मामी और मेरी वासना का अंजाम
(Mami Aur Meri Vasna Ka Anjam)
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. मैं रौनक हिन्दी सेक्स कहानियों का नियमित पाठक हूं. सुख दुःख को कोई बांटने वाला होना चाहिए, तभी तकलीफ को कम और खुशी को बढ़ाया जा सकता है.
हाल ही में पहली बार सेक्स करने के बाद मैं इस घटना को शर्म और संकोच के कारण किसी से बता नहीं सका, तो आप सबसे इस मंच पर साझा कर रहा हूं.
मेरी उम्र 23 साल और कद 6’2″ है. मेरा रंग गोरा और शरीर गठीला है. कसरत करने के कारण मेरा जिस्म किसी पोर्न एक्टर की तरह गठीला और मस्त दिखता है.
मैं उत्तर प्रदेश के दूसरे दर्जे के शहर गोरखपुर में रहता हूं. मेरा ननिहाल भी इसी शहर में है. एक ही शहर में होने के कारण मेरा वहां आना जाना बहुत अधिक रहा है. मेरी मामी मुझसे शुरू से ही बहुत स्नेह रखती थीं. उनके वात्सल्य से मेरा उनसे गहरा लगाव हो गया था. शुरूआत में तो नहीं लेकिन किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही उन्हें लेकर मेरी नजरें बदलने लगीं. मामी भी मुझे हसरत भरी निगाहों से देखने लगी थीं. मैं पहली बार उन्हीं की ओर आकर्षित हुआ. मैं उनके ख्यालों में घंटों खोया रहने लगा. वो मेरी फैंटसी क्वीन थीं. सबसे ज्यादा मुठ मैंने उन्हीं को कल्पना करके मारी है. मैं उन्हें एक बार जमकर चोदना चाहता था.
समय बीतता गया, मेरी मामी के प्रति काम आसक्ति ज्वालामुखी की भांति धधकती रही.
पुरानी कहावत है कि एक दिन गधे का भी आता है. एक दिन नानी की तबियत अचानक खराब हुई. उन्हें शहर के सिटी हास्पिटल में भर्ती कराया गया. उन्हें हार्निया था. डाक्टर ने आपरेशन करके एक हफ्ते तक उन्हें एडमिट रहने के लिए कहा गया. मैं भी उन्हें देखने के लिए हास्पिटल पहुंचा. वहां मेरी मामी के साथ घर के बाकी सदस्य भी थे.
शाम को मेरी मामी से कहा गया कि वो मुझे लेकर घर चली जाएं क्योंकि घर पर कोई नहीं था और सुबह सबके लिए खाना बना कर मेरे साथ फिर हास्पिटल आ जाएं.
मैं मामी को लेकर घर पहुंचा. सर्दी का मौसम था और काफी देर भी हो चुकी थी. मैंने कहा कि मामी आप चेंज कर लीजिए, मैं बाहर से खाना ले कर आता हूं.
मामी ने मना कर दिया और कहा- ठण्ड बहुत है.. अब फिर से बाहर मत जाओ. मैं घर पर ही तुम्हारे लिए कुछ बना देती हूं.. बोलो क्या खाओगे?
मैंने उनसे सादा खाना रोटी और मटर पनीर की सब्जी बनाने के लिए कहा. मामी किचन में गईं, तो मैं भी उनके पास जाकर बातें करते-करते उनकी मदद करने लगा.
उन्होंने कहा- तुम रहने दो.. मैं कर लूँगी.
मैंने कहा- घर में और कोई है भी तो नहीं.. मैं अकेले क्या करूंगा? खाली बैठे-बैठे बोर हो जाउंगा.
खाना तैयार होने के बाद उन्होंने थाली में खाना परोसा और कहा- तुम पहले खा लो, फिर मैं भी इसी थाली में खा लूंगी ताकि ज्यादा बर्तन न धोने पड़ें.
मैंने कहा- तो मामी, आइए साथ ही खा लेते हैं.
मामी ने हां कर दी.
फिर हमने साथ खाना शुरू किया. इस दौरान मेरी बरसों पुरानी कामाग्नि जागृत हो उठी. घर में सिर्फ मैं और मामी, सर्दी का मौसम और साथ में पूरी रात, माहौल तो बना हुआ था.
खाने के बाद मैंने अपने साथ मामी का मुँह भी अपने हाथों से पौंछ दिया. इस पर मामी धीरे से मुस्कुरा दीं. मर्दों की नजरें पढ़ना मामी को आता था. शायद उन्हें भी किसी की जरूरत थी.
