मेरी कामाग्नि : भतीजे के साथ सेक्स का मजा
(Meri Kamagni : Bhatije Ke Sath Sex Ka Maza- Part 1)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_right मेरी कामाग्नि : भतीजे के साथ सेक्स का मजा-2
-
View all stories in series
दोस्तो, मैं सोनाली एक बार आप सभी का फिर से स्वागत करती हूँ।
आपने मेरी पिछली कहानी
मेरी कामाग्नि : भतीजे ने मेरी चुदास भड़का दी
में पढ़ा कि कैसे मेरे भतीजे और मैंने एक-दूसरे को चुदास के लिए भड़का दिया था और जब रात को मैं रवि से चुद रही थी.. तब मुझे खिड़की से किसी के झांकने का एहसास हो रहा था।
दूसरे दिन सुबह मैं उठी और रोज की तरह रवि को ऑफिस के लिए तैयार होना था। मैंने उनके लिए लंच पैक किया और फिर वो ऑफिस चले गए। साढ़े नौ बजे तक मैंने अपने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार कर उन्हें स्कूल भेज दिया।
आलोक अभी तक सो कर नहीं उठा था.. तो मैंने उसके और अपने लिए चाय बनाई और चाय लेकर उसके कमरे में गई।
मैं उसके पास जाकर बैठ गई। मैंने धीरे से आवाज देकर उसे उठाया। वो उठ गया और उठकर सबसे पहले उसने मुझे मेरे होंठों पर एक प्यारा सा चुम्बन किया।
मैंने उससे कहा- पहले चाय पीले और फिर ब्रश वगैरह कर ले.. फिर मैं तेरे लिए नाश्ता बना दूँगी।
हम लोग चाय पीने लगे।
चाय पीते वक़्त मैंने उससे पूछा- कल रात को तू मुझे खिड़की से क्यूँ देख रहा था?
तो उसने साफ-साफ मना कर दिया और बोला- अब मुझे आपको देखने के लिए खिड़की से झांकने की क्या जरूरत है?
पर मैंने उसकी बातों पर कोई गौर नहीं किया।
वो बोला- चाची आज तो अपने पास बहुत टाइम है.. आज तो जी भरके आपकी चुदाई करूँगा।
मैंने हँसते हुए उसे अपने पास खींचा और उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मी दी। फिर मैंने उससे बोला- तू अभी तैयार हो जा.. तब तक मैं घर के काम निपटाती हूँ।
वो फ्रेश होने गया और मैं घर के काम निपटाने में लग गई।
करीब साढ़े दस बजे वो मेरे पास मेरे कमरे में आया उस वक्त मैं अलमारी में कपड़ों को ठीक कर रही थी, वो मुझसे आकर चिपक गया, मैं वहीं अलमारी से चिपककर खड़ी हुई थी।
उसने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया, कमर पकड़ते ही उसने मुझे चूमना चालू कर दिया और अब वो एक हाथ से मेरे मम्मों को दबा रहा था।
फिर उसने मेरे गाउन का बटन खोल दिया और मेरे चूचों को नंगा करके उन्हें चूसने लगा।
मैं भी जोश में आ गई थी.. मैं उसके बालों को पकड़ कर उसे अपने सीने में दबा रही थी।
मुझे उसका खड़ा हुआ लंड अपनी चूत पर साफ-साफ महसूस हो रहा था।
फिर उसने एक ही झटके में मेरे गाउन को मेरे शरीर से अलग कर दिया। मैंने अन्दर केवल पैंटी ही पहनी हुई थी।
उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया, उसका लम्बा तना हुआ लण्ड किसी बेलन से कम नहीं लग रहा था।
वो मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को चाटने लगा। उसने धीरे से मेरी पैंटी को मेरी टांगों के बीच से निकाल दिया।
अब मैं पूरी तरह से नंगी थी और अलमारी से सटकर खड़ी हुई थी, खड़े हुए मेरा नंगा बदन.. किसी गोरी अप्सरा की मूर्ती सा चमक रहा था।
मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे.. जो मेरी फूली हुई गुलाबी चूत पर चार चाँद लगा रहे थे।
आलोक अब मेरी टाँगों के बीच आया और मेरी चूत को चाटने और चूसने लगा.. फिर उसने ज्यादा देर न करते हुए अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं।
उसकी तरफ से हुए इस अनजान हमले से मैं एकदम सिहर गई और जमीन से अपने पैरों के अंगूठों के बल खड़ी हो गई।
आलोक जल्दी-जल्दी अपनी उंगलियों को मेरी चूत में अन्दर बाहर कर रहा था। उसकी इस हरकत से मुझे इतनी मस्ती चढ़ रही थी कि मैं उछल-उछल कर उसको और उकसा रही थी।
मेरे मुँह से जोर-जोर से ‘आआहहहह.. ऊऊहहह..’ की आवाजें निकल रही थीं। मेरी सिसकारियों से पूरा रूम गूँज रहा था।
