मोनिका और उसकी मॉम की चुदने को बेकरार चूत -4
(Monika Aur Uski Mom Ki Chudane Ko Bekarar Chut- Part 4)
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पिछले भाग में आप मुझे मोनिका की गाण्ड मारते हुए पढ़ रहे थे।
मैंने लण्ड को हल्का सा निकाला और फिर से पूरा डाल दिया। शायद इस बार थोड़ा कम दर्द हुआ उसे.. सो अब मैं आराम से अन्दर-बाहर करने लगा.. और अब शायद उसे भी मज़ा आने लगा था.. सो वो भी मज़े करने लगी।
कुछ देर तक इसी तरह से चोदने के बाद उसको मैंने गोद में उठा लिया.. कैसे उठाया ये भी ज़रा बता देता हूँ। उसके दोनों हाथ मेरे गर्दन पर थे.. और वो दोनों पैर मेरी कमर में फंसाए हुए थी और मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ा हुआ था।
हम दोनों किस करने लगे।
कुछ देर किस करने के बाद उसी ने एक हाथ से लण्ड को पकड़ कर अपनी गाण्ड के छेद पर लगा दिया.. तो मैंने अन्दर डाल दिया। अब मैं उसके चूतड़ों को पकड़ कर अन्दर-बाहर करने लगा।
अब तक वो मुझे किस किए जा रही थी और उसकी चूचियाँ मेरे सीने पर महसूस हो रही थीं।
कुछ देर मज़े करने के बाद मैं डिसचार्ज होने वाला था। उससे पूछा.. तो वो बोली- अन्दर ही डाल दो।
मैं ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा और अपना सारा माल अन्दर ही डाल दिया।
फिर उसके बगल में ही बिस्तर पर लेट गया।
कुछ देर बाद हमने फिर से एक बार किया। उस रात हम ने सिर्फ़ दो बार ही सेक्स किया और अपने-अपने कपड़े पहन कर सो गए।
सुबह जब उसकी माँ मुझे जगाने आईं.. तब मेरी नींद खुली.. तो देखा मोनिका अपने बिस्तर पर नहीं है।
मैंने मोनिका के बारे में पूछा.. तो वो बोलीं- वो बाथरूम में नहा रही है।
तो मैंने उसकी माँ को झट से अपने ऊपर खींच लिया और अपने खड़े लण्ड को पकड़ा दिया.. तो वो छोड़ते हुई अलग हुईं और रसोई में चली गईं।
मैं भी पानी के बहाने पीछे-पीछे चला गया और वहाँ जाकर पूछा- इस बेचारे का क्या होगा?
वो बोलीं- मोनिका अभी हमेशा घर में रहती है.. तो मौका मिलने पर ही होगा ना।
मैं कुछ सोचने लगा कि तभी उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़ कर कहा- तब तक इसको सबर करने को बोलो। देखो मोनिका का एग्जाम सेंटर भुवनेश्वर पड़ा है.. तो वो एग्जाम देने जाएगी ही.. तब इसको खुश कर दूँगी और अब जाओ इसको शान्त करके जल्दी से फ्रेश हो जाओ.. मैं नाश्ता लगा देती हूँ।
इसी तरह दो दिन बीत गए.. मेरे एग्जाम का दिन आ गया मैं उनकी गाड़ी लेकर खुद एग्जाम देने चला गया।
जब एग्जाम देकर आया.. तो मोनिका बैग पैक कर रही थी।
पूछने पर मालूम हुआ कि एग्जाम दस बजे से है.. तो वो आज ही जा रही है।
वो अपने पापा के साथ एग्जाम देने जा रही थी, उसके पापा को भी वहाँ से कुछ काम है.. रात भर रुकेगी और सुबह एग्जाम देकर लौट आएगी क्योंकि सुबह वाली गाड़ी पकड़ने में रिस्क है.. एग्जाम छूट भी सकता है।
तब तक उसके पापा भी ऑफिस से आ गए और उन्होंने मुझसे पूछा- एग्जाम कैसा हुआ?