इसके लिए बाहर के पुरुषों के पास जाने से ज्यादा अच्छा और सुरक्षित विकल्प महिलाओं के लिए घर के पुरुष ही होते हैं.. जिनके साथ वो सम्मान के साथ बेफिक्र हो कर अपनी अधूरी वासना पूरी कर सकती हैं.
मेरे मन की बात मामी ने पहले ही शुरू कर दीं और पूछा- रौनक, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने जवाब ‘नहीं..’ में दिया, तो फिर मामी ने कहा- तुम जवान हो गए हो, बिना सेक्स के कैसे रहते हो?
मैंने भी फ्रैंक होकर कह दिया- मुठ मार कर.
मामी ने हंस कर पूछा कि तुमने मेरा मुँह अपने रुमाल से क्यों पौंछा था?
मैंने कह दिया कि तो किससे पौंछता?
मामी ने आँख दबा दी और बात बदलते हुए कहा- तुमने अब तक अपनी गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बनाई?
मैंने कहा- कोई ढंग की मिली नहीं.
मामी- कैसी चाहिए?
मैंने झोंक में कह दिया- आपकी जैसे मस्त मिले तो बात बने.
मामी- मुझमें क्या ख़ास लगता है?
मैंने लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- सब कुछ ख़ास है आपका.
मामी फिर हंसने लगीं और बोलीं- मेरे साथ सेक्स करोगे.. मुझे आज रात के लिए अपनी गर्लफ्रेंड बना लो.
मुझे तो मनमांगी मुराद मिल चुकी थी.
दोस्तो, मैं तो बताना ही भूल गया. मेरी मामी का नाम कामिनी है. सही कल्पना की आपने, ठीक नाम की ही तरह वह बहुत मादक और कामुक भी हैं. उनकी उम्र 36 वर्ष है और कद 5’6” है. भरा पूरा बदन, गहरी नाभि, पूनम के चाँद सा धवल मुखड़ा, गोल चेहरा, लंबे बाल ये मेरी मामी की बाहरी काया है. वो एक पारम्परिक भारतीय महिला हैं. लाल साड़ी पहनने के साथ गले में लटकता हुआ मंगलसूत्र, मांग में सिन्दूर, माथे पर बिन्दी और होंठों पर चटक लाली, उनकी ये अदा मुझ पर किशोरावस्था से ही कहर ढा रही थी, जिसे कैश करने का मौका युवावस्था में उस रात मिल चुका था.
मामी को बेडरूम में ले जाकर कुंडी बंद करने के बाद मैंने वहीं पर पीछे से मामी को बांहों में जकड़ लिया और उनके उभारों पर हाथ रख कर एक बूब को दबा दिया, साथ ही गले पर किस भी करने लगा.
हम दोनों की सांसें तेज हो गईं, दिल की धड़कनें बढ़ गईं और काम की लहरों पर हमारी हवस की कश्ती सैलाब की ओर बढ़ चली.
सबसे पहले मैंने मामी का पल्लू उनके कंधे से हटाया, फिर उनके ब्लाउज के बटन और ब्रा के हुक खोल कर उन्हें जल्द ही ऊपर से नंगा कर दिया. जल्दी-जल्दी मैंने उनकी साड़ी खोल कर फर्श पर फेंक दी. उनके पेटीकोट का नाडा़ खींचकर उसे भी उतार दिया. मामी ने पैंटी नहीं पहनी थी, जिससे वो पूरी तरह नंगी हो गईं. उनका फिगर 34DD-28-36 का रहा होगा.
एकाएक उनके गोरे बदन और सुडौल शरीर को देख कर मेरी आंखें खुली रह गईं. लेकिन यह समय आंखें सेंकने का नहीं, हाथ सेंकने का था. मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और तुरंत नंगा हो गया.
अब मैंने उनके पैरों से चूमना शुरू किया और उनकी जांघों व नाभि को किस करता हुआ दोनों स्तनों तक पहुंच कर उन्हें मुँह में भर कर चूसा, चूमा और जीभ से चाटने के साथ-साथ हाथों से भी दबाया, सहलाया व मरोड़ा. इस प्रकार मामी के स्तन मर्दन में खूब आनन्द आया. फिर उनके गले, गाल और होंठों तक दस्तक दी. मैं कभी उनके निचले होंठों को अपने दोनों होंठों के बीच रखता, तो कभी ऊपर के होंठों को चूसता. उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी, मैंने अपने होंठों से उसे आइसक्रीम की तरह चूसा.