तभी आलोक ने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से और तेजी से चोदना शुरू कर दिया।
अब मैं आनन्द के चरम पर थी और जोर-जोर से सीत्कार रही थी, एकदम से मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं बहुत तेजी से चिल्लाते हुए झड़ने लगी।
आलोक ने तेजी से अपनी उंगलियों को बाहर निकाला और अपने मुँह को तेजी से मेरी चूत पर लगा दिया और जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा।
मेरी चूत से निकले हुए सारे रस को आलोक ने किसी क्रीम की तरह चाट लिया।
अब आलोक खड़ा हुआ, मेरा रस अभी भी उसके मुँह के चारों तरफ लगा हुआ था और उसने उसी तरह से मेरे होंठों पर चुम्बन करना शुरू कर दिया। उसके होंठों पर लगे हुए मेरे रस को मैंने अपनी जीभ पर महसूस किया, उसका स्वाद मुझे बहुत ही नमकीन लग रहा था।
आलोक ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं पूरे मजे के साथ उसकी जीभ को चूस रही थी।
आलोक ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और मुझसे बोला- चाची अब मेरा भी लण्ड गीला कर दो।
मैं बिना कुछ बोले अपने घुटनों पर बैठ गई और उसके लण्ड को चूसने लगी।
आलोक बहुत ही उत्तेजित था, वो मेरे मुँह को तेजी से चोद रहा था।
मैं भी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और मैं अब चुदने के लिए बेक़रार हुए जा रही थी।
मुझे लगा कि आलोक जल्दी झड़ जाएगा.. तो मैंने उसके लण्ड को बाहर निकाला और उससे बोला- मुँह में ही निकालने का इरादा है या कुछ आगे भी करना है?
मेरा इतना बोलते ही आलोक ने मुझे उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया और बोला- चाची आप किसी रांड से कम नहीं लग रही हो। आज तो आपको रंडी की तरह ही चोदूँगा।
मैं भी मजे में बोली- बोलेगा या कुछ करके भी दिखाएगा।
उसने बिना देर किए मेरी चूत के छेद पर अपना लण्ड रखा और धक्के मारने लगा।
दो-तीन जोरदार धक्कों में उसने अपना लण्ड मेरी चूत में उतार दिया।
मेरी चूत पहले से ही बहुत गीली थी.. तो मुझे उसका लण्ड लेने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ।
अब हम दोनों मस्ती में एक-दूसरे को चोद रहे थे और बीच-बीच में एक-दूसरे को चूम चाट रहे थे।
चुदाई करते हुए आलोक मेरी चूचियों को भी दबा देता था और मेरे निप्पल को हल्के से काट भी लेता था.. जिससे हमारी मस्ती और बढ़ जाती थी।
मेरे मुँह से जोरों से ‘आआहहह.. आआऊऊहहह.. ओह आलोक.. और जोर से चोदो मुझे.. फ़क मी हार्डर..’ की आवाजें निकल रही थीं.. जिससे आलोक अपनी चोदने की रफ़्तार और बढ़ा देता था।
करीब दस मिनट बाद मेरा बदन फिर से अकड़ने लगा और मैं कमर उठा-उठा कर झड़ने लगी।
मेरे बदन को अकड़ता देख आलोक और तेजी से मुझे चोदने लगा।
मैं बहुत जोर से झड़ गई थी.. तो अब आलोक के झटके मुझे दर्द देने लगे थे। कुछ ही पलों के बाद आलोक भी झड़ने वाला था।
उसने बोला- चाची मैं झड़ने वाला हूँ.. अन्दर ही झड़ जाऊँ क्या?
मैंने उसे मना किया और उससे मुँह में झड़ने के लिए बोला.. पर वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुका था, जैसे ही उसने लण्ड को चूत से बाहर निकाला.. उसके लण्ड से एक जोरदार वीर्य की धार निकली.. जो मेरी चूत पर किसी बारिश की तरह बरसने लगी।
फिर वो लगातार मेरी चूत और पेट पर झड़ गया।
आलोक वहीं मेरे बगल में लेट गया।
मैंने वहीं बिस्तर के नीचे पड़ी हुई पैंटी से अपनी चूत और पेट पर गिरे वीर्य को साफ किया और फिर उस पैंटी को मैंने बिस्तर और बिस्तर के बगल में लगे हुए ड्रावर के बीच में डाल दिया.. जो सिर्फ बिस्तर पर बैठने वाले को ही दिख सकती थी.. वो भी तब जब कोई बहुत ही गहराई से कमरे को चेक करे।
अब मैं नंगी ही अपने बिस्तर से उठी और अलमारी से तौलिया निकाल कर नहाने के लिए बाथरूम जाने लगी।
आलोक भी मेरे साथ उठा और बोला- चाची क्या आपके साथ मैं भी चलूँ नहाने?