मैं बोला- अच्छा गया.. अब रिज़ल्ट ही बताएगा कि कैसा गया।
तब तक वे दोनों तैयार हो गए, उन्होंने मुझे स्टेशन तक छोड़ देने को बोला।
मैं गाड़ी से दोनों को स्टेशन छोड़ कर गाड़ी में बैठा कर उतनी ही तेज़ी से घर की तरफ़ भागा।
घर पहुँचते ही दरवाजे को अन्दर से लॉक कर दिया और अन्दर गया.. तो देखा घर के बाकी के सारे खिड़की और दरवाजे भी बंद हो चुके थे.. मतलब एक बंद घर में सिर्फ़ हम दोनों अकेले थे.. कुछ मज़ेदार होने वाला है।
आंटी अपने आपको सज़ा रही थीं.. शायद अभी अभी वो नहा कर निकली थीं और कपड़े पहन कर मेरे पास आने वाली थीं।
मैं पीछे से गया और मुझे देखते ही वो मुझसे लिपट गईं।
मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ़ है.. सो हम दोनों लिपट कर एक-दूसरे को किस करने लगे।
कुछ देर बाद हम अलग हुए।
मैं बोला- आज तो कोई रोकने वाला भी नहीं है.. आज छोड़ने वाला नहीं हूँ।
मैं उन्हें किस करने लगा.. और वो मेरे तने हुए लण्ड को हाथ में ले कर सहलाने लगीं। मैंने उनकी साड़ी.. पेटीकोट पूरी कमर से ऊपर कर दिया और नंगी चूत देखी।
ओह यारो.. क्या नज़ारा था मेरी प्यारी आंटी की पतली लकीर वाली चूत का.. आज भी याद आता है.. तो आंटी पर प्यार आ जाता है.. और मेरा लण्ड फनफना कर खड़ा हो जाता है।
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मैं चूत के लब खोलने लगा तो आंटी बोलीं- चलो बिस्तर पर आराम से करेंगे।
वो मुझे फ्रेंच किस देने लगीं..
मैंने उनकी साड़ी निकाल दी और उनका ब्लाउज भी खोल कर तनी हुई चूचियों को ब्रा के ऊपर से सहलाने लगा।
बहुत कोशिश करने के बाद भी ब्रा का हुक नहीं खुल पा रहा था, मैंने पीछे हाथ ले जाकर ज़ोर से खींचा तो हुक टूट गए और चूचियाँ आज़ाद हो गईं।
मैंने झट से उन्हें मेरे हाथ में ले लिया फिर नीचे झुक कर बारी-बारी से दोनों चूचियों को दबाने और चूसने लगा।
आंटी बहुत धीरे-धीरे ‘उउउ..श..इशह..’ कर रही थीं।
आंटी ने मेरा साथ देते हुए अपने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया और पेटीकोट भी रहम की भीख मांगता हुआ नीचे गिर गया।
अब आंटी मेरे सामने सिर्फ़ अधखुले ब्लाउज को पहने खड़ी थीं।
मैं अब भी पैंट-शर्ट पहने था.. अभी नंगा नहीं हुआ था।
आंटी ने ब्लाउज उतार फेंका और नंगी होकर मेरे से लिपट गईं।
मैंने उनके कूल्हे सहलाते हुए.. उनको गोदी में उठाया।
आंटी मेरे गले में हाथ डाल कर सिमट गईं और मुझे फ्रेंच किस देती रहीं।
मैं उन्हें गोदी में लेकर बेडरूम में ले गया और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया।
‘सुशांत.. तुम भी नंगे होकर आ जाओ..’
