मामी के साथ प्यारी शरारतें और गांड चुदाई

(Mami Ke Sath Pyari Shrarat Aur Gand Chudai)

प्रिय दोस्तो, मेरी यह सेक्स स्टोरी उस समय की है जब मुझे मामी के साथ 6-7 दिन की छुट्टी बिताने का मौका मिला था।

मामी मुझसे उम्र में 14 साल बड़ी हैं। मेरी और मेरे मामी की अच्छी बनती है, अक्सर हम कई मुद्दों पर बातें किया करते हैं और कई बार मौका मिलने पर अकेले में मिलने या बात करने की कोशिश किया करते हैं।

अक्सर मौका मिलने पर मैं उनको इधर-उधर छू दिया करता हूँ, वो भी पलट कर अच्छे से प्रतिक्रिया दिया करती हैं। कई बार तो मामी खुद अपनी तरफ से भी बढ़ कर मुझे कुछ ऐसी जगह छू लेती हैं, जो आमतौर पर ठीक नहीं समझा जाता है। इसलिए हमारा इस तरह का रिश्ता बड़ा निजी और गोपनीय है।

पहले हम दोनों के बीच इस तरह बात और हरकतों को देख कर घर वाले नाराज़ होते थे, इसलिए अब हम दोनों केवल अकेले में इस तरह की हरकतें करते हैं।

अब मैं हम दोनों के शरीर का विवरण दे देता हूँ। हम दोनों ही लम्बे कद के हैं, मेरा शरीर कसरती है और मामी का सुडौल है। मैं थोड़ा गेहुंआ और मामी गोरी हैं।

अबकी बार मुझे मामी के साथ 6-7 दिन की छुट्टी बिताने का मौका मिला। मैं कुंवारा था.. इसलिए मुझे ठरक मची हुई थी। मामी का भी मामा से रिश्ता सही नहीं चल रहा था। हम दोनों ही शारीरिक प्रेम के लिए भूखे थे। मैं जिन दिनों वहां पहुंचा.. उन दिनों मौका भी अच्छा था। हमें एक-दूसरे के साथ अकेले बिताने के लिए दिन, दोपहर, शाम और रात में कई घंटे मिल जाया करते थे। हम दोनों खुश थे, एक-दूसरे का साथ अच्छा लग रहा था।

पहले दिन एक-दूसरे को छूने वाली आदत की पहल मामी ने ही कर दी। उन्होंने मेरे माथे को बड़े आराम से सहलाया। मैंने भी उनकी कमर पर एक हाथ रख दिया।

मामी सलवार कुर्ते में थीं और मैंने टी-शर्ट और जीन्स पहना हुआ था। मामी ने टीवी ऑन कर दिया। टीवी पर चैनल बदलते-बदलते एक विदेशी चैनल पर हिंदी गाना आ रहा था, जिसमें लड़का-लड़की आपस में अच्छे से चिपक रहे थे।

मामी ने आवाज़ कम कर वही गाना लगे रहने दिया। फिर थोड़ी देर में गाना ख़त्म होने से वो पहले ही चैनल बदलने लगीं।
मैंने मामी से बोला- कोई न्यूज़ चैनल लगा दीजिए।

मामी ने उठ कर मुझे रिमोट दिया और टीवी रूम से जाने लगीं। जाने से पहले मेरे पास दो मिनट खड़ी रह कर उन्होंने न्यूज़ के बारे में भी थोड़ी बात की।

मामी के जाने के बाद मैंने थोड़ी देर न्यूज़ चैनल देख कर सोचा कि मामी के पास उनके रूम में चला जाए। मेरे ख्यालों में मामी का मादक शरीर नाच रहा था।

मैं ऊपर गया तो देखा कि मामी अखबार पढ़ रही थीं। यही वो लम्हा था, जहाँ से मेरे लंड की मामी के गांड तक पहुँचने की कहानी शुरू होती है।

वो पूरी बातचीत मुझे अभी तक याद है।

मैं- हैलो मामी!
मामी- देख लिया टीवी!
मैं- हाँ.. टीवी पर वही सब बार बार दिखाते रहते हैं।
मामी- हम्म..
मैं- आप ऊपर क्यों आ गईं?
मामी- ऐसे ही.. मैंने सोचा थोड़ा सो लूँ, एक झपकी लेने का मन हो रहा था।
मैं- हाँ.. आलस का सा माहौल हो रहा है, मुझे भी नींद आ रही है।
मामी- तो तुम भी यहीं सो जाओ ना..

