बॉय से कॉलबॉय का सफर-3
(Boy Se Callboy Ka Safar Part-3)
मेरी सेक्सी कहानी के पिछले भाग
बॉय से कॉलबॉय का सफर-2
में अब तक आपने पढ़ा..
मेरी सेक्स कहानी पढ़ कर एक भाभी मधु ने मुझे मेल की, मधु ने अपनी नीरस सेक्स लाइफ और बेबसी की कहानी सुना कर मुझसे अपनी जिस्म की भूख को शांत करने के लिए कहा।
अब आगे..
मैं बोला- पहले तो खुलकर बात करो.. ये सेक्स-बेक्स नहीं “चुदना-चुदवाना” वाली भाषा बोलो।
“ठीक है बाबा.. आप से चुदवाने की सोची।
मैं बोला- वो तो ठीक है.. पर मैं ही क्यूँ?
मधु बोली- तो सुनो.. कोई लेखक हमारे क्षेत्र का नहीं मिला और हर किसी पर विश्वास भी नहीं होता। एक दिन ऐसे ही कहानियाँ पढ़ रही थी.. तो आपकी कहानी
‘सुहाग रात का असली मजा’ मिली और यह कहानी मुझे अपनी जैसी लगी। आप फरीदाबाद के पास के हो, ये जानकर मैं खुश हो गई और आपसे बात करने की सोची। फिर सोचा कि पहले आपकी भाभी से बात करूँगी। इसके दो कारण थे एक तो वो मेरी परेशानी को अच्छे से समझ लेतीं, क्योंकि उनके भी साथ वही हुआ था.. जो मेरे साथ हो रहा था। दूसरा यदि आप बात न कराते, तो मैं समझ जाती ये सब झूठ है। परन्तु आपकी कहानी वास्तव में सच है, ये आपकी भाभी से बात करके पता चल गया। सो मैंने आपसे चुदने का फैसला किया।
मैं बोला- परन्तु मुझे क्या मिलेगा।
“आपको एक सुन्दर लड़की की चूत..”
“चूतों की तो मेरे पास कोई कमी नहीं है जी..”
“तो अपने काम के पैसे ले लेना।”
“पैसों के लिए मैं ये सब नहीं करता।”
“तो आप बताओ कि आप क्या चाहते हो?”
“अगर मैं मना करूँ तो?”
“मुझे आप पर भरोसा और पूरी उम्मीद है.. आगे आपकी मर्जी। अगर आप चाहो तो मैं आपको पैसे दे सकती हूँ.. जितने अपने काम के लिए आप चाहो। अगर विश्वास न हो तो अपना अकाउन्ट नम्बर भेज दो। मैं पहले ही डलवा दूँगी।’
उसकी आवाज में उदासी सी आ गई। मैंने सोचा एक बार देखता हूँ कि ये सही में रूपये देने को तैयार है या फिर बस मजे ले रही है। मुझे अभी तक विश्वास नहीं हुआ था कि कोई मुझे चुदने के लिए पैसे देने को तैयार है।
मैं बोला- अब रात काफी हो गई है.. मैं कल सोचकर बताऊँगा। अगर मेरा जवाब “हाँ” हुआ तो मैं अपना अकाउन्ट नम्बर भेज दूँगा। आप उसमें रूपए डलवा देना।
मधु खुश होकर बोली- ठीक है बताओ कितने डलवाने हैं?
“जितने आपको ठीक लगें।”
“ओके.. अब सो जाओ..”
“गुड नाइट”
मधु बोली- मुझे आपकी “हाँ” का इन्तजार रहेगा।
“ओके गुड नाइट..”
मैं सोचने लगा कि क्या पैसे लेना ठीक रहेगा। फिर सोचा देखता हूँ.. डलवाती है या नहीं। अगर डलवाती है तो कितने? यही सोचकर मैंने सुबह 10 बजे बैंक डिटेल मैसेज कर दी।
थोड़ी देर बाद उसका मैसेज आया- धन्यवाद मेरी बात मानने के लिए।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और ऑफिस के लिए निकल गया। उस दिन न तो रूपए आए और न ही उसका फोन; मैंने भी नहीं किया।
दूसरे दिन मेरे बैंक से मैसेज आया कि दस हजार रूपए जमा हुए हैं। मैं समझ गया कि ये मधु ने ही डलवाए हैं। मैं उसके पास फोन कर ही रहा था कि उसकी कॉल आ गई।
वो बोली- मैंने अभी दस हजार डाले हैं.. कम हों तो बता दो।
मैं कुछ बोल ही नहीं पाया।
वो बोली- ठीक है.. जब तुम आओगे जब बता देना। जितने आप बोलोगे.. मैं आपको दे दूँगी।
मैं बोला- वो तो ठीक है परन्तु तुम मिलोगी कहाँ?
