बस के सफर में मिली कामुकता भरी एक अनजान भाभी

(Bus Ke Safar Me Mili Kamukta Bhari Ek Anjan Bhabhi)

प्रकाश चंद 2017-12-06 Comments

मेरा नाम प्रकाश है. मेरी उम्र 40 साल है. यह कहानी मेरे एक साल पहले घटी थी, जब मैं मुंबई से नागपुर ऑफिस के काम से जा रहा था.

शाम की 8 बजे की एसी बस थी. जब मैं बस में बैठा तो मेरे सीट के बाजू में कोई नहीं बैठा था, बस जैसे ही मुलुंड के बाद रुकी तो एक औरत 6 महीने के छोटे बच्चे के साथ मेरे बाजू में आ बैठी. बस में 3X2 की सीटें थीं. वो मेरी वाली सीट पर मेरे बाजू में बैठ गई. वो दिखने में तो वो कयामत लग रही थी, उसकी उम्र शायद 25-28 तक की होगी, उसके चुचे 38 साईज के होंगे. मैंने उसे सामान रखने में मदद की, लेकिन उसी समय बस चलना शुरू हो गई ओर उसके स्तन मेरे हाथ को लगे.

मैंने उसे माफी मांगी, लेकिन उसने कातिलाना नजरों से मुस्कराकर कहा- यह मेरी गलती है.. आप माफी मत मांगो.
फिर मैंने उसे उसका नाम पूछा, उसका नाम नीलिमा था.

मैं उसके बच्चे के साथ खेलने लगा. थोड़ी देर में उसका बच्चा रोने लगा शायद उसको भूख लगी थी. उसने बच्चे को दूध पिलाने के लिए अपने ब्लाउज से स्तन बाहर निकाला, जो कि मेरे साईड वाला था. मैंने अपनी तिरछी नजरों से देखा कि उसका बोबा बहुत बड़ा था. मुझे मालूम नहीं था कि वो मुझे देख रही है.. पर जैसे ही अहसास हुआ तो मैं झेंप गया. लेकिन उसने वापिस कातिलाना मुस्कान बिखेर दी.. और अपने स्तन के ऊपर साड़ी का पल्लू भी नहीं डाला, वैसे ही खुला रहने दिया. वो अपने बच्चे को दूध पिलाते हुए मुझसे इधर-उधर की बातें करने लगी.

मेरी नजर बीच बीच में उसके चुचे पर जा रही थी. थोड़ी देर बाद बच्चा सो गया. लेकिन उसने अपना वो स्तन वैसे ही खुला रहने दिया. उसने बाजू में उसके बच्चे को सुला दिया और मेरी तरफ होकर बात करने लगी.

मुझे लगा कि शायद वो स्तन को ब्लाउज में डालना भूल गई.

तभी उसने अपने पर्स से कुछ खाने के लिए निकाला, मुझे भी दिया. खाने के बाद वो उठी और पेपर खिड़की के बाहर फेंकने लगी, तभी उसका खुला हुआ स्तन मेरे मुँह से जा टकराया. वो वैसे ही थोड़ी देर तक मेरे ऊपर खड़ी रह कर खिड़की से लगी रही. इस स्थिति में उसका निप्पल मेरे होंठ से वो रगड़ रही थी. मैंने भी उसके निप्पल से अपने होंठों को रगड़ कर मजा लिया.

तभी वो बैठ गई.. और उसने स्तन वैसे ही खुला छोड़ दिया था. इसलिए मेरी नजर बार बार उसके निप्पल पर जा रही थी. मुझे लग रहा था कि उसके चुचे जोर से चूस लूँ और पूरा का पूरा खरबूजा खा जाऊं.

तभी बस रुक गई, उसने अपना ब्लाउज ठीक किया.

तभी ड्राइवर बोला कि गाड़ी खराब हो गई है, दूसरी गाड़ी आएगी तभी आप आगे जा सकते हैं.

इसके अलावा कुछ हो भी नहीं सकता था. एक घंटे तक हम दोनों बातें करते रहे.

