मेरी दूर के रिश्ते की चुदक्कड़ बुआ-2
(Meri Dur Ke Rishte Ki Chudakkad Bua-2)
‘तो तुम कॉल-गर्ल हो? मैंने पूछा।
‘सिर्फ़ पार्ट-टाइम और वो भी सिर्फ़ विदेशियों से चुदती हूँ.. जो बाहर से आते हैं… उनके लिए.. मालूम है एक घंटे के 5000 लेती हूँ।
‘5000..?..ऐसा क्या करती हो 5000 बहुत ज्यादा होते हैं…’ मैंने पूछा।
‘तुम नहीं जानते.. कभी ब्लू-फिल्म देखी है.. गोरे लोग वैसे ही चुदाई करते हैं इंडियन की तरह नहीं कि सलवार उतारी.. लण्ड को चूत में डाला.. 8- 10 धक्के मारे.. और बस चुदाई हो गई।
‘तो मेरी प्यारी बुआ.. आज फिर कुछ अपना जलवा दिखाओ ना..’ मैं बोला।
वो मुस्कराई और बोली- तो ठीक है.. अब जो मैं कहूँ.. वो करते जाना.. मना मत करना..
‘ओके..’ मैं बोला।
मैं एक नया अनुभव लेने के लिए खुद को तैयार करने लगा।
वो उठ गई और बोली- चलो बाथरूम में चलते हैं।
मैं उसके पीछे-पीछे चलता हुआ.. बाथरूम मैं चला गया।
‘अब अपने कपड़े उतार दो..’ वो भी अपनी नाइटी उतारने लगी। जैसे ही उसने अपनी नाइटी उतारी, उसका गोरा बदन देख कर मेरा लौड़ा एकदम खड़ा हो गया।
अब मैं और वो दोनों एकदम नंगे थे। उसकी चूत.. मोटी गाण्ड.. दो मोटे मोटे गोरे मम्मे.. उफ़.. मेरा लण्ड साँप की तरह लहरा रहा था।
उसने फव्वारा खोल दिया और हम दोनों फुव्वारे के नीचे भीगने लगे।
उसने साबुन उठाया और अपने जिस्म पर मलने लगी.. अच्छी तरह से साबुन लगा कर उसने अपने जिस्म से मेरे जिस्म को इस तरह रगड़ना शुरू किया कि पूछो मत। वो अपनी मम्मों से मेरे लण्ड को इस तरह मसल रही थी.. जैसे कि उसकी चूचियां.. नहीं बल्कि उसकी चूत हो..
दोनों चूचों के बीच में मेरा लण्ड पिल रहा था।
फिर उसने दोनों हाथों में और साबुन लगा कर.. मेरी गाण्ड पर साबुन मलने लगी। उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में डाल लिया और उसको चूसना शुरू कर दिया, वो मेरे लण्ड को ऐसे चाट रही थी.. जैसे कोई बच्चा आइसक्रीम को चाटता है।
लौड़ा चूसने से मेरे मुँह से आवाजें निकल रही थीं, ‘बुआअह.. चूसो ज़ोर से आआअहह..’
मैं उसका सिर पकड़ कर आगे-पीछे करने लगा।
‘यायययाहह.. उउउह.. आहह.. आहह आहह सीइसससी..’
उसने मेरे लण्ड को आगे से पकड़ कर उसकी चमड़ी को पीछे कर दिया और लण्ड का सुपारा चाटने लगी.. जैसे वो कोई लॉलीपॉप हो। उसने मेरे लण्ड में जो छेद होता है.. जहाँ से पेशाब निकलता है.. उसके अन्दर अपनी जीभ डालनी शुरू कर दी।
हय.. क्या मज़ा आ रहा था.. उसका एक हाथ मेरी गाण्ड पर था और मेरी गाण्ड को सहला रहा था।
अचानक उसने अपनी ऊँगली को मेरी गाण्ड के छेद में डाल दिया.. मैं एकदम से उछल पड़ा।
‘बुआ.. ये क्या करती हो..?’
