मम्मी और ममेरे भाई की कामक्रीड़ा- 3

(Xxx Bua Antrwasna Kahani)

Xxx बुआ Antrwasna कहानी में मुझे पता था कि मेरे मामा का बेटा मेरी मम्मी को चोदता है. एक दिन मैंने उनके कमरे में मोबाइल वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए रख दिया.

दोस्तो, मेरा नाम प्रथमेश है।

मेरी मम्मी और ममेरे भाई की कामक्रीड़ा- 2
में मैं मम्मी और अपने ममेरे भाई की चुदाई की कहानी बता रहा था।
मेरे बड़े मामा का लड़का अनुज मेरी मम्मी को काफी लम्बे समय से चोदता आ रहा था।
मैंने घर से निकलते ही मां और अनुज के बीच हुए कामयुद्ध को कैसे दरवाजे की झिर्री से देखा।

अब आगे इस भाग में आपको उस Xxx बुआ Antrwasna कहानी के बारे में बताता हूँ जो उस मोबाईल की मेमोरी में दर्ज थी जिसे मैं कमरे के बेड के पास लगे बुकशेल्फ में छुपा कर गया था।

दोस्तो, माँ और अनुज के बीच हुए इस सेक्स कांड को देखने के बाद मैं तुरंत कहीं जा कर मोबाईल में छुपे वीडियो को देखना चाहता था जिसमें मेरी गैरहाजिरी में हुआ घटनाक्रम दर्ज था।
वैसे भी अभी वो लोग तुरंत कुछ करने वाले तो थे नहीं।

मैं अपने फ्लैट से उतरा और अपने घर के पास ही स्थित एक पार्क में चला गया।

इस पार्क में ज्यादातर बुड्ढे लोग टहलने आते थे और झाड़ियों के पीछे एक बेंच थी जिधर कोई नहीं आता था।

मैं वहीं जा कर बैठ गया और मैंने इयरफोन लगा कर अपना फोन का रिकॉर्डिंग फ़ोल्डर खोल लिया।

मेरे जाने के बाद मम्मी किचन में काम करती रही जबकि अनुज अभी भी सोया हुया था।

मम्मी ने एक नजर किचेन से निकल कर अनुज पर डाली फिर वो अपने कपड़े ले कर बाथरूम में नहाने चली गई।
इधर कैमरे पर अनुज बेड पर सोया हुआ दिख रहा था।

थोड़ी देर बाद अनुज ने करवट ली और अपना एक हाथ नींद में ही आगे फैलाया।
वो शायद रात की खुमारी में था और नींद में अपनी बुआ को बाँहों में भरने की कोशिश कर रहा था।

लेकिन जब मम्मी उसे नहीं महसूस हुईं तो उसकी आँख खुल गई।
उसने लेटे लेटे ही कमरे का जायज लिया।
फिर वो उठ कर किचन में गया।

उसे तसल्ली हो गई कि मैं बाहर चला गया हूँ।
बाथरूम से आती आवाज से वो समझ गया कि मम्मी नहा रही हैं।
उसके चेहरे पर एक शातिर मुस्कान फैल गई।

मैं समझ गया कि इसने अभी अभी मम्मी के बारे में कोई गंदी कामुक कल्पना की है।
आगे मैंने रिकॉर्डिंग को देखना शुरू किया।

अनुज ने अपना शॉर्ट्स उतार दिया और नंगा जा कर रजाई ओढ़ कर लेट गया।

थोड़ी देर बाद मम्मी बाथरूम से बाहर आईं तो उन्होंने देखा अनुज जग गया है।

मम्मी ने एक नाइटी पहन रखी थी और उनके भीगे बाल खुले हुए थे।
इस रूप में मम्मी बहुत हसीन और माल लग रही थीं।

अनुज बड़ी हसरत से उनकी ओर एकटक देख रहा था।
उसे पता था थोड़ी देर बाद उसकी बुआ का रसीला बदन निर्वस्त्र उसकी बाँहों में होगा।

