अनजानी दुनिया में अपने-4

(Anjani Duniya Me Apne- part 4)

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को जॉर्डन का प्यार भरा नमस्कार।
मेरी कहानी के पिछले भाग
अनजानी दुनिया में अपने-3
में आपने पढ़ा कि मैं दिव्या की मां कामिनी की कामवासना को संतुष्ट कर चुका था और हम दोनों साथ साथ लेटे बातें कर रहे थे.
उम्मीद है आप लोगों को कहानी पढ़कर बहुत मजा आ रहा होगा।

प्रस्तुत है अगला भाग।

कामिनी को सोच में डूबा देखकर मैंने उससे पूछा- क्या तुम नहीं चाहती कि दिव्या मेरी हो जाये?
यह सुनकर कामिनी सहसा मेरी तरफ देखकर बोली- नहीं, ऐसी बात नहीं है … लेकिन ले देकर मेरे पास दिव्या ही है, उसे मैं अपने आप से दूर नहीं करना चाहती।
उसकी इस बात पर मैंने कुछ देर सोचकर कहा- देखो कामिनी जी, मुझे दिव्या से बहुत लगाव हो गया है, मेरी जिंदगी उसी की दी हुई अमानत है, मैं नहीं चाहता उसकी मासूमियत कभी खो जाए, उसे मैं जिंदगी की हर खुशी देने की कोशिश करूंगा, मेरे पास जो कुछ भी है सब उसका ही है, साथ ही उसे एक लायक इंसान बनाऊंगा, यह वादा करता हूँ मैं।

मेरी यह बात सुनकर कामिनी ने एक गहरी सांस ली और मुस्कुराते हुए कहा- ठीक है आपने मेरी सारी चिंता दूर कर दी, मेरी तरफ से दिव्या आपकी है, लेकिन एक बात अब भी मुझे खाये जा रही है, हमारे बीच जो हुआ वो सब दिव्या को पता चलेगा तो?

उसने यह बात बोली ही थी कि दिव्या ने अपने कमरे का दरवाजा खोला। अंगड़ाई लेते हुए दिव्या- मां, आप लोग सोये नहीं क्या? आप लोग क्या बातें कर रहे हैं?
उसकी यह बात सुनकर हम दोनों एक दूसरे के मुँह की ओर देखने लगे, मैंने बात संभालते हुए कहा- दिव्या हम लोग यह सोच रहे थे कि कल शॉपिंग करने कहाँ चलेंगे।
चहकते हुए दिव्या- सच में? मुझे भी कपड़े खरीदने हैं, मेरे पास कपड़े नहीं हैं।

उसकी इस चहक को देखकर ना जाने क्यूँ मेरी आँखें टपक पड़ी और उसके गाल सहलाते हुए मैंने कहा- हां दिव्या, तुम्हारा जितना मन करे उतनी शॉपिंग कर लेना।
यह कहते कहते मैं सोचने लगा इस फूल को कभी मुरझाने नहीं दूंगा।

अब सुबह हो चली थी, मन की धुंध भी कुछ हद तक छंट चुकी थी लेकिन कामिनी का वह प्रश्न अब भी मेरे दिमाग में घूम रहा था। मैंने अपने कपड़े पहने और मॉर्निंग पर निकल गया। चलते चलते यही सोच रहा था कि कामिनी के प्रश्न का क्या करूँ?

फ्लैट पर वापिस आया तो वे दोनों नहा चुकी थी, नाश्ता तैयार था, मैंने पहले फ्रेश होकर नहाना उचित समझा।
नाश्ता करके हम तीनों ऑटो से बाजार की और चल पड़े, मैंने एटीएम से कुछ पैसे निकाले, फिर उन दोनों को वी मार्ट में ले गया, वहां कुछ खास नहीं मिला तो दूसरे मार्किट ले गया, वहां मैं एक तरफ बैठ गया और उन दोनों को बोल दिया कि जब हो जाये तब बता देना।

हमेशा की तरह औरतें सबसे ज्यादा वक्त लगाती हैं शॉपिंग में, उन्होंने भी वही किया तो मैंने उठ कर देखने गया, सामने दिव्या खड़ी थी, उसके हाथ में एक ब्लैक ब्रा थी, थोड़ी देर बाद उसकी नजर मेरी तरफ पड़ी तो वो शर्मा गयी, फिर मेरी तरफ देखकर आंखों ही आंखों में पूछा ‘यह ले लूं?’
मेरा पसन्दीदा रंग नीला है इसलिए मैंने मना कर दिया, फिर वो बदल बदल कर मुझे दिखाने लगी, आखिर में लाइट ब्लू रंग की एक ब्रा उठायी तो मैंने हां कर दी, तो उसने वह ले ली, साथ ही उसने मेरी तरफ आंख मारी तो मैंने भी फ्लाइंग किस दे दी।

कुछ देर बाद कामिनी ने मुझे आवाज लगाई और कहा- हो गई शॉपिंग!
तो मैंने जाकर शॉप वाले को पेमेंट कर दिया।

दोपहर हो चली थी, हमने खाना बाहर ही खाने की सोची और घुस गए एक रेस्टॉरेंट में। टेबल पर दिव्या मेरे पास बैठी, उसने धीरे से मुझसे पूछा- क्या नीला रंग आपका पसंदीदा है?
मैंने कहा- हां!
उसकी आँखें चौड़ी हो गयी और वह मेरे जांघ पर हाथ रखते हुए बोली- मेरा भी तो यही है।