जब मामी ने मेरा लंड हाथ में लिया, तो इसकी लंबाई और मोटाई देख कर उनकी आंखें फटी रह गईं. क्योंकि मेरा लंड 8 इंच लंबा और खीरे के समान मोटा है. उन्होंने बड़े ही चाव से मेरे लंड को अपने मुँह में भर कर ब्लू फिल्म की तरह खूब चाटा. इस दौरान मेरा लंड और तन गया. पहली बार किसी महिला का स्पर्श पा कर लंड की नसें फूल गयीं.
मैं मामी की टांगें फैला कर लंड अपने हाथ में पकड़ कर चोदने की पोजिशन में आ गया. सांप के फन की तरह लहराता और फुंफकारता लंड देख कर अनुभवी मामी समझ गयी थीं कि आज उनकी चूत का भोसड़ा बनने वाला है.
लेकिन दोस्तो हवस की आग में जलने के बाद वासना की गंगा में डुबकी लगा कर ही कामी जिस्म को तृप्ति दी जा सकती है. मेरी मामी भी इसकी अपवाद नहीं थीं. अतः उन्होंने मुझे आदेश दिया- रौनक, अब जल्दी से चोदो न अपनी मामी को.
पहले मैंने मामी की चूत पर अपने लंड से थप्पड़ लगाया. मामी के पूरे तन में करंट सा दौड़ गया, वो ऊपर को उठ गईं और गुस्से में बोलीं- मादरचोद साले सीधे-सीधे चोद.. अब बाकी सब कुछ बाद में कर लेना भोसड़ी के.
गरम लोहा हथौड़े पर चोट के लिए तैयार था. मैंने भी आव देखा न ताव मामी की खिले गुलाब सी सुन्दर गुलाबी व फूली चूत के होंठों को खोल कर अपने लंड का सुपारा उस पर लगाया और पूरी ताकत के साथ जोर का धक्का दे मारा.
मेरा सुडौल व कड़क लंड मामी की नर्म, रसीली और गुनगुनी गर्म चूत में सटाक से फिसलता हुआ एक ही बार में गहराई तक जा धंसा. मेरा सामान्य से लम्बा लंड उनकी मखमली बुर में उनके गर्भाशय की दीवारों से जा टकराया था. अचानक इतने मोटे लंड से चूत में हुए फैलाव को मामी बर्दाश्त नहीं कर पायीं. उनकी तेज चीखों से कमरा गूंज उठा. उनकी आंखें भर आयीं और आंसू गालों पर बहने लगे.
मैंने उन्हें बांहों में भर कर सीने से लगा लिया. उन्होंने भी मुझे कस के जकड़ लिया और हम दोनों का जबर्दस्त आलिंगन हुआ. मैंने अपनी मामी के आंसुओं को पी लिया, गालों पर भर मुँह के चुम्बन किया, उनके होंठों पर अपने होंठों की छाप छोड़ी. अपनी नाक से उनकी नाक को रगड़ कर सांसें एक कर दी.
मैं उनके नाक से छोड़ी गयी सांसों को अपने सीने में भरने का जतन कर रहा था. ठीक यही सब पूरी गर्म जोशी से मामी की ओर से भी हो रहा था.
कंपकंपाती ठंड में, खाली घर के बंद कमरे में, बिस्तर पर मेरे हाथों में मेरे ख्वाबों की मल्लिका मेरी मामी का नग्न शरीर था और उनकी कोमल चूत में मेरा कठोर व सख्त लंड घुसा हुआ था. मेरे 80 किलो के शरीर के भार से बिस्तर पर मेरे नीचे दबी मेरी मामी हिल भी नहीं पा रही थीं. ऊपर से उनकी चूत में खम्भे सा गहराई तक गड़ा मेरा घोड़े जैसा लंड उनकी हालत पतली किए हुए था.
वो कुछ बोल नहीं पा रही थीं. मामी अपना हाथ मेरी पीठ पर फेर रही थीं. उनके टाइट दूध का तना हुआ निप्पल मेरे सीने में गड़ रहा था. हम दोनों कुछ मिनट के लिए इसी स्थिति में जड़ से हो गए.
फिर मामी ने रूंधे गले से, तेज धार से आंसू बहाते हुए, बिलख-बिलख कर रोते हुए मुझसे कहा- अब बस करो.. मेरी जान लोगे क्या? छोड़ दो रौनक मैं आगे भी काम आऊँगी.