मम्मी की निगाह अनुज से जब टकराई तो उसे ऐसे एकटक खा जाने वाली निगाहों से घूरते देख मम्मी शरमा गई।
उन्हें आखिर पता था की अनुज क्या सोच रहा है और वो शायद मन ही मन इसके लिए तैयार भी थीं।

उन्होंने शरमाते हुए उससे पूछा- चाय लोगे क्या?
“हाँ, ले लूँगा। पानी भी ले आना।“

मैंने महसूस किया अनुज के स्वर में अधिकार भाव था जैसे वो ये आदेश अपनी बुआ को नहीं बल्कि अपनी पत्नी को दे रहा हो।

खैर मम्मी किचन में चाय लाने चली गईं इसी बीच अनुज ने अपना हाथ रजाई के भीतर डाल दिया और हौले हौले अपने लंड की मालिश करने लगा।

कुछ 5 मिनट बाद मम्मी चाय ले कर आती दिखीं।

अनुज ने लंड का मसाज बंद कर दिया।

मम्मी बेड के पास आईं और उसे झुक कर चाय देने लगीं तभी अनुज ने उनके हाथ से पानी का ग्लास ले कर साइड में रख दिया।
फिर उसने चाय का कप भी ले कर साइड में रख दिया।

मम्मी मुड़ कर जाने लगीं लेकिन तभी उसने उनके कमर में हाथ डाला और अपने ऊपर खींच लिया।
मम्मी सीधे उसकी बाहों में जा गिरीं।

अब हालत ये थी कि मम्मी उसके कमर के पास टी शेप में उसके बदन पर गिरी हुई थीं। पलक झपकते ही उसने मम्मी को सीधा अपने बराबर में लिटाया और उनके पीछे हो कर उन्हें बाहों में भर लिया।

मम्मी को संभलने का मौका ही नहीं मिला था.
वो उसकी बाँहों में कसमसाने लगीं और छूटने का प्रयास करने लगीं- अरे छोड़ो मुझे! क्या कर रहे हो? अभी नहा कर आई हूँ मैं … तुम मुझे गंदा कर दोगे।

अनुज ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और उन्हे पकड़ कर रजाई के भीतर कर लिया।
रजाई के भीतर जाते ही मम्मी को अनुज के नंगे लंड का अहसास हुआ।

उन्होंने उसकी पकड़ से निकलने का प्रयास और तेज़ी से शुरू कर दिया।

मगर अनुज ने मम्मी को पीछे से दबोच लिया और उनके कान के पास धीरे धीरे अपनी जीभ से चुभलाने लगा।

अनुज दरअसल लंबे समय से उन्हें चोदता आ रहा था इसलिए उसे पता था कि किस हरकत से उसकी बुआ एक संस्कारी औरत से गरम रांड में तब्दील हो जाती हैं।

अनुज मम्मी की कनपटी के पास से ले कर कान की लौ तक धीरे धीरे चाटता रहा.
वहीं उसने एक हाथ मम्मी की नाइटी के खुले गले के भीतर डाल कर उनकी एक चुची को पकड़ लिया।

मम्मी ने उसका हाथ बाहर निकलने की कोशिश तो की मगर उसने ताकत लगा कर उनके बूब्स को पकड़े रहा।

धीरे धीरे जब मम्मी ने हार मान ली तो उसने उनके निप्पलस को चुटकियों में दाब कर मसलना शुरू कर दिया।
वहीं वो अपने खड़े लंड की ठोकर मैक्सी के ऊपर से ही उनके नितंबों की घाटी में मारता रहा।

अनुज की इन हरकतों के कारण मम्मी की सांसें भारी होती गईं और उनका विरोध खत्म हो गया।

जब अनुज ने देखा की वो विरोध नहीं कर रहीं तो उसने अपना हाथ बाहर निकाल कर उन्हें अपनी ओर घुमा लिया।
मम्मी चुपचाप उसकी बाँहों में समा गईं।
शायद उन्हें पता था कि अब वो मानने वाला नहीं है या शायद सेक्स का मज़ा उन पर भी भारी पड़ रहा था।

