मामी की गांड चोद कर सुहागरात मनायी-4
(Mami Ki Gand Chod Kar Suhagrat Manayi- Part 4)
नमस्कार दोस्तो, मैं अपनी कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ. पिछले भाग
मामी की गांड चोद कर सुहागरात मनायी-3
में आपने पढ़ा था कि मैंने मामी की सुबह भी जबदस्त गांड मारी थी, जिसके बाद वे सो गई थीं.
अब आगे:
सुबह नौ बजे मेरी आंख खुली और मैंने मामी जी की ओर देखा. वह अब भी गहरी नींद में सो रही थीं. सुबह की रोशनी खिड़कियों पर लगे पर्दों के बावजूद बेडरूम में पहुंच रही थी.
मैं उठा और बाथरूम में गया. जल्दी फ्रेश होकर बाहर निकला. सामने देखा तो रमेश अपनी पत्नी रूपा से कुछ खुसर फुसुर कर रहा था. पर मैंने सोचा कि ये तो कल रात ही गांव गया था ना … फिर इधर कैसे? मैंने उसे आवाज लगाई … तो वो मेरे पास आ गया.
मैं- अरे रमेश काका, आप तो गांव गए थे ना?
रमेश- वो छोटे मालिक जिस काम के मैं लिये जा रहा था, वो काम मेरे दोस्त भूरिया जो अपने पास वाले फार्म हाउस में रहता है ना, उसने कर दिया. तो मालिक मैं रात को ही वापिस आ गया था.
मैं- ओह चलो अच्छा हुआ, आपको तकलीफ नहीं हुई.
रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा- अरे मालिक मेरा छोड़िए आप बताईए, रात को कुछ तकलीफ तो नहीं हुई ना आपको और छोटी बहू को?
मैं मुस्कुरा कर बोला- अरे नहीं नहीं काका मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई, सिर्फ आपकी बहू को थोड़ी सी तकलीफ हुई, लेकिन आप चिंता न करें, अब सब ठीक है.
रमेश ने शरारती आंखों से मुझे देखते हुए कहा- मालिक, वो पानी खत्म हो गया था, तो मैंने सुबह ही पानी की टंकी भर दी थी, नहाने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना.
मैं मन ही मन सोचते हुए खुद से बोला कि अरे वही तो, सुबह चुदाई के दौरान पानी खत्म हो गया था, शायद इसको सब पता तो नहीं चल गया.
प्रत्यक्ष में मैंने कहा- नहीं, कोई दिक्कत नहीं हुई काका.
रमेश मुझसे कुछ ओर पूछता कि इतने में मामी जी आ गईं.
मैं- अरे मामी जी आप इतने जल्दी क्यों उठ गईं, थोड़ी देर ओर आराम कर थोड़ी लेतीं.
रमेश- हां मालकिन, वैसे रात में सोते वक्त कुछ तकलीफ तो नहीं हुई ना?
मामी जी- वो तो क्या बताएं काका … बहुत ही अच्छी नींद आई.
अब मुझे लगने लगा था कि रमेश काका को रात की रासलीला पता चल गई होगी. पर इससे मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि रमेश हमारा सबसे वफादार नौकर था. आज तक उसके सामने मैंने कई लड़कियों को यहां फार्म हाउस पर लाकर चोदा था.
मैं अपने ही सोच में डूबा हुआ था कि रमेश ने मेरी तरफ देख कर पूछा- अरे छोटे मालिक, कहां खो गए?
मैं कुछ कहता कि रूपा वहां आ गई.
रूपा- मालिक आज नाश्ते में क्या खाएंगे?
रमेश ने मेरे बोलने से पहले मुस्कुराते हुए कहा- नाश्ता बनाने की कोई जरूरत नहीं है रूपा, क्योंकि मैंने पास के गांव के फेमस नाश्ता मंगवाया हैं, भूरिया कुछ देर में लेकर ही आ रहा होगा.
मैं- अरे वाह बहुत बढ़िया काका.
रमेश- मुझे पता है मालिक आप जरूर खुश होंगे.
फिर उसने रूपा की ओर देखते हुए कहा- रूपा जरा तब तक छोटी बहू को अपने खेत खलिहान घुमाने ले जाओ और हां, इनकी अच्छे से देख भाल करियो, हमारे यहां पहली बार आई हैं, खातिर में कोई कमी ना रहे.
मैं- हां मामी जी, चली जाएं, सुबह सुबह थोड़ा टहलने से आपको भी अच्छा लगेगा.
रूपा ने मुस्कुरा कर कहा- चलिए भौजी, आपको अपने खेत दिखाती हूँ.
फिर वो दोनों बातें करते हुए चली गईं.
अब मैं आपको रूपा के बारे में कुछ बता देता हूँ. वो एक 26 साल की बहुत मस्त और चुदैल औरत है, जिसकी शादी 6 साल पहले बुड्डे रमेश से हुई थी. उसके घर वालों ने रमेश से पैसे लिए थे, जो उसको वापिस ना लौटा पाए तो बदले में उसकी शादी रमेश से कर दी.
