मामी को चोद चोदकर माँ बनाया

(Sexy Mami Chudai Kahani)

सेक्सी मामी चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैंने अपने मामा के घर में मामी को उदासी देखा, समझ लिया कि वो मर्द के सुख से वंचित हैं। मैंने कैसे मामी की मदद की?

मेरा नाम शुभम शर्मा है और मैं राजस्थान में जयपुर का रहने वाला हूँ।
मैं आप सबको अपनी सेक्स स्टोरी बताना चाहता हूं जो मेरी मामी के बारे में है।

यह सेक्सी मामी चुदाई कहानी उस समय की है जब मैं कॉलेज की छुट्टियों में अपने छोटे मामा के घर गया था।

मेरे मामा के घर केवल मामा, मेरी मामी और उनकी बेटी रहती थी।
मामा के घर गया तब मामा-मामी मुझे देखकर खुश हुए। मामा मुझसे मिलकर ऑफिस निकल गए।

मेरे मामा रोज़ सुबह ओफिस चले जाते थे और शाम को वापस आते थे।

मुझे महसूस हुआ कि मामी थोड़ी उदास रहती थी। मुझे लग रहा था कि शायद मामा उनको समय नहीं दे पा रहे थे और जहां तक मैं सोच पा रहा था, उनकी सेक्स लाइफ भी अच्छी नहीं चल पा रही थी।

फिर बातों ही बातों में पता चला कि मामी को एक बेटा चाहिए था।
उनके पास बेटी तो थी लेकिन बेटा नहीं था इसलिए वो दूसरा बच्चा पैदा करने के बारे में सोचती रहती थी।

इस बारे में मैंने मामी से बात करने की सोची, तो बातों ही बातों में उन्होंने इशारा दिया कि मामा उनको समय नहीं दे पाते हैं।
मामी काफी सेक्सी लगती थी और अब मेरा मन भी उनको चोदने का करने लगा था; बस रिश्ते की वजह से मैं कदम आगे नहीं बढ़ा पाता था।

मगर मुझसे मामी की उदासी भी नहीं देखी जा रही थी।
मैं सोच रहा था कि मामी की चुदाई करके उनको खुश कर दूं।

मामा पूरे दिन ऑफिस में रहते थे तो मैंने इसका फायदा उठाने की सोची क्योंकि उनकी बेटी भी कुछ दिन मामी के मायके में रहने वाली थी।

अब मैं मामी को चुदाई के लिए उकसाने की कोशिश करने लगा। मैं मामी को अपना लंड दिखाने की कोशिश में रहता था, अक्सर मैं शॉर्ट्स में घूमता रहता था।

एक दिन नहाने के बाद मैं तौलिया लपेटकर घूमने लगा। ऐसे ही मैं नाश्ता लेने रसोई में भी चला गया।

मामी ने मुझे देखा तो हैरान होने लगी और मुझे कपड़े पहनने के लिए कहने लगी।

अब तक मेरा लंड तौलिया में तन चुका था। मामी भी उसे देख रही थी।

फिर मैं कपड़े पहनकर आ गया।

नाश्ता करते हुए मैं टेबल पर मामी की चूचियों को ही घूर रहा था।

फिर मेरे दिमाग ने काम किया और मैंने अपने कपड़ों पर जूस गिरा दिया।
मामी ने कपड़े बदलने के लिए कहा तो मैंने मना कर दिया कि दूसरे कपड़े प्रेस नहीं हैं।
वो बोली- कोई बात नहीं, तू ये कपड़े निकाल ले, मैं दूसरे प्रेस कर देती हूं।

मैं सारे कपड़े और चड्डी निकाल कर केवल तौलिया लपेट कर बैठ गया।
मामी कपड़े प्रेस कर रही थी।

मेरा लंड मेरा खड़ा हुआ था। मामी ने मेरे खड़े लंड को देख लिया था।

मामी के सामने मैं जानबूझकर टांगें फैलाकर बैठा था ताकि उसको लंड दिखता रहे।
वो भी बार बार नजर बचाकर मेरे लंड की झलक ले रही थी।
मामी ने शायद बहुत टाइम से लंड नहीं लिया था।