तभी दूसरी गाड़ी आ गई, देखा तो वो स्लीपर कोच थी. उसमें पूरे यात्रियों के लिए जगह भी नहीं थी.

मैंने गाड़ी वाले से पूछा, तो बोला कि सर आपको एडजस्ट करना पड़ेगा.
मैंने नीलिमा से पूछा कि ये तो स्लीपर कोच है, अब एक ही बर्थ से कैसे सफ़र करेंगे, गाड़ी में एक लेडी हैं, आप उनसे आप बात करो ना कि वो आपके साथ एडजस्ट कर लें.
तो वो बोली- मुझे आप के साथ कुछ भी प्रोब्लम नहीं है तो उसको क्यों पूछने का!

मैं उसकी नीयत समझ गया, मेरे मन भी लड्डू फूट रहे थे. हमें ऊपर की बर्थ की जगह मिल गई. दो लोगों के सोने वाली बर्थ हमको मिल गई, इसमें दो आदमी आराम से सो सकते थे. मैंने नीलिमा को ऊपर चढ़ने में मदद की, फिर उसके बच्चे को उसके गोद में दिया.

अब हम लोग बातें करने लगे, भूख लगी थी, फिर आधे घंटे बाद बस रुकी.
मैंने नीलिमा से पूछा- चलो खाना खा लेते हैं. उसने हामी भरी और हम दोनों ने खाना खाया.
तभी नीलिमा बोली- मैं फ्रेश होकर आती हूँ.

उसका बच्चा मेरे पास था, मैं उसके साथ खेल रहा था. तभी वो वापस आई, तो मैं देखता ही रह गया, उसने स्कर्ट और टॉप पहन लिया था, वो कपड़े चेंज करके आई थी.
मैं तो देखता ही रह गया, उसने मुझे हिलाया और बोली- कहाँ खो गए?
फिर हम बस में चढ़ गए. अबकी बार ऊपर चढ़ने के वक्त नीलिमा बोली- थोड़ा पीछे से मुझे हाथ लगाओ, मुझे बर्थ पे चढ़ने में आसानी होगी.

मैं एक हाथ नीचे लगाने जा ही रहा था कि उसने अपना स्कर्ट ऊपर को कर लिया, जिससे मेरा हाथ स्कर्ट के नीचे चला गया. अगले ही पल मेरी दो उंगलियां उसकी चुत में चली गईं और अंगूठा उसकी गांड में चला गया.

उसने हल्के से ‘आहहह..’ किया. उसकी चुत तो पानी से लपलप हो रही थी.
मैंने पूछा- ये क्या हुआ?
उसने मेरी तरफ देखते हुए आँख मार दी. मैंने भी चुत में गीली हुई दोनों उंगलियां अपने मुँह में डाल लीं और चूसने लगा. मैंने भी उसको आँख मार दी.

फिर मैं भी ऊपर वाली बर्थ पर चढ़ गया. बर्थ की साईड में जो परदा था, वो लगा लिया.
नीलिमा बोली- मैं बच्चे को दूध पिला देती हूँ, तो वो अच्छी तरह सो जाएगा.
उसने अपना फ्रंट ओपन होने वाला शर्ट जैसे टॉप के सब बटन ओपन कर दिये. उसके दोनों चुचे खुले हो गए. अन्दर उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. फिर वो गोद में लेकर बच्चे को दूध पिलाने लगी. उसके दोनों चुचे वैसे ही खुले थे. मेरी नजर उसके चुचों पर ही थी.

उसने आँखों से इशारा करके पूछा- चाहिये क्या?
मैंने भी सर हिला के ‘हाँ’ बोल दिया. उसका बच्चा गोद में ही सो गया, तो नीलिमा ने उसे बाजू में सुलाया और मुझसे कामुकता भरी आवाज में बोली- आजा मेरे बड़े बच्चे, दूध पी ना है ना, ले पीले, पूरा निचोड़ दे.. मेरी चुची खाली कर दे.