मगर ये तो मेरी चोदनपट्टी का ट्रेलर भी नहीं, सिर्फ पोस्टर था. अभी तो मैंने सिर्फ मुहूर्त निकाला था. चुदाई तो अभी बाकी थी मेरे दोस्त. मैं मामी के ऊपर से उठ कर लंड चूत में डाले-डाले ही जमीन पर खड़ा हो गया. मामी चूत में लंड भरे-भरे ही बिस्तर पर लेटी रहीं. मैंने मामी के दोनों पैर हाथ में लेकर उसे फैला दिया.
अब शुरू हुआ अंधाधुन, फ्री हिट, सुपर चुदाई का दौर. मैंने आधा लंड बाहर खींचा, तो मामी ने राहत की सांस ली. दूसरे ही पल पूरा लंड जोर के धक्के के साथ पहले से भी ज्यादा अन्दर तक घुसेड़ दिया. आधा लंड बाहर निकालता फिर पूरा लौडा़ झटके के साथ अन्दर डाल देता. लंड को चुत में निकालने डालने का यह क्रम बिना रुके लगातार आधे घंटे तक चलता रहा. इस दौरान मामी रोतीं, चिल्लातीं और मुझसे दया के लिए गिड़गिड़ाती रहीं. लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. मैं उन्हें चोद-चोद कर शान्त माहौल में उनकी सिसकारियों और करुण क्रंदन का निर्दयता पूर्वक आनन्द ले रहा था.
हमारे हवस की कश्ती जिस सैलाब में तैर रही थी, उसमें तूफान आ चुका था. हम दोनों एक दूसरे को झकझोरते हुए और मदमस्त चुदाई के बाद चरम पर पहुंच चुके थे. मामी का पूरा शरीर अकड़ गया, उनका पैर ऐंठ गया. मेरे लंड की नसें मामी की योनि की दीवारों के घर्षण से फटने सी लगीं. लंड मामी की बुर के अन्दर और विकराल रूप धारण करता हुआ एक इंच अधिक मोटा व 2 इंच ज्यादा लंबा हो गया था.
मामी अब बिस्तर पर हर शॉट के साथ उछले जा रही थीं. मैं लंड अन्दर की ओर ठूंसता, तो मामी कमर उठा कर उसे चूत में निगल लेतीं. अब वो चुदाई में भरपूर साथ दे रही थी. अकस्मात हम दोनों साथ झड़ने लगे. मेरा लंड और सख्त होकर ढीला पड़ा, तीन-चार झटकों के साथ उससे गर्म लावे का फव्वारा बह निकला. मामी की चूत में मेरे सफेद व गाढ़े वीर्य की बरसात, इन्हीं झटकों के साथ पांच-छः बार हुआ. मेरे गर्म पानी से मामी की चूत लबालब भर गयी थी. इसी के साथ-साथ मेरी मामी भी डिस्चार्ज हो कर इस चुदाई को सम्पन्न कर चुकी थीं.
कुछ हसीन लम्हों की इस कामुक यात्रा में मैं अपनी प्यारी मामी के साथ मंजिल तक पहुंच चुका था. अभी मैंने अपना लंड बाहर नहीं निकाला था दोस्तों.. न ही मामी की चूत ने उसे उगला था.
मैंने मामी से पूछा- हथियार बाहर निकालूं या आपकी चूत में ही विजय पताका लहराएं रखूं?
मामी ने मुस्कान के साथ मेरे माथे पर चुम्बन किया और कहा- तलवार को म्यान में ही रहने दो.
हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए. आलिंगन के दौरान हमने एक दूसरे को अनगिनत चुम्बन किए. औरत स्नेह, ममता, वात्सल्य, आत्मीयता और अपनत्व, का अथाह सागर होती है. किसी पुरुष से शारीरिक संबंध के बाद उसका प्रेम और अपनत्व अत्यंत प्रगाढ़ हो जाता है. फिलहाल मैं अपनी मामी के साथ हमबिस्तर होकर इसी घनिष्ठ प्यार को महसूस कर रहा था.
हम एक दूसरे से सटे हुए दो जिस्म एक जान हो गए थे. मामी के बांहों का घेरा, उनका स्नेहिल स्पर्श, उनके शरीर की गर्मी, उनकी भीनी-भीनी मादक सी महक और उनकी सांसों का थकान से लेना और मेरे चेहरे पर छोड़ना. इन बातों ने मुझे उनका दीवाना बना दिया था. मामी को मन भरके चोदने के बाद भी मैं उनके आगोश से बाहर नहीं निकल पाया था. मेरा लंड अभी भी पूरी शिद्दत से उनकी चूत की गहराई नाप रहा था. काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे को गले लगाए बिस्तर पर उलटते-पलटते रहे. कभी मामी नीचे, मैं ऊपर.. तो कभी मामी ऊपर मैं नीचे. चुम्बनों का अविराम दौर तो चल ही रहा था. मैं एक गाल पर चूमता तो मामी दोनों गाल पर. फिर मैं एक कदम और आगे होंठों तक पहुंचता तो मामी भी जम कर साथ देतीं.
