मेरा गुप्त जीवन- 182

(Mera Gupt Jeewan- part 182 Sagi Mausi Ki Chut Chudai)

यश देव 2016-08-03 Comments

This story is part of a series:

मौसी और मेरे एक साथ सोने की बात सुन कर मौसी ने मेरी तरफ देखा और उनकी निगाहों में एक अजीब सी कशिश थी और मैं उनकी आँखों की मदहोश करने वाली मस्ती को देख कर इंकार नहीं कर सका।

रात का खाना बसंती और पारो ने मिल कर बनाया, खाना बहुत ही स्वादिष्ट बन पड़ा था और जिसको खाने के बाद हम सबने खाने की बड़ी तारीफ की थी।

थोड़ी देर हम तीनों बैठक में बैठ कर कोक पीते रहे और आगे पीछे की गप्पें हाँकते रहे।
बाद में मैंने अपना रिकॉर्डों वाला बाजा लगा दिया और काफी देर तक फ़िल्मी गाने सुनते रहे।

किरण बार बार उठ कर मेरा हाथ पकड़ कर डांस करने के लिए मजबूर करने लगी।

तब मैंने अपनी ही फिल्म का चिपको डांस वाला गाना लगा दिया जिसको सुन मौसी और किरण के पाँव थिरकने लगे और दोनों ही मेरे साथ खड़े होकर डांस करने की कोशिश करने लगी।

तभी कम्मो जो यह तमाशा देख रही थी, बोल पड़ी- मौसी जी, क्या आपको मालूम है कि छोटे मालिक ने इसी गाने पर बड़ा ही मादक डांस किया था एक फिल्म में… जिसकी शूटिंग हमारे गांव में ही हुई थी। शायद अभी भी यहाँ किसी हाल में चल रही होगी?
मौसी और किरण दोनों ने हैरानी जताते हुए कहा- अच्छा? कब की बात है सोमू?

मैंने थोड़ा शरमाते हुए जवाब दिया- पिछले साल ही शूटिंग हुई थी हमारे ही गाँव में और मुझको उस फिल्म में डांस करने के लिए मौका दिया गया था।
कम्मो बोली- मौसी जी, छोटे मालिक ने इतना सुंदर डांस किया था इस फिल्म में कि फिल्म के लगने के बाद में सारे लखनऊ शहर में इनकी धूम मच गई थी, बहुत से लोग हमारी कोठी में आते थे छोटे मालिक के ऑटोग्राफ लेने के लिए!

मौसी और किरण दोनों बड़ी ही हैरान हो रही थी।
तब मौसी ने बड़बड़ाते हुए कहा- हमें तो ज़रा भी भनक नहीं लगी!! यह तो तुमने ठीक नहीं किया सोमू राजा। हमको भी बता देते तो कम से कम तुम्हारी पिक्चर तो देख आते! चलो अब हमारे सामने वो डांस करो, नहीं तो मैं सख्त नाराज़ हो जाऊँगी।

मैं बोला- वो डांस काफी मुश्किल था तो उसके कदम हर कोई नहीं कर सकता है सिवाय कम्मो के जिसने यह सारा डांस देखा और सीख भी लिया था।
मौसी और किरण बोली- दिखाओ जल्दी से वो डांस, हम बड़े बेताब हो रहे हैं।

फिर मैंने और कम्मो ने गाने की धुन पर डांस शुरू कर दिया।
शुरू में थोड़ा दूरी से और फिर धीरे धीरे से चिपक कर नाचना शुरू कर दिया और इस डांस की गर्मी से मेरा लंड पजामे में उभर कर कम्मो की गांड के अंदर थोड़ा सा जाकर उसके क्रैक पर टिक गया।

थोड़ी देर हम इसी तरह डांस करते रहे और फिर हम पलट कर एक दूसरे के सामने हो गए और अब मेरा उभरा हुआ लंड कम्मो की चूत के ठीक ऊपर था और वो थोड़ा सा साड़ी के ऊपर से चूत में घुस गया था।

हम दोनों बहुत ही ज़्यादा चिपक कर डांस करने लगे थे और हमारे सेक्सी स्टेप्स अब और भी तेज़ी पकड़ने लगे थे।

मैंने मौसी और किरण को देखा तो वो बहुत ही कामुक हो रही थी और दोनों के हाथ अब अपनी चूतों पर कपड़ों के बाहर से ही रगड़ लगा रहे थे।

जैसे ही रिकॉर्ड रुका, किरण दौड़ कर आई और मुझको अपनी बाहों में लेकर बोली- अब मेरी बारी है सोमू! अब तुम मेरे साथ डांस करो प्लीज!

