रोहतक वाली सेक्सी मामी की चुदाई का मजा-3
(Rohtak Vali Mami Ki Chudai Ka Maja- Part 3)
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अब तक आपने इस सेक्स स्टोरी में पढ़ा..
मामी मुझे बैठा कर कपड़े बदलने चली गईं।
अब आगे..
मामी कपड़े बदल कर क्या आईं.. पूरी बम्ब बन के आईं। वो रात को सोने के नजरिए से टी-शर्ट और सलवार पहन कर आ गईं और बोलीं- आज सभी यहीं सो जाते हैं।
मैं अभी उन्हें ही देख रहा था, वो मुझे एक कयामत लग रही थीं।
इतने में बहन बोली- आज पहली बार टी-शर्ट कैसे मम्मी..!
अब मुझे वो और भी सेक्सी लग रही थीं। मामी ने अपना फोल्डिंग, डबल बेड के सिरहाने कुछ इस तरह बिछाया कि उनका सर से कमर भाई के सिरहाने हो गए और कमर से पैर मेरे सिरहाने हो गए। उन्होंने लाईट बंद कर दी और हम सभी बातें करने लगे। मैं मामी को मोबाईल की रोशनी से देख रहा था.. क्या मस्त माल लग रही थीं।
वो भी मुझे ऐसे देख रही थीं, मानो मुझसे पूरी नंगी हो कर चिपटना चाहती हों।
हम सभी सोने लगे, पर मुझे कहां नींद थी.. मैं तो मामी का नंगा बदन अपने नीचे लेना चाहता था, पर समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.. कैसे शुरूआत करूँ।
फिर अचानक मैंने अपना हाथ मामी के पैर पर रखा और सहलाने लगा। इसमें मुझे मजा आ रहा था और मामी को भी अच्छा लग रहा था। मैं धीरे-धीरे ऊपर आ रहा था.. साथ ही साथ मुझे डर भी रहा था, पर मुझ पर हवस भारी थी। इसी हवस के चलते मैं और ऊपर आ गया। अब मैं उनकी जाँघों को सहला रहा था। केले के तने जैसी जांघें थीं मामी की, मेरा मन कर रहा था कि अभी सलवार निकाल कर उनकी जाँघों को चाट लूँ।
मैं धीरे-धीरे और ऊपर सहलाने लगा, मामी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थीं। मुझे लगा मामी भी शायद मजा ले रही थीं। मैं और ऊपर स्थान विशेष तक हाथ लाता और झट से अपना हाथ हटा लेता। मुझे डर भी लग रहा था, पर वासना भी सवार थी।
अब मैं उनकी जांघों तक पहुँच गया.. उन्हें मसलने लगा। तकरीबन दस मिनट ऐसे ही चलता रहा। जब मामी में कोई हलचल नहीं हुई, तो मैं और ऊपर आ गया।
यह सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं।
मैं सलवार के ऊपर से ही मामी की पेंटी के साईड में अपने हाथों फेरने लगा, क्या मस्त आनन्द की अनुभूति हो रही थी।
फिर मैं अपना हाथ पेंटी की साईड से झांटों की तरफ ले गया, उनकी झांटें आदि एकदम साफ थीं.. मानो हफ्ते भर पहले ही बनाई हों।
मैं अब पूर्ण रूप से वासना के आवेश में था.. मैं अब रूकने वाला नहीं था। मैं अपना हाथ उनकी चुत की तरफ ले गया।
दोस्तों मुझे डर भी बहुत लग रहा था.. पर मजा भी बहुत आ रहा था ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मैं उनकी चुत के ऊपर हाथ फेरने लगा, मैं बीच-बीच में मामी की जाँघों को भी सहलाता जाता।
मैंने ये तकरीबन 20 मिनट किया, फिर अचानक मामी ने दोनों टाँगें बंद कर लीं, मैं एकदम से डर गया, पर मामी ने कोई हरकत नहीं की तो मैं समझ गया कि शायद मामी जाग रही हैं और सोने का नाटक कर रही हैं।
फिर मैंने अपनी हिम्मत बढ़ाते हुए अपने हाथ को मामी की गांड पर ले गया और उनकी मस्त गांड को मसलने लगा। मैं बता नहीं सकता कि इस वक्त मेरी हालत क्या थी, मैं अपने सपनों की गांड को दबा रहा था।
मेरी हालत खराब हो चुकी थी, मैं बहुत डर भी रहा था और आनन्द भी ले रहा था.. मेरा रक्तचाप बहुत बढ़ चुका था।
सच में क्या मखमल सी गांड थी.. सलवार के ऊपर से ही क्या गदर नर्म थी।