वो बोली- मैं घर से बाहर तो आ नहीं सकती। इसलिए आपको मेरे घर ही आना होगा। कैसे.. ये मैं आपको रात को बताऊँगी।
मैं बोला- ठीक है।
मैं उस दिन यही सोचता रहा कि क्या उस बेचारी से इस काम का पैसा लेना ठीक है या नहीं। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। ऐसे ही दिन निकल गया। रात को मधु का फोन आया। मैंने हाल-चाल पूछा।
फिर वो बोली- राज, धन्यवाद मेरी बात मानने के लिए।
मैं बोला- इसमें धन्यवाद की क्या जरूरत है.. आप मेरे काम के पैसे दे रही हो और मैं आप पर कोई अहसान नहीं कर रहा।
ऐसे ही हमारी काफी देर बात हुई। फिर मैं बोला- आगे का प्लान क्या है?
तो वो बोली- अभी तो कोई प्लान नहीं बन पा रहा.. जैसे ही बनता है, मैं बता दूँगी।
ऐसे ही हमारी रोज बात होती रही और मधु भी अब बिना शर्म के खुलकर बात करती और हम सेक्स चैट करते। परन्तु मिलने का कोई प्लान नहीं बन पाया। ऐसे ही एक दिन मधु का फोन आया वो बोली- यार सुनो.. यश बिजनेस के काम से 4-5 दिन के लिए बाहर जा रहा है.. परन्तु घर में उसकी माँ यानि मेरी सास रहेंगी। मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा.. आप ही बताओ कैसे मिलूँ। मुझसे अब बिना चुदे नहीं रहा जा रहा।
मैं बोला- ठीक है जान.. मैं कुछ सोचता हूँ।
“हाँ प्लीज़..”
मैं बोला- यार तुम्हारी सास तुम्हारे गाँव में और रिलेशन में किस-किस को जानती हैं?
तो मधु बोली- बस मेरे घर वालों और मामा को।
“तो फिर ठीक है।”
“क्या ठीक है?”
“तुम यश और अपनी सास से बोलो कि मेरे मामा का लड़का मुझसे मिलने आ रहा है.. क्योंकि वो शादी में भी नहीं आ पाया था। वो पढ़ाई के लिए बाहर गया हुआ था।
“राज.. अब ये मामा का लड़का कहाँ बीच में आ गया?”
“यार तुम्हारे ससुराल वाले तुम्हारे मामा को जानते हैं.. उनके लड़के को नहीं। सो मैं तुम्हारा मामा का लड़का बनकर आ जाऊँगा और तुम्हारे घर रुक भी सकूँगा।
“राज मैं तुम्हें सैयां बनाना चाहती हूँ और तुम भईया बन रहे हो।”
“जान मेरी.. मैं दिन में भईया और रात को सैयां बनकर रहूँगा। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा। आगे तुम्हारी मर्जी।
“किसी को पता चल गया तो?”
“किसी को पता नहीं चलेगा.. तुम डरो मत।”
“ठीक है मैं बोल दूँगी।”
“और हाँ.. आने के लिए उस दिन शाम का बोलना.. जिस दिन यश जा रहा हो।”
“ठीक है भईया.. अब मैं फोन रखती हूँ और बात करके बताऊँगी।”
“ओके दीदी।”
दूसरे दिन मधु का फोन आया- मैंने बात कर ली है और यश कल सुबह निकलेगा।
मैं बोला- ठीक है.. मैं कल शाम को आ जाऊँगा। तुम अपना पता और फोटो मेल कर दो.. ताकि मैं तुम्हें पहचान सकूँ।
वो बोली- ठीक है, तुम कल शाम 6 बजे आ जाना, मैं मेल कर रही हूँ.. ओके.. बाय..