कम्मो ने रिकॉर्ड को फिर से लगा दिया, वही गाना फिर से शुरू हो गया और किरण मुझसे सामने से चिपक कर डांस करने लगी।
उसने बड़ी जल्दी ही वो सारे सेक्सी स्टेप्स सीख लिए थे और बड़े ही कामुक तरीके से अपने स्तन मेरी छाती के साथ चिपका कर और मेरे उभरे हुए लंड को अपनी ढकी छुपी चूत के ऊपर फिट कर के डांस कर रही थी।

चिपको डांस करने वालों की यह दशा आम तौर से मैंने देखी थी खासतौर से लड़कियों और औरतों में!

थोड़ी देर में हम दोनों ने साइड बदल क पीछे से चिपक कर डांस शुरू कर दिया और अब मैंने अपने लौड़े को किरण के मोटे चूतड़ों के बीच में फँसा कर हल्के हल्के हिलते हुए डांस जारी रखा।

जब गाना ख़त्म हुआ तो मौसी भी उठ कर मेरी बाहों में आ गई और कम्मो ने रिकॉर्ड फिर से लगा दिया और हम अब आगे पीछे से चिपक कर डांस करने लगे।

मौसी की मोटी गांड पर मेरा लंड बार बार फिसल रहा था उनकी रेशमी नाइटी के ऊपर से!

लेकिन इतना मुझ को मालूम हो रहा था कि मौसी को मेरा खड़ा लंड काफी पसंद आ रहा था और वो बार बार चूतड़ों के बीच की दरार में लंड को फिट करने की कोशिश कर रही थी।

इन हरकतों को देख कर मुझको तसल्ली हो रही थी कि हेमा मौसी शायद मेरी इच्छा पूरी कर दे!

डांस ख़त्म करने के बाद हम सब अपने अपने कमरों की तरफ बढ़ने लगे लेकिन मौसी ने मुझको अपने कमरे में जाने से रोक दिया और मुस्कराते हुए कहा- सोमू राजा, तुमने तो मेरे साथ सोना है ना, तो ऊपर कहाँ जा रहे हो?

मैं खिसियाना हुआ मौसी के साथ उनके मास्टर बैडरूम की तरफ बढ़ गया।

बैडरूम में पहुँचते ही मौसी जल्दी से बाथरूम में घुस गई और मैं बाहर खड़ा अपनी बारी का इंतज़ार करने लगा।
मौसी जब बाथरूम से बाहर आई तो उसके जिस्म से बड़ी ही भीनी सी सेंट की खुशबू आ रही थी जिसको सूँघ कर मैं एकदम मदहोश होने लगा।

थोड़ी देर बाद हम दोनों ने एक दूसरे को गुड नाईट कहा और लाइट बन्द करके सोने का नाटक करने लगे।

इतने बड़े कमरे में सिर्फ एक नाईट लाइट ही जल रही थी जिसके मद्धम प्रकाश में मैंने देखा कि मौसी की नज़रें मुझ पर ही टिकी थी।

फिर मौसी ने मुझ को इशारे से अपने पास लेटने के लिए कहा और मैं सरकते हुए मौसी के करीब आ गया।
थोड़ी सी मौसी भी सरकी और फिर हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आ गए।

मौसी ने मुझको ताबड़तोड़ होठों पर चूमना शुरू कर दिया और जवाब में मेरे निश्चल हाथ मौसी के गोल और मधुर शरीर पर थिरकने लगे, उसके मोटे मम्मों को मसला और फिर उसके गोल चूतड़ों को हाथों से रौंद दिया।

मौसी के चूमने से लगा कि शायद वह कामाग्नि में जल रही है या फिर वो कामवासना से अशांत होने से वो एकदम उदविग्न हुई बर्ताव कर रही है।

मौसी ने मेरे कान में धीरे से कहा- बड़े वर्षों से कामना थी कि मेरा अपना बेटा मुझ को चोदे लेकिन अपना बेटा तो हुआ नहीं लेकिन दीदी के बेटे से ही चुदवा लेने की इच्छा बहुत बलवती है। चोदोगे ना मुझको जी भर के सोमू?