बुड्डे रमेश से रूपा के भरे हुए बदन को ठीक से संतुष्ट करना नहीं हो पाया, तो रूपा ने अपने आस पड़ोस के मजदूरों के साथ संबंध बना लिए थे.
उधर रूपा और मामी जी बातें करते हुए खेतों की तरफ जा रही थीं, मैं और रमेश काका उनकी तरफ देख रहे थे. मामी जी को शायद थोड़ा चलने में अभी भी मुश्किल हो रही थी. उनके चूतड़ फैले हुए लग रहे थे. उनको देख कर कोई भी कह सकता था कि अभी अभी गांड मारी गई है.
यह दृश्य देख कर रमेश काका मेरी तरफ देख के मुस्कुरा दिया.
रमेश- वो छोटे मालिक जरा देखिए तो छोटी बहू को चलने में शायद कुछ तकलीफ हो रही है? देखिए ना कैसे पैरों को पसार के चल रही हैं.
फिर उसने मुझे आंख मारते हुए कहा- या शायद कुछ बड़ा सा कांटा चुभ गया होगा.
मैंने अपना मुँह इधर उधर घुमाते हुए कहा- अब आपको क्या बताएं काका कि कितना बड़ा कांटा चुभा है.
रमेश- हा हा हा … इधर ऊपर टैरेस पर मालिक आपको कुछ दिखाना चाहता हूं.
मैं समझ गया था वो क्या दिखाना चाहता है. हमारे रात के सभी कपड़े वहीं पड़े हुए थे.
हम जल्दी से टैरेस पर पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर मुझे थोड़ी शर्म आने लगी. वहां पर एक नीचे वाला बेड पूरी तरह से अस्त व्यस्त था. बेडशीट पर मालिश के तेल के धब्बे लगे हुए थे. इधर उधर हमारे कपड़े पड़े हुए थे, मामी जी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट बेड के एक किनारे पर थे, तो उनकी ब्रा पैंटी दूसरे किनारे पड़े थे. मेरे कपड़े उनमें ही मिल गए थे.
उस मनमोहक दृश्य को दिखाते हुए रमेश काका मुझसे पूछने लगा- मालिक.. तो यह कारण है छोटी बहू की बिगड़ी हुई चाल का.. ह्हम्म!
मैंने शरमाते हुए कहा- क्या बताएं काका हमें तो आदत ही है, अच्छी अच्छियों की चाल ढाल बदलने की.
रमेश- ह्म्म्म … ये तो मुझसे बेहतर कौन जानता है मालिक हा हा हा लेकिन आप छोटी बहू की भी चाल बदल देंगे, यह तो मैंने भी नहीं सोचा था.
मैं- रमेश काका क्या बताएं आपको, मेरे सब राज तो मालूम हैं आपको, इसे भी क्या छुपाऊँ.
रमेश- जी मालिक मुझे सब पता है, पर ये बात नहीं है, मैं तो आपका वफादार हूँ मुझसे क्या छुपाना. क्या आपको मुझ पर शक है?
मैं- अरे नहीं नहीं काका, कैसी बात कर रहे हैं. मुझे आप पे भला क्यों कोई शक होगा. आपको भी पता है हम सबसे ज्यादा आप पर ही भरोसा करते हैं.
रमेश- हां मालिक, मैं जानता हूँ और मरते दम तक आपके परिवार और आपका वफादार रहूंगा. अब तो बताएं मालिक … आखिर क्या कारण है जो आपको अपनी मामी हमारी छोटी मालकिन बहू के साथ संबंध बनाना पड़ा?
मैं- आपको तो मालूम है काका मामा जी का पूरा ध्यान बिजनेस में ही है, वह दिन भर, तो कभी कभी हफ्तों तक बाहर रहते हैं और मामी जी को ज्यादा वक्त नहीं दे पाते. और अब तो वो संबंध बनाने में भी रूचि नहीं रखते. मामी जी भरी जवानी में खुद को प्यासी महसूस कर रही थीं. बेचारी पूरे दिन भर घर रहकर बोर हो जाती हैं, इसलिए जब उन्होंने मुझे देखा, तो वह खुश हो गईं. अब आप ही बताएं काका क्या मेरा ये फर्ज नहीं बनता कि अपनी मामी जी की प्यास बुझाऊं.
रमेश- ऐसी बात है तो मालिक आपने बिल्कुल ठीक किया.
मैं झूठ मूठ का दुखी चेहरा करके बोला- मामी जी जवान हैं, अगर उनकी मामा जी जैसे बड़े उम्र के व्यक्ति से शादी ना होती, तो शायद मुझे ये सब करने की जरूरत ना पड़ती.