अनुज धीरे धीरे अपने होंठ उनके होंठों के पास लाया.
थोड़ी देर तक उनकी साँसे आपस में मिलती रहीं मगर अनुज ने कोई पहल नहीं की।

आखिर मम्मी का सब्र जवाब दे गया।
उन्होंने अपने होंठ खोले और अनुज के होंठों को अपनी गिरफ्त में ले हौले हौले चूसने लगीं।

मम्मी की इस हरकत से अनुज खुश हो गया और दोनों का स्मूच जबरदस्त तरीके से स्टार्ट हो गया।

मम्मी को स्मूच करते हुए भी अनुज का हाथ उनके गुदाज बदन पर यहाँ वहाँ घूमता रहा।
वो कभी उनकी पीठ सहलाता तो कभी उनके नितंब पकड़ कर भींचता।

माँ पागलों की तरह उसके होंठ चूसती रहीं और उनका एक हाथ उसके बालों में फिराता रहा।

अब अनुज ने उनका हाथ पकड़ा और नीचे ले जा कर अपना तना हुआ लिंग पकड़ा दिया।
मम्मी ने बिना किसी झिझक के उसके खड़े लिंग के सुपाड़े पर अंगूठा फिराया फिर अपना हाथ सरकाते हुए लंड की जड़ तक ले गईं।
अनुज मस्ती में सिहरता रहा।

थोड़ी देर बाद जब माँ का हस्त संचालन उसकी बर्दाश्त से बाहर हो गया तो उसने उन्हें धक्का दे कर चित लिटा दिया और उनकी मैक्सी उनकी चूचियों तक उठा दी।
फिर वो वहशी की तरह टूटा और उनकी घुंडियों को जीभ से सहलाने लगा।

मम्मी उसे देखती हुई अपने होंठों पर अपनी जीभ फेरती रहीं और उसके बालों को सहलाती रहीं।

थोड़ी देर प्यार से चुची चुसाई करते करते अनुज उन्हें अपने दांतों से हौले हौले काटने लगा।

मम्मी को दर्द तो हुआ मगर मजे की वजह से वो इस दर्द को पी गईं और अपनी चुची चुसवाती रहीं।

अब दोनों को कपड़े बदन पर काँटों की तरह चुभ रहे थे।
अनुज नीचे से नंगा था ही उसने अपनी टी शर्ट भी उतार दी और मम्मी को इशारा किया।

मम्मी बिजली की तरह उठीं और अपनी मैक्सी निकाल कर लेट गईं।
मैं उनकी कामुकता समझ सकता था।

अब मम्मी के शरीर पर केवल एक पैंटी बची थी ब्रा उन्होंने अंदर पहनी ही नहीं थी।

अनुज उनके गठीले और भरे बदन को एक सेकंड तक देखता रहा और फिर से उन पर झुक गया और उनकी चूचियाँ पीने लगा।
मम्मी अपना हाथ नीचे ले जा कर उसका लंड पकड़ने लगीं.

अनुज चूचियां पीते पीते नीचे आया और अपनी जीभ को मम्मी के बेली एरिया में घुमाने लगा।
मम्मी को गुदगुदी सी फ़ील हुई, वो हंसने लगी और उसे हटाने लगी।

अनुज और नीचे गया और उसने उनकी नाभि में जीभ डाली।
मम्मी को ये बहुत अच्छा लगा।

मगर वो जब धीरे धीरे गरम होती गईं तो उसका सर पकड़ कर नीचे अपनी चूत की तरफ़ धकेलने लगीं।
अनुज समझ गया की वो अपनी चूत चटवाना चाहती हैं।

वो नीचे गया उसने उनकी पैंटी के ऊपर से एक बार उनकी चूत को चाटा और फिर उठ कर खड़ा हो गया।

मम्मी को उसका खड़ा होना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।
वो अपने भतीजे की गरम जीभ अपने चूत की फाँकों में महसूस करना चाहती थीं।
उन्होंने नाराजगी से अनुज को देखा।

“आज अलग तरीके से चाटूँगा रानी! रुक थोड़ा … कहीं से देख कर सीखा है!” यह कह कर वो किचन की तरफ गया और जैम की शीशी उठा कर ले आया।
उसने उससे जैम निकाली और मम्मी को पैंटी उतारने का इशारा किया।

