सोचा. मैंने उनके मुँह से कपड़ा निकाल दिया और लॉक भी निकाल दिया.
मैं- बहुत दर्द सह लिया है आपने, अब मज़े ले लो.
हिना- नहीं होगा … बेटा मुझे छोड़ दे, नहीं तो मैं मर जाउंगी.
मैं- तुम्हें ये मौका दिया है … इसका फायदा उठाओ.
मैंने उन्हें कुतिया बनाया और डिल्डो भी हाथ में ले लिया. मैंने लंड से एक जोरदार झटका दिया … मेरा आधा लंड अन्दर चला गया.
आंटी की चीख तो रुकने वाली थी ही नहीं. मैं हाथ में जो डिल्डो था, जो मैंने उनकी चुत में डाल दिया.
आंटी का बदन कांप उठा- आआआह … इसे बेहतर तू मुझे जान से मार दे … मेरी गलती थी, मैंने तुझको ऑफर दिया और तुम्हें इतना मारा. मुझे माफ कर दो और मुझे छोड़ दो प्लीज.
मैं- अब तो कुछ नहीं होने वाला, बस मजे ले लो.
मैं धक्के पे धक्के मार रहा था. साथ ही मैंने नीचे हिना आंटी की चुत में डिल्डो डाल दिया था. आंटी के दोनों छेद भरे हुए थे. आंटी की चीख तो रुकने वाली ही नहीं थी.
हिना- आह और कितनी देर करेगा, मैं तो झड़ भी चुकी.
मेरा भी होने वाला था मैं और ज़ोर ज़ोर धक्के देने लगा. जब माल निकलने वाला था, मैंने तुरंत लंड बाहर निकाल कर उनके मुँह में रस छोड़ दिया.
अब हिना आंटी हाथ जोड़कर मुझसे बोलने लगीं- मैंने गलत लड़के से पंगा ले लिया. अब से ऐसे कोई नए हसरत नहीं रखूंगी. माफ कर दे.
मैंने हंस कर आंटी को चूम लिया. आंटी भी मुझसे चिपक गईं.
ऐसे आंटी की हसरत पूरी हुई.
मैं- अब प्यार से चुदाई होना कैसी रहेगी, मैं आपको दिखाऊंगा, बस आप संडे तैयार रहना. हम सब फार्म हाउस जाएंगे.
हिना- मुझे मारेगा तो नहीं ना?
मैं- आप अपनी दोनों बहनों से पूछ लें कि मैं औरत का कितना ख्याल रखता हूं. ये सब भोसड़पन आपने शुरू किया, इसीलिए हो गया.
हिना- हां यार गलती तो मेरी थी. मैं संडे तैयार रहूंगी.
मैं- वो डिल्डो, वाइब्रेटर और वो हैंड कफ्स भी रख लेना.
हिना- तू उन सबसे क्या करेगा.
मैं- इन सबको बिना दर्द हुए यूज कर सकते हैं. मैं आपको ये सिखाऊंगा. बस आप लेकर आ जाना और साथ में आलिया दीदी के कुछ अच्छे अच्छे ड्रेस लेकर आना.
आंटी ने हां कह दिया. मेरा भी तो हाल बुरा था. बड़ी मुश्किल से गाड़ी चला पाया. इस घटना से खुद को फिर से सही सलामत करने के लिए मेरे पास 5 दिन थे. मैं 5 दिन भी फार्म हाउस पर ही रहा. मेरा छोटा भाई खाना लेकर आता था. मैं उधर की ताज़ी हवा में खूब खाना और सोना करता था और स्विमिंग करता था. चार दिन गुज़र गए. एक ही दिन बचा था.
मैं वो विदेशी दवाई को निकालने लगा, उसको कैसे यूज़ करते हैं, ये सब पढ़ रहा था. रात को पापा से बोल कर कार मंगवा ली. सुबह भाई ने कार लाकर दे दी. मैं कार में पहले चाची के घर गया. घर के आगे जाकर हॉर्न बजाने लगा.
चाची- इतना जल्दी मत करो, अभी सब सामान इकट्ठा करना है.
मैं ही अन्दर गया और सब सामान ठीक करने लगा. चाची मौका ढूंढकर मुझे चूमने लगीं.
मैं- अभी नहीं … सब वहां मज़े करेंगे.
चाची ने सफ़ेद साड़ी पहनी थी, बालों में फूल लगाए हुए थीं. उस फूल की खुशबू मुझे मूड में ला रही थी. मैं कंट्रोल कर रहा था. सब सामान कार में रख दिया. चाची सब लॉक करके कार में आगे वाली सीट पर बैठ गईं. फिर हम परवीन आंटी के घर गए. वहीं पे परवीन आंटी और हिना आंटी दोनों थीं. तीनों बहनें वहीं पे बातचीत शुरू करने में लग गईं.