ऐसा कहते ही वो मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया।
मैं बहुत थक गई थी.. तो मुझे आलोक की बांहों में बहुत अच्छा लग रहा था।
आलोक ने लाकर मुझे बाथरूम में खड़ा कर दिया और फिर वो मेरे मम्मों से खेलने लगा।
इतने में ही बाहर से डोरबेल की आवाज़ आई और हम दोनों डरकर एक-दूसरे से अलग हो गए।
मैंने आलोक को कमरे में जाने के लिए बोला और फिर मैं भी बाथरूम से बाहर आकर अपने कमरे में आ गई। वहाँ मैंने घड़ी की तरफ देखा.. तो एक बज रहा था।
‘इस वक्त कौन हो सकता है..’ यही सोचते हुए मैं वहाँ से गाउन पहनकर गेट खोलने के लिए जाने लगी।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने रोहन था और उसका चेहरा उतरा हुआ लग रहा था।
दरवाज़ा खोलते ही वो मुझसे आकर लिपट गया। मैंने भी उसके बालों में हाथ फेरा और उससे पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोला- आज मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा था.. तो मैं स्कूल से वापस आ गया।
मैंने उसके माथे पर एक चुम्बन किया और उसे अपने कमरे में लेकर आ गई।
मैंने उसके माथे पर बाम लगाया और उसे वहीं लेटा दिया।
तक तक आलोक अपने रूम से नहाकर बाहर आ गया और रोहन को देखते ही बोला- तुझे क्या हो गया?
मैंने उसे सब बता दिया।
मैंने रोहन से बोला- तू अब आराम कर थोड़ी देर..
और फिर मैं नहाने चली गई, आलोक भी अपने कमरे में चला गया।
थोड़ी देर बाद मैं जब नहा कर बैडरूम में आई.. तब तक रोहन सो चुका था।
मैं केवल तौलिया लपेटकर कमरे में आई थी.. तो मैंने बिना किसी डर के अपना तौलिया निकाल दिया और फिर ब्रा और पैंटी पहन कर उसके बाद सूट पहन लिया।
वो सूट मेरे जिस्म पर एकदम फिट था उसमें से मेरा एक-एक उभार और अंग साफ समझ आता था।
अब मैं किचन में गई और वहाँ से खाना लेकर आलोक के कमरे में आ गई।
मैंने रोहन को भी खाना खाने के लिए उठा दिया, हम सबने खाना खाया और फिर आलोक सो गया।
मैं और रोहन टीवी देखने लगे। थकान के कारण थोड़ी देर बाद मैं भी सो गई।
शाम को जब मैं उठी.. तो चार बज रहे थे, मैंने देखा कि रोहन आलोक के साथ सोया हुआ था।
थोड़ी देर बाद मेरी बेटी अन्नू भी स्कूल से आ गई, मैंने सबके लिए चाय बनाई और हम सबने चाय पी।
अन्नू उठकर अपने रूम में चली गई।
मुझे ऐसा लग रहा था कि आज इस सूट के कारण आलोक के साथ रोहन भी मुझे ताड़ रहा था.. पर ये मेरा वहम भी हो सकता था।
थोड़ी देर बाद रवि भी ऑफिस से वापस आ गए.. रात को हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया और सब सोने चले गए।
फिर मैं भी बैडरूम में आई.. वहाँ रवि लैपटॉप पर कुछ कर रहे थे।
मैं अपने कपड़े उन्हीं के सामने बदलने लगी, मैंने ब्रा उतार दी और गाउन पहन लिया, फिर मैं जाकर बिस्तर पर लेट गई और रवि ने भी लैपटॉप रखा और आकर मुझसे लिपट गए।
रवि ने मुझसे बोला- कल मैं 3-4 दिन के लिए ऑफिस के काम से होमटाउन जा रहा हूँ।
मैं उनसे नाराज़ हो गई और फिर वो मुझे मनाने के लिए मुझे किस करने लगे और फिर हम सो गए।
सुबह जब मैं उठी तो मुझे कल वाली पैंटी के बारे में याद आया.. जिससे मैंने अपनी चूत को साफ किया था।
मैंने उठकर देखा तो वो पैंटी वहाँ नहीं थी। मैं उसे इधर-उधर ढूंढने लगी.. पर वो नहीं मिली।
इससे आगे क्या हुआ.. वो बाद में!
यह कहानी आपको कैसी लगी.. आप मुझे मेल करके बता सकते हैं।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments