पतिव्रता बीवी की चुदाई पुराने आशिक से- 4
(Bad Wife Sexxx Kahani)
बैड वाइफ सेक्सXxx कहानी में मैंने अपनी बीवी को अपने घर में उसके आशिक से चुदवा दिया था. एक शाम मैं ऑफिस से लौटा तो मैंने उन दोनों को बेडरूम में किलोलें करते देखा.
हैलो दोस्तो, कैसे हैं आप सब!
मेरी पिछली सेक्स कहानी
पतिव्रता बीवी की चुदाई पुराने आशिक से- 3
आप सभी को बहुत पसंद आई थी.
मैंने उस कहानी के अंत में लिखा था कि मेरी पत्नी का प्रेमी दिनेश अपने घर चला गया था.
लेकिन यह मैंने कहानी लंबा होने के कारण कहानी को खत्म करने की नीयत से लिखा था.
परंतु वास्तव में वह उस दिन घर नहीं गया था.
आज मैं उसी सेक्स कहानी को आगे बढ़ा रहा हूँ.
आगे की बैड वाइफ सेक्सXxx कहानी से पहले मेरी पिछली कहानी को अवश्य पढ़ें तभी मजा आएगा.
मैं उस दिन शाम को 05.30 बजे जब घर आया तो अन्दर से उन दोनों की कुछ आवाजें आ रही थीं.
मैंने खिड़की के रास्ते से अन्दर आकर व छुपकर देखा तो संजना नाइटी में थी और बेड पर लेटी थी.
दिनेश उसके बगल में सिर्फ गमछा लपेटे हुए लेटा था. संजना के बाल बिखरे हुए थे और उसके चेहरे से थकान झलक रही थी.
दिनेश संजना की एक चूची को नाइटी के ऊपर से ही मसल रहा था और बीच बीच में वह उसके निप्पल की घुंडी को दबाता जा रहा था.
संजना बोली- अब बस भी कीजिए ना .. क्यों तंग कर रहे हैं. मैं बहुत थक गई हूँ. थोड़ा आराम करने दीजिए ना!
दिनेश उसकी नाइटी को जांघ तक ऊपर उठाते हुए बोला कि जान एक बार और करने दो ना!
संजना बोली कि आप तो बोले थे कि सिर्फ एक बार करने दो, परंतु आप तो मेरे साथ सुबह से 03 बार सेक्स कर चुके हैं और वह भी एक एक घंटा तक, थकते भी हैं या नहीं .. घोड़ा हैं कि क्या हैं? मेरा पूरा शरीर दर्द कर रहा है. मैं सुबह से 6 बार झड़ चुकी हूँ, अब मुझमें और हिम्मत नहीं है.
संजना के मुँह से यह सुनकर मैं समझ गया कि दिनेश ने मेरे बीवी को आज पूरा दिन भर चोदा है और उसकी जवानी का रस जी भर के पिया है.
दिनेश बोला- क्या करूं जान, तुम्हारी ये गदरायी हुई जवानी देखकर मन ही नहीं भरता है.
संजना बोली- देखिए नीचे, मेरी यह जगह कितनी सूज गई है. इस तरह से कोई सेक्स करता है क्या! ऐसा लगता है जैसे आपने अपनी बीवी का सब गुस्सा मेरी वेजीना पर ही निकाल दिया है. मेरा हस्बेंड देखेगा और पूछेगा कि यह छेद इतना कैसे सूज गया .. तो मैं क्या बोलूँगी!
दिनेश बोला- आज उसके साथ सेक्स नहीं करना.
वह बोली कि अरे वह बिना सेक्स किए मुझे एक भी दिन नहीं छोड़ते हैं.
दिनेश मायूस होकर बोला- एक मेरी बीवी है, जो मुझे सेक्स करने ही नहीं देती है.
उसकी इस बात पर संजना उठ गई और दिनेश के बालों पर हाथ फिराती हुई बोली कि ये सब नसीब की बात है, मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती.
दिनेश बोला- ठीक है, अब तुम आराम करो. मैं अपने रूम में जाता हूँ.
वह उठ कर जाने लगा.
तभी संजना ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली- तुम्हारे लिए मैं कुछ दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकती क्या?
यह कह कर उसने फिर से दिनेश को अपनी बांहों में कस लिया.
दो मिनट के बाद दिनेश ने ही पहल करते हुए संजु के कान को अपने मुँह में भर लिया और वह कान की लौ को अपने होठों में भर कर चुभलाने लगा.