मैंने बिना कुछ सोचे ‘हाँ’ कर दी, बल्कि सोने वाली जगह पर आराम से फैल भी गया।
मामी और मेरे बीच फिर घर-परिवार और रिश्तों की बात शुरू हुई और थोड़ी देर तक हम दोनों यही सब बातें करते रहे।

मामी फिर अखबार रख कर बाथरूम चली गईं। मैं भी करवट लेकर नींद आने का इंतज़ार करने लगा।

मामी बाथरूम से निकल कर आईं और बेड पर लेट गईं, मेरी पीठ मामी की तरफ थी। थोड़ी देर मैं करवट बदल कर देखा तो मामी की भी पीठ मेरी तरफ थी। मामी का कामुक शरीर देख कर मेरे मन में अपने आपको रोकने की इच्छा नहीं हुई और मैं पीछे से जाकर मामी से चिपक गया, तो मामी ने भी विरोध नहीं किया। मेरा लंड खड़ा था और मामी की गांड से टच हो रहा था। मुझे और मामी दोनों को पता था कि ये हरकतें कहाँ जाने वाली हैं।

मैंने मामी का पंजा अपने पंजे से पकड़ा। दोनों ने एक-दूसरे के पंजे को कस कर दबा लिया। उनके रूम में लाइट बन्द होने से काफी अँधेरा था। मैंने मामी की पीठ को किस करना शुरू कर दिया।

मामी ने धीरे से बोला- पहले दरवाज़ा बन्द कर दो।

मैं उठा और दरवाज़ा बंद कर दिया, वापस बेड पर आकर मैं मामी के ऊपर चढ़ गया और उनके होंठों पर होंठ लगा कर उन्हें किस करने लगा।

किस करने के साथ-साथ हम कपड़े उतारने लगे, लेकिन मामी ने पूरे कपड़े नहीं उतारे और मुझे भी नहीं उतारने दिए।
हम दोनों ने ऊपर के सारे कपड़े उतार दिए, लेकिन नीचे केवल पेंट और सलवार कमर से नीचे तक ही किया, यानि जांघ से ऊपर दोनों नंगे थे।

मैं मामी की चूचियों को दबा और चूस रहा था। मामी मेरे हाथ को पकड़ कर अपने मन से इधर-उधर ले जा रही थीं। कमर के ऊपर अच्छे से मसलने के बाद मैंने अपनी उंगलियां मामी की बुर में डाल दीं। मैंने मामी की चूत में उंगलियों को इतना नचाया और रगड़ा कि मामी पूरी तरह से गीली हो गईं।

मामी मेरे लंड को हाथ नहीं लगा रही थीं, मेरे बहुत बोलने के बाद मामी ने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया। फिर कुछ देर बाद मेरी जिद पर वो मेरे लंड को मुँह में लेने को तैयार हो गईं।

थोड़ी देर मामी के मुँह मे लंड रखने के बाद मेरे अन्दर मामी की चूत चोदने की आग लग गई। मामी ने बुर चुदवाने से मना कर दिया, लेकिन साथ ही उन्होंने गांड मारने के लिए हाँ कर दिया।

अब मैं मामी के पीछे आ गया, उनकी गोरी चिकनी गांड देख मेरे शरीर में करंट दौड़ गया। मैंने अपने लंड का सुपारा मामी की गांड पर टिका कर अन्दर डालने का प्रयास किया, तो मामी को गांड में दर्द होने लगा।

फिर उन्होंने गांड में वैसलीन लगाने को बोला। मैंने पास में ही रखी वैसलीन को लगा कर फिर से लंड को मामी की गांड के छेद पर टिका दिया।

अबकी बार लंड फिसलते हुए पूरा मामी की गांड में चला गया। मामी की भी एक बार को ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गई। शुरू में धीरे-धीरे धक्का देने का बाद मैंने तेज़-तेज़ धक्का देना शुरू कर दिया।
मामी भी सिसकारियां लेकर गांड मरवाने का आनन्द ले रही थीं।

धक्का देते-देते मेरा वीर्य गिरने को हुआ, मैंने पूछा- मामी अन्दर ही गिरा दूँ?
मामी ने बोला- हाँ..
मैं उनकी गांड में ही खाली हो गया।
फिर बिना लंड निकाले हम दोनों एक-दूसरे से चिपके रहे।

थोड़ी देर बाद मैं उठा और बाथरूम जाकर स्नान करके आया। मामी के चेहरे पर सुकून था और मैं भी सुकून महसूस कर रहा था।

आने वाले बाकी दिन भी मजेदार रहे।

मुझे ध्यान न रहा कि मेरा और मामी का मामी-भांजे का रिश्ता कब का ख़त्म हो चुका है। अब मामी को मामी न मान एक अच्छा मित्र मानता हूँ।
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