विधवा चाची की चूत की अगन -2
(Vidhva Chachi Ki chut Ki Agan-2)
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अब तक आपने पढ़ा..
हम लोग खुले में सोते थे तो बाकी घर के लोगों का डर लगता था। मगर जब चूत दिखती है.. और लौड़ा खड़ा होता है तो सब डर गायब हो जाता है।
चाँदनी रात में मैं उन्हें निहार रहा था और वो आराम से सो रही थीं। मैंने अपना एक हाथ उनके चूचों पर रख दिया तो उन्होंने खुद को पलट लिया। मैं डर गया और फिर से सोने का नाटक करने लगा।
फिर मुझे पता ही नहीं लगा.. कब मुझे नींद आ गई और जब 3 बजे के पास मैं उठा तो मैंने पाया कि मेरा हाथ उन्होंने पकड़ कर अपने चूचों से सटा कर रखा हुआ है।
यह देखते ही लंड में बिजलियाँ सी आ गईं.. नींद फुर्र हो गई.. और मैंने डरते-डरते उनके चूचों को दबाना शुरू कर दिया।
वो थोड़ी देर चुप रहीं.. मगर मैं थोड़ी देर बाद उनकी ‘आहें’ महसूस कर सकता था।
उनका एक पैर.. जो मेरी फोल्डिंग पर था.. मैंने उस पर चादर डाल कर अपने लोवर में घुसा दिया.. जो मेरे लंड को रगड़ रहा था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
हाय.. क्या एहसास था यारों.. मैं ब्यान नहीं कर सकता..
शायद वो झड़ गई होंगी.. क्योंकि अब वो पलट गई थीं।
मगर मैंने अपना पैर पीछे से उनकी सलवार से उनके चूतड़ों में घुसा दिया.. हय.. क्या कोमल मखमली चूतड़ थे..
अब आगे…
हाँ तो दोस्तो.. उस रात बस यही हुआ और मैं सो गया.. सुबह जब उठा.. तो चाची नहाने गई हुई थीं.. मैंने दरवाजे की दरार से उन्हें नहाते हुए देखा और कमरे में आकर उनके नाम की मूठ मारी.. मैं तो यह सोच रहा था कि आगे क्या होगा.. मगर चाची ऐसे बर्ताव कर रही थीं जैसे रात को कुछ हुआ उसका पता ही नहीं!
मैं अपने दोस्तों के साथ घूमने चला गया और रात को 10 बजे घर आया। घर आकर देखा तो चाची की चारपाई के साथ मेरी मम्मी सोई पड़ी थीं.. मेरा तो दिल ही टूट गया।
मैं चाची के कमरे में बैठ कर टीवी देखने लग गया.. और मुझे नींद आ गई।
रात को मैं उठा तो बाहर गया.. चाची चाँद की रोशनी में लेटी हुई क्या माल लग रही थीं..
मैं उनके बगल में लेट गया और मैंने उनके पैर को रगड़ा.. मगर वो नहीं जागी। मैंने उनके ऊपर पानी के छींटे मारे.. तो वो नींद में ही उठ कर कमरे में आने लगीं.. उन्होंने मुझे देखा ही नहीं, उन्हें लगा कि बारिश हो रही है।
मैं भी उनके लाइट ऑन करने से पहले बिस्तर पर जाकर लेट गया। मगर उन्होंने लाइट ऑन नहीं की.. और वो भी बिस्तर पर आकर सो गईं।
अब मेरी धड़कनें तेज होने लगी थीं। मैंने चाची की तरफ मुँह कर लिया और बिल्कुल उनके होंठों के पास जाकर उनको हल्का सा चुंबन किया।
उनके होंठों के स्पर्श से मेरा लण्ड फटने को तैयार हो उठा था।
मैंने लोवर उतार दिया और चाची का हाथ अपने अंडरवियर में घुसा दिया और चाची के चूचे दबाने लगा।
क्या मस्त चूचे थे.. जैसे रुई के गोले हों.. मेरी इस हरकत से वो जाग गईं.. मगर उन्होंने ऐसा लगने नहीं दिया।
मैंने उनके पेट पर चुम्बन किया और उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
अब धीरे-धीरे मैंने उनकी सलवार को उतार कर नीचे कर दिया।
मैंने निशाने पर हाथ फेरा तो पाया कि क्या सफाचट चूत थी जैसे उन्होंने मेरे लिए ही साफ़ की थी। मैंने कमरा बंद किया और छोटा बल्ब जला दिया और चाची के मुँह पर अपना लंड लगा दिया।
वो अभी भी सोई थीं या सोने का नाटक कर रही थीं..