फिर क्या.. मुझे तो यही चाहिये था. नेकी और पूछ पूछ, अगले ही पल मैं उसकी चुची से दूध पी रहा था. फिर मैंने हाथ की उंगलियां उसकी चुत में डालीं तो वह तड़प उठी. मैं जोर से उंगलियां चुत में अन्दर बाहर कर रहा था.

फिर 5 मिनट में ही वह झड़ गई. झड़ते वक्त वो मेरा मुँह जोर से अपने चुची पे दबा रही थी और जोर जोर हांफ रही थी.

थोड़ी देर में नीलिमा नॉमर्ल हो गई. फिर उसने मेरी पेंट की चैन खोली और मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए, मैं उसकी चुत और वो मेरा लंड चूसने लगी. मेरी जीभ जैसे उसकी चुत में जाती, वह सिहर उठती. मैं उसकी चुत को जीभ से चोदने लगा. वो बोली- यार मैं आ रही हूँ.. आह.. आह..

अगले पल चुत का फव्वारा मेरे मुँह में आ गया. उसकी चुत का पानी बहुत ही टेस्टी लगा, मैं सारा पानी पी गया.

वो जोर-जोर से मेरा लंड चूसने लगी. वो लंड चुसाई में बहुत माहिर खिलाड़ी लगती थी.. मुझे भी लग रहा था कि शायद मैं छूट जाऊंगा. मैंने उससे बोला कि मैं आ रहा हूँ. तब भी उसने लंड को मुंह से नहीं निकाला, वैसे ही लंड चूसती रही.

मेरे भी लंड का फव्वारा छूट गया. नीलिमा ने सारा वीर्य पी लिया. फिर हम लोग आधा घंटे तक एक-दूसरे से लिपट कर बातें करते रहे. उस टाईम नीलिमा मेरे लंड से खेल रही थी, तो लंड खड़ा हो गया था. मैं उसे नीचे लिटा कर उसके ऊपर आ गया और उसकी चुत को लंड से रगड़ने लगा.
वो गरम हो चुकी थी, बोली- अभी और मत तड़पाओ.. जल्दी से मेरी चुत में तेरा लंड डाल दे और चुत फाड़ दे.

जैसे ही मैंने लंड उसके चुत में घुसाया तो शायद वो इस मोटे लंड के हमले के लिए तैयार नहीं थी, वो चिल्लाने वाली थी कि मैंने उसका मुँह एक हाथ से बंद कर दिया.
उसकी आँख से आंसू आ गए, मैंने उसे सॉरी कहा.
वो बोली- मुझे वाईल्ड फकिंग बहुत अच्छी लगती है.

फिर क्या.. मैं जोर जोर से उसकी चुत चोदने लगा. वो भी गांड उठाकर मेरा साथ दे रही थी.
दस मिनट बाद उसका शरीर अकड़ने लगा. उसने मुझे जोर से जकड़ के रखा था- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं मर गई.. आह..
ये बोलते बोलते वो छूट गई और शांत हो गई.

मेरा तो अभी हुआ नहीं था, मैंने स्पीड को धीमा किया तो बोली- थक गए क्या?
मुझे गुस्सा आया और मैं जोर जोर से चुत में धक्के मारने लगा. वो वापस गर्म हो चुकी थी. हम दोनों के शरीर पसीने से पानी पानी हो गए थे. करीबन 30 मिनट बाद मेरा आने वाला था.
मैंने उससे पूछा- कहाँ डालूँ?
तो बोली- अन्दर ही डाल दे.

फिर मैं उसकी चुत में छूट गया.. और हम दोनों शांत हो गए. मेरा वीर्य उसकी चुत से बाहर आ रहा था. तो उसने बैग से चड्डी निकाली और चुत को साफ कर लिया.

नागपुर पहुँचने तक हमने 3 बार सेक्स किया. उसके बाद उसने मेरा नंबर लिया. मेरा टूर करीबन 10 दिन का था. उसी दौरान उसका दो-तीन लगातार उसका फोन आ रहा था. आज शाम 5.30 पर फोन आया, वो मुझसे बोली- मैं मेरा पता भेज रही हूँ, जल्दी घर चले आओ.
मैंने उससे कहा- घर पर कोई नहीं है क्या?
तो बोली- इसलिए तो फोन किया.
मैंने उससे कहा- अभी 30 मिनट में आता हूँ.