रमेश काका शरारती मुस्कान लेते हुए बोला- अरे छोड़िए न मालिक जो हुआ अच्छा ही हुआ. अगर ऐसा नहीं होता तो सोचिए आपको इतनी अच्छी मामी जी मिलतीं क्या?
मैंने हंसते हुए कहा- हां वो तो है. पर एक बात बताओ काका, रात वाली बात आपको कैसे पता चली?
रमेश- सुबह जब मैं यहां से गुजर रहा था, तो बाथरूम में से छोटी बहू की कामुक सिसकारियां सुनाई दीं और साथ ही आपकी भी.. बस मैं समझ गया आप क्यों ऊपर सोने के लिए गए थे.
मैं- अच्छा तो ये बात थी.. आपके अलावा अन्य किसी को तो मालूम नहीं है न?
रमेश- नहीं मालिक यहां कोसों दूर तक हमारे सिवा कोई और नहीं है.
मैं- वो आपका दोस्त भूरिया?
रमेश- मालिक वो तो कभी कभी आता है, जब उसे कुछ काम हो.. या फिर मुझसे मिलने आता है. उसको तो आपके अन्य लड़कियों के साथ की बात भी नहीं पता है. यह तो अपने घर की बात है मालिक. आप यकीन मानिए ये सब बातें सिर्फ मुझ तक ही रहेंगी.
मैं- यहीं हमारे लिए ठीक रहेगा काका.
रमेश काका ने झूठी मुस्कान लाते हुए कहा- हां मालिक, वो रात की बात रूपा को भी पता चल गई है, पर यकीन कीजिए वो भी किसी को नहीं बताएगी. आखिर मेरी पत्नी जो है.
मैं- हां. पर उसे कैसे पता चला?
रमेश- वो सुबह उठकर यहां आ गई थी, तो उसने सब कुछ देख लिया था, पर मैंने उसे कह दिया है कि वो हमारे मालिक हैं. बड़े लोगों में यह सब चलता रहता है.
मैं- ह्म्म्म तो ये बात सिर्फ हम चारों में ही रहेगी. ठीक है! चलो अब आप नीचे जाओ, इससे पहले की यह और कोई देखे मुझे हमारे कामलीला के सबूतों को मिटाना है.
रमेश लड़खड़ाती जुबान से बोला- छोटे मालिक.. व्वो एक बात और है.. दरअसल वो बात है कि…
मैंने बीच में टोकते हुए कहा- घबराओ नहीं.. साफ साफ बात करो काका.
रमेश- रूपा की भी चाल मालिक आप बिगाड़ देते, तो अच्छा होता आखीर है तो वो आपकी दासी ही ना. जोश जोश में शादी तो कर ली मालिक, अब वैसा दम नहीं रहा.
मैंने आंख मारते हुए कहा- नेकी और पूछ पूछ … आप सिर्फ उसे दोपहर को तैयार रहने को बोलना बस, इधर दोपहर में मामी जी को सुला कर मैं उसके पास आता हूँ.
रमेश- ठीक है मालिक.
थोड़ी देर बाद भूरिया आ गया, उसी वक्त मामी जी और रूपा भी आए थे. फिर हम सबने मिलकर नाश्ता किया. इसके बाद सब लोग अपने अपने काम में लग गए. रूपा खाना बनाने चली गई और भूरिया के साथ रमेश काका खाद लेने गांव चले गए. मैं और मामी जी भी अपने कमरे चले गए और बैठ कर आराम से रात की चुदाई की बातें करने लगे.
आधे घंटे में रूपा ने खाना खाने के लिए हमे हॉल में बुलाया. रूपा डायनिंग टेबल पर खाना परोसा, उस वक्त मेरी नजर उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर थी. रूपा की आंखें बहुत पारखी थीं. जब उसने देखा, कि मैं उसकी चुचियों को देख रहा हूँ, तो रूपा के होंठों पर मुस्कान से फैल गयी. जिसे उसने अपने होंठों पर अपनी साड़ी का पल्लू रख कर छुपा लिया.
यह सब देख कर जैसे तैसे मैंने अपना खाना खत्म किया. मामी जी का भी हो गया था. पर हम डायनिंग टेबल पर ही बैठे बातें कर रहे थे.
मामी जी- राहुल, मुझे थकान महसूस हो रही और नींद भी आ रही है.
मैं- मामी जी तो आप प्लीज़ कमरे जाकर थोड़ा सो जाएं, इससे आपको आराम मिलेगा.
मामी जी उठकर कमरे में चली गईं और दवा पी कर सो गईं. थोड़ी देर बाद रूपा आई और टेबल पर पड़ी प्लेट को उठा कर किचन में ले गयी.
इसके बाद क्या और कैसे हुआ, वो सब मैं अगले भाग में आपको बताऊँगा. मुझे मेरी सेक्स कहानी पर आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा.
कहानी जारी है.
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
आगे की कहानी: नौकर की बीवी की चुदाई
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