मैं- इन सबके लिए समय नहीं है. सब लोग जल्दी चलो.
दोनों आंटियां अपना सामान कार में रखने लगीं. वो दोनों पीछे बैठ गईं. मैं कार स्टार्ट करने लगा.
हिना- रेशमा, ये सब तेरी गलती है. तेरी वजह से इतना सब हुआ.
चाची- हां … मेरी वजह से ही तो तुम्हें इतना अच्छा लंड मिला. मेरा मिठाई बेटू.
चाची मुझे किस करने लगीं.
हिना- तुम्हें पता है इसने मेरे साथ क्या क्या किया?
परवीन- तुमने उसके साथ क्या क्या किया था, ये भी बता!
हिना आंटी अपने पेट के ऊपर मेरे दांतों के निशाने दिखाने लगीं और बोलने लगीं- इसने मेरी गांड मार दी.
परवीन- उसने तो मेरी भी गांड मारी है.
चाची- तुम दोनों की इतनी बड़ी गांड इसने मारी है. मैंने तो अभी तक गांड मरवाई ही नहीं थी, तब भी इसने गांड मार दी.
हिना- इसने मुझे खूब मारा, चाबुक से मारा. मेरा बदन पूरा इसके निशान रह गए हैं. मेरे पति के साथ मैं नाइटी में चुद रही हूं. अगर पूरी नंगी हो गई, तो उसके होश उड़ जाएंगे.
परवीन- गलती तेरी ही तो है. तेरी चूतियापने की हसरत से उसकी वासना जग गई. मैं उस दिन सब विंडो में देख रही थी.
हिना- उस दिन का छोड़ो. जब वो घर आया, तब तो मुझे बहुत मारा. अपना पेशाब मेरे मुँह में छोड़ दिया. क्या क्या बताऊं. ये बहुत हरामी है.
परवीन- याल्लाह … इतना सब किया. जीशान क्यों किया ऐसा?
मैं- आपको पता है कि मैं औरत का कितना सम्मान करता हूं और उसकी खुशी का ख्याल रखता हूँ.
परवीन- इसीलिए तो मैं तुम्हें इतना चाहने लगी हूं.
मैं- तो फिर आप ही सोच लो कि क्या हुआ होगा … इस रंडी ने भी तो मुझे चाबुक से मारा था, मेरा बदन पूरा काट दिया था. अपनी चुत का पानी भी पिला दिया. मैं क्या क्या बताऊं … आंटी ने मेरे साथ क्या नहीं किया था … आप दोनों को ये सब मैं वहां बताऊंगा.
परवीन- तुम दोनों क्या क्या कर दिया. ऐसा कोई करता है.
मैं- टेंशन मत लो, अब आंटी की हसरत के सब कीड़े शांत हो गए हैं. हैं ना आंटी?
हिना- हां बेटा हां … अब कोई हसरत नहीं है.
चाची और परवीन आंटी हंसने लगे.
हिना- अगर उसने जो भी किया, ये सब तुम्हारे साथ करता, तो तुम दोनों मर जातीं. मगर है बड़ा प्यारा, जिस वजह से मैं 5 दिन में ठीक होकर फिर इसके साथ चुदने आ गयी.
परवीन आंटी झट से हिना आंटी को किस करने लगी. वो दोनों मुँह से मुँह लगा कर मस्त मजे करने लगे.
चाची उनको देख कर बेचैन हो गयी और चाची भी पीछे चली गईं. वो दोनों के मम्मों को सहलाने लगीं.
मैं- अरे 5 मिनट रुको, हम पहुंच गए … मुझे भी मज़े लेना है.
हिना- मेरे बदन का सर्वनाश कर दिया और क्या चाहिए तुझे.
मैं- जो भी आपने मेरे साथ किया है, अगर वो आप अपने पति के साथ करतीं, तो वो आपको तलाक दे देता. आप चुप बैठो अभी.
अब परवीन आंटी चाची को चूमने लगीं. वो अपने जीभ से लड़ा रही थीं.
चाची- तुम दोनों के जितने बड़े मेरे मम्मे भी हो जाएंगे … मेरे बेटे की वजह से.
परवीन- जब तेरे बड़े हो रहे हैं, तो हमारे भी तो हो जाएंगे.
हिना- जीशान अकेला हम तीनों को कैसे खुश करेगा?
मैं- आ गयी है मेरी दवाई. जिससे 10 बार भी चोद सकता हूँ.
हिना- वाह 10 बार … तो हम सबको तीन तीन बार लंड मिलेगा.
परवीन- मुझसे 3 बार नहीं होगा. दो बार खुशी से कर लेंगे.
चाची- हां यार … 3 बार तो मुझसे भी नहीं होगा.
हिना- मैं ले सकती हूं 3 बार.