मैंने उनकी टाँगों पर चुम्बन किया.. तो वो मचलने लगीं और हिलने लगीं।
मैंने चाची के होंठ पर होंठ रखे तो उन्होंने मुझे पीछे को हटा दिया, बोलीं- ये ग़लत है सन्नी..
मैंने उन्हें कहा- मैं आपको खुशी देना चाहता हूँ.
वो बोलीं- चाहती मैं भी हूँ.. मगर यह ग़लत है..
मैंने चाची की टाँगों में हाथ घुसाया और स्मूच करना शुरु किया, थोड़े से विरोध के बाद वो भी मेरा साथ देने लगीं।
मैंने चाची को हर जगह चूमा.. चाची फोरप्ले में ही झड़ चुकी थीं।
मैंने उनके मुँह में अपना लण्ड लगा दिया वो ‘गप्प’ से मुँह में पूरे लौड़े को ले गईं.. और ऐसे चूसने लगीं.. जैसे लॉलीपॉप चूस रही हों..
सच में.. जान निकाल दी उन्होंने मेरी..
मैंने भी उनके आमों को खूब चूसा और चूस-चूस कर उनके चूचे लाल कर दिए। चाची इतनी गोरी थीं कि चूचों पर निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे।
फिर मैंने चाची की चूत को चूसना शुरू किया और उन्होंने मेरा लण्ड चूस कर लौड़े को फिर से खड़ा कर दिया..
मैं चाची के ऊपर आ गया और लण्ड उनकी चूत पर रखा और धक्का लगाया। चाची की चूत में लंड जाते ही महसूस हुआ कि अन्दर तो आग उबल रही थी।
मैंने धक्के लगाने शुरू किए और पहले उनके झड़ने की वजह से अन्दर गीला था तो लंड ‘छपाक’ से अन्दर जा रहा था।
अभी दस मिनट ही चोद पाया था कि चाची फिर से झड़ गईं.. मगर मेरा अभी नहीं हुआ था।
मैंने चाची को अपने ऊपर आने के लिए कहा और चाची ने पूरा लण्ड फिर से अन्दर ले लिया और धक्के लगाने शुरू किए.. अब बहुत मज़ा आ रहा था।
दोस्तो, कहानी लिख रहा हूँ तो याद में अभी भी मुठ्ठ मार रहा हूँ..
करीब 15 मिनट बाद मैं चाची की चूत में ही झड़ गया.. अब तक वो 2 बार झड़ चुकी थीं।
मैंने चाची से पूछा- कैसा लगा?
चाची ने बस यही कहा- आई लव यू सन्नी..
उस रात मैंने चाची को दो बार और चोदा.. एक तो सुबह 4.30 बजे चोदा… फिर मैं उठकर बाहर आकर सो गया।
फिर चुदाई का यह सिलसिला 3 साल तक चला.. वो भी आगे लिखूंगा.. कि क्या-क्या कैसे हुआ और कैसे मैंने उनके भाई की लड़की को भी चोदा.. वो भी चाची और उसे एक साथ चोदा.. यह सब अगले भाग में कभी लिखूँगा।
भाभी आंटी सबका स्वागत है.. आओ और मेरी कहानियों के मज़े लो.. आपके खुल्लम-खुल्ला कमेंट्स का इंतज़ार रहेगा।
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