इससे संजना को गुदगुदी हुई और वह हंस पड़ी.
दिनेश ने अब संजना की नाइटी को ऊपर उठाते हुए उसे उसके बदन से अलग कर दिया.
संजना ने अन्दर कुछ नहीं पहना था.
वह पूर्णतः नंगी थी.
उसकी चूचियों पर कहीं कहीं दांत के निशान थे.
दिनेश संजना की पीठ की तरफ आ गया और अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाते हुए उसकी चूचियों का मर्दन करने लगा.
संजना ‘ईस्ससस …’ कर उठी.
दिनेश उसकी कोमल और गदरायी हुई चूचियों को बड़ी बेरहमी से मसल रहा था और साथ ही वह मेरी बीवी की गर्दन को भी चाट रहा था.
इसी बीच दिनेश का गमछा भी खुल चुका था, दिनेश भी अन्दर से नंगा था.
उसका लंड फुफकार मार रहा था.
दिनेश ने संजु की बुर में एक उंगली को घुसा दिया और अन्दर बाहर करने लगा.
संजना ईस्स कर उठी.
एकाएक संजना बोली कि मुझे टॉयलेट जाना है, मैं सुसू करके आती हूँ.
तभी दिनेश ने कुछ ऐसा बोला, जिसे सुनकर मुझे और संजना दोनों को आश्चर्य हुआ.
दिनेश बोला कि छोड़ो ना .. बाथरूम जाने की कोई जरूरत नहीं है, तुम यहीं कर दो!
संजु हंसकर बोली कि क्या बेड पर ही?
दिनेश बोला- नहीं यार, मेरे मुँह में …
संजु बोली- मजाक नहीं यार, मुझे सच में सुसु आई है.
दिनेश सीरियस होकर बोला- मैं सच कह रहा हूँ, मुझे तुम्हारी सुसु पीना है.
संजु भी एकदम से हैरान होकर बोली- छीः ये कोई बात नहीं हुई, क्या बोल रहे हैं आप?
दिनेश बोला- यार मैं सही बोल रहा हूँ. मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ. मेरा बहुत मन है कि मैं तुम्हारी सुसु पियूं!
संजु बोली- ये संभव नहीं है, मुझे शर्म आयेगी.
दिनेश ने बिना कुछ बोले, संजु को खड़ा किया और वह नीचे बैठ गया.
वह संजु की बुर को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा.
संजना को भी अपनी चुत चुसवाने में मजा आने लगा था.
वह दिनेश के बालों को पकड़ कर अपनी बुर को रगड़ रगड़ कर चुसवा रही थी और मुँह से ‘आह … आह …’ की आवाजें निकाल रही थी.
कुछ मिनट बाद संजु बोली- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है यार .. आह मेरी सुसु निकल जाएगी .. मुझे बाथरूम जाने दीजिए.
पर दिनेश ने संजु की बुर को चूसना जारी रखा और फिर वही हुआ, जिसका मैंने सोचा भी नहीं था.
संजना की बुर से पेशाब की धार छूटने लगी.
ये देख कर दिनेश ने अपना मुँह संजना की बुर के मूत्र छिद्र के सामने कर दिया.
संजना ने पेशाब करना शुरू कर दिया था और दिनेश उसे अपने मुँह में लेता जा रहा था.
पेशाब का वेग तीव्र था, जिससे दिनेश के मुँह में जाने से छुरर्र … छुरर्र .. की आवाज आने लगी.
दिनेश उसे किसी जूस की तरह अपने अन्दर पीता जा रहा था.
संजना भी अपनी आंखें खोल कर देख रही थी और वह बड़ी ही वासना से यह सब देख रही थी.
उस दृश्य को देख कर और अपनी चुत से निकलने वाली धार को पीने से उसके अन्दर हवस बुरी तरह हावी हो गई थी.
उसे भी इसमें रोमांच और एक अलग तरह का मजा आने लगा था.
वह अब दिनेश के सर को पकड़ कर अपनी बुर के ठीक सामने ले आई और उसके मुँह में तन्मयता से पेशाब करने लगी.
दिनेश आंखें बंद करके मेरी बीवी की सारी पेशाब को पी रहा था.
संजना की पेशाब में हल्का पीलापन था.
उसकी पेशाब खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी.
कुछ पल दिनेश ने कहा- रुको!