मन तो मामी का भी कर रहा था मेरे लंड को चूत में लेने का लेकिन वो कुछ बोल नहीं रही थी।

मामी ने कपड़े प्रेस कर दिए।
मैंने कपड़े पहन लिए और पूरा दिन ऐसे ही मामी को पटाने में निकल गया।

अगले दिन मैंने फिर से वही खेल शुरू किया। अगले दिन मैं नहाने गया तो अपने साथ में तौलिया नहीं लेकर गया। मैंने ऐसा जानबूझकर किया था।

अंदर जाकर मैंने मामी को आवाज लगाई।
मामी तौलिया देने आयी और मैंने बाथरूम का दरवाज़ा हल्का सा खोला।
दरअसल मैं मामी को खुद को नंगा दिखाना चाहता था।

मैंने तब तक दरवाजा बंद नहीं किया जब तक मामी ने मुझे पूरा नंगा नहीं देख लिया।
उसके बाद मैं नहाकर बाहर आ गया।

मामी ने मुझे नाश्ता दिया और नहाने का बोलकर चली गई।

मैंने जल्दी से खाना खत्म किया और उनके पीछे चला गया। वो बाथरूम के दरवाजे को अंदर से बंद किए बिना ही नहाती थी।

मैं उनको एक कोने से खड़ा होकर देख रहा था।

मामी सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई। उनके बड़े-बड़े मम्में और बालों भरी चूत देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया।
उसके बाद मामी ने रेज़र लिया और अपनी चूत को शेव करने लगी।

मैं ये सब देखकर लंड हिलाने लगा।

चूत शेव करने के बाद में वो चूत में उंगली करने लगी जिसे मैं देखकर हैरान रह गया।
वो चूत में उंगली करते हुए मेरा ही नाम ले रही थी।

अब ये साफ हो गया था कि मामी भी मेरे लंड के सपने देख रही थी और मेरे लंड से चुदने के लिए तैयार थी।

मैंने दरवाजे के कोने से थोड़ा सा लंड आगे कर दिया ताकि मामी को लंड दिख जाए।
थोड़ी देर में मामी की नज़र मेरे लंड पर पड़ी।

मामी पहले से ही चुदासी हो चुकी थी और ऐसी हालत में लंड देखकर उससे रहा नहीं गया।
उन्होंने मुझे आवाज देकर बुलाया जैसे उनको पता ही न हो कि मैं वहां बाहर ही खड़ा हूं।

मैं बाहर से बोला तो कहने लगी- मेरी पीठ पर साबुन लगाना है।

अब मैंने भी नाटक किया और बोला- मामी, मैं गीला हो जाऊंगा।
वो बोली- कोई बात नहीं, कपड़े उतार कर चड्डी में आ जा या कुछ तौलिया वैगरह लपेट ले।
मैं जल्दी से नंगा हो गया और तौलिया लपेट कर अंदर गया।

मामी ने बदन पर तौलिया लपेटा हुआ था।
मेरे जाते ही उसने पीठ पर से तौलिया को हटा दिया।
मैंने मामी की पीठ पर साबुन लगाना शुरू किया।

साबुन लगाते-लगाते मैं मामी की गांड तक पहुँच गया।
मैं कमर पर साबुन लगाने के बहाने मामी की गांड के ऊपर के हिस्से तक मसलने लगा।

मामी ने अपना तौलिया और ढीला किया और मुझे पीठ के साइड के हिस्से में साबुन लगाने को कहा।

अब मामी का तौलिया पीछे से पूरा हट चुका था और गांड पूरी खुल गई थी।
साबुन रगड़ने के बाद मैंने अपना तौलिया ढीला किया ताकि मैं उठूं और तौलिया गिर जाए।
साबुन लगाने के बाद मामी खड़ी हुई।

वो खड़ी हुई और तौलिया सिर्फ़ उनके मम्में और चूत को छुपा रहा था; बाक़ी पूरा बदन दिख रहा था।