मैं हैरान हुआ मौसी के मुंह की तरफ देख रहा था क्योंकि जो इच्छा मेरे मन में मेरी माँ के प्रति थी काफी समय से, वही इच्छा मौसी के मन में मेरे प्रति भी थी।

मैंने थोड़ा उठ कर मौसी के मुंह की तरफ देखा और बड़ी ही आत्मीयता से कहा- मौसी, तुम मेरी माँ जैसी हो और मेरे मन में भी अपनी माँ के प्रति ऐसे ही कामुक विचार कई सालों से हैं। वायदा करो यह बात तुम किसी से नहीं कहोगी। प्लीज प्रॉमिस!!

मौसी ने झट मुझको अपनी छाती से लगा लिया और कहा- सोमू बेटा, कसम अपनी बेटी किरण कि यह राज़ मैं अपने तक ही रखूँगी। लेकिन तुम को भी मेरे मन में तुम्हारी चाहत के राज को अपने तक ही रखना होगा! वायदा करते हो क्या?

मैंने आगे बढ़ कर मौसी के लबों को चूमते हुए कहा- हम दोनों का राज़ हम दोनों तक ही सीमित रहेगा, यह हमारा पक्का वायदा है, एक दूसरे के साथ।

फिर मैं बिस्तर पर लेट गया जैसे कि एक बहुत बड़ा भार मेरे सीने से उतर गया हो।

थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैंने अपना सर उठा कर मौसी से कहा- मौसी, आप मेरी मम्मी की तरह ही खूबसूरत हो उनके जैसी ही गजगामिनी हो! उनको तो मैं कभी नग्न अवस्था में नहीं देख पाऊँगा लेकिन मम्मी की डुप्लीकेट कॉपी को तो मैं पूरा नंगी करके जी भर के देखना चाहता हूँ।

मौसी हल्के से मुस्करा दी और आँखों आँखों से आगे बढ़ने के लिए मुझको न्यौता दे दिया।

मैंने उनकी नाइटी को धीरे धीरे से ऊपर करना शुरू कर दिया और आहिस्ता आहिस्ता से उनके सुंदर अंग बेपर्दा होने लगे, गोरी गोरी टांगें मेरे सामने आई और फिर उनकी गोल गुदाज जांघें जो संगेमरमर के स्तंभों की तरह गोल और मुलायम थी, मेरे सामने थी।

उनकी चूत पर घनी बालों की घटाओं की जगह एक सपाट मैदान था जिसमें से उनकी चूत एक लकीर की तरह दिख रही थी।

यहाँ आकर मैं रुक गया, मौसी की तरफ देखने लगा और धीरे से बोला- यह क्या मौसी घने बालों की जगह एक सपाट मैदान? ऐसा क्यों मौसी जी?

मौसी मेरे मुख पर आ रहे भावों को पढ़ कर चकित रह गई और हकलाते हुए बोली- क्यों क्या हुआ सोमू?
मैंने बड़ी मायूसी से कहा- मुझको मालूम नहीं था कि आपकी चूत बालों रहित पानीपत का मैदान होगी! ऐसा क्यों?

मौसी थोड़ी संभलते हुए बोली- वो क्या है सोमू, तुम्हारे मौसाजी को औरतों के शरीर पर कहीं भी बाल अच्छे नहीं लगते हैं तो मजबूरी में यहाँ सफाई करनी पड़ी। और फिर मैंने सोचा कि तुम नई पीड़ी के लड़के हो तुम को भी शायद सफाचट मैदान ही पसंद होगा इसलिए मैंने आज सुबह ही और ज़्यादा सफाई कर दी यहाँ की! सॉरी!

मैंने उनकी चूत के ऊपर हाथ फेरते हुए कहा- आप ठीक कह रही हो मौसी, आप बगैर बालों के भी बड़ी सेक्सी लग रही हो!
यह कह कर मैंने उनकी नाइटी को ऊपर उठाना जारी रखा और फिर उसको पूरा उतार दिया।

मौसी का मखमली और संगमरमरी शरीर एकदम गोरा और मुलायम बहुत ही सेक्सी और कामुक दिख रहा था।

जब उनके उन्नत उरोज सामने आये तो मैं उनकी सुंदरता और शरीर की सुडौलता देख कर मुग्ध हो गया।
मौसी के अति सुंदर शरीर को देख कर मेरे मन में फ़ौरन यह विचार आया कि मेरी मम्मी भी शायद ऐसी ही खूबसूरत होगी क्योंकि दोनों ही जुड़वाँ बहनें हैं और एक दूसरे से एकदम मिलती जुलती हैं।

अब मौसी ने मेरा कुरता उतार दिया और मेरे कसरती शरीर को देख कर कहा- वाह सोमू, क्या शरीर है और क्या चौड़ी छाती है तुम्हारी। तुम तो वाकयी में ही मर्द बन गए हो।

और फिर जब मेरा पजामा उतार दिया तो मेरा खड़ा 7.5 इंची लौड़ा उछल कर मौसी के एकदम सामने आ गया और मौसी उसके काले सांप की तरह लहलहाते रूप को देख कर एकदम स्तंभित रह गई।

डरते डरते मौसी ने खड़े लंड को छुआ और जब उसको पत्थर की माफिक सॉलिड पाया तो काफी हैरान हो गई।
मौसी ने गौर से मुझ को देखा और कहा- सोमू, सच बताना क्या यह हथियार तेरा ही है?