हम दोनों की नींद तो जैसे उड़ सी चुकी थी. हम इस रात को सोकर जाया नहीं करना चाहते थे. नियति के संयोग से मिली इस रात के साथ को, मैंने मामी के साथ जी भर कर जिया. हम पूरी रात एक दूसरे को छेड़ते, पुचकारते रहे. मामी ने करवट बदली, खुद ऊपर से नीचे आ गयीं और मुझे नीचे से अपने ऊपर कर लिया. मैं भी मामी के ऊपर फैल कर पसर गया.
अब मामी ने हाथ में चादर ले कर उसे फैला कर हम दोनों को ओढ़ा दिया और बोली- थैंक्यू रौनक, अपनी मामी को जो खुशी आज तुमने दी है, इसके लिए मैं लम्बे समय से छटपटा रही थी.
मामी से यह सुन कर मैं चकरा गया क्योंकि वह दो औलादों की मां हैं और मेरे मामा घर में उनके साथ ही रहते हैं.
फिर उन्होंने बताया कि शराब की बुरी लत के कारण मामा अपना पौरुष बहुत पहले ही खो चुके हैं और मामी की ओर बिल्कुन ध्यान नहीं देते थे.
अब मुझे समझ आया कि पहली बार सेक्स मैं कर रहा था लेकिन चुद मेरी मामी क्यों इस तरह रही थीं, जैसे कभी लंड ही न मिला हो?
उस रात हम सुबह तक जागते रहे और चादर के अन्दर ही चुलबुलाते हुए एक दूसरे को तंग करते हुए बातें करते रहे.
हमने एक पल के लिए भी एक दूसरे से खुद को अलग नहीं होने दिया. बस अपने बदन से बदन को ऐसे लिपटाए, चिपकाए और चिपटे रहे कि बीच में हवा के लिए भी जगह नहीं थी.
मामी ने मेरा हाथ अपने सर पर रख कर मुझसे कसम खिलवाई कि मैं ऐसे ही उनसे जिन्दगी भर जिस्मानी ताल्लुकात बनाए रखूंगा. हमारे बीच मामी और भांजे का रिश्ता है, मामी मुझसे बारह साल बड़ी हैं. हम दोनों पति पत्नी नहीं हैं, फिर भी हम एक दूसरे के लिए बने हैं. क्योंकि यह रिश्ता दिल से दिल का है, जिसे समाज ने नहीं, हमने खुद बनाया है.
समाज के नजरिये से मेरी मामी रंडी हो चुकी हैं. लेकिन इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि अगर यह संबंध मुँह काला करना है, तो फिर इसके बाद से मामी के चेहरे पर चमक क्यों आ गयी?
उस दिन के बाद से मौका मिलते ही निरंतर कई रातें मामी मेरे साथ बिता चुकी हैं. हम हर बार पहले से भी बेहतर और मजेदार सेक्स करते है. सेक्स के बाद मुझे अपराधबोध कभी नहीं होता क्योंकि मामी के होंठों की मुस्कान, उनके चेहरे पर तृप्ती का भाव मुझे सकून देता है.
अपनी प्रिय महिला की खुशी ही एक पुरुष को सबसे ज्यादा सकून देती है. मैं इसी आनन्द को इस वक्त भरपूर महसूस कर रहा हूं. अब मामी पूरे कान्फीडेंस के साथ मुझसे बेझिझक पूरी रात अलग-अलग पोजीशन से खूब चुदती हैं. वो बिना शर्माए हर यौन इच्छा मुझसे बताती हैं और मैं उनको पूर्ण रूप से संतुष्ट करता हूं.
महिला-पुरुष के लिए यही सबसे बेहतर स्थिति होती है.
बस दोस्तो, इतनी सी थी हमारी चोदनलीला. आप मुठ तो जरूर मार चुके होंगें, अब लंड हिला कर पैंट में रखिये और आस पास की भाभी, चाची या मेरी तरह मामियों की चूत में अपने लंड का आसरा तलाशिए और अपनी चूतचालीसा हमारे लिए जरूर लिखिएगा.
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