मैंने कहा- यह शगुन तो आपको ही करना होगा।
मैं यह कह कर पैंट-शर्ट पहने हुए ही नंगी आंटी के बगल में लेट गया।
सामने फुल साइज़ मिरर में हमारा सेक्स का सीन दिख रहा था।
ओह क्या समा था यारो..!
आंटी ने जल्दी-जल्दी मेरी पैंट-शर्ट शॉर्ट्स उतारा और मैंने उनका साथ देते हुए सब कुछ उतार दिया।
आंटी मेरे से 20 साल बड़ी थीं.. पर क्या चीज़ दिख रही थीं इस नंगी अवस्था में।
हम लोग थोड़ी देर एक-दूसरे की बाँहों में लिपटे एक-दूसरे के शरीर से खेलते रहे और इधर-उधर किस करते रहे।
मैंने कहा- आंटी.. आपकी चूत अच्छे से देखनी है।
आंटी बोलीं- तो देखो ना.. पूछते क्या हो?
यह कह कर उन्होंने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं।
ओह.. क्या दृश्य था..
चूत की दाना हीरे जैसा चमक रहा था।
इतने साल बाद भी चूत सिर्फ़ एक दरार जैसी थी.. और गुलाबी पुत्तियाँ.. बिना बालों की.. चमकदार चिकनी चूत..
मुझे लगा कि ये चूत मोनिका की चूत से ज़्यादा गदराई हुई चूत है।
आंटी की चूत अभी शानदार गदरा रही थी।
मैंने चूत फैला कर अच्छे से उसका दीदार किया.. जहाँ तक चूत के अन्दर निगाह जा सकी.. और क्या महक आ रही थी वाह्ह..
आंटी ने मेरे सर को अपनी चूत की तरफ खींच कर कहा- चूम लो इसे सुशांत!
‘ओफ्फ़ आंटी’ कह कर मैं चूत चूमने लगा और अपने आप ही उससे चाटने भी लगा।
आंटी चूतड़ उठा-उठा कर चूत चटवा रही थीं।
‘आंटीईई..’ मैं चिल्लाया।
आंटी बोलीं- आंटी नहीं.. मुन्नी कहो सुशांत..
मैं चूत को चाटते हुए उनकी चूचियाँ भी रगड़ रहा था ‘ओह्ह.. मेरी प्यारी मुन्नीईईई..’ मैंने कहा।
आंटी ने अपनी टाँगों से मेरा सिर जकड़ लिया और गाण्ड उचका-उचका कर मेरे सर के बाल सहलाने लगीं।
मेरा लण्ड प्यास से तड़प रहा था।
मैंने कहा- मुन्नी लण्ड का कुछ करो प्लीज़..’
मुन्नी आंटी बोलीं- ठीक है मैं तुम्हारे ऊपर आ जाती हूँ तभी हम एक-दूसरे को मज़ा दे सकेंगे।
फिर आंटी ने मेरे ऊपर आकर अपनी चूत को मेरे मुँह के ऊपर रखा और सामने झुक कर मेरे लण्ड को जितना हो सकता था.. अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं।
अब तो मुझे भी मज़ा आने लगा था और आंटी को दुगना मज़ा आ रहा था।
आंटी अपनी चूत के पानी की धार मेरे मुँह में डाल रही थीं।
थोड़ी देर में अपनी चूत को मेरे मुँह के ऊपर ज़ोर से दबाते हुए आंटी की चूत से पानी मेरे पूरे चेहरे को गीला कर गया।
वो ‘आहह.. सुशांत.. मैं झड़.. गईई..’ कहते हुए थोड़ी देर शांत रहीं।
वो अब भी अपनी चूत मेरे मुँह पर ही रखे हुए थीं।
लो जी मुन्नी आंटी भी चुदने को खुल गईं.. पर अभी उनकी चूत सेवा जारी है आप कहीं नहीं जाइएगा.. मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिएगा और मुझे अपने ईमेल भेजते रहिएगा।
shusantchandan@gmail.com
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