सोनी मौसी की चूत चुदाई-6
(Soni Mausi Ki Chut Chudai-6)
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अब तक आपने पढ़ा..
करीब 10 मिनट लवड़ा चुसवाने के बाद मैंने मौसी को सोफे पर उल्टा लिटा दिया और उनसे कहा- आज हमारी सुहागरात है.. लेकिन आप तो पहले से चूत की चुदाई करवा चुकी हैं.. तो मेरे लिए क्या सील बन्द है।
तो वो बोलीं- तू भी इसी चूत में अपना लंड डाल दे..
मैंने कहा- नहीं मुझे फ्रेश छेद चाहिए।
तो वो बोलीं- मैं फ्रेश चूत कहाँ से लाऊँ?
मैंने कहा- ठीक है.. चूत नहीं है.. लेकिन आपकी गाण्ड तो है… मैं आज आपकी गाण्ड ही मारूँगा..उन्होंने कहा- क्या बोल रहे हो.. भला कोई गाण्ड भी मारता है क्या?
तो मैंने कहा- मैं समझ गया था.. कि मौसा जी ने आपकी गाण्ड नहीं मारी होगी.. ठीक है आज मैं आपकी गाण्ड का उद्घाटन करूँगा।
मौसी बोलीं- नहीं.. मैं गाण्ड नहीं चुदवाऊँगी..
तो मैंने कहा- मैं तो आज हर हाल में आपकी गाण्ड मारूँगा..
अब आगे..
फिर उन्होंने कहा- आशीष तू मेरा अच्छा बेटा है ना.. मेरी गाण्ड मत मार..
मैंने कहा- नहीं.. मैं आज आपका पति हूँ.. और मेरे लंड को आपकी गाण्ड पर पूरा अधिकार है।
वो समझ गईं कि मैं उनकी गाण्ड मारकर ही रहूँगा।
फिर वो मान गईं। मैंने सोचा कि बिना तेल के ही मौसी की गाण्ड मारता हूँ। तब मौसी चीखेगी तो और मज़ा आएगा। लेकिन फिर सोचा पहली बार है तो देखता हूँ कि क्या होता है।
मैंने मौसी को कुतिया की तरह सोफे पर उल्टा कर दिया और उनके हाथ बाँध दिए।
तो वो बोलीं- हाथ क्यों बाँध रहे हो?
मैंने कहा- बस ज्यादा मज़े के लिए..
लेकिन असल में मैं उनकी गाण्ड बहुत ही बेदर्दी से मारना चाहता था।
फिर मैं तेल की सीसी ले आया और मौसी की गाण्ड पर पूरा डाल कर मालिस करने लगा और जब उनका जिस्म पूरा चिकना हो गया.. तो मैं उनके चूतड़ों पर ज़ोर-ज़ोर से झापड़ मारने लगा।
वो बोलीं- ये क्या कर रहे हो.. आ आआहह.. आशीष छोड़ दो।
वे चीखने लगीं.. लेकिन हाथ बँधे होने के कारण वो कुछ कर नहीं पा रही थीं।
फिर मैं एक लंबा सा स्केल ले आया और उससे उनकी गाण्ड पर ज़ोर-ज़ोर से मारने लगा, उन्हें दर्द होने लगा.. लेकिन मैंने मारना नहीं छोड़ा। अब वो दर्द से चीखने लगीं..
फिर मैंने उन्हें तब तक मारा… जब तक कि उनका पूरा पिछवाड़ा लाल नहीं हो गया।
अब वो रो रही थीं और कहने लगीं- आशीष बेटा.. प्लीज़ मुझे छोड़ दो..
मैंने कहा- बिना गाण्ड मारे कैसे छोड़ दूं?
उन्होंने कहा- ठीक है गाण्ड मार लो.. लेकिन तुम मुझे मार क्यों रहे हो?
तो मैंने कहा- ज्यादा मज़ा देने और लेने के लिए मेरी प्यारी मौसी..
फिर मैंने अपना लंड उनकी गाण्ड पर रखा और फिर एक झापड़ ज़ोर से उनकी गाण्ड पर मारा.. वो फिर दर्द से चीख उठीं।
तभी मैंने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया और मेरा सुपारा उनकी गाण्ड में घुस गया.. अचानक लगे इस धक्के से वो बहुत ज़ोर से चीखीं।
तो मैंने कहा- क्या हुआ?
उन्होंने कहा- प्लीज़ आशीष.. मेरी गाण्ड से अपना लंड निकाल लो.. तुम मेरी चूत चोद लो प्लीज़… तुमने मेरी गाण्ड फाड़ दी.. ओह माँआ.. बचा लो.. इस दरिंदे से.. आआअहह अहह..
तभी मैंने दूसरा धक्का मारा और मेरा आधा लंड उनकी गाण्ड में घुस गया।
इस बार वो और भी ज़ोर से चीखीं- आआअहह ऊऊओह.. साले.. तेरा लंड है.. कि मूसल.. छोड़ मुझे.. आआहह.. अहह.. छोड़ मुझे.. निकाल मेरी गाण्ड से अपना लण्ड.. ऊऊह..