मैं भी हल्के से मुस्करा पड़ा और बोला- मौसी यह तेरे दूधियों से मैच कर रहा है. जितने बड़े और सॉलिड वो हैं उतना ही बड़ा और सॉलिड यह है।

मौसी हल्के से मुस्कराई और फिर बोली- सोमू, तुम्हारा यह हथियार तो काफी बड़ा और सख्त है! अब तक कितनी?
मैं अकचका गया और चकित होकर बोला- क्या मतलब मौसी तुम्हारा? अब तक कितनी से क्या मतलब आपका?

मौसी ज़ोर से हंस दी और शरारती लहजे में बोली- अरे, तुम सब समझते हो मेरा क्या मतलब है। तुम दिखने में ज़रूर छोटी उम्र के लगते हो लेकिन मेरा अंदाजा है कि तुम पूरे घाघ हो लड़कियों के मामले में… खासतौर से एक ठाकुर होकर! और फिर जिसका इतना लंबा और मोटा हथियार हो वो कभी लड़कियों से दूर नहीं रह सकता है।

मैं समझ गया कि हेमा मौसी काफी समझदार और खेली खाई हुई है, मैं मुस्करा भर दिया क्योंकि मौसी का तीर सही निशाने पर लगा था।

मैं कैसे बताता मौसी को अब तक 100 से ऊपर लड़कियों और औरतों के साथ सम्बन्ध बना चुका था जिनमें कई ऐसी भी थी जिनके साथ मेरे सम्बन्ध अब कई सालों से लगातार बने हुए थे जैसे कि मेरी गुरु, मेरी मास्टरनी, मेरी सुख दुःख की संगिनी और मेरी असली मालकिन… कम्मो रानी।

मैं कैसे बताता मौसी जी को कि यह कम्मो ही थी जिसने मुझको शारीरिक तौर पर ऐसा माहिर और शातिर बनाया कि मैं चोदम चुदाई के खेल में कभी नहीं हारा, चाहे वक्त ने मेरे सामने एक से ज़्यादा हसीनाओं को एक ही टाइम में पेश किया हो।

कई पाठक यह सोचते हैं कि मैं ‘फैंक’ रहा हूँ मतलब दूर की हाँक रहा हूँ लेकिन ऐसा नहीं है। एक तो मेरी लाइलाज बिमारी प्रियाप्रिज़्म है जिसमें लंड के तुरंत खड़ा होने की और काफी समय तक खड़े रहने की क्षमता की शिकायत रहती है और साथ में वो व्यक्ति जल्दी ही नंपुंसक होने की संभावना से सदैव ही ग्रसित रहता है।

यह ईश्वर की अनुकम्पा रही कि कम्मो के घरेलू और आयुर्वैदिक उपचारों के कारण मैं अभी तक नपुंसकता जैसे अभिशाप से बचा हुआ हूँ।

मेरे चेहरे पर खेल रही मन्द मन्द मुस्कान को देख कर मौसी ने पूछा- क्या सोच कर मुस्करा रहे सोमू राजा?

हम बातें कर रहे थे लेकिन हम दोनों के हाथ एक दूसरे के शरीर पर बराबर चल रहे थे।

मौसी की सफाचट चूत एकदम पनिया रही थी और मेरे लंड को अंदर लेने के लिए लालियत हो रही थी।

मौसी के होठों पर एक कामुक चुम्बन की मोहर लगाते हुए मैंने अब सारा ध्यान मौसी की मखमली मम्मों की तरफ लगा दिया और उनको लगातार एक एक करके चूमता और चूसता रहा, उनके गोल और भूरी चूचुकों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने से मौसी की कमर कुछ कुछ हिलने लगी।

मेरा एक हाथ मौसी की गीली चूत में उसकी भग को रगड़ रहा था और मौसी की कमर का इधर उधर हिलना और भी तेज़ हो गया था।

मौसी का एक हाथ मेरे लंड के साथ खेल रहा था, जब मौसी काफी गर्म हो चुकी तो वो अब मेरे लौड़े को खींच कर मैदाने जंग में उतरने के लिए प्रेरित कर रहा था।

मैंने मौसी के लबों पर एक गहरी चुम्मी दी और मौसी की चौड़ी हुई जांघों में बैठ कर लंड को उभरी हुई मुलायम चूत के मुंह पर टिका कर मैंने मौसी की तरफ देखा और पूछा- यदि आज्ञा हो तो शुभारम्भ करें?