फिर मैंने नागपुर में एक मॉल में जाकर उसके लिए जॉकी का ब्रा-पेंटी का सैट लिया.. और उसके घर पर जाकर रिंग बजाई.. दरवाजा जब खुला तो मैं देखता ही रह गया.. नीलिमा ने पूरा ट्रान्सपेरेंट हाफ गाऊन पहना हुआ था. अन्दर जाते ही वो मुझसे गले मिली.

मैंने उसे सैट दिया.. वो देख के नीलिमा खुश हो गई और बोली- इसकी क्या जरूरत थी.
मैंने नीलिमा से कहा- ट्राय करके देखो. वो सामने ही नंगी हो गई और उसने सैट पहन कर देखा.
वो बोली- कैसी दिख रही हूँ?
मैं बोला- एक नंबर का सेक्सी माल आयटम!
वो शरमा गई.

मैंने पूछा तुम्हारा बच्चा किधर है?
बोली- वो बेडरूम में सो रहा है.
फिर वो वैसे ही अन्दर चली गई और मेरे लिए पानी लेकर आई. नीलिमा ने फोन करके खाने का आर्डर दिया और हम बातें करने लगे.

वो एकदम भावुक हो गई.. और बोली- शायम तुम मुझे रंडी टाईप की औरत समझते होगे लेकिन क्या करूँ.. मेरा पति कभी भी मेरा साथ नहीं देता. जब देखो तो वह पैसे के पीछे पड़ा रहता है.. मुझे चोदने के लिए उसके पास टाईम ही नहीं रहता. हफ्ते में एक दिन आता है और रात को सीधा चुत में लंड डालता है.. पांच मिनट में लंड का काम तमाम करके मेरी तरफ गांड करके सो जाता है. मैं वैसे ही तड़पती रहती हूँ. उसको प्यार करना भी नहीं आता. खाली पैसे के बंडल मेरे हाथ में देता और बोलता है रख दे अलमारी में, तुझे चाहिए तो खर्च कर. तुम ही बताओ प्रकाश, पैसे थोड़ी मेरी कामुकता शांत होती है. मुझे प्यार चाहिए लेकिन वो समझता ही नहीं है.

ये कहते हुए उसकी आँख से आंसू आने लगे. वो मेरे कंधे पे सर रखकर रोने लगी. मैंने उसे शांत किया.

फिर नॉमर्ल होने के बाद नीलिमा ने पूछा- कुछ ड्रिंक्स लोगे?
तभी डोर बेल बजी… मैं डर गया वो बोली- चिंता मत करो.
उसने गाऊन पहना और दरवाजा खोला. जहाँ से खाना मंगाया था वो खाना लेकर आया था. उसने पैसे देकर खाना लिया और दरवाजा बंद कर दिया.

उसने फिर ड्रिंक्स के लिए पूछा तो मैंने बोला- रम लूँगा.
वो दो ग्लास और रम की बोतल लेकर आई. हम पैग पर पैग लगाते गए. उसको पूरा नशा चढ़ चुका था. पैग लेते समय उसने मेरे सब कपड़े निकाल दिए थे. नीलिमा भी खुद पूरी नंगी हो गई थी. उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और पैग में डुबाकर लंड को चखने लगी. मेरे लिए ये नया अनुभव था. हम दोनों गरम हो चुके थे मैंने उसको लिटाया और उसकी चुत चाटने लगा तो उसने चुत के ऊपर रम डाली और मुझे चाटने को कहा. जैसे ही रम डाली तो सिहर उठी और 5 मिनट में ही वो छूट गई. मैं पूरा उसका पानी पी गया.

नीलिमा बोली- मुझे जल्दी से बाथरूम लेकर चलो, मुझे जोर की सुसु लगी है. मैंने उसे गोद में उठाया और उसे लेकर ही जा रहा था, तभी रास्ते में ही उसने मेरे शरीर पर पेशाब कर दी. मूत का फव्वारा इतना जोर से उड़ा था कि मेरे चेहरे पर और मेरे मुँह में भी उसकी पेशाब आ गई थी. हम दोनों का शरीर पेशाब से भीगा हुआ था.