तब मैंने कहा- कैसा लग रहा है मौसी.. अभी तो आधा लंड ही गया है।
ये कह कर मैंने पूरी ताकत से तीसरा धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उनकी गाण्ड में जड़ तक घुस चुका था।
तभी मैंने उनकी कोई परवाह किए हुए लंड बाहर निकाला और फिर से धक्का देकर अपना लंड पूरा उनकी गाण्ड में घुसा दिया।
वो रोने लगीं और चीख भी रही थीं और मैं उनकी कोरी गाण्ड को बेरहमी से मारे जा रहा था।
लगभग पन्द्रह मिनट के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ और अब मौसी को भी कुछ आराम हो चला था।
तभी मैंने अपना लंड गाण्ड से निकाल लिया तो मौसी ने कहा- भगवान का शुक्र है कि तुम झड़ गए.. नहीं तो मैं आज मर ही जाती।
तो मैंने कहा- मैं अभी झड़ा नहीं हूँ और नहीं झड़ने के लिए ही लंड निकाल लिया है।
अब मैंने एक सिगरेट जला ली और मौसी के मुँह के पास खड़ा होकर लंबे कश लेने लगा।
मैंने मौसी से कहा- लो डार्लिंग.. मेरा लंड चूसो..
मौसी ने ना चाहते हुए भी मेरा लंड मुँह में ले लिए और अब वे मजे से लौड़े को चूस रही थीं। मैं कश लेकर सांस रोक कर रखता था.. तो मुझे नशा होने लगा.. जिस वजह से मेरा लंड बैठने लगा।
फिर 5 मिनट लंड चुसवाने के बाद मैंने मौसी के हाथ खोल दिए और वो सोफे पर बैठ गईं।
मैंने उन्हें भी सिगरेट पीने को कहा.. तो वो मना करने लगीं.. लेकिन मैंने ज़िद की तो उन्होंने सिगरेट अपने हाथ में ले ली।
मैंने कहा- लंबे कस लो और सांस रोक कर धुएँ को अन्दर रोक कर रखना.. जब तक हो सके..
तो वो ऐसा करने लगीं.. फिर कुछ देर में उन्हें भी नशा होने लगा और मैं उनके लिए एक पैग बना कर ले आया और उन्हें पीने को दिया।
ना चाहते हुए भी वो पी गईं.. और अब हल्का नशा होने लगा।
तब मैंने कहा- अब फिर उल्टा हो जाओ मौसी..
फिर से मैंने उनके हाथ बाँध दिए और फिर से उसी तरीके से उनकी गाण्ड मारने लगा।
आधे घंटे के बाद मैं जब झड़ने वाला था.. तो मैंने लंड निकाल लिया और उनके मुँह में डाल कर चुसवाने लगा।
दो मिनट में ही मैं उनके मुँह में ही झड़ गया.. वो मेरे माल को थूकना चाहती थीं लेकिन मैंने उन्हें पीने पर मजबूर कर दिया।
वो मेरे लंड का पानी पी गईं और फिर मैंने उनके हाथ खोले और दोनों सोफे पर नंगे ही लेट गए।
आधे घंटे के बाद हम दोनों उठे और वो कपड़े पहनने लगीं।
मैंने कहा- आज कपड़े मत पहनो मौसी..
तो उन्होंने नहीं पहने और हम दोनों नंगे ही पड़े रहे थे। वो जब उठ कर बाथरूम के लिए चलने को हुईं तो वे थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थीं।
फिर हमने साथ-साथ खाना खाया और फिर मैंने वाइन निकाल कर पैग बनाए। हम दोनों वाइन पीने लगे। वो पीना तो नहीं चाहती थीं.. लेकिन मेरे कहने पर पीने लगीं दोनों ने 4-4 पैग पिए और सोफे पर ही सो गए।
रात के करीब एक बजे मेरी नींद खुली तो मैं बाथरूम गया और फिर मैंने मौसी को भी उठाया और कहा- मौसी उठो..
तो उन्होंने कहा- क्या हुआ?
मैंने कहा- उठ कर मेरा लंड चूसो..
वो समझ गई थीं कि ये मना करने पर भी मानेगा नहीं.. लेकिन फिर भी उन्होंने कहा- अब कल सुबह कर लेना आशीष बेटा..
तो मैंने कहा- मैं अभी अपनी बीवी को चोदूँगा..
तब वो समझ गईं और उठ कर मेरा लंड चूसने लगीं। जब मेरा लंड तैयार हो गया तो मैंने भी पन्द्रह मिनट उनकी चूत चाटी और उंगली की.. तो वो झड़ गईं और मैं उनका पूरा पानी पी गया।
फिर मैं उन्हें उठा कर बेडरूम में अपनी सेज़ पर ले गया और उन्हें उल्टा कुतिया पोज़ में कर दिया।
तो उन्होंने कहा- अब ऐसे क्यों कर रहे हो?
मैंने कहा- मैं फिर से आपकी गाण्ड मारूँगा।
वो मना करने लगीं और कहा- बहुत दर्द होता है..
लेकिन मैं तो मानने वाला ही नहीं था, यह बात वो भी समझ चुकी थीं और वो चुप हो गईं।
मैं उनकी गाण्ड मारने लगा.. वो चीखती रही.. लेकिन इस बार वो थोड़ा कम चीख रही थीं। आधा घंटे के बाद मैं उनकी गाण्ड में ही झड़ गया और लंड उनकी गाण्ड में डाले हुए ही उनके ऊपर ही लेट गया।
मुझे पता नहीं चला कि कब नींद आ गई।
मेरी इस कामरस से भरपूर कहानी को लेकर आपके मन में जो भी विचार आ रहे हों.. प्लीज़ ईमेल करके जरूर बताइएगा।
कहानी जारी है।
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