मैंने तौलिया ढीला किया था तो जैसे ही मैं खड़ा हुआ, मेरा तौलिया गिर गया और मैं मामी के सामने नंगा हो गया।

मैं तौलिया उठाने का नाटक करने लगा लेकिन मामी ने कहा- कोई बात नहीं शुभम, तुम्हें भी साबुन लग गया है, तुम भी मेरे साथ ही नहा लो।
फिर मामी ने भी अपना तौलिया गिरा दिया।

अब हम दोनों पूरे नंगे थे।
मामी ने मेरे बदन पर साबुन रगड़ना चालू किया और मेरे लंड पर हाथ रखा।
वो लंड पर साबुन रगड़ने लगी।
मैं समझ गया कि अब मामी चुदाई की शुरुआत करना चाहती है।

मैंने मामी को सीधी किया और लंड को उनकी चूत पर सटाकर आंखों में देखने लगा।
वो भी लंड की पूरी प्यासी थी और सब कुछ भूलकर बोली- कर दे शुभम … डाल दे अंदर!

एकदम से मैंने शावर चालू कर दिया और उनके भीगते बदन को बुरी तरह से चूमने-चूसने लगा।
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को खाने लगे।

कुछ देर होंठ चूसने के बाद मैंने मामी के चूचों पर धावा बोल दिया और उनको दबा दबाकर चूसने लगा।
एक हाथ से मैं उनकी चूत को रगड़ रहा था।

मामी भी मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से हिला रही थी।

थोड़ी देर बाद मैं नीचे बैठा और मामी को टाँगें खोलने के लिए कहा।
मामी ने टाँगें फैलाईं और अभी अभी शेव की हुई साफ़ … लाल चूत … मेरे सामने थी।
मैंने नीचे बैठकर हल्के से जीभ चूत पर लगाई।
मामी सिसकारियाँ भरने लगी।

धीरे-धीरे मैंने मामी की चूत को गहराई तक चूसना शुरू किया।
उसके बाद मैं खड़ा हुआ और मामी को घुटनों पर बैठाया।
फिर मैंने उनके मुँह में अपना लंड दिया।

मामी अच्छे से लंड और टट्टों को चूसने लगी।
फिर मैंने मामी को बाथरूम की दीवार के सहारे पलट कर खड़ा किया और पीछे से उनकी चूत पर लंड रखा।
मैंने धक्का दिया और एक धक्के में लंड घुस गया।

मैं तेजी से मामी को चोदने लगा।
मामी भी चुदाई के मज़े ले रही थी।

मैं उनकी चूचियों को दबा दबाकर लंड को अंदर धकेल रहा था।

ऊपर से ठंडा पानी गिर रहा था और नीचे से मामी की चूत में मेरा लंड पच-पच करते हुए अंदर बाहर हो रहा था।
मामी की गर्म गर्म चूत की चुदाई करते हुए ऐसा मजा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता हूं।

वो भी बार-बार सिसकार रही थी- आह्ह शुभम … हाह् … ओउफ्फ … रगड़ दे रे … आह्ह मजा आ रहा है तेरे लंड से चुदकर … कितना गर्म और सख्त लौड़ा है … हाय … चोद दे … चोदता रह … आह्ह … हाय … आह्ह … हाय।

मामी की कामुक सिसकारियों से मेरा वीर्य मेरे आंडों में उबलने लगा था और जल्दी ही वो बाहर छलकने वाला था।
कुछ देर की चुदाई के बाद मुझे लगने लगा कि अब मैं ज्यादा देर नहीं रुक पाऊंगा।

मेरा वीर्य बाहर आने वाला था।
मैंने कहा- कहां निकालना है मामी?
वो बोली- चूत में … मेरी चूत में भर दे … पूरा अंदर तक भर दे … जो ये मुझे तेरे बच्चे की मां बना दे। मुझे एक बच्चा दे दे शुभम … पिला दे अपना रस मेरी चूत को।

धक्के मारते हुए मैं मामी की चूत में झड़ने लगा।
हम दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे।
पानी गिरता रहा और हम भीगते रहे।

फिर नहाकर और बदन पौंछकर हम बाहर आ गए।
कुछ देर हम बेड पर नंगे लेटे रहे और 15-20 मिनट के बाद मैं फिर से मामी के बदन पर टूट पड़ा।
वो फिर से लंड लेने के लिए गर्म हो गई।

मैंने मामी की चूत पर लंड को रखा और एक धक्के में फिर से लंड उनकी चूत में उतार दिया।
आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं एक बार फिर से मामी की चूत में खाली हो गया।
फिर हम कुछ देर के लिए सो गए।

जब मैं सोकर उठा तो मामी गांड ऊपर उठाये सो रही थी।
मैंने उनकी गांड पर लंड रगड़ना शुरू किया और मेरा लौड़ा अब उनकी गांड में जाने के लिए मचलने लगा।
इतने में मामी भी उठ गई।

वो मुझे गांड पर लंड रगड़ते देख मेरी इच्छा समझ गई और बोली- मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है।
मैं बोला- मुझ पर भरोसा करो मामी, कुछ नहीं होगा; मजा आएगा आपको!

बहुत समझाने पर वो मान गई।
मैंने अपना लंड उनकी गांड के छेद पर रखा और धक्का दिया।
मामी की गांड टाइट थी।

मैंने थोड़ा ज़ोर लगाया और अंदर लंड घुस गया।
मामी दर्द से चिल्लाई लेकिन मैंने एक न सुनी और गांड चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद मामी भी मजे लेने लगी।

कुछ देर में मैंने मामी की गांड में अपना वीर्य छोड़ दिया।

अब उसको फिर से चूत में प्यास लग गई।
इधर मैं थक चुका था।

लेकिन मामी ने लंड हिलाकर फिर से खड़ा कर दिया।

फिर मैंने मामी को अपने खड़े लंड पर बिठाया और चूत मारने लगा।
मामी भी मज़े से उछल उछल कर लंड ले रही थी।

इस बार मैंने अपना वीर्य मामी के मुँह में छोड़ने की सोची।
जैसे ही मैं झड़ने वाला था, मैंने मामी को लंड के ऊपर से उठाया और खड़ा होकर उनके मुँह में लंड दे दिया।
मामी के मुँह में मैंने वीर्य छोड़ा और मामी को पिला दिया।

हम दोनों बहुत थक गए और नंगे ही सो गए।

थोड़ी देर बाद उठे तो मामी शर्मा रही थी।
मामी को मैंने कहा- शर्माओ मत … आप मेरे बच्चे की माँ बनोगी। अब हमारी चुदाई चलती रहेगी।
मामी भी कहने लगी- शुभम, बहुत अच्छा चोदा। तुम जब चाहो, आकर मुझे चोद लेना।

फिर मामी और मैंने कपड़े पहन लिए और अपना-अपना काम करने लगे।
मैं बीस दिन मामा के घर रहा और रोज़ सुबह-शाम सेक्सी मामी चुदाई करता रहा।

हम घर में नंगे ही रहने लगे थे।
मामी को बीस दिन तक चोदने के बाद मामी ने बताया कि वो प्रेगनेंट हो गई है और बच्चा मेरा है।
मामा से सच्चाई छुपाने के लिए उन्होंने एक दिन बीच में मामा से चुदवा लिया था।

सब खुश थे कि मामी प्रेगनेंट है।
मामी को प्रेग्नेंट करने के बाद मैं घर आ गया।

अब जब भी मौका मिलता है, मैं मामा के घर जाता हूँ और मामी को जी भरकर चोदता हूँ।

दोस्तो, आपको मेरी सेक्सी मामी चुदाई कहानी कैसी लगी, मुझे अपनी राय जरूर लिख कर भेज दें।
मैं आप सब पाठकों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार करूंगा।
अगर आपका रेस्पोन्स अच्छा रहा तो मैं आगे भी आपके लिए ऐसी ही सेक्सी कहानियां लेकर आऊंगा।
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मेरी पिछली कहानी थी: गर्लफ़्रेंड की अदला-बदली और चुदाई का खेल

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