मैंने तभी उसको किस किया और उसका पानी उसको ही पिला दिया

फिर हम दोनों नहाए, नहाते समय मैंने उसकी गांड और चुत पर बहुत सारा साबुन लगाया, जिससे लंड जाने में आसानी हो. मैंने उसको नीचे झुकाया और गांड में लंड पेल दिया. नीलिमा तैयार नहीं थी, वो गाली देने लगी- साले गांडू मैं क्या तेरी वाईफ हूँ क्या.. आह भैन चोद निकाल लंड मेरी गांड से!

वो मेरा विरोध करने लगी लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था. मैं जोर जोर से उसकी गांड मारने लगा.

फिर 5 मिनट बाद वो भी साथ देने लगी. गाली देते देते बोलती जा रही थी- मार साले मेरी गांड… अह… आज मैं तेरी रांड… रखैल…
मैं भी चौंक गया कि ये क्या बोल रही है.
‘मार जोर से.. आहह.. मार और अन्दर… मार..’
मैं बोला- मेरा छूटने वाला है.
तो बोली- डाल दे अन्दर ही.

मेरा वीर्य मैंने उसकी गांड में छोड़ दिया. फिर हम वहीं बाथटब में बैठ गए. हम दोनों को भूख लगी थी. तो दोनों नंगे ही किचन में आ गए और खाना खाने बैठ गए. खाते समय नीलिमा मेरी गोद में बैठी थी. दोनों अलग अलग तरीके से एक दूसरे को खाना खिला रहे थे. बीच में ही एक दूसरे को किस कर रहे थे.
नीलिमा बोली- मैं बहुत खुश हूँ.

उसकी आंखों से पानी आने लगा. थोड़ी देर बाद हम उठे और वैसे ही नंगे बेडरूम में आ गए. तभी नीलिमा का बच्चा रोने लगा.. तो वो नंगी ही बच्चे को दूध पिलाने लगी.. और दूध पिलाते पिलाते वो बोली- प्रकाश आज मैं कुछ नया करना चाहती हूँ. मैं दूध पिला रही हूँ.. तो तुम मेरी चुत मारो.

फिर वो एक साईड हो कर लेट गई. वो बच्चे को एक चुचे से दूध पिला रही थी. मैंने उसका पैर ऊपर किया और चुत में लंड डाल कर धीरे-धीरे उसकी चुत मारने लगा.

नीलिमा बोली- थैंक्स प्रकाश, मैं बहुत दिन से इस प्रकार का सेक्स करना चाहती थी.

मैं जोर से उसकी चुत चोदने लगा. फिर वो मूड में आ गई.. तब तक उसका बच्चा सो चुका था. घमासान चुदाई के बाद मैंने उसकी चुत मेरा पानी छोड़ दिया.. और वैसे ही हम दोनों सो गए.

सुबह के पांच बज गए थे. मुझे होटल जाकर ऑफिस भी जाना था. मैं फ्रेश हो गया.. नीलिमा को उठाया.
वो रोने लगी और बोली- प्लीज़, तुम मत जाओ ना.
मैंने उसको समझाया और बोला- मैं वापिस आऊंगा.

फिर उसने अलमारी से 20 हजार रुपये निकाल कर मुझे दिए और बोली- प्लीज़ ना मत करना.. मैं बहुत खुश हूँ कि तेरी वजह से मैं सेक्स का कुछ नया अनुभव पूरा कर सकी. मैं जब भी मुंबई आऊंगी तो तुझे फोन करूंगी और तू जब भी नागपुर आएगा तो मुझे फोन करना.

इस तरह उससे विदा लेकर मैं निकल आया. फिर वो जब भी मुंबई आती तो मुझे फोन करके होटल बुलाती और अपनी चुत की आग पूरी शांत कर लेती.

अगर आपको ये अनजान भाभी की चुदाई की कहानी अच्छी लगी हो तो मुझे आप मेल करें.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top