मामी की गांड पर मैं अपने हाथ को फेरता हुआ एकदम से उनकी गांड की दरार में ले जाता और तुरत ही हटा भी लेता। मैंने ऐसा 2 या 3 मर्तबा किया। जब उधर से कोई विरोध नहीं हुआ तो मैं अपना हाथ गांड के पीछे से ही मामी की चुत की तरफ ले गया।
मामी ने टाँग मारी और फोल्डिंग पर मुझसे दूर हो गईं।
मैं डर गया.. पर मामी वहाँ ऐसे ही पड़ी रहीं। उन्होंने टांग मारने के बाद कोई एक्शन नहीं लिया था। मामी भी शायद मजा ले रही थीं। अब मैं भी थोड़ा आगे होकर फिर से उनकी गांड को मसलने लगा।
फिर मैं मामी के पैरों में आ गया और उनकी सलवार को यह सोच कर खींचने लगा कि अगर मामी चुदवाना चाहती होंगी तो अपनी सलवार का नाड़ा खोल देंगी और मैं उनकी नंगी गांड को आज सहलाऊँगा भी और उन्हें चोदूंगा भी।
क्या मजा आ रहा था.. मैं अब जोर से सलवार को खींचने लगा। मुझे ऐसा लगा कि मामी भी शायद नंगी होना चाहती थीं, पर अचानक मामी जग गईं और मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने एकदम हाथ को हटाया, मेरी गांड फट गई।
मामी बोलीं- क्या चक्कर है.. सलवार क्यों खींच रहा था?
मामी की आवाज में थोड़ा गुस्सा था।
मैं क्या करूँ.. मुझे समझ में ही नहीं आ रहा था। साथ ही मुझे डर ये भी था कि कहीं भाई ना जाग जाए।
तभी एकदम से मामी बोलीं- क्या ठण्ड लग रही है?
मैंने ‘हाँ’ कर दी और मामी ने कहा- चादर तेरे साईड में तो रखी है.. वो ले ले, मेरी सलवार क्यों खींच रहा है।
मेरी गांड फट गई थी, मैंने चुपचाप चादर अपने ऊपर ली और दम साधे पड़ा रहा। मैं रात भर नहीं उठा.. मैंने जोर से आती हुई पेशाब भी सुबह की। मेरी पूरी रात हालत खराब थी.. बस मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि सुबह बचाना मुझे।
सुबह सब सामान्य था, मैंने नाश्ता किया और मामी को बोला- मैं चलता हूँ।
मामी आज गुमसुम थीं.. फिर अचानक मामी अपनी लड़की से बोलीं- आज मन कुछ खिन्न सा हो रहा है।
थोड़ी देर में मामा की लड़की चली गई। फिर मामी मुझे अकेला पाकर बोलीं- रात को सलवार क्यों खींच रहा था?
मैं बोला- ठण्ड लग रही थी।
मामी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और मैं आ गया।
इतना सब होने पर भी मैं अब भी यही सोचता रहा कि शायद मामी भी इंटरेस्टेड हैं। मुझे उस दिन रात में उठना चाहिए था, शायद बात बन जाती क्योंकि मामी ने सुबह कहा था कि मुझे पूरी रात नींद नहीं आई।
फिर अगले दिन मामी का फोन आया और मुझे पता चला कि मामी ने दो दिन की छुट्टी ली हुई है। मुझे ऐसा लगा कि मामी ने जानबूझ कर मुझे बताया ताकि मैं उनके पास अगली सुबह पहुँच जाऊँ।
मैं यह सोचते हुए पहुँच भी गया कि शायद आज मामी को चोद पाँऊ।
मैं मामा के घर पहुँचा.. पर क्या देखता हूँ कि छोटी मामी भी वहीं बैठी थीं। मुझे उन पर गुस्सा आ रहा था और वो थीं कि जाने का नाम नहीं ले रही थीं।
वो 3-4 घंटों तक वहीं बैठी रहीं.. वो मुझे अब विलेन लग रही थीं.. आखिरकार वो चली गईं।
फिर मामी ने खाना बनाया.. हम दोनों ने खाया और यहाँ-वहाँ की बातें की।
मामी बोलीं- आज कैसे आया?
मैं बोला- अपनी मामी को देखने कि आप ठीक तो हैं।
वो मुस्कुरा कर बोलीं- अच्छा जी।
फिर मैं मामी से बोला- आपकी कमर का दर्द ठीक है कि नहीं.. चलो मैं मालिश कर देता हूँ।
वो बोलीं- नहीं रहने दे..
पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने तेल की शीशी उठाई और रसोई से गर्म कर लाया।
मामी बोलीं- तो नहीं मानेगा तू!