मौसी ज़ोर से हंसी और बोली- सोमू यार, तुम तो बड़े ही खिलाड़ी हो!
थोड़ी देर रुक कर मौसी बड़ी अदा से बोली- हे बालक शुभारम्भ करने की आज्ञा है!

मैंने लंड का एक हल्का धका ही मारा और वो बड़ी ही मुलायम रसीली मौसी की चूत में पूरा प्रवेश कर गया।

मैंने धीरे धीरे चुदाई का माहौल बनाया और हल्के लेकिन गहरे धक्के मारने लगा। हर धक्के के बाद लंड को पूरा मौसी की चूत में रख कर कुछ क्षण का विश्राम और पुनः आहिस्ता धक्का!

यही क्रम कुछ देर चला और मौसी की आँखें अधमुंदी हो गई तो मैंने धीरे से चुदाई की स्पीड बढ़ाई, जैसे रेल गाड़ी स्टेशन से बाहर आने के बाद ही अपनी स्पीड पकड़ती है, वैसे ही मेरी भी चुदाई की स्पीड तेज़ होनी शुरू हो गई।

अब मैंने मौसी के गोल चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उनको अपने लंड के और करीब लाया और फिर तीव्र धक्काशाही शुरू कर दी।
मौसी भी मेरे गले में बाहें डाल कर मेरा पूरा साथ देने लगी और हर धक्के का गांड उठा कर पूरा जवाब देने लगी।

थोड़ी देर की तीव्र धक्काशाही के बाद मौसी ने अपनी कमर को एकदम ऊपर उठाया और मुझको अपनी मखमली जांघों में जकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से कांपते हुए छूटने लगी।

उनकी चूत एकदम खुलने और बन्द होने लगी जैसे हाथ गाय को दुहते हुए खुलते बन्द होते हैं बिल्कुल वैसे ही!

मौसी ने मुझको अपनी सॉलिड बाहों में शरीर के ऊपर से और अपनी जांघों से शरीर के नीचे से जकड़ लिया और तेज़ कम्पकपी के बाद स्खलित हो गई और एकदम ढीली पड़ गई।

थोड़ी देर मैं अपने खड़े लंड को मौसी की चूत में डाले ही मौसी के ऊपर लेटा रहा।
मौसी की चूत अभी भी हल्के हल्के बंद और खुल रही थी और मेरा लौड़ा चूत के आखरी हिस्से में बैठा आराम कर रहा था।

जब मौसी ने अपनी चौड़ी टांगों को सिकोड़ना शुरू किया तो मैंने उनको घोड़ी बना दिया और लंड को बगैर निकाले ही फिर से हल्की स्पीड से मौसी की चुदाई शुरू कर दी।

धीरे धीरे से स्पीड की चुदाई में मौसी की चूत फिर जागृत हो गई और वो घुड़चढ़ी का आनन्द लेने लगी।

इसके बाद मैंने मौसी को हर एक पोज़ से चोदा और मौसी इनमें से किसी भी पोज़ में पहले नहीं चुदी थी।

हर पोज़ के बाद मौसी यही कहती थी- वाह सोमू राजा, तू तो कमाल की चीज़ है, इस पोज़ के बारे में तो मैंने कभी सुना ही नहीं था।

हर बार के स्खलन के बाद मौसी यही कहती थी कि अब और नहीं लेकिन मैं उसको बारम्बार गर्म और नर्म कर ही लेता कभी किसिंग से और कभी हॉट चूमा चाटी से या फिर भग की छेड़छाड़ से!

आखिरी बार जब मैंने मौसी को मुख मैथुन से तैयार किया तो वो एकदम मेरे ऊपर पूरी तरह से निहाल हो गई।
जब मौसी पलंग से उठ कर मुझसे दूर भागने लगी कि अब और नहीं करवा सकती मैं, तब ही मैंने मौसी को छोड़ा।

और फिर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में गहरी नींद सो गए।

कहानी जारी रहेगी।
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