वो बोली- तू चुप रह भोसड़ी के.. ओर जो मैं करती हूँ.. मुझे करने दे.. ओके..!
‘ओके..’ मैंने कहा।
उसने पूरी ऊँगली मेरी गाण्ड में डाल दी। अगर उसने साबुन ना लगाया होता.. तो मेरी तो गाण्ड ही फट जाती। अब वो मेरा लण्ड चूसते-चूसते मेरी गाण्ड भी मार रही थी। मुझे अब मजा आने लगा था।
वो बोली- बॉबी.. तुम मेरे ऊपर पेशाब करो..
‘क्या..?’ मैं चौंक गया।
‘हाँ, करो..’ वो बोली।
‘ठीक है..’
और मैंने उसके ऊपर पेशाब करना शुरू कर दिया। उसने पेशाब की धार पर अपने मम्मों को कर दिया। फिर उसकी धार के नीचे अपनी चूत को अपने दोनों हाथों से खोल कर रख दिया और पेशाब की धार सीधी उसकी चूत के मुँह में जा रही थी।
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं.. जैसे कि उसको सुकून मिल रहा हो।
मेरा पेशाब ख़तम हो गया.. तो उसने इशारे से मुझको नीचे बैठने को कहा।
मैं नीचे बैठ गया तो उसने मेरा सिर पकड़ कर मेरे होंठ.. अपनी चूत पर रख दिए और बोली- बोब्ब्ब्ब्बी.. इसको इस तरह से चाटो.. जैसे कि कुता दूध को चाटता है।
मैं अपनी जीभ से चूत को चाटने लगा और बुआ की चुदासी सी आवाज़ निकलनी शुरू हो गई।
‘उउउउउह.. आआआह.. आआआह.. आह.. आअह.. उउउउउह.. आह.. आआह.. आआआह.. सी.. सी..’
मेरे लण्ड में उसकी आवाजों से इतना तनाव आ गया कि मैं अपने एक हाथ से अपनी मुठ मारने लगा। एक तरफ चूत का स्वाद जो कि एकदम नमकीन पानी छोड़ रही थी और दूसरी ओर मैं अपना लौड़ा ज़ोर-ज़ोर से हिला रहा था। ऊपर से उसकी चुदासी आवाजें- उफ़.. उफ़.. उफफफफ्फ़.. आअह.. आअह.. आअह.. क्या नज़ारा था.. इस्स्स्स्स.. जानू ब्ब्ब्बब्बोबोबी.. उफ्फ.. आह.. आह.. काटो हल्के-हल्के से मेरी चूत के दाने को.. आह्ह.. काटो प्यार से काटो..
वो एकदम गर्म हो गई थी और अपनी गाण्ड को उछालने लगी- और ज़ोर से करो.. जल्दी-जल्दी करो तेज-तेज करो… उफ़ ऊए.. आह.. आह.. आई आई ईईइ हाए.. हाए हाए.. मेरी चूत गई.. लण्ड.. लण्ड डालो जल्दी.. लण्ड डालो.. लण्ड डालो ना.. जल्दी..
उसने तेजी से मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी गीली-गीली चूत में डालना शुरू किया।
हाय क्या गरम चूत थी.. जैसे ही लण्ड अन्दर गया- उफ़ आआआआआह.. उई माँ.. उई माँ.. इतना मोटा लण्ड आह.. आह.. मेरी चूत फाड़ दी.. कमीन.. आ आ आ आआह..
वो ज़ोरों से उछलने लगी। अब वो दर्द और मजे में चिल्लाने और उछलने लगी। वो अपनी गाण्ड को ज़ोर-ज़ोर से उछालने लगी और मैं फटाफट धक्के पर धक्के देने लगा।
‘इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया.. बुआ तुम तो कमाल का माल हो.. आहह..’
मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा।
‘फक.. फक..’ की आवाजें आ रही थीं हम दोनों अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर एक-दूसरे को चोद रहे थे।
‘बॉबबिइई.. अह्ह्ह.. अहहा.. आह्ह..ज़ोर-ज़ोर.. से पेलो.. मेरी चूत फाड़ दो.. आज इस चूत का भोसड़ा बना दे.. ज़ोर से चोद.. पूरा लण्ड पेल दे.. हाए हाए.. आह्ह..।’
मैं पूरा ज़ोर लगा कर चोद रहा था।
‘बुआ आई लव यू.. ब्बुआ..’
‘फक..फक..’ की आवाजों के साथ चुदाई पूरे ज़ोरों पर थी, धक्के मारने के साथ-साथ मैं उसके मम्मों को भी मसल रहा था, कभी उसकी चूची को मुँह में डाल लेता कभी मुठ्ठी में भर कर ज़ोर से मसक देता और वो ‘उईइ’ की आवाज़ के साथ और ज़ोर से अपनी गाण्ड उछाल देती।
अब मैं बस थोड़ी देर में झड़ने वाला था और मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। वो समझ गई कि मेरा काम लगने वाला है, वो बोली- बॉबी क्या तुम आहह.. तुम झड़ने वाले हो..? साले.. आह.. मेरी चूत में मत झड़ना.. आहह..
‘फिर..?’ मैंने पूछा।
‘जल्दी से 69 में बन जाओ.. जल्दी..’ वो मुझसे बोली।
मैंने अपना लण्ड जल्दी से उसकी चूत में से खींच कर उसके मुँह में डाल दिया और अपने होंठों से उसकी चूत को चूसने लगा। अब हमने अपनी अवस्था बदल ली थी पर धक्कों की रफ्तार उतनी ही थी। मैं उसके मुँह को अपने लण्ड से चोद रहा था।
‘घपा-घप..’
वो भी अपनी चूत को ज़ोर से उछालने के साथ-साथ गोल-गोल घूमने लगी और मेरे सिर को पकड़ कर ज़ोर से उसने अपनी चूत पर चिपका दिया।
तभी एकदम.. जैसे कि सब कुछ रुक गया.. हम दोनों एक साथ एक-दूसरे के मुँह में झड़ गए। एक ज़ोरदार पिचकारी मेरे लण्ड से निकली और उसके मुँह को सफेद झाग से भर दिया।
लेकिन उसने मेरा लण्ड छोड़ा नहीं.. बल्कि और ज़ोर सा चूसने लगी कि कहीं कुछ अन्दर छूट ना जाए।
ठीक उसी तरह मेरा मुँह भी उसके गरमा-गरम नमकीन पानी से भर गया और मैंने भी उसका पानी इस तरह से उसकी चूत से चूसा कि उसके मुँह से ज़ोर से ‘आआआहह.. उउउउहह.. मामाआआ..’ की आवाज़ निकली।
फिर हम दोनों शांत हो कर कुछ देर उसी तरह से लेटे रहे। मैंने अपनी जिन्दगी में इस तरह की चुदाई कभी नहीं की थी। इतना मज़ा.. ओह.. कभी नहीं आया था।
फिर हम अलग हुए तो बुआ ने ऊँगली से पास आने का इशारा किया। जब में पास आया तो उसने जोश से पकड़ कर मुझे अपने होंठों से लगा लिया और ‘लिप-किस’ करने लगी।
मेरा माल जो उसके मुँह में था.. उसने मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने छूटने की कोशिश की.. लेकिन जब तक मेरा माल गले से नीचे नहीं गया.. उसने मुझे नहीं छोड़ा।
जब हम अलग हुए तो उसने पूछा- कैसा लगा मेरी जान..?
‘बुआ तुम वाकयी में 5000 का माल हो.. तुम्हारे जैसी रंडी मैंने आज तक नहीं देखी।’
वो हँसने लगी और एक बार फिर हम दोनों एक-दूसरे से लिपट गए..
आपके कमेंट्स की प्रतीक्षा में हूँ.. ईमेल जरूर कीजिएगा।
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