मैं बोला- आप भी तो नहीं मान रही हो।
इस बात पर हम दोनों ही हंस पड़े।
मैंने मामी को लेटने के लिए बोला, वो लेट गईं तो मैंने उन्हें कमीज ऊपर करने को कहा। मामी की कमर क्या दूध सी गोरी थी, मेरा तो मन हुआ कि मामी को अभी ही नंगी करके चोद दूँ।
फिर मैं मामी की कमर की तेल मालिश करने लगा, मामी भी मालिश का आनन्द ले रही थीं।
मैं अपने हाथों को ऊपर ले गया और उसके शर्ट के अन्दर से ही ब्रा के हुक को खोल दिया।
मामी बोलीं- ये सब रहने दे!
पर मैं कहाँ मानने वाला था। मैं अपना हाथ चलाता रहा और वो उसका भरपूर आनन्द ले रही थीं। मैं बीच-बीच में गर्दन की भी मालिश कर रहा था, इससे शायद वो और उत्तेजित हो रही थीं।
फिर मैंने मामी का शर्ट थोड़ा और ऊपर कर दिया और मालिश करता रहा।
क्या कामुक आनन्द की अनुभूति हो रही थी, उनकी चिकनी कमर.. ऊपर से उनकी सलवार के अन्दर छिपी हुई गांड.. हय.. मेरा तो लंड ये सोच कर ही बिल्कुल तन गया था।
मैं अपना हाथ मामी के पेट की तरफ ले गया तो मामी बोलीं- ये क्या कर रहा है?
मैं कुछ नहीं बोला और अपने हाथों को उनकी कमर पर चलाने लगा। फिर मैं कमर से थोड़ा नीचे की ओर आ गया और अपने हाथों को सलवार के नीचे से ले गया, पर ज्यादा नहीं और मालिश करने लगा।
क्या मखमली अहसास था.. मैं बता नहीं सकता।
तभी अचानक मामी बोलीं- कुछ कुछ हो रहा है..
यह कहते हुए वो अपनी टांगों को आपस में रगड़ने लगीं.. मैं समझ गया कि मामी गर्म हो रही हैं।
मैंने मामी को पलटने के लिए कहा तो वे बिना हुज्जत किए आराम से पलट गईं। मैं अब उनके पेट पर मालिश करने लगा और सूट को चूचों तक ले गया।
मामी हंसी और कहने लगीं- आज क्या पूरा काम करके ही मानेगा?
मैं कुछ नहीं बोला और पेट को मसलता रहा।
क्या नाभि है मामी की.. एकदम गोरी और गहरी..
मैंने मामी का पेट पहली बार नंगा देखा था.. बहुत मस्त लग रहा था। मेरा मन कर रहा था कि बिना रुके सीधा चढ़ जाऊँ और चोद दूँ।
तभी मैं एकदम से अपना हाथ उनकी अधखुली ब्रा के नीचे से मामी के चुचों पर ले गया और स्पर्श करके फिर से नीचे आ गया। हालांकि मामी ने कोई प्रतिकार नहीं किया, पर मैं थोड़ा डर रहा था।
फिर मैं हिम्मत करके 4-5 बार उनके चुची पर हाथ ले गया.. जब उनका कोई विरोध नहीं दिखा तो अब मुझ पर हवस सवार हो गई थी। अब मैं अपना हाथ मामी की सलवार के नाड़े के पास ले गया और वहाँ पर मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद मैं धीरे-धीरे अपनी उंगलियों को अन्दर ले जाने लगा।
कसम से बहुत मजा आ रहा था और शायद मामी भी मेरी उंगलियों की हरकत का मजा ले रही थीं।
मैं अपना हाथ बीच-बीच में नाभि पर ले जाता और कभी चुची की तरफ ले जाता। मैंने मामी को फिर से पलटने के लिए कहा तो वो फिर से पलट गईं।
इस बार उनकी नंगी कमर और उठी हुई गांड मेरे सामने थी, मखमली जिस्म देख कर मेरी हालत खराब हुई जा रही थी।
मैं मामी की चिकनी कमर पर अपना हाथ चलाने लगा। मामी अपने पैरों को रगड़ने लगीं और फिर बोलीं- कुछ कुछ हो रहा है!
मेरे मुँह से निकल गया- कुछ क्या मामी.. सब कुछ होगा..!
मामी ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रया नहीं दी और मुझे साहस मिल गया।
अब आगे क्या होता है इसका वर्णन अगले भाग में लिखूंगा, आपको मेरी इस सेक्स स्टोरी पर कुछ लिखना हो तो प्लीज़ जरूर लिखिएगा, मुझे इन्तजार है।
[email protected]
कहानी जारी है।
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