संजना ने तुरंत अपनी पेशाब को रोका और दिनेश की तरफ देखने लगी.
दिनेश ने कहा- अबे यार कितना करोगी .. मेरा पेट भर गया!
संजना हंसकर बोली कि हां जान बहुत जोर से लगी थी और आप जिद कर रहे थे, तो अब भुगतिए न!
संजना ने दिनेश के मुँह को अपनी बुर के पास फिर से किया और फिर से सुसु करने लगी.
इस बार आधी सुसु दिनेश के मुँह में जा रही थी और आधी नीचे गिर रही थी.
संजना बेशर्मी से बोली- ये क्या .. मेरा तो आधा जूस नीचे गिर रहा है, अच्छे से पीजिए न!
दिनेश भी हवस से पागल हो रहा था, वह बोला- एक मिनट रुको जान!
वह बाहर गया और एक बड़ा गिलास ले आया.
वह बोला- लो इसमें करो.
संजु ने गिलास को अपनी बुर में लगाया और वह पूरे वेग से सुसु करने लगी.
गिलास से भी सुसू भरने की आवाज आने लगी.
कुछ देर में संजु ने गिलास को अपनी बुर से अलग किया और बोली- अब हो गया.
पूरा गिलास संजु के मूत से भर गया था, जो हल्का पीलापन लिए हुआ था और उसमें कुछ झाग भी बन गया था.
दिनेश ने उस गिलास को अपने हाथ में लिया और उसे थोड़ा सा पिया.
वह संजु से बोला- लो तुम भी टेस्ट करो ना, बड़ा नमकीन है.
संजु हंस कर बोली- छीःअ … मैं क्यों करूं .. इस पर तो आपका हक है.
दिनेश ने बाकी बची सुसू के गिलास को वहीं रख दिया.
उसकी आंखों में गहरा नशा साफ दिखने लगा था.
पता नहीं सेक्स के दौरान आदमी में कैसी वासना रहती है कि वह पेशाब तक पी जाता है, यह मुझे आज पता ही चला.
मुझे तो ये मानसिक बीमारी की तरह लगी.
खैर .. कहानी में वापस आते हैं.
ये सब देखकर संजना भी पूरी कामुक हो गई थी. वे दोनों अपनी हवस की चरम सीमा पर पहुंच गए थे.
दिनेश ने संजना के मुँह में अपनी जीभ को डाला और उसे चूमते हुए किस करने लगा.
संजना भी उसका पूरा साथ दे रही थी.
एकाएक संजना बोली- आपके मुँह से तो बड़ा ही नमकीन नमकीन सा स्वाद आ रहा है.
दिनेश हंस कर बोला- हाँ यह तुम्हारे पेशाब का टेस्ट है, क्या तुम भी ट्राई करोगी मेरी पेशाब!
संजु हंस कर बोली- छीः मैं ऐसा कभी नहीं करूंगी. यह कितना गंदा काम है, आप तो जानवर हैं.
‘अरे पागल, सेक्स में पागलपन में ही तो मजा आता है! जितना पालगपन दिखाओगी, उतना मजा बढ़ेगा!’
संजु बोली- छीः ऐसा पागलपन तो मुझसे जिंदगी में कभी नहीं होगा.
यह बोलती हुई संजु दिनेश के मुँह में अपनी जीभ घुसाकर बेतहाशा चूसने लगी.
वह पागलों की तरह जीभ को चूस रही थी.
वे दोनों उस वक्त खड़ी अवस्था में थे.
दिनेश ने उसी अवस्था में खड़े-खड़े ही संजना की बुर में अपना लौड़ा लगा दिया.
संजु की चुत से पानी टपक रहा था. दिनेश ने उसकी चुत में अपना अपना पूरा कड़ा हो चुका लंड घुसा दिया.
लंड लेते ही संजु थोड़ी सी चिंहुक उठी और उसने मीठे दर्द का अहसास करते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं.
दिनेश ने खड़े-खड़े ही संजना की बुर में अपने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
संजना के मुँह से ‘आह … ओह … स्स … की आवाजें निकल रही थीं.
लगभग 5 मिनट की चुदाई के बाद संजना अपने चरम के करीब आ गई थी.
वह दिनेश के मुँह को अपनी जीभ से बेतहाशा चूसती हुई बोली- प्लीज और जोर जोर से कीजिए.
दिनेश ने झट से अपनी स्पीड को बढ़ा दिया.
संजु तो जैसे जन्नत में गोते लगा रही थी.
उसी वक्त एकाएक दिनेश ने बगल में रखे संजु के मूत से भरे गिलास को उठा लिया, जिसे संजु ने भी देखा.
इधर दिनेश ने संजु की बुर में चुदाई करते हुए ही गिलास के मूत को 01-02 बार पिया और कुछ अपने मुँह में मूत भर कर गिलास को रख दिया.
अब वह अपने मुँह में मूत भरे हुए ही संजु की बुर में धकापेल लंड अन्दर बाहर करने लगा.
संजु जैसे ही अपने झड़ने के अंतिम बिन्दु पर आई और उसने दिनेश के चेहरे को देखते हुए अपना मुँह खोल कर कहा ‘आह … आह … और जोर और जोर से.’
वह मुँह खोले हुई कांप ही रही थी कि तभी दिनेश ने अपने मुँह में भरी संजु की पेशाब को पीने का इशारा किया.
उस वक्त संजु अपनी लाचारी व्यक्त करते हुए सिर्फ इतना ही मुँह से निकाल पाई- प्लीजअअ … नअअअ … हींईईई …!
उसने अपना मुँह बंद कर लिया, पर दिनेश तो अलग ही योजना में था, वह जान रहा था कि संजु कुछ ही सेकेंड में झड़ने वाली है.
उसने एकदम से अपनी चुदाई की स्पीड को बढ़ाया.
संजना का मुँह खुल गया और वह जोर जोर से सीत्कार भरने लगी.
उसी वक्त दिनेश ने अपना मूत से भरा मुँह संजना के मुँह में लगा दिया और अपने मुँह में भरी पेशाब को संजना के मुँह में उतारने लगा.
संजना इस समय सोचने समझने की स्थिति में नहीं थी, वह भी अपनी पेशाब को दिनेश के मुँह से पीने लगी.
उसने खुद ही दिनेश के बालों को कसकर पकड़ा और अपने मुँह से सटा ली.
वह बेतहाशा झड़ने लगी और साथ ही अपना सब मूत पीकर दिनेश के मुँह को खा जाने वाली रफ्तार से चूसने लगी.
कुछ ही सेकेंड में संजना का तूफान शांत हो गया और वह निढाल होकर दिनेश की बांहों में सिमट गई.
दिनेश का रस अभी भी नहीं झड़ा था, पर अब वह सिर्फ संजु की बुर में लंड डाले हुए रुक गया था.
कुछ मिनट के बाद संजना सामान्य हुई और वह दिनेश से अलग होती हुई उसकी छाती में अपने नाजुक हाथों से वार करती हुई गुस्सा दिखा कर बोलने लगी कि आखिर आपने मुझे अपना ही पेशाब पिला दिया, यह ठीक नहीं किया. जाइए मैं आपसे बात नहीं करती!
अब दिनेश संजना को मनाने लगा और बोला- सॉरी बाबू क्या करूं, सेक्स के दौरान मैं इतना नहीं सोचता हूँ.
संजना बोली- तो क्या आप इस दौरान मेरा मल भी खा लेंगे!
दिनेश बोला- हो सकता है!
संजु थोड़ी सामान्य होती हुए बोली- छीः कितने गंदे हैं आप!
इस पर दिनेश थोड़ा सीरियस होते हुए बोला- जानती हो जान, मैं सेक्स के लिए बहुत तरसा हूँ. तुम्हारा साथ पाकर मैं खुशी से पागल हो गया हूँ. प्लीज मेरा साथ दो!
बस यह कहते हुए दिनेश संजु के आगे हाथ जोड़ने लगा.
संजना भी समझ गई थी कि ये वाकयी में बहुत प्यासा है.
वह दिनेश को दुखी नहीं देखना चाहती थी, आखिर वह उसका पहला प्यार था.
उसने माहौल को पुनः सामान्य बनाने के नजरिए से मुस्कुरा कर कहा- अच्छा बाबा, अब ज्यादा इमोशनल अत्याचार नहीं करो.
दिनेश ने उसे चूम लिया.
संजना फिर हंसकर बोली- लेकिन जो भी कहो, बड़ा नमकीन था!
दिनेश तो जैसे यही सुनना चाहता था, वह बोला- हां जान, आखिर मेरी जान का जो था.
इसी के साथ दिनेश ने मौके का फायदा उठा कर यह भी कहा कि अच्छा जान, मेरा रस पियोगी?
संजु इस बात पर झूठा गुस्सा दिखाती हुई बोली- अब मैं सचमुच में आपको पीट दूंगी.
दिनेश का अब तक वीर्य नहीं निकला था, परंतु उसका लंड अब सिकुड़ गया था.
वह संजना की चूचियों से खेलने लगा और बोला कि अभी मेरा नहीं हुआ है, अब मेरे लंड को शांत करो ना!
बैड वाइफ सेक्सXxx संजु बोली- अब 6.30 का समय होने वाला है, मेरा पति आते होंगे!
दिनेश बोला- वाह रे वाह स्वार्थी … अपना मजा पूरा कर लिया और मुझे प्यासा रख कर छोड़ दिया!
संजु बोली- तो मैं क्या करूं, आपका जल्दी निकलता भी तो नहीं है .. और वैसे भी आपने मेरी बुर का कचूमर निकाल दिया है.
दिनेश का लंड पुनः खड़ा होकर फुफकार मार रहा था.
एकाएक मुझे एक खुराफत सूझी.
मैंने मुख्य दरवाजे पर जाकर बेल बजा दी और फिर से खिड़की पर झांकने लगा.
बेल बजने से वे दोनों घबरा गए.
मेरी बीवी बोली- मैंने कहा था ना कि वे आने वाले हैं.
उसने तुरंत उठ कर नाइटी पहन ली और दिनेश से बोली- आप अपने रूम में जाइए.
दिनेश का लंड अभी भी खड़ा था. वह बेचारे की तरह मुँह बनाए था.
वह बोला- मेरे इसका क्या होगा?
संजु हंस कर बोली- जाइए, मुठ मार लीजिए!
दिनेश गमछा लपेटते हुए मेरे कमरे से अपने कमरे में चला गया.
संजु ने दो मिनट बाद दरवाजा खोला.
मैंने पूछा- बड़ी देर लगा दी!
वह बोली- हां कुछ काम कर रही थी!
मैंने पूछा- दिनेश की तबीयत कैसी है?
वह बोली- पता नहीं, वह अपने रूम में ही है.
मैं मन में बोला कि साली चार बार चुदवा कर बोलती है कि मालूम नहीं है.
खैर .. मैं फ्रेश हुआ और दिनेश के कमरे में गया.
वह बेड पर बैठा तो था, पर बड़ा बेचैन लग रहा था.
वह हाफ पैंट और गंजी पहने हुए था. उसके पैंट से अभी भी उसके लंड का उभार थोड़ा दिख रहा था.
चूंकि उसके हथियार से अभी तक वीर्य नहीं निकला था, जिसकी वजह से वह बेचैन था.
मैंने उससे पूछा- तबियत कैसी है?
वह बोला- ठीक है.
मैं औपचारिता निभाने के बाद अपने कमरे में आ गया.
संजु ने हम दोनों के लिए नाश्ता और चाय बनाया तो हमने पिया.
हम तीनों एक ही कमरे में थे, दिनेश बार बार संजना को देख रहा था.
एक बार दोनों की नजरें मिलीं, तो दिनेश ने मायूस होकर अपने लंड की तरफ उसे आंखों से ही इशारा किया.
मानो वह कह रहा हो कि इसे तो प्यासा ही छोड़ दिया ना!
उसकी आँखों को देखकर संजु मन ही मन मुस्कुरा दी.
मैंने एक चीज नोट की कि संजु की चाल बदल गई थी यानि उसे चलने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी.
आखिर हो भी क्यों ना .. साली 4-4 बार 1-1 घंटा चुदवा चुकी थी.
एकाएक मैंने जानबूझ कर कहा कि मुझे थोड़ी नींद आ रही है. मैं थोड़ा आराम कर लेता हूँ.
उस समय कोई 7.30 का समय हो रहा होगा. दिनेश उठकर अपने कमरे में चला गया और मैंने आंखें बंद करने का नाटक कर लिया.
संजु कुछ घरेलू काम करने लगी.
दोस्तो, यह बैड वाइफ सेक्सXxx कहानी अभी और भी रसीली होने वाली है.
आप अपने कमेंट्स से जरूर बताएं कि आपको कैसा लग रहा है.
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बैड वाइफ सेक्सXxx कहानी का अगला भाग: पतिव्रता बीवी की चुदाई पुराने आशिक से- 5
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