मम्मी ने चुपचाप पैंटी उतार दी।

उसने मम्मी की चूत के ऊपर और आस पास के पूरे एरिया में जैम लगा दिया।
मम्मी अपनी जांघें फैलाए लगवाती रहीं क्योंकि उन्हें पता था इसके बाद होने वाला मुखमैथुन का सुख कितना पागल कर देने वाला होता है।

अनुज जैम लगाने के बाद उठा और मम्मी के साथ 69 का पोज बना कर लेट गया और अपनी जीभ से चूत के बाहरी हिस्से को चाटने लगा।
मम्मी का पूरा एरिया साफ क्लीन था।
शायद उन्हें अंदाजा था कि क्या होने वाला है इसलिए वो बाथरूम में अपनी झांटें साफ करके आई थीं।

अपनी बुआ की स्लेट जैसी साफ बुर को देख कर अनुज का मन वासना से भर गया और जैसे प्लेट से मलाई खाई जाती है वैसे उसने चूत के ऊपरी भगोष्ठों पर लगे सारे जैम को चाट कर साफ कर दिया।

इस क्रिया के दौरान मम्मी प्यार से उसके जांघों के आस पास अपनी गरम साँसों से सहलाती रहीं।

तभी मम्मी ने अपनी जीभ एक बार अनुज के सुपाड़े पर फिराई और फिर छोड़ दिया।
जैसे वो संकेत देना चाहती हों कि अब वो अपनी जीभ अंदर पेवस्त कर दे।

लेकिन अनुज बहुत हरामी था।
वो माँ को तरसाता रहा लेकिन उसने उनके चूत के अंदर अपनी जीभ नहीं डाली।

मम्मी कामुक हो कर अपनी जांघों से उसके सर को चूतद्वार की तरफ धकेलने लगीं।
उनकी ये हालत देख कर अनुज पलटा और बोला- जो भी चाहिए, साफ साफ बोलो।

“प्लीज वहाँ करो ना!”
“कहाँ करूँ रानी? बोलो न?”
“यार मेरी चूत में अपनी जीभ घुसाओ ना प्लीज!” मम्मी ने हथियार डालते हुए शर्मा कर कहा।

“अभी ले साली … पहले कितने नखरे कर रही थी। जहां से सुंदर निकला है, वहाँ आज अपनी जीभ से भ्रमण करता हूँ मेरी रानी। ये ले!”

कह कर वो मम्मी की फैली रानों के बीच घुस गया और उनके बुर में जीभ की नोक घुसा दी।
मम्मी सिसकारने लगीं और उनके होंठ खुद ब खुद अनुज के तने हुए लिंग की ओर बढ़ चले।

उन्होंने उसके लिंग के सुपाड़े को अपने होंठों में दबाया और चूसना प्रारंभ कर दिया।

थोड़ी देर तक ओरल सेक्स का ये दौर चलता रहा और फिर दोनों के शरीर में पिघला हुआ लोहा भरता गया।
दोनों किसी पगलाये सांड की तरह उठे।

मम्मी ने जांघें फैला कर इशारा किया और अनुज अपने लिंग को ले कर उनके बीच आ बैठा।
थोड़ी देर वो सुपाड़े को रगड़ता रहा।

अचानक मम्मी तेज़ी से उठी उसे पकड़ कर दबोच लिया और अपनी कमर उचका दी।
लंड किसी गरम चाकू की तरह उनकी मक्खन बुर में समा गया।

दोनों इतने उत्तेजित थे कि तेज तेज धक्कों का दौर ही शुरू था।

तभी अनुज ने अपने लिंग को लगभग बाहर तक खींचा और मम्मी के कान में कुछ कहा जिसे सुन कर वो उसकी छाती पर मुक्के मारने लगीं।
शायद उसने उनसे कोई बहुत गंदी बात कही थी।

हँसता हुआ उसने फिर से एक करारे शॉट में लंड घुसा दिया।
मम्मी चिहुक उठीं।
और फिर घर्षण का तेज दौर तूफान की तरह छा गया।

मुझे लग रहा था कि दोनों जल्दी ही स्खलित हो जाएंगे.