मैं- देखते है, दवाई कैसे काम करेगी.
इतने में हम सभी फार्म हाउस पहुंच गए. मैंने कार को अन्दर लगा दिया. उधर एक ही काम वाली वहां रहती थी. उसको मैंने 200 रुपये दे दिए और वो खुश होकर चली गई.
हिना- कितना ठंडा है यहां. यहीं पे रह जाने का मन कर रहा है.
मैं- बहुत जल्द ही गर्म हो जाओगी आप.
चाची- यहां पे देखने वाली चीज बहुत ज़्यादा है.
हम अन्दर गए. सब लगेज अन्दर रखने लगे. चाची सबके लिए जूस लेकर आईं. हम सबने पी लिया.
मैं- हिना आंटी सबके लिए कपड़े लाई हो?
हिना- हां हैं, सबके लिए टी-शर्ट्स लायी हूं.
उनके बैग में 3 टी-शर्ट थीं, वाइट, ब्लैक और रेड. मैं सबको चूमने लगा … तीनों बहनों ने मुझे घेर लिया था. मैं चाची को चूम रहा था. परवीन आंटी मुझे पीछे से चूम रही थीं और हिना आंटी मेरे लंड को सहला रही थीं.
मैंने सबको कपड़े उतारने को बोला और टी- शर्ट्स पहनने को कहा. वे तीनों बहनें मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में आ गई थीं. क्या गरम नज़ारा था. पहले चाची 36 साइज़ के मम्मों वाली, फिर दूसरी हिना आंटी 38 वाली, फिर तीसरी मेरी परवीन आंटी 40 साइज़ के मम्मों वाली. उन तीनों की गांड की साइज़ भी कुछ ऐसी ही थी.
चाची की गांड पहली बार गांड चुदाई के बाद आज थोड़ी ज्यादा मोटी दिख रही थी. चाची की 38 वाली गांड, फिर हिना आंटी की 40 वाली गांड, फिर सबसे बड़ी परवीन आंटी की 42 वाली बड़ी गांड. मेरे आगे एकदम तीन देसी आंटियां थीं … जो अब मेरे लंड का शिकार थीं. मैं उन्हें एक एक करके सहलाने लगा, कभी गांड सहलाता, तो कभी चूचे. फिर एक एक करके सबको टी-शर्ट्स पहना दीं. चाची के लिए वाइट, हिना आंटी के लिए रेड और परवीन आंटी के लिए काली. तीनों बहनें दूध जैसे गोरी थीं.
चाची- हम तीनों हमेशा साथ में खेलते थे. तुम दोनों ने मुझसे बड़े होने के बावजूद भी मुझे तुम्हारे साथ खेलने का मौका दिया. अब मैं तुम्हें मेरे बेटे का मूसल जैसा लंड देकर शुक्रिया अदा कर दूंगी.
हिना- अपनी छोटी बहन को भी अच्छा लंड मिला होगा.
चाची की फैमिली में 4 बहनें थे. परवीन हिना रेशमा और जस्मीन. मुझे जस्मीन उतना पसंद नहीं थी. क्योंकि उनके मम्मे काफी छोटे थे केवल 28 इंच के और वो बहुत खुद भी बारीक फिगर की थीं. साथ ही थोड़ी सांवली भी थी. गांड कुछ ख़ास नहीं थी, बस 30 की थी.
मैं- मुझे जस्मीन जैसी छोटी गांड वाली औरत पसंद नहीं आती है. मुझे तो तुम तीनों की बड़ी बड़ी गांड चाहिए.
इतना कहते हुए मैंने हिना को चूम लिया और समय बिना गंवाए हम पूरा सामान लेकर पूल की ओर बढ़ने लगे. चाची ने खाने की कैरिज पकड़ी हुई थी. परवीन आंटी बिस्तर बिछाने के लिए दरी चारपाई सब पकड़े हुए थीं. हिना आंटी टॉवेल्स वगैरह सब लिए थीं.
मैं, चाची जो सामान लायी थीं … हनी चॉकलेट सीरप वगैरह और हिना आंटी के सामान डिल्डो, हैंड कैप्स ब्लाइंड फोल्ड … वो सब एक बैग में डालकर हाथ में पकड़े आ रहा था.
पूल के पास एक बड़ा आम का पेड़ था. उसके नीचे हम सब साफ किया और नीचे दरी आदि बिछाने लगे. फिर पूल की तरफ बढ़ने लगे.
दोस्तो, अब ग्रुप सेक्स का किस्सा बड़ा ही मजेदार होने वाला है. इसके अगले 2 भाग सबसे मजेदार होने वाले हैं.
आंटियों और भभियों की हालत खराब हो जाएगी. सब मर्दों के लंड कहानी पढ़ते पढ़ते दो तीन बार झड़ जाएंगे.
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कहानी जारी रहेगी.
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