थोड़ी देर में उसकी मेल आ गई। जिसमें उसका पता और फोटो था। मैंने फोटो देखा तो देखता ही रह गया क्योंकि मधु मेरे साथ कॉलेज में पढ़ी थी। कक्षा की सबसे सुन्दर और शरीफ लड़की.. जिसके पीछे कॉलेज के सभी लड़के पड़े रहते थे, पर ये अपनी नजरें भी ऊपर नहीं करती थी। खुद मैं भी इसे पटाने की सोचता था। मैं ये भी नहीं जानता कि वो मुझे पहचानेगी भी या नहीं। क्योंकि वो कक्षा के किसी लड़के से बात तो दूर.. देखती भी नहीं थी। उसका मासूम सा चेहरा आज भी मेरी आँखों में बसा पड़ा था। मैं फोटो देखते हुए यही सोच रहा था कि भगवान की माया भी निराली है.. जो लड़की लड़कों की तरफ आँख उठा कर नहीं देखती थी.. उसे ऐसा पति मिला कि वो आज मजबूर होकर किसी और के साथ वो काम करने को तैयार है.. जो एक शरीफ लड़की कभी करना पसन्द नहीं करेगी।
खैर.. इसमें मधु की भी कोई गलती नहीं। एक लड़की कब तक कुँवारी रह सकती है… ज्यादा से ज्यादा शादी तक। उसके बाद भी अगर पति कुछ न कर पाए, तो हर लड़की यही रास्ता अपनाएगी.. जो मधु ने अपनाया। क्योंकि खाली पैसे से तो शरीर की भूख नहीं मिटती।
अब मेरे सामने दो समस्या थीं।
एक तो इस काम के पैसे लूँ या नहीं। दूसरी.. मैं अपने बारे में मधु को सच बताऊँ कि मैं उसके साथ पढ़ा था। मुझे अब ये डर था कि कहीं ये जानकर वो मना न कर दे। मना कर दे.. तो इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता.. पर अब मैं उसकी सहायता करना चाह रहा था। एक तरह से मुझे उस पर दया सी आ रही थी। मैंने उसे बताने की सोची, क्योंकि मैं उसे धोखे में नहीं रखना चाहता था और दूसरा अगर मैंने उसे नहीं बताया और उसने मुझे पहचान लिया तो शायद उसका मुझ पर से विश्वास हट जाएगा।
मैंने मधु को फोन मिलाया और सब कुछ बता दिया। एक बार तो वो चुप पड़ गई फिर थोड़ी देर बाद बोली- राज, अब तुम मेरे बारे में सब कुछ जानते हो। इसलिए मैं सब कुछ तुम पर छोड़ती हूँ.. तुम्हें जो अच्छा लगे करो। बस इतना ध्यान रखना कि मैं बदनाम न हो जाऊँ।
ये कहते हुए वो रोने लगी।
मैंने उसे समझाया और भरोसा दिलाया कि इस बारे में किसी को पता नहीं चलेगा और दूसरे दिन टाइम पहुँच जाऊँगा।
यह कह कर फोन काट दिया। दूसरे दिन मैंने अपने घर वालों को बोल दिया कि मैं दो तीन दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ और बैग पैक करके घर से निकल गया। रास्ते में बैंक से दस हजार रूपये निकाल लिए.. मधु को वापस करने के लिए।
मेरा आज दिल कुछ बेचैन सा था.. सो ऑफिस भी नहीं गया और फोन पर 3 दिन की छुट्टी ले ली। मैं फरीदाबाद पहुँच कर एक होटल में बैठ गया और बीयर पीने लगा। लगभग 2 बजे मधु का फोन आया कि यश को मैं एयरपोर्ट पर छोड़कर आ गई हूँ।
मैं बोला- ठीक है.. मैं 6 बजे पहुँच जाऊँगा।
अब मैं बस 6 बजने का इन्तजार कर रहा था। मुझे एक-एक पल भारी पड़ रहा था। पता नहीं क्यों मधु से मिलने के लिए इतना बेचैन था। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने बीयर खत्म की और बिस्तर पर लेट गया और कब सो गया.. पता नहीं चला।
ठीक 5 बजे मधु का फोन आया तो मेरी आँखें खुली।
वो बोली- कहाँ हो भईया?
“फरीदाबाद में ही हूँ।”
“ठीक है जल्दी आना.. मैं और माँ जी इन्तजार कर रहे हैं।”
मैं समझ गया कि उसकी सास पास में है और वो अपनी सास को सुनाने के लिए बोल रही है।
मैं बोला- ठीक है दीदी.. मैं एक घन्टे में पहुँच जाऊँगा ओके बाय..
मैं जल्दी से उठा और नहा कर कपड़े बदल कर होटल से निकल गया और ऑटो लेकर मधु के बताए पते पर पहुँच गया।
वो घर क्या.. एक शानदार बँगला था। मैं गेट पर पहुँचा.. गार्ड को अपने बारे में बताया और अन्दर आ गया।
अन्दर वाले गेट की बेल बजाई तो एक 18 साल की लड़की ने गेट खोला; शायद वो उनकी नौकरानी थी।
इतने में ही मधु आ गई। मधु के आते ही वो लड़की चली गई।
मैंने मधु की तरफ देखा तो देखता ही रह गया क्योंकि अब तो वो कॉलेज टाइम से भी ज्यादा सुन्दर लग रही थी। तब बिल्कुल पतली सी थी.. लेकिन अब उसका शरीर बिल्कुल फिट था। उसने हल्के गुलाबी रंग की पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी जो उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा रही थी। ब्लाऊज गहरे गले का होने के कारण उसकी लगभग 34 इंच की आधी चूचियां साड़ी से साफ दिख रही थीं। मेरा तो देखकर बुरा हाल हो रहा था और चूचियों से नजर ही नहीं हट रही थी।
मधु ने मेरा हाथ पकड़ा और धीरे से बोली- क्या देख रहे हो?
मैंने हाथ उसकी चूचियों पर रख कर बोला- इन्हें।
मधु एकदम से चिहुंक उठी।
आगे क्या होता है वो मेरी सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगा।
आपके ईमेल की प्रतीक्षा में।
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कहानी जारी है।
कहानी kअ अगला भाग: बॉय से कॉलबॉय का सफर-4
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