लेकिन अनुज ने धक्के लगाने बंद किये, लंड बाहर निकाला और मम्मी को घोड़ी बनने का संकेत किया।

मम्मी किसी आज्ञाकारी की तरह उठ कर अपनी गांड उठाए घोड़ी बन गईं।
आप सोचें कि एक भरे गदराए बदन की अधेड़ औरत अपने से आधे उम्र के लड़के के साथ डॉगी पोज में कैसी लग रही होगी।

अनुज अपनी बुआ को इस रूप में देख पागल हो गया और उसके धक्कों की गति बढ़ती गई।
मम्मी के मुह से सिसकारियाँ फूटती रहीं।

और धीरे धीरे अंत करीब आ गया।

अनुज के लंड से निकले वीर्य ने माँ की भट्टी की जलती आग को बुझा दिया।
अनुज थोड़ी देर पीछे से ही उनकी चूत की जड़ तक लंड ठूँसे पड़ा रहा.

फिर उसने हौले से अपना लंड निकाला और बिस्तर पर लेट गया।
माँ भी उसके कंधे पर अपना सर रख कर लेट गयी और उसकी छाती पर अपने हाथ फेरने लगी।

तभी माँ को अचानक कुछ याद आया और उन्होंने पूछा- ये जैम लगा कर तुमने करना कहाँ देख कर सीखा है?
“यार बुआ, किसी को बताओगी तो नहीं?” अनुज ने उनके बाल सहलाते हुए पूछा।

“बताना है तो बताओ नहीं तो मत बताओ।” मम्मी इठलाती हुई बोलीं जैसे उन्हें पता हो कि वो उनसे कुछ छुपाएगा नहीं।

“नाराज मत हो मेरी जान! मझले चाचा मम्मी को चोदते हैं और अब मैं उन्हें अक्सर देखता हूँ।”
मम्मी चौंक गईं और बोलीं- भाभी ऐसा कैसे कर सकती हैं?

“अरे मंजु, जब हम बुआ भतीजा हो कर ये खेल खेल सकते हैं तो वो दोनों तो देवर भाभी हैं। इसलिए मजे लो।”
मम्मी शर्मा गईं क्योंकि बात तो सही थी.
लेकिन वो बोलीं- तुम उन्हें देखते क्यों हो? वो भी अपनी माँ को?

“बुआ, देखने का मजा तो तुम जानती ही हो। अगर मैंने तुम्हें रवि के साथ कबड्डी खेलते नहीं देखा होता तो तुम मुझे हाथ रखने भी नहीं देती।”

अब चौंकने की बारी मेरी थी क्योंकि रवि मेरी मौसी का लड़का था।
तो क्या वो भी मम्मी यानि अपनी मौसी की चूत में गोता लगा चुका है? क्या माँ इतनी चुदड़कड़ है?

“अरे यार, वो बस एक एक्सीडेंट था जो दोबारा कभी नहीं हुआ।” मम्मी शर्मा कर बोलीं और तभी चिहुंक गईं- ये क्या कर रहे हो? फिर से?

दरअसल ये बाते करते करते अनुज ने अपनी दो उँगलियाँ मम्मी की चूत में डाल दी थी।
दूसरे राउन्ड की शुरुआत हो चुकी थी।

अभी मम्मी उसे मना कर रही थीं.
मगर मैं जानता था कि थोड़ी देर में वही सनातन कामुकता हावी हो जाएगी और बुआ भतीजे का रिश्ता बिस्तर पर फिर तार तार हो जाएगा।
लेकिन मैं कर भी क्या सकता था?

दोस्तो, यह Xxx बुआ Antrwasna कहानी यहीं समाप्त होती है।

आपसे अनुरोध है कि इस पर अपनी राय दें।
कृपया फोटो नंबर न मांगें क्योंकि ऐसा करना संभव नहीं है।
इस ईमेल पर अपनी राय भेजें- [email protected]

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