दिव्या की जांघ पर हाथ रखने से मेरे हथियार ने फन उठाना शुरू कर दिया। मैंने उसके कान के पास मुंह ले जाकर पूछा- मुझे पहन कर दिखाओगी ना?
मेरे पूछने पर वो शर्मा गयी और नीचे देखने लगी।
मेरी नजर कामिनी पर पड़ी तो वह उलझन में लग रह थी तो मैंने उसे इशारे से टेंशन फ्री रहने को कहा।

खाना खाकर हम घर आ गए, आते ही दिव्या तो सो गई क्योंकि हम थक गए थे, कामिनी चाय बना लायी, हम दोनों चाय पीना शुरू ही किया था कि कामिनी बोल पड़ी- तुमने मेरी उलझन का क्या उपाय सोचा फिर?
मैं उठ कामिनी के पास गया और उसके नीचे वाले होंठ, जिस पर चाय लगी थी, को चूमते हुए उसे कहा- कामिनी, मैं आपकी सब फिकर दूर कर दूंगा, आप चाय पियो आराम से, फिर मैं आपको पीता हूँ।
यह कह कर मैं जोर से हंसा तो वह भी हंस पड़ी।

चाय पीकर वह रसोई में गयी तो मैं पीछे चला गया। उसने क्रीम रंग की साड़ी पहनी थी जो नाभि से नीचे बंधी हुई थी, उसकी कमर के आसपास का हिस्सा बहुत ही ज्यादा कोमल था तो उसे बिना बताए मैंने उसे वहां से चूम लिया तो उसकी सिसकारी निकल गयी।
मैंने उसे पकड़ कर किचन के प्लेटफार्म पर बैठा दिया।

कामिनी ने मेरे कंधों पर हाथ रखकर पूछा- क्या इरादा है?
मैंने कहा- आपके शरीर के हर एक अंग को चूमना चाहता हूं।

वह नीचे उतर गई और मुझे बेल्ट से पकड़कर बाथरूम में ले गयी, वहां उसने पहले खुद को फिर मुझे नंगा किया और शावर चला दिया, पानी थोड़ा ठंडा था, इसलिए हम जल्दी से एक दूसरे के साथ गूंथ गए, उसके शरीर को मैंने हर जगह से चूमा, उसकी गांड को होंठों से चूस चूस कर लाल कर दिया.
45 की होने के बावजूद आज भी उसके शरीर में ताजगी थी.

मैंने उसकी बगल को चूमा जिसको उसने कल ही साफ किया था। उसके निप्पल होठों के दबाता फिर जीभ से निप्पल के छेद को कुरेदता जिससे वह आह आह करने लगी थी। मेरा एक हाथ उसकी चूत के छेद में अंगुली फंसा चुका था, उसकी चूत अंदर से पानी पानी हो रखी थी, मैंने वह अंगुली निकाल कर उसे दिखाते हुए चाट ली तो वह बाथरूम के फर्श पर लेट गई। मैं भी देर न करते हुए उसके ऊपर आ गया और लौड़ा उसकी चूत पर घिसने लगा.

उसके मुंह से ओह आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईया की आवाजें आने लगे, अब वो अपने कमर को ऊपर उठाने लगी, लौड़ा लेने के लिए लेकिन मैंने लौड़ा डाला नहीं!
इस पर कामिनी हाथ जोड़ने लगी और मिन्नतें करके कहने लगी- प्लीज डाल दो, मैं आपकी गुलाम बनके रहूंगी जिंदगी भर।
मैंने भी देर न करते हुए 6 इंच का लन्ड अंदर डाल दिया।

उसकी चूत अंदर से इतनी ज्यादा भभक रही थी जैसे कोई भट्टी हो। लन्ड अंदर जाते ही उसने मेरी कमर के पीछे पैरों की गांठ सी बना ली, और कुछ देर तक मैं हिल भी नहीं पाया, कुछ देर बाद उसकी चूत का लावा लन्ड से टकरा गया, मेरी आँखें बंद हो गयी, उसकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थी, वो बुरी तरह कांप रही थी। कुछ देर बाद जब वह सामान्य हुई तो मैंने धक्के लगाने शुरू किये, पहले धीरे धीरे लेकिन फिर मैं स्पीड बढ़ाने लगा, फिर मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा। उसकी चूत में से पच पच की आवाज आने लगी।

लगभग दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मेरा लन्ड फूलने लगा, इस बात का अहसास उसे भी होने लगा तो वो भी नीचे से धक्के मारने लगी, कुछ देर बाद दोनों एक साथ स्खलित हो गये, उसकी टांगें कांप रही थी, शावर चल रहा था लेकिन हम दोनों के शरीर तप रहे थे।

दोनों ने एक दूसरे को नहलाया, नहा कर बाहर आ गए। मैंने कमरे में जाकर दिव्या को देखना चाहा, लेकिन वो तो वहाँ नहीं थी, मैंने दौड़कर रसोई में देखा तो वो वहां भी नहीं थी, मैंने जब कामिनी को बताया तो वो रुंधे गले से बदहवास होकर दिव्या दिव्या चिल्लाने लगी।

दोस्तो, आज के लिए बस इतना ही, बाकी की हिंदी गर्म कहानी अगले भाग में। आपको कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं अपना प्यार बरसाते रहना।
मेरा मेल आई डी [email protected] है। शुक्रिया।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top